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इस लेख में पढ़े केरल की शान पद्मनाभ मंदिर के बारे में,जानें Padmanabha Temple की कहानी

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Padmanabha Temple: केरल  की राजधानी तिरुवनंतपुरम (Thiruvananthapuram) में स्थित पद्मनाभस्वामी मंदिर(Padmanabha Temple), भगवान विष्णु को समर्पित एक भव्य और रहस्यमय मंदिर है। यह मंदिर न केवल अपनी धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है, बल्कि अपनी वास्तुकला, कलाकृतियों और खजाने के लिए भी प्रसिद्ध है। केरल के तिरुवनंतपुरम (Thiruvananthapuram) में श्री अनंत पद्मनाभस्वामी मंदिर एक प्रतिष्ठित हिंदू मंदिर है। यह भगवान विष्णु के अवतार भगवान अनंत को समर्पित है। तिरुवनंतपुरम का शाब्दिक अर्थ है “भगवान अनंत की भूमि”।पद्मनाभस्वामी मंदिर (Padmanabhaswamy Temple) की वास्तुकला केरल शैली और द्रविड़ शैली का एक मिश्रण है, और मंदिर में 100 फुट लंबा गोपुरम (अलंकृत प्रवेश द्वार) है। अंदर, मुख्य मंदिर में, प्रमुख देवता की 18 फुट की मूर्ति अनंतशयनम मुद्रा में आदि शेष पर स्थित है। आज के इस लेख के जरिए हम आपको केरल के तिरुवनंतपुरम के पद्मनाभस्वामी के बारे में बताएंगे हम आपको बताएंगे कि पद्मनाभस्वामी मंदिर कहां है? (Where is Padmanabhaswamy Temple?), पद्मनाभ मंदिर का रहस्य क्या है? (What is the secret of Padmanabha temple?), पद्मनाभस्वामी मंदिर का समय क्या है? (What are the timings of Padmanabhaswamy Temple?), पद्मनाभस्वामी मंदिर के लिए ड्रेस कोड क्या है (What is the dress code for Padmanabhaswamy Temple), इत्यादि इसलिए हमारे इस लेख को अंत तक जरूर पढ़िए ।

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Padmanabha Temple Overview

टॉपिकइस लेख में  पढ़े केरल की शान पद्मनाभ मंदिर के बारे में,जानें श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर की कहानी
स्थानतिरुअनंतपुरम, केरल, भारत
देवताभगवान विष्णु
वास्तुकलाद्रविड़ शैली
इतिहास6वीं शताब्दी के बाद से
प्रसिद्धियह भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है 
खजाना1 लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के सोने और हीरे
रहस्यएक सातवां दरवाजा है जिसे अभी तक नहीं खोला गया है

पद्मनाभ मंदिर | Padmanabha Temple

108 दिव्य देसमों में से एक, श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर (Sri Padmanabhaswamy Temple) केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम (Thiruvananthapuram) में स्थित है। सोने की परत चढ़े हुए इस मंदिर को केवल हिंदू अनुयायियों के लिए खोला गया है। भगवान पद्मनाभ को समर्पित; भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के अवतारों में से एक, पद्मनाभस्वामी मंदिर वैष्णव धर्म में वैष्णव पूजा के प्रमुख केंद्रों में से एक है।तिरुवत्तार में आदिकेशवपेरुमल मंदिर (Adikesavaperumal Temple) की प्रतिकृति के रूप में निर्मित, पद्मनाभस्वामी मंदिर की प्राचीनता अच्छी तरह से संरक्षित है। भक्तों का मानना है कि यह कलियुग के पहले दिन से अस्तित्व में है, जो कि 5000 साल पहले था। पद्मनाभस्वामी मंदिर का उल्लेख भगवत गीता (Bhagwat Gita) में भी है। धर्मग्रंथ में कहा गया है कि भगवान कृष्ण (Lord Krishna) के बड़े भाई बलराम अक्सर मंदिर आते थे, पद्मतीर्थम में स्नान करते थे और यहां देवता को कई प्रसाद भी चढ़ाते थे।

पद्मनाभस्वामी मंदिर कहां है | Where is Padmanabhaswamy Temple

पद्मनाभस्वामी मंदिर (Padmanabhaswamy Temple) एक हिंदू मंदिर (Hindu Temple) है, जो भारत के केरल (Kerala) की राजधानी तिरुवनंतपुरम (Thiruvananthapuram) के मध्य में स्थित है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है यह मंदिर तिरुवनंतपुरम के पश्चिमी नाडा क्षेत्र में पूर्वी किले के पास स्थित है। यहां बसों, ऑटो और टैक्सियों सहित सार्वजनिक परिवहन द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।

पद्मनाभस्वामी मंदिर सोना | Padmanabhaswamy Temple Gold

16वीं सदी के इस मंदिर के संस्थान में धन को लेकर 2011 में अदालती लड़ाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुमोदित एक टीम ने तत्कालीन कीमत पर लगभग 1,300 टन सोने के आभूषणों से 22 बिलियन डॉलर (Billion Dollar) मूल्य की खोज की। अब तक पाँच गुप्त तहखानों में पाया गया। श्री वेंकटेश्वर मंदिर, तिरुमाला, आंध्र अपुष्ट आंकड़ों के अनुसार, तिरूपति मंदिर (Tirupati Temple) के नाम से मशहूर इस मंदिर में हर महीने 100 किलो या साल में 1.2 टन सोना मिलता है। ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण 300 ईस्वी पूर्व की अवधि में किया गया था और अब इसे प्राप्त दान और स्वयं की संपत्ति दोनों के मामले में दुनिया का सबसे अमीर मंदिर माना जाता है। मंदिर में प्रतिदिन 50,000 से 100,000 तीर्थयात्री आते हैं (सालाना 30-40 मिलियन; वार्षिक ब्रह्मोत्सवम जैसे विशेष अवसरों और त्योहारों पर, दैनिक तीर्थयात्रियों (pilgrims) की संख्या 500,000 तक पहुंच जाती है, जो दुनिया में सबसे अधिक देखा जाने वाला पवित्र स्थान है।

पद्मनाभस्वामी मंदिर का दरवाजा | Padmanabhaswamy Temple Door

खज़ाने से भरे 6 तहखानों वाला पद्मनाभस्वामी मंदिर (Padmanabha Temple) दुनिया का सबसे अमीर मंदिर है। दुनिया के सबसे अमीर मंदिरों में से एक, पद्मनाभस्वामी मंदिर में 6 तहखाने हैं जिन्हें वॉल्ट A, वॉल्ट B, वॉल्ट C, वॉल्ट D, वॉल्ट E और वॉल्ट F कहा जाता है, इन तहखानों को चैंबर (chamber) भी कहा जाता है, जो खजाने से भरे हुए हैं, जिनकी कीमत अरबों में है।माना जाता है कि इस मंदिर के छठे छिपे हुए तहखाने B में कई छिपे हुए खजाने हैं। हालांकि कई लोग मानते हैं कि इसे खोला गया था और फिर कभी नहीं खोला जाएगा, रिकॉर्ड में बताया गया है कि छिपी हुई तिजोरी (Locker) वास्तव में अतीत में कई बार खोली गई थी, इस तिजोरी को साल 1990 में दो बार और 2002 में पांच बार खोला गया था ।

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पद्मनाभ मंदिर का रहस्य| My Stery of Padmanabha Temple

मंदिर के गर्भगृह के नीचे छह तहखाने (basement) बने हैं। इनमें से पांच तहखानों को खोला जा चुका है, लेकिन एक गुप्त तहखाना ऐसा भी है जो आज तक खुला नहीं है। ऐसा माना जाता है कि इस तिजोरी को खोलने से भगवान अत्यधिक क्रोधित और नाराज़ हो सकते हैं।गुप्त तिजोरी को लेकर कई मिथक (myth) हैं। कई कट्टर विश्वासियों को लगता है कि जो कोई भी इस गुप्त तिजोरी को खोलने की कोशिश करेगा उसे अभिशाप (curse) या प्रतिशोध (revenge) का सामना करना पड़ेगा। इतिहास इस विचारधारा की पुष्टि के लिए कई कहानियाँ और गाथाएँ दिखाता है।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने वकील टीपी सुंदर राजन (TP Sundara Rajan) के नेतृत्व में मंदिर की संपत्ति का आकलन करने के लिए अपनी पहली याचिका को खारिज कर दिया, जिन्होंने केरल की अदालत में एक RIT याचिका दायर की थी। वकील सुंदर राजन का जुलाई 2011 में निधन हो गया। उनकी अप्रत्याशित मृत्यु को कई लोगों ने दैवीय बदला माना। क्षेत्र के कई वरिष्ठ और वृद्ध भक्तों का यह भी मानना है कि पद्मनाभस्वामी मंदिर के गुप्त तहखाने के खुलने से क्षेत्र में भारी बाढ़ आ जाएगी। यह विचारधारा महासागर सिद्धांत पर आधारित है। जाहिर है, एक सदी पहले, जब यही क्षेत्र भयानक अकाल का सामना कर रहा था, पद्मनाभस्वामी मंदिर के अधिकारियों ने तिजोरी को तोड़ने की कोशिश की थी। परन्तु वे तब रुक गये जब उन्होंने कुछ ऐसा सुना जो पानी के तेज़ बहाव जैसा लग रहा था। कहानी यह बताती है कि तिजोरी अरब सागर से जुड़ी हुई थी और इस प्रकार कक्ष खुलने से पूरे क्षेत्र में बाढ़ आ जाएगी।

यह भी माना जाता है कि इस कक्ष का दरवाजा नाग-देवता द्वारा संरक्षित है और इस प्रकार इसे केवल साधु ही खोल सकते हैं जो ‘गरुड़ मंत्र’ (Garuda Mantra) का जाप कर सकते हैं। लेकिन भारत में ऐसा कोई साधु नहीं है जो इस मंत्र का जाप कर सके। पद्मनाभस्वामी मंदिर के कई अधिकारियों का भी मानना है कि इस छिपे हुए कक्ष को मानव निर्मित तकनीक का उपयोग करके नहीं खोला जाना चाहिए क्योंकि इससे बड़ी तबाही हो सकती है। कई हिंदू पौराणिक विशेषज्ञों ने भी इस विचारधारा को मान्य किया है।

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पद्मनाभस्वामी मंदिर का समय | Padmanabhaswamy Temple Timings

श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर  (Sri Padmanabhaswamy temple) सुबह 3:30 बजे खुलता है और शाम 7:20 बजे बंद हो जाता है। इस दौरान मंदिर में विभिन्न अनुष्ठान भी किए जाते हैं। भक्त इन अनुष्ठानों का हिस्सा बन सकते हैं, जैसे सुबह, दोपहर और शाम की पूजा।

पद्मनाभस्वामी मंदिर दर्शन का समय | Padmanabhaswamy Temple Darshan Time

पद्मनाभस्वामी मंदिर (Padmanabha Temple) में श्रद्धालु 03:30 से 7:20 के बीच दर्शन कर सकते हैं। छुट्टियों और अन्य विशेष अवसरों के दौरान, श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर दर्शन का समय और कार्यक्रम परिवर्तन के अधीन है। त्योहार के दिनों में दर्शन की अवधि कम कर दी जाती है ताकि विशिष्ट पूजाएं की जा सकें। नीचे पद्मनाभस्वामी मंदिर के खुलने का समय, दर्शन का समय, आरती/पूजा का समय और दर्शन का समय दिया गया है। 

केरल का सबसे अमीर मंदिर | Richest Temple in Kerala

पद्मनाभस्वामी मंदिर की संपत्ति काफी हद तक त्रावणकोर शाही परिवार (Travancore royal family) सहित भक्तों के सदियों के दान के कारण है। इन दान में सोना, कीमती पत्थर और अन्य कीमती सामान शामिल हैं, जिनमें से कई मंदिर परिसर के भीतर छह भूमिगत तहखानों में संग्रहीत हैं। मंदिर के खजाने का सटीक मूल्य अज्ञात है, लेकिन कुछ अनुमान इसे खरबों डॉलर (trillions of dollars) में कहते हैं। हालाँकि, अधिकांश खजाना अनदेखा रहता है, क्योंकि केवल कुछ अधिकृत पुजारियों को ही तिजोरियों में प्रवेश करने की अनुमति है।यह मंदिर केरल और द्रविड़ वास्तुकला (Dravidian architecture) का एक सुंदर उदाहरण है, जिसमें एक विशाल गोपुरम (प्रवेश द्वार टॉवर) और जटिल नक्काशी है। यह हिंदुओं के लिए एक लोकप्रिय तीर्थस्थल है, और यहां तक कि गैर-हिंदुओं को भी बाहरी प्रांगण में जाने की अनुमति है।

महिलाओं के लिए पद्मनाभस्वामी मंदिर ड्रेस कोड | Padmanabhaswamy Temple Dress Code for Ladies

पद्मनाभस्वामी मंदिर में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए पारंपरिक ड्रेस कोड का पालन किया जाता है। महिलाओं के लिए, ड्रेस कोड सांस्कृतिक मानदंडों का पालन करता है। महिलाओं को साड़ी, लंबी स्कर्ट या पारंपरिक केरल पोशाक जैसे सेट मुंडू (शरीर के चारों ओर लपेटा जाने वाला दो टुकड़ों वाला परिधान) पहनना आवश्यक है। महिलाओं के लिए अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को शॉल या इसी तरह के पारंपरिक कपड़े (traditional clothes), जिसे ‘उत्तरीय’ कहा जाता है, से ढकने की प्रथा है। मंदिर परिसर में स्लीवलेस टॉप, छोटी स्कर्ट और पश्चिमी पोशाक की अनुमति नहीं है। इन दिशानिर्देशों का पालन यह सुनिश्चित करता है कि श्रद्धालु  पद्मनाभस्वामी मंदिर से जुड़ी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं के प्रति सम्मान दिखाएं।

पद्मनाभस्वामी मंदिर के लिए ड्रेस कोड | Dress Code For Padmanabhaswamy Temple 

  • महिलाओं को साड़ी, मुंडम नेरियाथुम (सेट-मुंडू), स्कर्ट और ब्लाउज, या आधी साड़ी पहनना आवश्यक है।
  • 12 वर्ष से कम उम्र की युवा लड़कियाँ गाउन पहन सकती हैं।
  • पुरुषों को भी इसी तरह मुंडू या धोती पहनना होता है और अपने धड़ को खुला रखना होता है।

प्रवेश द्वार पर धोतियाँ किराए पर आसानी से उपलब्ध हैं। भक्तों को असुविधा से बचाने के लिए हाल ही में इन नियमों में थोड़ी ढील दी गई है।

पद्मनाभस्वामी मंदिर के नियम | Padmanabhaswamy Temple Rules

  • पारंपरिक पोशाक: पुरुषों से अपेक्षा की जाती है कि वे शर्ट या कुर्ता के साथ पारंपरिक पोशाक जैसे धोती (कमर के चारों ओर लपेटा हुआ एक कपड़ा) या मुंडू (एक समान परिधान) पहनें। महिलाओं से साड़ी, पारंपरिक केरल पोशाक, या लंबी स्कर्ट और ब्लाउज पहनने की अपेक्षा की जाती है।
  • कोई पश्चिमी पोशाक नहीं: मंदिर परिसर के अंदर पश्चिमी शैली के कपड़े, जैसे शॉर्ट्स, घुटनों से ऊपर की स्कर्ट और स्लीवलेस टॉप पहनने की अनुमति नहीं है।
  • टाइट-फिटिंग कपड़े नहीं: भक्तों को सलाह दी जाती है कि वे मंदिर के आध्यात्मिक वातावरण के सम्मान के संकेत के रूप में टाइट-फिटिंग या खुले कपड़े न पहनें।
  • चमड़े की कोई वस्तु नहीं: मंदिर परिसर में बेल्ट, बैग और बटुए सहित चमड़े की वस्तुएं ले जाना सख्त वर्जित है।
  • कोई हेडगियर या टोपी नहीं: पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए मंदिर परिसर के अंदर हेडगियर या टोपी की अनुमति नहीं है।
  • जूते उतारना: आगंतुकों को पवित्र गर्भगृह में प्रवेश करने से पहले मंदिर के बाहर अपने जूते उतारने होते हैं।
  • उचित आचरण: भक्तों से अपेक्षा की जाती है कि वे मंदिर के अंदर शांतिपूर्ण और श्रद्धापूर्ण आचरण बनाए रखें। पूजा के मुख्य क्षेत्रों में तेज़ बातचीत, फ़ोटोग्राफ़ी और मोबाइल फ़ोन के उपयोग को हतोत्साहित किया जाता है।

पद्मनाभस्वामी मंदिर प्रवेश नियम | Padmanabhaswamy Temple Entry Rules

भारत के तिरुवनंतपुरम में पद्मनाभस्वामी मंदिर में विशिष्ट प्रवेश नियम हैं जिनका उद्देश्य मंदिर की पवित्रता और परंपरा को बनाए रखना है। यहां मुख्य बिंदुओं का विवरण दिया गया है:

ड्रेस कोड:

  • सख्त नियम: ड्रेस कोड पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए सख्त है।
  • महिलाएं: उन्हें साड़ी, मुंडम नेरियाथुम (सेट मुंडू), स्कर्ट और ब्लाउज, या आधी साड़ी पहननी चाहिए। 12 वर्ष से कम उम्र की युवा लड़कियां गाउन पहन सकती हैं।
  • पुरुष: उन्हें मुंडू या धोती पहननी चाहिए और नंगे सीने रहना चाहिए। प्रवेश द्वार के पास धोतियाँ किराए पर उपलब्ध हैं।
  • छूट: हाल ही में, कुछ लचीलेपन की पेशकश की गई है। महिलाएं विशिष्ट रंगों (ऑफ-व्हाइट/क्रीम) के कुर्ते के साथ चूड़ीदार पहन सकती हैं। पुरुष अपने धड़ को ढकने के लिए अंगवस्त्रम (ऊपरी कपड़ा) पहन सकते हैं।

प्रवेश शुल्क:

  • निःशुल्क प्रवेश: सामान्य दर्शन (देवता का दर्शन) सभी के लिए निःशुल्क है।
  • विशेष दर्शन: आप प्रसाद (पवित्र प्रसाद) के साथ या उसके बिना तेजी से प्रवेश के लिए “विशेष दर्शन” टिकट (₹150-₹180) का विकल्प चुन सकते हैं।

अन्य नियम:

  • समय: मंदिर सुबह 3:30 बजे खुलता है और शाम 7:20 बजे बंद हो जाता है, दोपहर 12:00 बजे से शाम 4:00 बजे के बीच दर्शन के लिए बंद रहता है।
  • मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स: अंदर जाने की अनुमति नहीं है। भंडारण के लिए लॉकर उपलब्ध हैं।
  • फोटोग्राफी: मंदिर परिसर के भीतर सख्त वर्जित है।
  • गैर-हिंदू: मंदिर में केवल हिंदू प्रवेश कर सकते हैं, जो गैर हिंदू हैं उनका प्रवेश वर्जित है ।

श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का खजाना |Sree Padmanabhaswamy Temple Treasure

पद्मनाभस्वामी मंदिर की संपत्ति 2011 में व्यापक रुचि का विषय बन गई जब एक सूची प्रक्रिया के दौरान कई गुप्त भूमिगत तहखानों की खोज की गई। छह तहखानों (वाल्ट A से F) में सोने, चांदी, कीमती पत्थरों और कलाकृतियों की अकल्पनीय संपदा थी। अनुमान के मुताबिक इन खजानों की कुल कीमत कई अरब डॉलर है, जिससे यह विश्व स्तर पर सबसे अमीर धार्मिक संस्थानों में से एक बन गया है।

उनमें से सबसे महत्वपूर्ण वॉल्ट A में सोने के सिक्कों, गहनों और मूर्तियों का प्रभावशाली संग्रह था। तिजोरी B में सोने के आभूषण, मुकुट और औपचारिक पोशाकें रखी गईं, जबकि तिजोरी सी में मूल्यवान रत्न-जड़ित गहने रखे गए थे। अन्य तहखानों में सोने और चांदी की सिल्लियां, प्राचीन गहने और प्राचीन सिक्के सहित कई प्रकार के खजाने का पता चला।

माना जाता है कि पद्मनाभस्वामी मंदिर में जमा धन सदियों के शाही संरक्षण, दान और भक्तों के चढ़ावे से इकट्ठा हुआ है। त्रावणकोर शाही परिवार, जो मंदिर के संरक्षक थे, ने इसके वित्तीय विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। किंवदंतियों और ऐतिहासिक अभिलेखों से पता चलता है कि त्रावणकोर के शासक मंदिर के कट्टर संरक्षक थे और उन्होंने इसकी समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

खजाने की खोज के बाद कानूनी लड़ाई शुरू हुई, जिसमें संपत्ति के स्वामित्व और प्रबंधन को लेकर बहस हुई। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अंततः फैसला सुनाया कि संपत्ति मंदिर और उसके देवता की थी, और उचित संरक्षण और दस्तावेज़ीकरण की आवश्यकता पर बल दिया। धन के मौद्रिक मूल्य के बावजूद, पद्मनाभस्वामी मंदिर एक प्रतिष्ठित आध्यात्मिक केंद्र बना हुआ है। तीर्थयात्री सांत्वना पाने, अनुष्ठान करने और इसकी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत की भव्यता देखने के लिए आते हैं। यह मंदिर केरल के समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक भी है।

पद्मनाभस्वामी मंदिर के खजाने की तस्वीरें | Padmanabhaswamy Temple Treasure Photos

दोस्तो यहां पीआर हम आपको पद्मनाभस्वामी मंदिर के खजाने की कुछ तस्वीरें उपलब्ध करा रहे हैं जिन्हें आप कभी भी किसी के साथ भी साझा कर सकते हैं।

Conclusion:-

 पद्मनाभस्वामी मंदिर, धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। यह मंदिर भारत की समृद्ध विरासत का प्रतीक है और आने वाले समय में भी लोगों के लिए आस्था, भक्ति और जिज्ञासा का केंद्र बना रहेगा। अगर आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो तो इसे अपने मित्रों के साथ जरूर साझा करें साथ ही हमारे आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें ।

FAQ’S

Q. पद्मनाभस्वामी मंदिर कहाँ स्थित है?

Ans. यह मंदिर भारत के केरल राज्य के तिरुवनंतपुरम शहर में स्थित है।

Q. इस मंदिर का मुख्य देवता कौन है?

Ans. इस मंदिर के मुख्य देवता भगवान विष्णु हैं, जो ‘पद्मनाभस्वामी’ रूप में विराजमान हैं।

Q. इस मंदिर का निर्माण किसने करवाया था?

Ans. इस मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में त्रावणकोर के राजाओं द्वारा करवाया गया था।

Q. पद्मनाभस्वामी मंदिर की स्थापत्य कला कैसी है?

Ans. यह मंदिर द्रविड़ शैली की स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना है।

Q. ‘पद्मनाभस्वामी मंदिर’ में प्रवेश के लिए क्या नियम हैं?

Ans. इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए पुरुषों को ‘धोती’ और ‘कुर्ता’ पहनना अनिवार्य है, जबकि महिलाओं को ‘साड़ी’ या ‘लंबा स्कर्ट’ पहनना अनिवार्य है।