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Holashtak : जानिए क्या है होलाष्टक और क्यों होलाष्टक को माना जाता है अशुभ ।

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Holashtak: हिंदू कैलेंडर (Hindu Calendar) में होलाष्टक (Holashtak) की अवधि का बहुत महत्व होता है। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होकर होली के त्योहार तक आठ दिनों तक चलने वाला होलाष्टक धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावधानी और चिंतन का समय है।’होली’ और ‘अष्टक’ के संयोजन से बना, होलाष्टक (Holashtak) ज्योतिषीय (astrology)महत्व की अवधि का प्रतीक है जहां माना जाता है कि सभी प्रमुख ग्रह उग्र ऊर्जा प्रदर्शित करते हैं, जो इसे अशुभ बनाते हैं आज के इस विशेष लेख के जरिए हम आपको बताएंगे कि होलाष्टक क्या है?(holashtak kya hota hai) , होलाष्टक अशुभ क्यों है?(Why is Holashtak inauspicious?) , होलाष्टक कब से है (holashtak kab se hai) , होलाष्टक का इतिहास(Holashtak History) , होलाष्टक तिथियां(Holashtak tithiyan) , होलाष्टक का महत्व (Importance of Holashtak) , होलाष्टक में वर्जित कार्य(Don’ts of Holashtak) , होलाष्टक के दौरान क्या करना चाहिए?(do’s of Holashtak?) , होलाष्टक के दौरान अनुष्ठान(Rituals during Holashtak) , होलाष्टक से जुड़ी कहानियां(Story Related to Holashtak) , होलाष्टक से जुड़ी कहानियां PDF(Story Related to Holashtak pdf) इत्यादि इसीलिए इन सभी जानकारी को प्राप्त करने के लिए हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़िए।

Holashtak Overview

लेख प्रकारआर्टिकल
विषय होलाष्टक 
प्रारम्भ तिथि17 मार्च 
अंतिम तिथि24 मार्च
प्रमुख देवताभगवान विष्णु 
महत्त्वशुभ कार्यों पर रोक 
प्रमुख कथाप्रहलाद एवं हिरण्यकश्यप की कथा 

होलाष्टक क्या है? ( Holashtak kya Hota hai)

होलाष्टक: होलाष्टक (Holashtak) होली (Holi) त्योहार (festival) से आठ दिन पहले शुरू होता है और होलिका दहन तक चलता है। हिंदू धर्म (Hindu religion) में, इस अवधि को अशुभ माना जाता है। इस दौरान, कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है, जैसे कि शादी, मुंडन, या गृह प्रवेश।

होलाष्टक (Holashtak) के दौरान, ग्रहों की स्थिति नकारात्मक ऊर्जा (negative energy) का निर्माण करती है, जो नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। इस अवधि में, लोगों को धार्मिक कार्यों में भाग लेने, दान करने और भगवान की पूजा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

होलाष्टक अशुभ क्यों है? (Why is Holashtak Inauspicious?)

होलाष्टक अशुभ क्यों है

होलाष्टक (Holashtak) , होली से आठ दिन पहले शुरू होने वाला समय, कई लोगों के लिए अशुभ माना जाता है। इसके पीछे कई ज्योतिषीय और पौराणिक कारण हैं।

ज्योतिषीय कारण:

  • इस समय ग्रहों की चाल नकारात्मक प्रभाव डालती है।
  • सूर्य कुंभ राशि में प्रवेश करता है, जो अस्थिरता का प्रतीक है।
  • चंद्रमा मंगल के साथ मिलकर अशुभ योग बनाता है।
  • राहु और केतु भी नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।

पौराणिक कारण:

  • यह समय भक्त प्रह्लाद पर अत्याचारों से जुड़ा हुआ है।
  • राजा हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे प्रह्लाद को जान से मारने के लिए कई प्रयास किए।
  • होलिका, हिरण्यकश्यप की बहन, प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठी, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गए और होलिका जल गई।
  • इन आठ दिनों को ‘अशुभ’ माना जाता है क्योंकि इनमें नकारात्मक शक्तियां सक्रिय होती हैं।

होलाष्टक कब से है (Holashtak kab se Hai) 

2024 में होलाष्टक (Holashtak) 17 मार्च (March) से शुरू होगा और 24 मार्च (March) को होलिका दहन के साथ समाप्त होगा। यह 8 दिनों का त्यौहार है, जो फाल्गुन मास की पूर्णिमा से शुरू होता है और अष्टमी तक चलता है। इस दौरान, लोग शुभ कार्य करने से परहेज करते हैं और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं। 

होलाष्टक का इतिहास (Holashtak History)

विष्णु पुराण (Vishnu Puran) और भागवत पुराण (Bhagwat Puran) में दावा की गई एक किंवदंती के अनुसार, राक्षसों के राजा हिरण्यकश्यप (Hiranyakashyap) ने अपने बेटे प्रह्लाद (Prahlad) को भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा करने के खिलाफ चेतावनी दी थी। चेतावनी के बावजूद, प्रह्लाद पूरी भक्ति और दृढ़ निष्ठा के साथ भगवान की पूजा करता रहा। इससे हिरण्यकश्यप (Hiranyakashyap) इतना क्रोधित हुआ कि उसने प्रह्लाद (Prahlad) को इस हद तक यातना देना शुरू कर दिया कि उसने उसके बेटे को मारने की भी कोशिश की। उसने हिंदू फाल्गुन माह की अष्टमी से पूर्णिमा तक आठ दिनों तक प्रह्लाद को प्रताड़ित किया। बाद में हिरण्यकश्यप (Hiranyakashyap) ने अपनी बहन होलिका (Holika) को प्रह्लाद को मारने का काम सौंपा। होलिका का जन्म इस वरदान के साथ हुआ था कि उसे कभी भी आग से कोई नुकसान नहीं होगा। उसने प्रह्लाद को अपनी गोद में उठा लिया और उसे मारने के इरादे से आग पर बैठ गयी। हालाँकि, प्रह्लाद (Prahlad) को उसकी अटूट आस्था और भक्ति के लिए भगवान विष्णु द्वारा संरक्षित किया गया था। वह पूरी तरह से सुरक्षित बाहर आ गया जबकि हिरण्यकश्यप (Hiranyakashyap) की बहन होलिका (Holika) आग में जलकर मर गई। प्रह्लाद को यातना देने वाली होलिका दहन से पहले के आठ दिनों को होलाष्टक कहा जाता है, और इसे हिंदू धर्म (Hindu religion) में अशुभ और प्रतिकूल माना जाता है।

होलाष्टक तिथियां (Holashtak Tithiyan)

इस वर्ष, फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि 16 मार्च को रात 09:39 बजे शुरू होती है और 17 मार्च को सुबह 09:53 बजे समाप्त होती है। इसलिए, उदयातिथि के आधार पर, फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि 17 मार्च को पड़ती है, जो होलाष्टक की शुरुआत का प्रतीक है। होलाष्टक 24 मार्च 2024 को फाल्गुन पूर्णिमा पर होलिका दहन के साथ समाप्त होता है। नतीजतन, होलाष्टक की आठ दिवसीय अवधि 24 मार्च को समाप्त होती है, जिसके बाद 25 मार्च को होली उत्सव मनाया जाता है।

होलाष्टक का महत्व (Importance of Holashtak)

होलाष्टक (Holashtak), होली से आठ दिन पहले शुरू होने वाला एक महत्वपूर्ण समय होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस समय ग्रहों की स्थिति नकारात्मक होती है, जिसके कारण अशुभ प्रभावों की संभावना बढ़ जाती है। होलाष्टक के दौरान, कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है, जैसे कि शादी, गृह प्रवेश, या नया व्यवसाय शुरू करना। यह माना जाता है कि इन कार्यों के दौरान नकारात्मक प्रभावों का प्रभाव बढ़ जाता है, जिसके परिणामस्वरूप विफलता या दुर्भाग्य हो सकता है। इस समय का उपयोग आत्म-चिंतन, आध्यात्मिकता और भक्ति के लिए किया जाता है। लोग भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करते हैं, और होलिका दहन के लिए लकड़ी और अन्य सामग्री इकट्ठा करते हैं। होलाष्टक का अंतिम दिन, होलिका दहन, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। लोग होलिका दहन के आसपास इकट्ठा होते हैं, और बुराई का प्रतीक, होलिका को जलाते हैं।

इस प्रकार, होलाष्टक एक महत्वपूर्ण समय होता है जो आत्म-चिंतन, आध्यात्मिकता और शुभकामनाओं के लिए समर्पित होता है।

होलाष्टक में वर्जित कार्य (Don’ts of Holashtak)

होलाष्टक, होली से आठ दिन पहले शुरू होने वाला एक अशुभ काल माना जाता है। इस दौरान, कुछ शुभ कार्यों से बचना चाहिए।

  • मांगलिक कार्य: होलाष्टक में शादी, मुंडन, जनेऊ, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना, नया व्यवसाय शुरू करना, या कोई भी नया शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है।
  • यात्रा: यदि आवश्यक न हो, तो होलाष्टक में लंबी यात्राएं करने से बचना चाहिए। यदि यात्रा करना अनिवार्य हो, तो शुभ मुहूर्त देखकर यात्रा करें।
  • होलाष्टक में दान करना भी अशुभ माना जाता है। यदि दान करना हो, तो होली के बाद दान करें।
  • नया घर या वाहन खरीदना: होलाष्टक में नया घर या वाहन खरीदना अशुभ माना जाता है। यदि आपने पहले ही घर या वाहन बुक कर लिया है, तो पूजा-पाठ करके शुभ मुहूर्त में गृह प्रवेश या वाहन का शुभारंभ करें।
  • मंगल कार्य: होलाष्टक में मंगल कार्य जैसे कि मुंडन, जनेऊ, यज्ञ, हवन आदि करना भी वर्जित माना जाता है।
  • नया कपड़ा खरीदना: होलाष्टक में नया कपड़ा खरीदना भी अशुभ माना जाता है।
  • मांस-मदिरा का सेवन: होलाष्टक में मांस-मदिरा का सेवन करने से बचना चाहिए।
  • क्रोध और नकारात्मक विचार: होलाष्टक में क्रोध और नकारात्मक विचारों से बचना चाहिए।

होलाष्टक के दौरान क्या करना चाहिए? (Do’s of Holashtak?)

होलाष्टक होली से 8 दिन पहले शुरू होते हैं और इन दिनों को अशुभ माना जाता है। इन दिनों में ग्रहों की स्थिति ऐसी होती है कि नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है। इसलिए, कुछ कार्यों को करने से बचना चाहिए और कुछ उपाय करने से लाभ मिल सकता है।

होलाष्टक के दौरान क्या करें:

  • पूजा-पाठ: होलाष्टक के दौरान देवी-देवताओं की पूजा-पाठ करना शुभ माना जाता है। भगवान विष्णु, शिव, और हनुमान जी की पूजा विशेष रूप से लाभदायक होती है।
  • दान: होलाष्टक में दान करने का विशेष महत्व है। गरीबों और जरूरतमंदों को दान करने से पुण्य प्राप्त होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  • हवन: होलाष्टक में हवन करने से भी लाभ मिलता है। हवन से वातावरण शुद्ध होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  • मंत्र जाप: होलाष्टक में मंत्र जाप करने से भी लाभ मिलता है। गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, और शिव पंचाक्षर मंत्र का जाप विशेष रूप से लाभदायक होता है।
  • व्रत: होलाष्टक में व्रत रखने से भी लाभ मिलता है। सोमवार, गुरुवार, और शनिवार का व्रत रखना विशेष रूप से लाभदायक होता है।
  • नकारात्मक विचारों से दूर रहें: होलाष्टक के दौरान नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए। सकारात्मक सोच रखें और खुश रहने का प्रयास करें।

होलाष्टक के दौरान अनुष्ठान (Rituals During Holashtak)

  • पूजा-पाठ: होलाष्टक के दौरान, भगवान शिव, भगवान विष्णु और माता दुर्गा की पूजा करना शुभ माना जाता है।
  • हनुमान चालीसा का पाठ: हनुमान चालीसा का पाठ करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
  • गायत्री मंत्र का जाप: गायत्री मंत्र का जाप करने से मन शांत होता है और एकाग्रता बढ़ती है।
  • दान: होलाष्टक के दौरान दान करने से पुण्य प्राप्त होता है।
  • हवन: हवन करने से वातावरण शुद्ध होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  • यज्ञ: यज्ञ करने से भी नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
  • होली का रंग बनाना: होली के रंगों को प्राकृतिक तरीके से बनाना शुभ माना जाता है।

मान्यता है कि होलाष्टक (Holashtak) के दौरान किए गए अनुष्ठान करने से व्यक्ति को कष्टों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सभी अनुष्ठानों को करने के लिए किसी पंडित या ज्योतिषी की सलाह लेना उचित है।

होलाष्टक से जुड़ी कहानियां (Story Related to Holashtak)

होलाष्टक (Holashtak) के संबंध में एक कथा प्रचलित है कि होलाष्टक (Holashtak) के दिन ही भगवान शिव (Lord Shiva) ने कामदेव (Kamdev) को भस्म किया था। कामदेव ने भगवान शिव /Lord Shiva) की तपस्या (penance) भंग करने का प्रयास किया था, जिससे महादेव क्रोधित हो गये। इस दौरान उन्होंने काम देवता को अपनी तीसरी आंख से भस्म कर दिया था। हालाँकि, कामदेव ने गलत इरादे से भगवान शिव की तपस्या नहीं तोड़ी। कामदेव की मृत्यु की सूचना मिलते ही पूरा देवलोक शोक में डूब गया। इसके बाद कामदेव की पत्नी देवी रति ने भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना की और अपने मृत पति को वापस लाने की इच्छा मांगी, जिसके बाद भगवान शिव (Lord Shiva) ने कामदेव को पुनर्जीवित कर दिया।

होलाष्टक से जुड़ी कहानियां PDF (Story Related to Holashtak pdf)

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Summary

होलाष्टक और होली दोनों ही महत्वपूर्ण त्यौहार हैं। होलाष्टक हमें जीवन में आने वाली चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना करने के लिए प्रेरित करता है, जबकि होली हमें जीवन में खुशी और उत्सव मनाने का संदेश देता है। होलाष्टक से संबंधित यह लेख अगर आपको पसंद आया हो तो इसे अपने मित्र गणों के साथ अवश्य साझा करें साथ ही हमारे अन्य आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें ।

FAQ’s

Q. होलाष्टक में कौन से कार्य नहीं किए जाते हैं?

Ans. होलाष्टक के दौरान, लोग शुभ कार्य करने से परहेज करते हैं, जैसे कि शादी, मुंडन, गृह प्रवेश, यात्रा आदि।

Q. होलाष्टक में कौन से कार्य किए जाते हैं?

Ans. होलाष्टक में लोग धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं, जैसे कि हनुमान चालीसा का पाठ, भगवान शिव की पूजा, और दान-पुण्य।

Q. होलिका दहन क्या है?

Ans. होलाष्टक का समापन रात्रि में होलिका दहन के साथ ही होता है, जो की बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

Q. होली क्या है?

Ans. होली, जो होलाष्टक के बाद आता है, रंगों का त्यौहार है। यह एक दूसरे पर रंग डालकर मनाया जाता है और यह खुशी, उमंग और उत्सव का प्रतीक है।

Q. होलाष्टक और होली में क्या संबंध है?

Ans. होलाष्टक और होली एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। होलाष्टक अशुभता और नकारात्मकता का प्रतीक है, जबकि होली शुभता, सकारात्मकता का प्रतीक है।

Q. होलाष्टक में कौन से रंगों का प्रयोग नहीं किया जाता है?

Ans. होलाष्टक में काले रंग का प्रयोग नहीं किया जाता है क्योंकि यह अशुभता का प्रतीक है।