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लाल किताब: क्या आपका भी केतु खराब है? लाल किताब के अचूक उपाय से मिलेगा उचित लाभ

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लाल किताब: लाल किताब (Lal Kitab) एक ऐसी पुस्तक जिसमें छिपे हैं जीवन के कई रहस्य। यह प्राचीन ग्रंथ ज्योतिष के गूढ़ सिद्धांतों पर आधारित है और इसमें ग्रहों के प्रभाव से जुड़े कई उपाय बताए गए हैं। इन उपायों को अपनाकर हम अपने जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता पा सकते हैं। 

केतु – यह एक ऐसा ग्रह है जिसे पाप ग्रह कहा जाता है। हालांकि यह वास्तव में एक ग्रह नहीं, बल्कि राहु का पुच्छल भाग है। फिर भी इसका हमारी कुंडली में महत्वपूर्ण स्थान है। केतु (Ketu) को मोक्ष का कारक माना जाता है और यह हमारे जीवन में आध्यात्मिकता लाता है। परंतु अगर कुंडली में केतु कमजोर या दूषित हो, तो व्यक्ति को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। लाल किताब में केतु के स्वरूप, प्रभाव और उपायों का विस्तार से वर्णन मिलता है। यह बताती है कि केतु किन राशियों और भावों में शुभ या अशुभ फल देता है। साथ ही यह भी बताया गया है कि केतु को मजबूत बनाने और इसके नकारात्मक प्रभावों (negative impact) को कम करने के लिए कौन-कौन से उपाय किए जा सकते हैं। 

तो आइए जानते हैं केतु (Ketu) ग्रह के बारे में कुछ रोचक तथ्य। जानते हैं कि कैसे यह हमारी राशि और कुंडली को प्रभावित करता है। समझते हैं कि लाल किताब के अनुसार केतु से जुड़ी समस्याओं का समाधान कैसे किया जा सकता है। यह लेख आपको केतु की शक्ति और महत्व के बारे में एक नया दृष्टिकोण देगा।

Table of Content

S.NO प्रश्न 
1केतु ग्रह क्या है?
2केतु ग्रह दोष की पौराणिक कथाएं
3केतु ग्रह से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें
4केतु ग्रह  (planet ketu)
5केतु ग्रह दोष का अर्थ क्या है? 
6केतु दोष से मुक्ति के पाने के प्रमुख उपाय
7लाल किताब अनुसार केतु ग्रह का महत्व
8केतु ग्रह के प्रभाव
9केतु ग्रह की शांति के लिए प्रमुख उपाय

केतु ग्रह क्या है? (What is Ketu planet)

केतु ग्रह (Ketu) वैदिक ज्योतिष में निगड़ित है, छाया ग्रह के रूप में माना जाता है। यह अक्सर किसी व्यक्ति के जीवन, शारीरिक संरचना, और प्रकृति पर प्रभाव डालता है। यह केवल दु:खदायी नहीं होता, बल्कि धार्मिकता, त्याग, और मोक्ष जैसी सकारात्मक चीजों को भी ला सकता है। केतु ग्रह का अनुकूल स्थान व्यक्ति को साहस देता है, जबकि अनुकूल न होने पर परिवार के प्यार और स्नेह की कमी का कारण बन सकता है। यह ग्रह काल सर्प दोष का निर्माण कर सकता है, जो व्यक्ति के लिए हानिकारक होता है। केतु ग्रह की महत्वपूर्णता वैदिक ज्योतिष में व्यापक और घेर लेती है, और इसके प्रभाव से व्यक्ति की जिंदगी को प्रभावित किया जाता है।

केतु ग्रह दोष की पौराणिक कथाएं (Mythology of Ketu Graha Dosha)

ज्योतिष विज्ञान (astrology science) में केतु ग्रह को छाया ग्रह कहा जाता है, जिसका महत्व अत्यधिक है। केतु ग्रह का जीवन में प्रभाव उसकी स्थिति के अनुसार होता है, जो जन्म कुंडली में देखा जा सकता है। अगर केतु ग्रह अशुभ स्थिति में होता है, तो उसे केतु दोष कहा जाता है।हिंदू पौराणिक कथाओं में केतु ग्रह का उल्लेख सर्प स्वर्भानु राक्षस के रूप में होता है। इस कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के समय जब अमृत निकला, तब स्वर्भानु ने देवताओं के बीच में बैठकर अमृत का पान किया। सूर्य (sun) और चंद्रमा (moon) ने उसे पहचान लिया और विष्णु (Lord Vishnu) को सूचित किया। विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका सिर काट दिया, लेकिन उसने पहले ही अमृत पी लिया था, इसलिए वह मर नहीं पाया। उसके बिना सिर के शरीर को केतु कहा गया, जो अब एक ग्रह के रूप में माना जाता है। केतु (Ketu) के दोष का प्रभाव व्यक्ति की जीवन में विभिन्न तरीकों से होता है। यदि केतु ग्रह दुष्प्रभावी होता है, तो वह व्यक्ति को स्वास्थ्य समस्याएं जैसे पैर, कान, हड्डी, जोड़, यौन, गुर्दा, और गले की समस्याएं पैदा कर सकता है। यह सामाजिक और वित्तीय कठिनाईयों को भी उत्पन्न कर सकता है 

दुष्प्रभावी केतु के प्रभावों को कम करने के लिए, केतु ग्रह शांति उपाय किए जा सकते हैं। इन उपायों में केतु के सम्बंधित चीजों का दान, केतु मंत्र का जाप, और केतु यन्त्र पूजा शामिल होती है। इसके अलावा, केतु के शांति के लिए नौ मुखी रुद्राक्ष भी धारण किया जा सकता है। 

इस प्रकार, केतु ग्रह दोष जीवन में विभिन्न कठिनाइयां ला सकता है। लेकिन, हिंदू पौराणिक कथाओं और ज्योतिष विज्ञान के माध्यम से, हमें इसके प्रभावों को समझने और उनके विपरीत उपाय करने का मार्ग मिलता है।

केतु ग्रह से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें (Some Important Things Related to planet Ketu)

ज्योतिष शास्त्र (Astrology science) में केतु का महत्त्वपूर्ण स्थान है। वैज्ञानिक ड्रष्टिकोण से यह कोई ग्रह नहीं है, लेकिन ज्योतिष (astrology) में इसकी महत्ता बहुत अधिक है। केतु (Ketu) को चंद्रमा के दक्षिणी नोड या छाया ग्रह के रूप में जाना जाता है। यद्यपि इसे अशुभ माना जाता है, लेकिन इसका जीवन पर सकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है। जन्म कुंडली में केतु की मजबूत स्थिति व्यक्ति को उसकी इच्छाओं की पूर्ति करने में सहायता करती है।

ज्योतिष (astrology) में कुल नौ ग्रह माने गए हैं, जिनमें से केवल पांच वास्तविक ग्रह होते हैं, बाकी चार, जिनमें केतु भी शामिल है, को छाया ग्रह कहा जाता है। केतु आपात स्थितियों, दुर्घटनाओं और अप्रत्याशित घटनाओं से जोड़ा जाता है। इसका व्यक्ति के जीवन में बदलाव लाने का माना जाता है, जो सकारात्मक या नकारात्मक हो सकता है। 

केतु दोष के उपचार के लिए, बिल्ली की आंख का पत्थर पहनने, काले तिल, उरद दाल और कंबल का दान करने के साथ-साथ गायत्री मंत्र का जप और गणेश जी की पूजा करने की सलाह दी गई है। अंत में, केतु ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण ग्रह है, और इसका व्यक्ति के जीवन पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

केतु ग्रह  (planet ketu)

केतु ग्रह (Ketu)को ज्योतिष (astrology) में पाप ग्रह माना जाता है, परंतु यह हमेशा अशुभ फल ही नहीं देता। केतु आध्यात्मिकता, वैराग्य, मोक्ष और तांत्रिक विद्या का भी कारक है। 

केतु किसी राशि का स्वामी नहीं होता, परंतु धनु राशि में उच्च और मिथुन राशि में नीच का होता है। केतु छाया ग्रह है और इसे सर्पराज स्वर्भानु राक्षस की पूंछ माना जाता है। केतु का जन्म कुंडली में स्थान उस भाव के अनुसार फल देता है। केतु का प्रभाव व्यक्ति के स्वभाव, शारीरिक बनावट और प्रकृति पर पड़ता है। हालांकि केतु पाप ग्रह माना जाता है, परंतु कुंडली में अच्छी स्थिति होने पर शुभ फल भी देता है।

केतु ग्रह दोष का अर्थ क्या है? (What is The Meaning of Ketu Graha Dosha)

केतु (Ketu) वैदिक ज्योतिष (astrology) में एक छाया ग्रह है जिसे चंद्रमा का दक्षिणी नोड या अवरोही चंद्र नोड भी कहा जाता है। यह एक वास्तविक ग्रह नहीं है, बल्कि सूर्य और चंद्रमा की कक्षाओं के प्रतिच्छेदन बिंदु को दर्शाता है। वैदिक ज्योतिष में केतु को अध्यात्म, रहस्यवाद और अलौकिक घटनाओं से जोड़ा जाता है। माना जाता है कि इसका व्यक्ति की अवचेतन मन और पूर्व जन्म के कर्मों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। 

हालांकि केतु को एक पाप ग्रह माना जाता है, लेकिन यह व्यक्ति के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव भी डाल सकता है। यदि जन्म कुंडली में केतु मजबूत हो तो यह व्यक्ति को वह सब कुछ दे सकता है जो वह चाहता है। परंतु यदि केतु कमजोर या पीड़ित हो तो यह व्यक्ति के जीवन में विभिन्न समस्याएं पैदा कर सकता है। केतु के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए रत्न धारण करना, मंत्रों का जाप करना और विशिष्ट अनुष्ठान करना जैसे उपाय किए जा सकते हैं। वैदिक ज्योतिष में केतु एक महत्वपूर्ण ग्रह है और व्यक्ति की कुंडली में इसकी स्थिति और शक्ति का उसके जीवन पर काफी प्रभाव पड़ सकता है। यद्यपि केतु को अक्सर एक अशुभ ग्रह माना जाता है, फिर भी इसके सकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं। 

केतु दोष से मुक्ति के पाने के प्रमुख उपाय (Major ways to Get Rid of Ketu Dosh)

  • शनिवार का व्रत करना: ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, केतु दोष से मुक्ति पाने के लिए कम से कम 18 शनिवार का व्रत रखना चाहिए। इससे केतु की नकारात्मक ऊर्जा कम होती है। 
  • केतु मंत्र का जाप: “ओम स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम:” मंत्र का नियमित रूप से 18, 11 या 5 माला जाप करने से केतु शांत होता है और दोष दूर होता है।
  • पीपल वृक्ष की पूजा: शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाने और इसके जड़ में कुशा, दूर्वा और जल अर्पित करने से केतु प्रसन्न होता है।
  • पुण्य करना: केतु दोष निवारण हेतु कंबल, छाता, लोहा, उड़द, गर्म कपड़े आदि का दान करना लाभदायक माना जाता है। साथ ही, गरीब कन्याओं की सेवा करना भी शुभ फल देता है।
  • रत्न धारण करना: केतु के प्रतिनिधि रत्न लहसुनिया या उपरत्न फिरोजा, संघीय, गोदंत आदि धारण करने से भी केतु दोष दूर होता है। हालांकि, इन्हें धारण करने से पहले एक अच्छे ज्योतिषी से परामर्श लेना उचित होगा। 

इन उपायों के अलावा, गणेश जी की पूजा, कुत्ते की सेवा और अपनी संतान के प्रति अच्छा व्यवहार करना भी केतु को प्रसन्न करने के तरीके हैं। हालांकि, ये सभी उपाय सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं और इनकी वैज्ञानिक पुष्टि नहीं है। अत: इन्हें अपनाने से पहले एक विशेषज्ञ की सलाह लेना बेहतर होगा।

लाल किताब अनुसार केतु ग्रह का महत्व (Importance of planet Ketu According to Lal Kitab)

लाल किताब (Lal Kitab), ज्योतिष की एक महत्वपूर्ण पुस्तक, जन्म कुंडली के बारह घरों में केतु ग्रह के प्रभाव की चर्चा करती है। यह किताब केतु को गणेश जी का प्रतीक मानती है, जिसका जीवन पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। केतु एक अदृश्य ग्रह है, लेकिन इसका स्थान जन्म कुंडली में एक व्यक्ति के जीवन को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है।

लाल किताब (Lal Kitab) केतु को शुक्र और राहु के साथ मित्र मानती है, जबकि चंद्र और मंगल इसके दुश्मन माने गए हैं। गुरु केतु के लिए एक तटस्थ ग्रह है, जो केतु की कमजोरी को कम करने में मदद कर सकता है। स्वर्ण की बालियां पहनने से केतु को मजबूत किया जा सकता है और यह बच्चे की प्राप्ति में मदद कर सकता है 

केतु का प्रभाव व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर होता है, जैसे कि व्यवहार, चलने की शैली, कुत्ते, भिखारी, पुत्र, चाचा, पोते, भतीजे, साले, कान, कंधे, पैर, सलाहकार, कला कार, नींबू, दिन-रात के परिवर्तन, और दूरदर्शिता। केतु का प्रभाव सामाजिक सेवा, धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों, और सांप, बिच्छू, घोड़े, गधे, और चूहों जैसे जानवरों के माध्यम से भी देखा जा सकता है। 

केतु का प्रभाव व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर होता है, जैसे कि व्यवहार, चलने की शैली, कुत्ते, भिखारी, पुत्र, चाचा, पोते, भतीजे, साले, कान, कंधे, पैर, सलाहकार, कला कार, नींबू, दिन-रात के परिवर्तन, और दूरदर्शिता।  केतु का प्रभाव सामाजिक सेवा, धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों, और सांप, बिच्छू, घोड़े, गधे, और चूहों जैसे जानवरों के माध्यम से भी देखा जा सकता है। 

केतु का व्यक्ति के जीवन पर प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों हो सकता है। जब केतु गुरु के साथ अनुकूल स्थिति में होता है, तो यह व्यक्ति की जन्म कुंडली में एक राजयोग बना सकता है, जो एक आकर्षक व्यक्तित्व की ओर ले जाता है।

लाल किताब (Lal Kitab) केतु के नकारात्मक प्रभाव (Negative impact) को कम करने के लिए कई उपाय सुझाती है, जैसे कि केतु यंत्र पहनना, काले तिल दान करना, और केतु बीज मंत्र का उच्चारण करना। व्यक्ति गणेश जी (Lord Ganesh) की पूजा करके और जरूरतमंदों को दान करके भी कुछ विशेष अनुष्ठान कर सकता है।

केतु ग्रह के प्रभाव (Effects of planet Ketu)

  • प्रथम भाव में केतु: यदि केतु पहले भाव में है, तो व्यक्ति मेहनती, धनवान और खुश रहेगा। हालांकि, वह हमेशा अपने बच्चों को लेकर चिंतित रहेगा। उसे यात्रा का डर होगा और अंततः स्थिर हो जाएगा। यदि केतु वार्षिक कुंडली में प्रथम भाव में है, तो व्यक्ति को पुत्र या पुत्री हो सकती है, या वह लंबी यात्रा पर जा सकता है। सूर्य के प्रभाव से व्यक्ति अपने माता-पिता और गुरुओं के लिए लाभकारी होगा। यदि केतु अनुकूल नहीं है, तो व्यक्ति को सिरदर्द हो सकता है, और उनके जीवनसाथी को स्वास्थ्य और बच्चों से संबंधित चिंताएं हो सकती हैं।
  • द्वितीय भाव में केतु: द्वितीय भाव चंद्र से प्रभावित होता है, जो केतु का शत्रु है। यदि केतु इस भाव में अनुकूल स्थिति में है, तो व्यक्ति को पैतृक संपत्ति प्राप्त होगी और वह यात्रा का आनंद लेगा, यात्राओं से लाभ प्राप्त करेगा। यदि केतु प्रतिकूल है, तो व्यक्ति शुष्क क्षेत्रों की यात्रा करेगा, उसका व्यवहार बेचैन होगा, और वह वित्तीय अस्थिरता का सामना करेगा, हालांकि आय अच्छी होगी, खर्च भी अधिक होगा, जिससे वास्तविक लाभ नहीं होगा।
  • तृतीय भाव में केतु: तीसरा भाव बुध और मंगल से प्रभावित होता है, जो दोनों केतु के शत्रु हैं। संख्या तीन व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि केतु अनुकूल स्थिति में है, तो व्यक्ति के अच्छे बच्चे होंगे। वे ईश्वर और अपने माता-पिता और गुरुओं का सम्मान और भय करेंगे। यदि केतु प्रतिकूल है, तो व्यक्ति व्यर्थ के कानूनी झगड़ों में शामिल होगा, अपने जीवनसाथी से अलग हो जाएगा, और अपने परिवार से अलग हो जाएगा।
  • चतुर्थ भाव में केतु: चौथा भाव चंद्र से प्रभावित होता है, जो केतु का शत्रु है। यदि केतु इस भाव में अनुकूल स्थिति में है, तो व्यक्ति ईश्वर का भय रखेगा, अपने माता-पिता और गुरुओं के लिए सौभाग्यशाली होगा, और बच्चे होने से पहले अपने गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करेगा। यदि केतु प्रतिकूल है, तो व्यक्ति दुखी रहेगा, उसकी मां पीड़ित होगी, और खुशी कम होगी। व्यक्ति मधुमेह से पीड़ित होगा और 36 वर्ष की आयु तक उसके बच्चे नहीं होंगे।
  • पंचम भाव में केतु: पांचवां भाव सूर्य (sun) से  बहुत ज्यादा प्रभावित होता है और बृहस्पति (Jupiter) से भी प्रभावित होता है। यदि बृहस्पति (Jupiter), सूर्य या चंद्र चौथे, छठे या ग्यारहवें भाव में हैं, तो व्यक्ति वित्तीय रूप से स्थिर होगा और उसके पांच पुत्र होंगे। 24 वर्ष की आयु के बाद, केतु अनुकूल हो जाता है। यदि केतु प्रतिकूल है, तो व्यक्ति अस्थमा से पीड़ित हो सकता है, और उसके बच्चे लंबे समय तक जीवित नहीं रहेंगे।
  • षष्ठ भाव में केतु: छठा भाव बुध से प्रभावित होता है, जो इस भाव में कमजोर माना जाता है। हालांकि, केतु इसे अपना वास्तविक घर मानता है। इस भाव में केतु के परिणाम बृहस्पति की प्रकृति पर निर्भर करते हैं। केतु इस भाव में बच्चों के लिए सकारात्मक परिणाम देता है। व्यक्ति एक अच्छा सलाहकार होगा। यदि बृहस्पति अनुकूल है, तो व्यक्ति दीर्घायु होगा, उसकी मां खुश रहेगी, और उसका जीवन शांतिपूर्ण होगा।
  • सप्तम भाव में केतु: सातवां भाव बुध और शुक्र से प्रभावित होता है। यदि केतु इस भाव में अनुकूल स्थिति में है, तो व्यक्ति 24 से 40 वर्ष की आयु के बीच बहुत धन कमाएगा। उनके बच्चे भी अच्छा कमाएंगे। शत्रु व्यक्ति से डरेंगे। यदि केतु प्रतिकूल है, तो व्यक्ति अक्सर बीमार पड़ेगा, झूठे वादे करेगा, और 33 वर्ष की आयु तक शत्रुओं से परेशान रहेगा। 
  • अष्टम भाव में केतु: आठवां भाव मंगल से प्रभावित होता है, जो केतु का शत्रु है। यदि केतु इस भाव में अनुकूल स्थिति में है, तो व्यक्ति को 36 वर्ष की आयु के बाद या अपनी पुत्री की शादी के बाद बच्चा होगा। यदि केतु प्रतिकूल है, तो जीवनसाथी बीमार रहेगा। व्यक्ति के बच्चे नहीं होंगे, या यदि होंगे भी, तो वे लंबे समय तक जीवित नहीं रहेंगे। व्यक्ति मधुमेह या मूत्र संबंधी समस्याओं से पीड़ित होगा।

केतु ग्रह की शांति के लिए प्रमुख उपाय (Major Remedies For Peace of Planet Ketu)

लाल किताब (Lal Kitab) के अनुसार केतु ग्रह की शांति के लिए निम्नलिखित 6 उपाय किए जा सकते हैं:

  • माथे पर केसर या हल्दी का तिलक लगाएँ: केतु ग्रह को शांत करने के लिए नियमित रूप से माथे पर केसर या हल्दी का तिलक लगाने से लाभ मिलता है। यह उपाय केतु ग्रह के नकारात्मक प्रभावों को दूर करता है और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।
  • वृद्ध एवं लाचार व्यक्तियों की सहायता करें: केतु ग्रह (Ketu) को प्रसन्न करने के लिए वृद्ध और असहाय लोगों की मदद करना एक प्रभावी उपाय है। उनकी सेवा करना, उन्हें भोजन या वस्त्र दान करना केतु ग्रह को बलवान बनाता है।
  • कानों में सोने की बाली पहनें: महिलाओं को केतु ग्रह की शांति के लिए कानों में सोने की बालियाँ पहननी चाहिए। यह उपाय केतु की दुर्बलता को दूर करता है और संतान सुख प्रदान करता है।
  • दूध में केसर मिलाकर पीएँ: नियमित रूप से दूध में केसर मिलाकर पीने से केतु ग्रह मजबूत होता है। यह आध्यात्मिक ज्ञान में वृद्धि करता है और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।
  • पिता एवं पुरोहित का सम्मान करें: केतु (Ketu) ग्रह को प्रसन्न करने के लिए अपने पिता और धर्म गुरु का आदर-सम्मान करना चाहिए। उनकी सेवा करने और आज्ञा का पालन करने से केतु ग्रह के शुभ फल प्राप्त होते हैं।
  • कुत्ता पालना सहायक होगा: लाल किताब (Lal Kitab) के अनुसार घर में कुत्ता पालने से केतु ग्रह प्रसन्न होता है। कुत्ते की देखभाल करना और उसे भोजन देना केतु दोष को दूर करने में मददगार होता है।

इन उपायों को अपनाकर केतु ग्रह को शांत किया जा सकता है और इसके सकारात्मक प्रभावों का लाभ उठाया जा सकता है। हालाँकि किसी भी उपाय को अपनाने से पहले एक कुशल ज्योतिषी से परामर्श लेना सर्वोत्तम होगा।

Summary 

लाल किताब (Lal Kitab) में केतु के 12 भावों का वर्णन ज्योतिषियों और आम लोगों के लिए एक मूल्यवान मार्गदर्शिका है। यह जानकारी हमें केतु की ऊर्जा को समझने और हमारे जीवन में इसके प्रभावों को बेहतर ढंग से समझने में मदद करती है। यदि आपको हमारा यह विशेष लेख पसंद आया हो तो इस लेख को अपने परिवार जनों एवं मित्र गणों के साथ अवश्य साझा, करें साथ ही हमारे अन्य आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें और अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो उसे कॉमेंट बॉक्स में जाकर जरुर पूछे, हम आपके सभी प्रश्नों का जवाब देने का प्रयास करेंगे। ऐसे ही अन्य लेख को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट janbhakti.in पर रोज़ाना विज़िट करें ।

Disclaimer: इस लेख के द्वारा दी गई सभी जानकारियां मान्यताओं पर आधारित है। आपको बता दें कि janbhakti.in ऐसी किसी भी तरह की मान्यताओं की पुष्टि नहीं करता है, इसीलिए इन सभी बातों को आजमाने या उपयोग में लाने से पहले विशेषज्ञों की सलाह विशेष तौर से अवश्य लें  ।

FAQ’S 

Q. केतु ग्रह के 12 भागों को क्या कहा जाता है?

Ans. केतु ग्रह के 12 भागों को “केतुपाद” कहा जाता है।

Q. प्रश्न: केतुपाद का क्या महत्व है?

Ans. केतुपाद ज्योतिष शास्त्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे कि व्यक्तित्व, करियर, स्वास्थ्य, और आध्यात्मिकता को दर्शाते हैं।

Q. प्रत्येक केतुपाद का क्या अर्थ होता है?

Ans. प्रत्येक केतुपाद का अपना अलग-अलग अर्थ होता है। उदाहरण के लिए, पहला केतुपाद “धर्म” का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि दूसरा “अर्थ” का।

Q. केतु ग्रह की चाल से केतुपाद कैसे प्रभावित होते हैं?

Ans. केतु ग्रह की चाल से केतुपादों की स्थिति बदलती रहती है, जिसके फलस्वरूप व्यक्ति के जीवन में उतार-चढ़ाव आते हैं।

Q.जन्म कुंडली में केतुपादों की स्थिति का क्या महत्व होता है?

Ans. जन्म कुंडली में केतुपादों की स्थिति व्यक्ति के चरित्र, भाग्य और जीवन पथ के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है।

Q. क्या केतुपादों को शुभ या अशुभ माना जाता है?

Ans. केतुपादों को स्वतंत्र रूप से शुभ या अशुभ नहीं माना जाता है। उनका प्रभाव व्यक्ति की जन्म कुंडली में उनकी स्थिति और अन्य ग्रहों के साथ उनके संबंधों पर निर्भर करता है।