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Vastu Tips for Home: वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों से अपने घर को बनाएं सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र

Vastu Tips for Home
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Vastu Tips for Home: घर हमारी जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। यह वह स्थान है जहां हम अपने परिवार के साथ सुख-शांति और खुशियां बांटते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके घर की दिशा, रंग, संरचना और सजावट का आपके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है? जी हां, प्राचीन भारतीय वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, घर की सही व्यवस्था से न सिर्फ सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, बल्कि यह आपको सफलता, समृद्धि और सेहत का आशीर्वाद भी देता है।

क्या आप अपने घर में सुख-शांति और खुशहाली लाना चाहते हैं? क्या आप जानना चाहते हैं कि किस दिशा में क्या रखना शुभ होता है और किस दिशा में क्या करने से बचना चाहिए? तो आपके लिए यह लेख एक वरदान साबित होगा। आज हम आपको बताएंगे कुछ ऐसे खास वास्तु टिप्स (Vastu Tips) जो आपके घर को सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy) से भर देंगे और आपके जीवन में खुशियां लेकर आएंगे, तो देर किस बात की? आइए जानते हैं वो सिद्ध वास्तु उपाय (Vastu tips) जो आपके घर को बनाएंगे एक पावन स्थान। इस लेख में हम विस्तार से चर्चा करेंगे कि कैसे आप अपने घर के हर कोने को वास्तु (Vastu) के अनुरूप सजा सकते हैं- चाहे वो आपका बेडरूम हो, लिविंग रूम हो, किचन हो या फिर पूजा घर। हम आपको बताएंगे कि दिशाओं का सही चयन और रंगों का प्रभावी प्रयोग कैसे आपके जीवन में जादू कर सकता है।

Table of Content

S.NOप्रश्न
1वास्तु के अनुरूप घर का निर्माण क्यों करवाना चाहिए?
2वास्तु के अनुसार घर का मुख्य द्वार किस तरह का होना चाहिए?
3वास्तु के अनुसार घर का डाइनिंग हॉल कैसा होना चाहिए? 
4वास्तु के अनुसार घर की सीढ़ियां कैसी होनी चाहिए?
5वास्तु के अनुसार घर का लिविंग रूम कैसा होना चाहिए?
6वास्तु के अनुसार घर का बेडरूम कैसा होना चाहिए?
7वास्तु के अनुसार घर का किचन कैसा होना चाहिए?
8वास्तु के अनुसार घर का टॉयलेट और बाथरूम कैसा होना चाहिए?
9वास्तु के अनुसार घर का स्टडी रूम कैसा होना चाहिए?
10वास्तु के अनुसार घर का पूजा कक्ष कैसा होना चाहिए?
11वास्तु के अनुसार घर के प्रत्येक कमरों का रंग कैसा होना चाहिए?

वास्तु के अनुरूप घर का निर्माण क्यों करवाना चाहिए? 

वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार घर का निर्माण करना बेहद महत्वपूर्ण होता है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy) का संचार होता है और परिवार के सभी सदस्यों को सुख-शांति और समृद्धि मिलती है। वास्तु सिद्धांतों (Vastu principles) का पालन करके बनाया गया घर स्वस्थ और खुशहाल वातावरण प्रदान करता है। इससे तनाव दूर होता है और घर में अच्छा माहौल बना रहता है। वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) घर के हर हिस्से जैसे प्रवेश द्वार, रसोई, बेडरूम आदि की सही दिशा और स्थिति बताता है। उदाहरण के लिए, रसोई दक्षिण-पूर्व दिशा में होनी चाहिए, जबकि शयनकक्ष दक्षिण दिशा में होना उचित माना जाता है। वास्तु के नियमों का पालन करने से घर में धन और समृद्धि का आगमन होता है।इसलिए अपने सपनों का घर बनाते समय वास्तु (Vastu) के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को ध्यान में रखना चाहिए। इससे परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और सद्भाव बना रहता है और वे जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं।

वास्तु के अनुसार घर का मुख्य द्वार कैसा होना चाहिए? 

वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, घर का मुख्य द्वार सिर्फ एक प्रवेश बिंदु नहीं होता, बल्कि यह ऊर्जा का एक मार्ग भी है। इसलिए, इसे उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व, या उत्तर-पश्चिम दिशाओं में स्थापित किया जाना चाहिए, जो शुभ मानी जाती हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy) लाती हैं।द्वार का रंग भी महत्वपूर्ण होता है। उत्तर के लिए नीला या हरा, उत्तर-पूर्व के लिए हल्का नीला या पीला, पूर्व के लिए भूरा या हरा, उत्तर-पश्चिम के लिए धूसर या सफेद, पश्चिम के लिए धूसर या सफेद, दक्षिण-पश्चिम के लिए भूरा या काला, दक्षिण के लिए लाल या भूरा, और दक्षिण-पूर्व के लिए भूरा या हल्का हरा सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। मुख्य द्वार घर के अन्य द्वारों से बड़ा होना चाहिए और घड़ी की दिशा में खुलना चाहिए। द्वार के बाहर नाम पट्टिका लगाने की सलाह दी जाती है, जो साधारणतया लकड़ी के आधार पर धातु की होती है।मुख्य द्वार को स्वच्छ और व्यवस्थित रखने की सलाह दी जाती है। द्वार के बाहर जूते या चप्पल नहीं रखने चाहिए। यह अच्छी रोशनी में रहना चाहिए और पर्याप्त सूर्य प्रकाश प्राप्त करना चाहिए। एक छोटा जल सुविधा या झरना भी द्वार के बाहर रखा जा सकता है, जो सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) और समृद्धि लाता है।

वास्तु के अनुसार घर का डाइनिंग हॉल कैसा होना चाहिए? 

वास्तु शास्त्र(Vastu Shastra), एक प्राचीन भारतीय विज्ञान, इमारतों के संरचना और लेआउट से सम्बंधित होता है, जिसका उद्देश्य वातावरण और उसमें रहने वाले लोगों के बीच सुसंगत संतुलन स्थापित करना होता है। इसके अनुसार, डाइनिंग हॉल और उसमें स्थित डाइनिंग टेबल का स्थान और उस पर रखी गई वस्तुएं घर में ऊर्जा के प्रवाह पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं। डाइनिंग टेबल (Dining Table) को घर के दक्षिण, पश्चिम, या उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित किया जाना चाहिए। यह कभी भी दक्षिण दिशा में नहीं रखा जाना चाहिए, क्योंकि इससे स्वास्थ्य समस्याएं और विवाद उत्पन्न हो सकते हैं। डाइनिंग टेबल (Dining Table Vastu Tips) के लिए सर्वश्रेष्ठ दिशा पश्चिम होती है, इसके बाद उत्तर-पूर्व।  दक्षिण-पूर्व दिशा में डाइनिंग टेबल को रखना भी स्वीकार्य होता है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण होता है कि डाइनिंग टेबल मुख्य द्वार या गेट के पास नहीं हो, क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है।

वास्तु के अनुसार घर की सीढ़ियां कैसी होनी चाहिए? 

वास्तुशास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, घर की सीढ़ियां दक्षिण-पश्चिम दिशा में होनी चाहिए। सीढ़ियों की संख्या विषम होनी चाहिए, जैसे 15, 17 या 21, और कभी भी शून्य पर खत्म नहीं होनी चाहिए। सीढ़ियां उत्तर से दक्षिण या पूर्व से पश्चिम की ओर जानी चाहिए। लकड़ी की सीढ़ियां सबसे अच्छी मानी जाती हैं, उसके बाद संगमरमर और पत्थर। सीढ़ियों की ऊंचाई 4 से 7.75 इंच और चौड़ाई 8 से 10 इंच के बीच होनी चाहिए। वास्तु के अनुसार, सीढ़ियां रसोई या पूजा कक्ष के पास नहीं होनी चाहिए और सर्पिल आकार की भी नहीं होनी चाहिए।

वास्तु के अनुसार घर का लिविंग रूम कैसा होना चाहिए? 

वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, एक आदर्श लिविंग रूम में सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) का प्रवाह होना चाहिए। इसके लिए, कमरे की दीवारों को हल्के और शांत रंगों जैसे पेस्टल शेड, क्रीम या सफेद रंग से पेंट करना चाहिए। फर्नीचर को दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखना उचित होगा, और टीवी को दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थापित करना चाहिए। पौधों को रखना भी शुभ माना जाता है, विशेष रूप से मनी प्लांट, अरेका पाम और बांस। कमरे में चमकदार और मुलायम रोशनी होनी चाहिए, और सजावट के लिए स्वस्तिक, ॐ और धार्मिक चित्रों का उपयोग किया जा सकता है। 

इन वास्तु सिद्धांतों का पालन करके, एक सौहार्दपूर्ण और शांतिपूर्ण लिविंग रूम बनाया जा सकता है जो परिवार और अतिथियों के लिए समृद्धि, खुशी और सकारात्मकता लाता है। 

वास्तु के अनुसार घर का बेडरूम कैसा होना चाहिए? 

वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, बेडरूम (Bedroom) का वास्तु बेहद महत्वपूर्ण होता है। बेडरूम (Bedroom) को घर के दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए। बेड को हमेशा दीवार से सटाकर रखना चाहिए और सिर उत्तर या पश्चिम दिशा में होना चाहिए। बेडरूम (Bedroom) का आकार चौकोर या आयताकार होना चाहिए। बेडशीट और चादर का रंग गुलाबी, हल्का पीला, नारंगी या क्रीम होना चाहिए। बेडरूम (Bedroom) की दीवारों का रंग ऑफ-व्हाइट, बेबी पिंक या क्रीम होना चाहिए। शीशा पूर्व या उत्तर दिशा में लगाना चाहिए। बेडरूम (Bedroom) में पानी से संबंधित चित्र नहीं लगाने चाहिए। इन वास्तु टिप्स (Vastu Tips) को अपनाकर, आप अपने बेडरूम में सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) का संचार कर सकते हैं। 

वास्तु के अनुसार घर का किचन कैसा होना चाहिए?

वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, घर का किचन (Vastu Tips for kitchen) दक्षिण-पूर्व दिशा में होना सबसे उत्तम माना जाता है। हालांकि, यदि यह संभव न हो तो उत्तर-पश्चिम दिशा में भी रखा जा सकता है। किचन का प्रवेश द्वार पूर्व, पश्चिम या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। 

खाना बनाते समय रसोइये का मुंह उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। गैस स्टोव दक्षिण-पूर्व दिशा में और सिंक व पानी से जुड़े उपकरण उत्तर-पूर्व दिशा में होने चाहिए। किचन में उचित वेंटिलेशन के लिए खिड़कियां होनी आवश्यक हैं। दीवारों पर हल्के रंग का उपयोग करना चाहिए। फ्रिज दक्षिण-पूर्व, पश्चिम, दक्षिण या उत्तर दिशा में रखा जा सकता है। 

इन वास्तु टिप्स (Vastu Tips for Home) का पालन करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि आती है।

वास्तु के अनुसार घर का टॉयलेट और बाथरूम कैसा होना चाहिए? 

वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, घर का टॉयलेट (Toilet) और बाथरूम (Bathroom) कैसा होना चाहिए, इस पर विचार करना महत्वपूर्ण है। इसके लिए निम्नलिखित पांच बिंदुओं का ध्यान रखें:

  • अलग-अलग स्थान: वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, टॉयलेट और बाथरूम को अलग-अलग बनाना आवश्यक है। यह धारणा इसलिए है क्योंकि चंद्रमा जल का प्रतीक है और टॉयलेट अग्नि का। इन दोनों तत्वों को एक साथ रखना वास्तु दोष का कारण बन सकता है।
  • दिशाओं का ध्यान: वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, बाथरूम को पूर्व या उत्तर दिशा में और टॉयलेट को दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए।
  • संलग्नता का परिहार: आधुनिक घरों में, लोग अक्सर स्थान की कमी के कारण टॉयलेट और बाथरूम को एक साथ बनाते हैं, लेकिन वास्तु शास्त्र इसे मान्यता नहीं देता।
  • रसोई और पूजा कक्ष से दूरी: वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, टॉयलेट (Toilet) की दीवार को रसोई या पूजा कक्ष के साथ नहीं बनाना चाहिए, ऐसा करने से घर में नकरात्मक ऊर्जा का संचय हो सकता है।
  • एकत्रीकरण से बचें: टॉयलेट (Toilet) और बाथरूम (Bathroom) को एक साथ बनाने से नकारात्मक ऊर्जा (negative energy), मानसिक तनाव, और घर में समृद्धि और विकास की कमी का संकेत हो सकता है।

इन बिंदुओं का पालन करके, आप अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) को बनाए रख सकते हैं और वास्तु दोष (Vastu Dosh)  से बच सकते हैं।

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वास्तु के अनुसार घर का स्टडी रूम कैसा होना चाहिए?

वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, स्टडी रूम (Vastu Tips for Study Room) घर के उत्तर-पूर्वी या पश्चिम दिशा में होना चाहिए, जहाँ शांत और प्रेरणादायक वातावरण हो। स्टडी टेबल पर पढ़ते समय मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। 

कमरे में हल्के रंगों का प्रयोग करें और भगवान गणेश (Lord Ganesh) एवं मां सरस्वती (Goddess Saraswati) की तस्वीर लगाएं। स्टडी रूम में प्रकाश और ताज़ी हवा का प्रवेश होना चाहिए। टीवी, वीडियो गेम्स आदि डिस्ट्रैक्शन वाली चीजें न रखें। स्टडी टेबल हमेशा साफ रखें और उस पर खाना न खाएं। इन वास्तु टिप्स से आपके बच्चे का मन पढ़ाई में लगेगा और वह तरक्की करेगा।

वास्तु के अनुसार घर का पूजा कक्ष कैसा होना चाहिए 

वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, घर का पूजा कक्ष पूर्व या ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में होना चाहिए। पूजा करते समय व्यक्ति का मुख पूर्व या ईशान की ओर होना चाहिए, क्योंकि सूर्य प्रकृति की अनंत शक्ति का प्रतीक है। 

पूजा कक्ष को स्वतंत्र और स्थाई रखना श्रेयस्कर होता है, जिससे आध्यात्मिक शक्ति और तेज बढ़ता है। पूजा कक्ष की दीवारों में प्रकोष्ठ (आला) बनाकर भी पूजा स्थल बनाया जा सकता है, परंतु उसके ऊपर अन्य वस्तुएं नहीं रखनी चाहिए। पूजा कक्ष को शांत और सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) से भरपूर रखने के लिए उचित रंगों का चयन भी महत्वपूर्ण है। इन वास्तु टिप्स (Vastu Tips) का पालन करके, पूजा कक्ष को पवित्र और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध बनाया जा सकता है।

वास्तु के अनुसार घर के प्रत्येक कमरों का रंग कैसा होना चाहिए? 

वास्तु (Vastu) के अनुसार घर के प्रत्येक कमरों का रंग निम्नानुसार होना चाहिए:

  • लिविंग रूम: वास्तु अनुसार लिविंग रूम (Living Room) में ग्रीन या ऑलिव रंग को सफेद के साथ इस्तेमाल करना शुभ होता है। सफेद, ऑफ-व्हाइट और हल्का पीला रंग भी उपयुक्त माना जाता है।
  • डाइनिंग रूम: यदि डाइनिंग रूम पूर्व दिशा में है तो हल्के हरे, लाइट ऑरेंज या हल्के नीले रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • पूजा घर: यहां सफेद या हल्के पीले रंगों का इस्तेमाल शुभ माना जाता है। पीले रंग आध्यात्मिकता लाते हैं। पूजा घर में या आसपास नारंगी या हल्का नीला रंग भी उपयुक्त है।
  • किचन: वास्तु अनुसार किचन के लिए नारंगी और हरे रंग शुभ होते हैं। सफेद के साथ वुडन का कॉम्बिनेशन भी अच्छा विकल्प है। लाल रंग भी किचन के लिए उत्तम माना गया है।
  • मास्टर बेडरूम: दक्षिण पश्चिम दिशा में स्थित मास्टर बेडरूम की दीवारों को हल्के नीले, आईवरी, सफेद या ग्रे रंग से रंगना चाहिए। डार्क रंगों से बचना चाहिए। गुलाबी या हल्का हरा रंग भी उपयुक्त है।
  • बच्चों का बेडरूम: स्टडी एरिया को पीले और हरे रंगों से रंगना शुभ होता है। लड़कियों के लिए लाइट या बेबी पिंक और लड़कों के लिए हल्के नीले रंग का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • गेस्ट रूम: उत्तर पश्चिम दिशा में स्थित गेस्ट रूम के लिए सफेद, लाइट ग्रे या क्रीम रंगों का इस्तेमाल शुभ रहता है।
  • बाथरूम: वास्तु के अनुसार बाथरूम (Bathroom) का रंग सफेद होना चाहिए।
  • घर की बाहरी दीवारें: घर की बाहरी दीवारों के लिए सफेद या हल्का पीला रंग शुभ माना गया है।
  • सामान्य सुझाव: घर के अंदर या बाहर गहरे रंगों के इस्तेमाल से बचना चाहिए। घर में अत्यधिक सफेद रंग का इस्तेमाल भी शुभ नहीं होता क्योंकि इससे अहंकार बढ़ सकता है।

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Conclusion:

वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) केवल एक विश्वास नहीं, बल्कि वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित एक व्यावहारिक विज्ञान है। घर बनाते समय और उसे सजाते समय वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के दिशा-निर्देशों का पालन करके आप अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। घर के वास्तु शास्त्र से संबंधित यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो सपने मित्र गणों एवं परिवार जनों को अवश्य साझा करें, साथ ही हमारे आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें और अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो उसे कॉमेंट बॉक्स में जाकर जरुर पूछे, हम आपके सभी प्रश्नों का जवाब देने का प्रयास करेंगे। ऐसे ही अन्य लेख को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट janbhakti.in पर रोज़ाना विज़िट करें ।

Disclaimer: इस लेख के द्वारा दी गई सभी जानकारियां मान्यताओं पर आधारित है। हम आपको बता दें कि janbhakti.in ऐसी मान्यताओं की पुष्टि नहीं करता है, इसलिए इन सभी वास्तु टिप्स को अमल में लाने से पहले विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें ।

FAQ’S 

Q. वास्तु शास्त्र क्या है?

Ans. वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो भवन निर्माण और वास्तुकला के सिद्धांतों का अध्ययन करता है। इसका उद्देश्य ऊर्जा के सकारात्मक प्रवाह को बढ़ावा देकर इमारतों में सद्भाव और समृद्धि लाना है।

Q. नए घर का निर्माण करते समय किन दिशाओं का ध्यान रखना चाहिए?

Ans. मुख्य प्रवेश द्वार पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए। पूजा कक्ष ईशान कोण में होना चाहिए। शयनकक्ष दक्षिण-पश्चिम दिशा में और रसोईघर दक्षिण-पूर्व दिशा में होना चाहिए।

Q. क्या घर का आकार वास्तु शास्त्र के अनुसार महत्वपूर्ण है?

Ans. हाँ, घर का आकार वास्तु शास्त्र में महत्वपूर्ण माना जाता है। वर्ग या आयताकार आकार वाले घर शुभ माने जाते हैं। अनियमित आकार वाले घरों में वास्तु दोष हो सकते हैं।

Q. वास्तु दोषों को कैसे दूर किया जा सकता है?

Ans. कुछ वास्तु दोषों को वास्तु विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए उपायों, जैसे कि रंगों का उपयोग, फर्नीचर का पुनर्विन्यास, या यंत्रों की स्थापना द्वारा दूर किया जा सकता है।

Q. वास्तु शास्त्र के पालन से क्या लाभ होते हैं?

Ans. वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के सिद्धांतों का पालन करने से सकारात्मक ऊर्जा (Vastu Shastra) का प्रवाह बढ़ता है, जिससे घर में शांति, समृद्धि, और खुशी आती है। 

Q. गृह प्रवेश करते समय किन रीति-रिवाजों का पालन करना चाहिए?

Ans. गृह प्रवेश (Vastu Shastra) करते समय, सबसे पहले घर की लक्ष्मी जी की पूजा करनी चाहिए। फिर, घर के मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से स्वस्तिक बनाना चाहिए और घर में प्रवेश करते समय दीप प्रज्वलित करना चाहिए।