Mridul Krishna Shastri Biography: श्री मृदुल कृष्ण शास्त्री जी (Mridul Krishna Shastri) महाराज – एक ऐसा नाम जो भक्ति और आध्यात्म की दुनिया में किसी परिचय का मोहताज नहीं। उनकी अद्भुत कथा वाचन शैली और भागवत के प्रति अगाध प्रेम ने उन्हें लाखों श्रद्धालुओं के दिलों में विशेष स्थान दिलाया है। महाराज जी का जन्म वृंदावन (vrindavan) के एक धार्मिक परिवार में हुआ, जहां उन्हें बचपन से ही संस्कृत, भागवत और व्याकरण की शिक्षा मिली।
मात्र 16 वर्ष की उम्र में महाराज जी ने अपनी पहली कथा हरिद्वार में सुनाई और तब से लेकर आज तक वे 800 से भी अधिक कथाएं कर चुके हैं। उनकी सरल और प्रभावशाली शैली लोगों को भगवान के प्रति आकर्षित करती है। श्री मृदुल कृष्ण गोस्वामी जी ने भागवत कथा के प्रचार-प्रसार और धर्मार्थ कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए ‘श्री भागवत मिशन ट्रस्ट’ और ‘राधा रानी गौशाला’ की स्थापना की। साथ ही उन्होंने ‘मृदुल चिंतन’ मासिक पत्रिका और ‘आध्यात्म’ टीवी चैनल भी शुरू किया।
महाराज जी की भक्ति भावना और लोक कल्याण के प्रयास उन्हें एक अलग ही मुकाम पर ले जाते हैं। उनके प्ररेणादायक विचार, मधुर भजन और मार्मिक कथाएं हर किसी के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकती हैं। आइए, इस लेख के माध्यम से हम श्री मृदुल कृष्ण गोस्वामी जी के जीवन और उनकी अनमोल शिक्षाओं का विस्तार से अध्ययन करते हैं।
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मृदुल कृष्ण शास्त्री जी कौन हैं? (Who is Mridul Krishna Shastri ji?)
मृदुल कृष्ण शास्त्री (Mridul Krishna Shastri) जी एक प्रसिद्ध भागवत पुराण (Bhagwat Puran) कथावाचक और भक्ति गायक हैं। वे वृंदावन (vrindavan), उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) से हैं और उनका जन्म संगीतज्ञ स्वामी हरिदास जी के परिवार में हुआ था। उन्होंने अपने पिता से भागवत पुराण (Bhagwat Puran) की कथा सीखी और 16 साल की उम्र से ही कथा सुनाना शुरू कर दिया। पिछले 36 वर्षों से वे भागवत कथा सुना रहे हैं और 700 से अधिक कथाएं सुना चुके हैं। उनकी सरल और रोचक शैली के कारण वे भारत और विदेशों में लोकप्रिय हैं। उन्होंने वृंदावन में राधा स्नेह बिहारी मंदिर और राधा रानी गौशाला की स्थापना की है। 2003 में उन्होंने श्री भागवत मिशन ट्रस्ट की स्थापना की जो “मृदुल चिंतन” पत्रिका प्रकाशित करता है और आध्यात्म टीवी चैनल चलाता है। वे भक्ति के मार्ग पर चलने के लिए अपने अनुयायियों को प्रेरित करते हैं
मृदुल कृष्ण शास्त्री जी का जीवन परिचय (Biography of Mridul Krishna Shastri ji)
Mridul Krishna Shastri Biography: मृदुल कृष्ण शास्त्री (Mridul Krishna Shastri) जी एक प्रसिद्ध भागवत पुराण कथावाचक और भजन गायक हैं। उनका जन्म वृंदावन, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उन्होंने संस्कृत सम्पूर्णणानंद विश्वविद्यालय, वाराणसी से शास्त्री की उपाधि प्राप्त की। उनके पिता श्री मूल बिहारी जी और माता श्रीमती शांति गोस्वामी हैं। उनके दो भाई अतुल कृष्णा और विपुल कृष्णा हैं।
मृदुल जी ने अपनी युवावस्था का अधिकांश समय बिहारीजी (कृष्ण भगवान) की सेवा में बिताया और अपने पिता के साथ भागवत पुराण कथा का वाचन करना सीखा। 16 वर्ष की आयु में उन्हें हरिद्वार में एक समागम के दौरान अपने पिता द्वारा भागवत पुराण के अगले वक्ता के रूप में नियुक्त किया गया। वह 36 वर्षों से भागवत कथा का वर्णन कर रहे हैं और अब तक 700 से अधिक भागवत कथाएं कह चुके हैं। उन्हें श्री रामचरितमानस की लगभग 8000 चौपाईयाँ कंठस्थ हैं।
भागवत कथा के दौरान मृदुल जी मानव जीवन में भगवान के प्रेम की आवश्यकता पर जोर देते हैं। उन्होंने कृष्ण की भक्ति के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है। उन्होंने राधा स्नेह बिहारी नामक कृष्ण मंदिर का निर्माण किया। कथा के दौरान वह स्वरचित कृष्ण भजन गाते हैं, जिससे श्रोतागण कृष्ण भक्ति में मंत्रमुग्ध होकर नृत्य करते हैं।
मृदुल जी ने श्री भगवत मिशन ट्रस्ट (Shri Bhagwat Mission Trust) की स्थापना की, जिसके द्वारा वृंदावन (vrindavan)में श्री राधारानी गोशाला और श्री राधा स्नेह बिहारी आश्रम स्थापित किए गए। ट्रस्ट एक मासिक हिंदी पत्रिका ‘मृदुल चिंतन’ और एक धार्मिक केबल टीवी चैनल ‘अध्यात्म’ भी चलाता है। हाल ही में उन्होंने पारंपरिक और आधुनिक वास्तुकला के मेल से स्नेह बिहारी मंदिर का पुनर्निर्माण किया, जहां प्रतिवर्ष कई आध्यात्मिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
उनके श्रोताओं के अनुसार, मृदुल जी भागवत पुराण के श्लोकों की सरल व्याख्या करते हैं और अपनी मधुर आवाज़ में कथा सुनाकर श्रोताओं को कृष्ण भक्ति की ओर आकर्षित करते हैं। उनकी भागवत कथाएं भारत ही नहीं बल्कि विश्वभर में लोकप्रिय हैं। उनके लाखों शिष्य हैं जो प्रतिवर्ष गुरु पूर्णिमा पर उनकी पूजा करते हैं।
मृदुल कृष्ण शास्त्री जी की प्रारंभिक शिक्षा (Education of Mridul Krishna Shastri ji)
मृदुल कृष्ण शास्त्री जी (Mridul Krishna Shastri) ने अपनी शिक्षा का आरंभ वृंदावन के पवित्र भूमि पर किया, जहां उन्होंने संस्कृत, वेदिक शास्त्र, और व्याकरण (व्याकरण) की शिक्षा अपने पिता से प्राप्त की। यह वही स्थान था जहां उन्होंने अपने पिता, श्री मूल बिहारी जी, और माता, श्रीमती शांति गोस्वामी जी, के नेतृत्व में अपने आत्मिक जीवन की नींव रखी।
उनके पिता एक प्रसिद्ध भागवत कथा वक्ता थे, और उन्होंने अपने पुत्र को भागवत पुराण कथा की कला सिखाई। यही वजह थी कि उन्होंने केवल सोलह वर्ष की उम्र में ही भागवत कथा सुनाना शुरू कर दिया। उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश से प्राप्त की, जहां उन्होंने संस्कृत में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की। उनकी शिक्षा ने उन्हें आत्मिक जीवन के लिए दृढ़ आधार प्रदान किया और उन्हें अपने आत्मिक यात्रा को आगे बढ़ाने की प्रेरणा दी।
मृदुल कृष्ण शास्त्री का परिवार (Mridul Krishna Shastri’s Family)
मृदुल कृष्ण शास्त्री जी (Mridul Krishna Shastri) का परिवार भागवत कथा (Bhagwat Katha) और भजन गायन की परंपरा में गहराई से जुड़ा हुआ है। उनके पिता एक प्रसिद्ध भागवत कथा वाचक और कीर्तनिया थे। मृदुल कृष्ण शास्त्री जी के परिवार के सदस्यों के नाम निम्नलिखित हैं-
पिता | श्री मूल बिहारी जी |
माता | श्रीमती शांति गोस्वामी |
दादा | नाम का उल्लेख नहीं |
भाई | अतुल कृष्णा और विपुल कृष्णा |
पत्नी | श्रीमती वंदना गोस्वामी |
पुत्र | आचार्य श्री गौरव कृष्ण गोस्वामी जी |
मृदुल कृष्ण शास्त्री जी की कथाएं | Katha of Mridul Krishna Shastri ji
श्री मृदुल कृष्ण शास्त्री (Mridul Krishna Shastri) जी की भागवत कथाएं श्रोताओं के दिलों में कृष्ण भक्ति की अलख जगाने वाली होती हैं। उनकी मधुर वाणी और सरल शब्दों में कही गई कथा सुनकर लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। वे भागवत पुराण के श्लोकों की ऐसी सहज व्याख्या करते हैं कि श्रोता उसमें पूरी तरह डूब जाते हैं। उनकी कथा में कृष्ण और गोपियों के प्रेम की मधुर झलक दिखती है। वे बताते हैं कि भगवान के प्रेम का अनुभव करने के लिए मानव जीवन में भक्ति कितनी आवश्यक है।
मृदुल जी की कथाओं में भागवत के प्रत्येक प्रसंग से मानवता की शिक्षा मिलती है। उनके श्रोताओं के अनुसार, वे पात्रों और परिस्थितियों को इस तरह जीवंत कर देते हैं मानो वे सामने ही हों। कथा के दौरान वे खुद लिखे कृष्ण भजनों को अपनी सुमधुर आवाज में गाते हैं, जिससे श्रोता भक्ति में लीन होकर नाचने लगते हैं। उनकी कथाएं सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय हैं और कई टीवी चैनलों पर प्रसारित होती हैं।
मृदुल जी ने 16 साल की उम्र से ही भागवत कथा वाचन शुरू कर दिया था। अपने पिता से भागवत और संस्कृत भाषा की शिक्षा लेकर उन्होंने इसे अपना जीवन समर्पित कर दिया। 36 सालों में उन्होंने 700 से ज्यादा भागवत कथाएं की हैं। उनकी कथाओं का मुख्य उद्देश्य कृष्ण भक्ति को जन-जन तक पहुंचाना है। इसके लिए उन्होंने श्री भगवत मिशन ट्रस्ट की स्थापना भी की है जो वृंदावन में गौशाला और आश्रम चलाता है।
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मृदुल कृष्ण शास्त्री जी के भजन (Bhajans of Mridul Krishna Shastri Ji)
मेजर कृष्ण शास्त्री जी के प्यार और सुंदर भजनों की सूची कुछ इस प्रकार है-
1 | वृन्दावन धाम अपार | Click Here |
2 | मुझे चरणों से लगाले | Click Here |
3 | राधे राधे जपा करो | Click Here |
4 | जय माधव मदन मुरारी | Click Here |
5 | नटखट नटखट नंदकिशोर | Click Here |
6 | मुरली बजा के मोहना | Click Here |
7 | करके इशारो बुलाये गई रे | Click Here |
8 | धारा तो वह रही है | Click Here |
9 | राधा रानी तुम हो व्रज की महारानी | Click Here |
10 | बड़ी दूर तेरी गोकुल नगरी | Click Here |
मृदुल कृष्ण शास्त्री जी का सेवा ट्रस्ट (Mridul Krishna Shastri Ji’s Seva Trust)
मृदुल कृष्ण शास्त्री (Mridul Krishna Shastri) जी द्वारा वृंदावन में ‘श्री भागवत मिशन ट्रस्ट’ की स्थापना की गई है। यह ट्रस्ट अनाथ और गरीब बच्चों को भोजन और आश्रय प्रदान करता है, साथ ही गरीब लड़कियों की शादी का आयोजन भी करता है। इस ट्रस्ट के अंतर्गत ‘श्री राधा स्नेह बिहारी आश्रम’ संचालित किया जाता है। ट्रस्ट ने वृंदावन में आवारा और परित्यक्त गायों की देखभाल और सुरक्षा के लिए ‘राधा रानी गौशाला’ की भी स्थापना की है। इस प्रकार श्री मृदुल कृष्ण शास्त्री जी समाज सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
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Conclusion:
मृदुल कृष्ण शास्त्री (Mridul Krishna Shastri) जी एक सम्मानित आध्यात्मिक नेता और समाज सेवक हैं जिन्होंने अपना जीवन भागवत का संदेश फैलाने और समुदाय की सेवा करने के लिए समर्पित कर दिया है। मृदुल कृष्ण शास्त्री जी से संबंधित यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया हमारे अन्य सभी आर्टिकल्स को भी एक बार जरूर पढ़िए और अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो उसे कॉमेंट बॉक्स में जाकर जरुर पूछे, हम आपके सभी प्रश्नों का जवाब देने का प्रयास करेंगे। ऐसे ही अन्य लेख को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट janbhakti.in पर रोज़ाना विज़िट करें ।
FAQ’s:
Q. मृदुल कृष्ण शास्त्री जी का जन्म कहाँ हुआ था?
Ans. श्री मृदुल कृष्ण शास्त्री जी का जन्म उत्तर प्रदेश के वृंदावन में हुआ था। वे 15वीं शताब्दी के प्रसिद्ध संगीतज्ञ और आध्यात्मिक कवि स्वामी हरिदास जी महाराज के वंशज हैं। मृदुल कृष्ण शास्त्री जी किस क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं?
Q. मृदुल कृष्ण शास्त्री जी किस क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं?
Ans. आचार्य श्री मृदुल कृष्ण शास्त्री जी भागवत पुराण कथा वाचक और भक्ति भजनों के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं। उन्हें संस्कृत और आध्यात्मिकता का गहन ज्ञान है जो उनकी कथाओं में परिलक्षित होता है।
Q. मृदुल कृष्ण शास्त्री जी ने कितनी उम्र से भागवत कथा का वाचन शुरू किया?
Ans. सोलह वर्ष की आयु में, श्री मृदुल कृष्ण शास्त्री जी को उनके पिता श्री मूल जी बिहारी जी द्वारा हरिद्वार में एक समागम के दौरान “भागवत पुराण” के अगले वक्ता के रूप में नियुक्त किया गया था।
Q. मृदुल कृष्ण शास्त्री जी ने अब तक कितनी भागवत कथाएं की हैं?
Ans. श्री मृदुल कृष्ण शास्त्री (Mridul Krishna Shastri) जी पिछले 36 सालों से “भागवत कथा” (Bhagwat Katha) का पाठ कर रहे हैं। अब तक श्री मृदुल कृष्ण शास्त्री (Mridul Krishna Shastri) जी ने 700 से भी अधिक भागवत कथाएं की हैं।
Q. मृदुल कृष्ण शास्त्री जी ने कौन सा मंदिर का निर्माण किया?
Ans. श्री मृदुल कृष्ण शास्त्री जी ने कृष्ण की भक्ति के लिए अपना जीवन समर्पित करते हुए “राधा स्नेह बिहारी” नामक कृष्ण मंदिर का निर्माण किया।
Q. मृदुल कृष्ण शास्त्री जी द्वारा स्थापित ट्रस्ट का क्या नाम है?
Ans. श्री मृदुल कृष्ण शास्त्री जी ने “श्री भगवत मिशन ट्रस्ट” की स्थापना की।