Vastu Tips for Home: घर हमारी जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। यह हमारी शांति, सुरक्षा और खुशियों का केंद्र होता है। लेकिन कभी-कभी हमारे घर में वास्तु दोष हो जाते हैं, जिससे हमारा जीवन परेशानियों और तनावों से भर जाता है। ऐसे में अक्सर लोग महंगे वास्तु परिवर्तन करवाने की सोचते हैं या फिर घर को तोड़-फोड़ कर नए सिरे से बनवाने की योजना बनाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बिना एक रुपया खर्च किए और बिना किसी तोड़-फोड़ के भी आप अपने घर के वास्तु दोष को दूर कर सकते हैं? जी हां, वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के कुछ सरल उपायों को अपनाकर आप अपने घर की नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा Positive Energy) में बदल सकते हैं और सुख-समृद्धि से भरा जीवन जी सकते हैं। इन उपायों में न तो आपको महंगे वास्तु सलाहकारों की जरूरत पड़ेगी और न ही आपको अपने घर में कोई बड़ा बदलाव करना होगा। बस थोड़ी सी समझदारी और सही दिशा-निर्देश की मदद से आप चुटकियों में अपने घर के वास्तु दोष (Vastu Dosh) को ठीक कर सकते हैं।
तो चलिए जानते हैं कि आखिर कौन से हैं वो जादुई वास्तु टिप्स, (Vastu Tips) जो आपके घर को बिना कोई खर्च किए वास्तु अनुकूल बना देंगे और आपके जीवन में खुशियों की बहार ले आएंगे। इस लेख में हम आपको घर के हर हिस्से के लिए अलग-अलग वास्तु सुझाव देंगे जिन्हें आसानी से अपना कर आप अपने घर के साथ-साथ अपनी जिंदगी में भी सकारात्मक बदलाव (Positive changes) ला सकते हैं।
Table of Content
SN.O | प्रश्न |
1 | वास्तु परिवर्तन के बिना बेडरूम में वास्तु सुधार कैसे करें? |
2 | वास्तु परिवर्तन के बिना लिविंग और डाइनिंग रूम में वास्तु सुधार कैसे करें? |
3 | वास्तु परिवर्तन के बिना किचन में वास्तु सुधार कैसे करें? |
4 | वास्तु परिवर्तन के बिना टॉयलेट और बाथरूम में वास्तु सुधार कैसे करें? |
5 | वास्तु परिवर्तन के बिना पूजा घर में वास्तु सुधार कैसे करें? |
6 | वास्तु परिवर्तन के बिना घर के बगीचे में वास्तु सुधार कैसे करें? |
वास्तु परिवर्तन के बिना बेडरूम में वास्तु सुधार कैसे करें?
घर की संरचना में किसी भी परिवर्तन के बिना बेडरूम (Bedroom) में वास्तु (Vastu) को सुधारने के कई तरीके हैं। बेडरूम में टीवी या कंप्यूटर नहीं रखना चाहिए और सिर कभी भी दक्षिण दिशा (South Direction) बिलकुल भी नहीं होना चाहिए। बेडरूम (Vastu Tips for Bedroom) को पानी के स्रोत और पौधों से मुक्त रखना चाहिए। बेडरूम को प्राकृतिक सौंदर्य से सजाने का सुझाव दिया गया है, जिससे जीवन में खुशी और शांति मिल सकती है। बेडरूम को साफ और संगठित रखने की भी सलाह दी गई है। वास्तु के अनुसार, बेडरूम में भारी धातुओं का उपयोग नहीं करना चाहिए। बेडरूम को सूरज की रोशनी से प्रकाशित करना चाहिए। घर की वास्तु दोषों (Vastu Dosh) को सुधारने के लिए, घी का दीपक जलाना, बेड के नीचे जूते और चप्पल नहीं रखना, और द्वार के पीछे कुछ भी नहीं रखना आदि उपाय करने की सलाह दी गई है
वास्तु परिवर्तन के बिना लिविंग और डाइनिंग रूम में वास्तु सुधार कैसे करें?
लिविंग और डाइनिंग रूम में वास्तु को बेहतर बनाने के लिए कई सरल उपाय हैं, जिन्हें संरचनात्मक परिवर्तन किए बिना किया जा सकता है। लिविंग रूम में, टीवी और कंप्यूटर को दक्षिण-पूर्व कोने में रखें, कोनों को तेज रोशनी से रोशन करें, और एक खुशहाल पारिवारिक चित्र लगाएं। युद्ध या रोती हुई महिलाओं जैसी निराशाजनक तस्वीरों से बचें। डाइनिंग रूम के लिए, आयताकार या वर्गाकार मेज का इस्तेमाल करें और पूर्व या पश्चिम दिशा में व्यवस्थित करें। पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके भोजन करने से पाचन क्रिया बढ़ती है। डाइनिंग रूम (Dining room) का रंग सफेद या हरा रखें और दीवार पर फलों के चित्र लगाएं। इन सरल परिवर्तनों से आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होगा और आपका जीवन खुशहाल एवं समृद्ध बनेगा।
वास्तु परिवर्तन के बिना किचन में वास्तु सुधार कैसे करें?
किचन में वास्तु सुधार के लिए बिना किसी परिवर्तन के आप इन 8 सुझावों का पालन कर सकते हैं:
- रसोई का मुख्य द्वार – रसोई (Vastu Tips for kitchen) का मुख्य द्वार उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। यदि संभव न हो तो द्वार पर एक छोटा सा आईना लगा दें। इससे सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy) का प्रवाह बना रहेगा।
- गैस स्टोव की दिशा – गैस चूल्हा दक्षिण-पूर्व दिशा में रखें। खाना पकाते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुँह करके खड़े हों। कभी भी पश्चिम दिशा की ओर मुँह करके खाना ना पकाएं।
- सिंक की स्थिति – किचन सिंक (kitchen sink) उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। सिंक के ऊपर खिड़की हो तो अच्छा रहता है। इससे सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy) बनी रहती है।
- रंग योजना – रसोई के लिए हल्के और मधुर रंगों का चुनाव करें जैसे सफेद, क्रीम, हल्का पीला, हल्का नीला आदि। भारी और गहरे रंगों से बचें।
- प्रकाश व्यवस्था – रसोई में पर्याप्त प्राकृतिक और कृत्रिम प्रकाश की व्यवस्था होनी चाहिए। सुबह-शाम खिड़कियों से धूप आने दें। रसोई को रोशन रखें।
- फ्रिज की स्थिति – फ्रिज को दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा में रखें। फ्रिज को गैस से दूर रखें। कभी भी फ्रिज को ईशान कोण में ना रखें।
- भारी बर्तनों का स्थान – भारी बर्तनों, स्टोर, राशन आदि को दक्षिण-पश्चिम या पश्चिम दिशा में रखें। इससे रसोई में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहेगी।
- पौधे लगाएं – रसोई में छोटे पौधे जैसे तुलसी, मिंट आदि लगाएं। ये वातावरण को शुद्ध करते हैं और सकारात्मकता (positivity) लाते हैं। हरे रंग के पौधे विशेष लाभदायक होते हैं।
इन सरल उपायों को अपनाकर आप बिना किसी बड़े बदलाव के अपनी रसोई में वास्तु दोष दूर कर सकते हैं। एक अच्छी वास्तु वाली रसोई परिवार के स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-शांति के लिए वरदान साबित होती है।
वास्तु परिवर्तन के बिना टॉयलेट और बाथरूम में वास्तु सुधार कैसे करें?
- नमक का प्रयोग करें: एक कांच की कटोरी में नमक भरकर अटैच लेट-बाथ में रख दें। इससे वास्तु दोष दूर होगा।
- आइना लगाएं: अगर टॉयलेट-बाथरूम पूर्व दिशा में है तो बाहरी दीवार पर आइना टांगने से आर्थिक स्थिति सुधरती है और पूर्व दिशा का दोष दूर होता है।
- त्रिकोण बनाएं: दक्षिण दिशा में स्थित टॉयलेट-बाथरूम की दक्षिण दीवार पर काले रंग के पेन से त्रिकोण बनाने से वास्तु दोष और बुरा प्रभाव खत्म होगा।
- नीले रंग की बाल्टी-मग्गे रखें: अटैच या गलत दिशा में बने टॉयलेट-बाथरूम में नीले रंग की बाल्टी और मग्गे रखने से नकारात्मकता और वास्तु दोष दूर होता है।
- हल्के या पेस्टल शेड का इस्तेमाल करें: बाथरूम की दीवारों को सफेद, क्रीम या आसमानी नीले रंग में पेंट करें। नीला, पीला, हरा, काला या लाल रंग का इस्तेमाल न करें।
- उचित वेंटिलेशन और प्रकाश सुनिश्चित करें: बाथरूम में पर्याप्त वेंटिलेशन और सूर्य का प्रकाश आवश्यक है। उत्तर या पूर्व दिशा में दरवाजे या खिड़कियां होनी चाहिए।
- बाथरूम का दरवाजा हमेशा बंद रखें: नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए बाथरूम का दरवाजा खुला न छोड़ें, बंद रखें।
- उचित दिशा में बनाएं: वास्तु शास्त्र के अनुसार, बाथरूम पूर्व दिशा में और टॉयलेट दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। ईशान या दक्षिण दिशा में न बनाएं।
इन सरल वास्तु उपायों (Vastu Tips) को अपनाकर, बिना किसी बड़े परिवर्तन के आप अपने बाथरूम और टॉयलेट के वास्तु दोष (Vastu Dosh) को दूर कर सकते हैं। यह आपके जीवन में सकारात्मकता (positivity) लाएगा और नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करेगा।
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वास्तु परिवर्तन के बिना पूजा घर में वास्तु सुधार कैसे करें?
पूजा घर में वास्तु सुधार के लिए कुछ सरल उपाय किए जा सकते हैं बिना किसी बड़े बदलाव के। सबसे पहले, पूजा घर को साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखना महत्वपूर्ण है। अनावश्यक वस्तुओं को हटा दें और नियमित रूप से सफाई करें। पूजा घर को पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में रखना सबसे शुभ माना जाता है। मूर्तियों और तस्वीरों को इस तरह से व्यवस्थित करें कि वे एक दूसरे के सामने न हों। टूटी या क्षतिग्रस्त मूर्तियों को हटा दें।
पूजा में प्रयुक्त सामग्री जैसे दीपक, फूल-माला आदि को नियमित रूप से बदलते रहें। सूखे या मुरझाए फूलों को हटा दें। धूप, दीप जलाएं और पूजा घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह के लिए शंख या घंटी बजाएं। रंग योजना के लिए हल्के और शांत रंगों का चयन करें। पूजा घर के बाहर पानी या हरे पौधे रखने से नकारात्मकता (negativity) दूर होती है।
इन सरल उपायों से आप अपने मौजूदा पूजा घर में वास्तु दोष को कम कर सकते हैं और एक सकारात्मक वातावरण बना सकते हैं। नियमित पूजा और प्रार्थना के साथ ये उपाय आपके घर में सुख-शांति लाएंगे।
वास्तु परिवर्तन के बिना घर के बगीचे में वास्तु सुधार कैसे करें?
घर के बगीचे में बिना वास्तु परिवर्तन किए वास्तु सुधार के लिए निम्नलिखित 5 उपाय अपनाए जा सकते हैं:
- पूर्व या उत्तर दिशा में पानी का स्रोत रखें: बगीचे में पूर्व या उत्तर दिशा में झरना, फव्वारा या पानी की टंकी लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।l
- दक्षिण-पश्चिम में ऊँचे पेड़ लगाएँ: दक्षिण-पश्चिम दिशा में ऊँचे, घने पेड़ जैसे नीम, आम, पीपल आदि लगाने से नकारात्मक ऊर्जा (Negative energy) कम होती है। ये पेड़ घर को भी गर्मी और तेज हवाओं से बचाते हैं।
- मूर्तियाँ या झंडे उत्तर-पूर्व में रखें: उत्तर-पूर्व दिशा में देवी-देवताओं की मूर्तियाँ, मंदिर या धार्मिक झंडे लगाने से बगीचे में सकारात्मकता बढ़ती है। इससे मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
- रंग-बिरंगे फूल उगाएँ: बगीचे में विभिन्न रंगों के फूल जैसे गुलाब, गेंदा, चमेली आदि लगाने से वातावरण खुशनुमा बनता है। विशेषकर पीले और नारंगी रंग के फूल घर में सुख-समृद्धि लाते हैं।
- पक्षियों को आकर्षित करें: बगीचे में पक्षियों के लिए दाना-पानी रखने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। इसके लिए बर्ड फीडर या बर्ड बाथ लगाएँ। कबूतर, मैना, कोयल आदि शुभ पक्षी माने जाते हैं।
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Conclusion:
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) में केवल घर के निर्माण के नियमों का ही उल्लेख नहीं है, बल्कि इसमें जीवन के विभिन्न पहलुओं से संबंधित मार्गदर्शन भी दिया गया है। वास्तु शास्त्र के अनुसार जीवन जीने से व्यक्ति सकारात्मक ऊर्जा से युक्त होकर जीवन में सफलता और खुशहाली प्राप्त कर सकता है। अगर आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो तो इसे अपने मित्रगणों एवं परिवारजनों के साथ अवश्य साझा करें, साथ ही हमारे आने आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें और अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो उसे कॉमेंट बॉक्स में जाकर जरुर पूछे, हम आपके सभी प्रश्नों का जवाब देने का प्रयास करेंगे। ऐसे ही अन्य लेख को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट janbhakti.in पर रोज़ाना विज़िट करें ।
Disclaimer: इस लेख के द्वारा दी गई सभी जानकारियां मान्यताओं पर आधारित है। हम आपको बता दें कि janbhakti.in ऐसी मान्यताओं की पुष्टि नहीं करता है, इसलिए इन सभी वास्तु टिप्स को अमल में लाने से पहले विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें ।
FAQ’S
Q. वास्तु शास्त्र क्या है?
Ans. वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो भवन निर्माण और वास्तुकला के सिद्धांतों का अध्ययन करता है। इसका उद्देश्य ऊर्जा के सकारात्मक प्रवाह को बढ़ावा देकर इमारतों में सद्भाव और समृद्धि लाना है।
Q. वास्तु शास्त्र के पालन से क्या लाभ होते हैं?
Ans. वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के सिद्धांतों का पालन करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है, जिससे घर में शांति, समृद्धि, और खुशी आती है।
Q. क्या घर का आकार वास्तु शास्त्र के अनुसार महत्वपूर्ण है?
Ans. हाँ, घर का आकार वास्तु शास्त्र में महत्वपूर्ण माना जाता है। वर्ग या आयताकार आकार वाले घर शुभ माने जाते हैं। अनियमित आकार वाले घरों में वास्तु दोष हो सकते हैं।
Q. वास्तु दोषों को कैसे दूर किया जा सकता है?
Ans. कुछ वास्तु दोषों को वास्तु विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए उपायों, जैसे कि रंगों का उपयोग, फर्नीचर का पुनर्विन्यास, या यंत्रों की स्थापना द्वारा दूर किया जा सकता है।
Q. गृह प्रवेश करते समय किन रीति-रिवाजों का पालन करना चाहिए?
Ans. गृह प्रवेश करते समय, सबसे पहले घर की लक्ष्मी जी की पूजा करनी चाहिए। फिर, घर के मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से स्वस्तिक बनाना चाहिए।
Q. नए घर का निर्माण करते समय किन दिशाओं का ध्यान रखना चाहिए?
Ans. मुख्य प्रवेश द्वार पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए। पूजा कक्ष ईशान कोण में होना चाहिए।