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भगवान शिव और चन्द्रमा की कथा: ऐसा क्या कारण था कि शिवजी को अपने सिर पर चंद्रमा को करना पड़ा धारण? जानिए इसके पीछे की रहस्यमई कथा

Story of Lord Shiva and Moon
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भगवान शिव और चन्द्रमा की कथा: हिन्दू धर्म (Hindu Religion) में भगवान शिव (Lord Shiva) को देवों के देव महादेव कहा जाता है। वे विष्णु (Lord Vishnu) और ब्रह्मा (Lord Brahma) के साथ हिंदू त्रिमूर्ति का हिस्सा हैं। उनके विभिन्न रूपों में हमेशा उनके मस्तक पर चंद्रमा सुशोभित रहता है। चाहे शिव नटराज हों, भैरव हों या फिर महायोगी, चंद्र उनके जटाजूट में विराजमान दिखाई देता है। इस अद्भुत प्रतीक के पीछे एक रहस्यमयी और प्रेरणादायक कथा छिपी हुई है। यह कथा न केवल भगवान शिव की करुणा और त्याग को दर्शाती है, बल्कि हमें जीवन के गहन सत्य की ओर भी ले जाती है। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों और कैसे चंद्रमा ने शिव के शीश पर अपना स्थान पाया, और इस घटना का क्या महत्व है। यह कथा आपको अवश्य मंत्रमुग्ध कर देगी।

इसीलिए हमारे इस विशेष लेखक को अंत तक अवश्य पढ़िए और जानिए कि आखिर क्यों भगवान शिव (Lord Shiva) ने अपने सिर पर चंद्रमा को धारण किया हुआ है। 

भगवान चंद्रमा कौन हैं? (Who is Lord Moon)

भगवान चंद्रमा (Lord Moon), जिन्हें चंद्रदेव के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिव्यता हैं। वे ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों में से एक माने जाते हैं और उन्हें रत्नों, वनस्पतियों और जल के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। उनका संबंध मानसिक स्वास्थ्य, भावनाओं और भाग्य से रहता है।

चंद्रदेव की उपासना में चांदी, दूध, और चावल का उपयोग होता है। चंद्रमा के दर्शन करने और उनकी उपासना करने से मान्यता है कि व्यक्ति के जीवन में शांति और समृद्धि आती है। चंद्रदेव को चंद्रमा के रूप में दर्शाया जाता है, जो आकाश में अपनी चांदनी से रात को रोशनी देता है। उन्हें यात्रा, खुशी, और कला के देवता के रूप में भी माना जाता है। उनकी उपासना से संबंधित अनेक त्योहार भी मनाए जाते हैं।

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भगवान शिव अपने सिर पर चांद क्यों धारण करते हैं? 

भगवान शिव (Lord Shiva) हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख और लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं। उनकी विशेष पहचान उनके मस्तक पर विराजमान चंद्रमा से है। पुराणों और शास्त्रों के अनुसार, इसके पीछे एक रोचक कथा है।

शिवपुराण (Shiv Puran) के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव ने हलाहल नामक घातक विष का पान किया था, ताकि सृष्टि को उसके प्रभाव से बचाया जा सके। इस विष को अपने कंठ में धारण करने के कारण भगवान शिव नीलकंठ कहलाए। विष पान के बाद महादेव का शरीर तपने लगा और उनका मस्तिष्क अत्यधिक गर्म हो गया। 

यह देख सभी देवता चिंतित हो गए और फिर सभी देवताओं ने भगवान शिव से आग्रह किया कि- “हे भोलेनाथ कृपया आप अपने सिर पर चंद्रमा को धारण कर लें ताकि आपके शरीर की शीतलता संतुलित रहे”। श्वेत चंद्रमा (White Moon) को शीतल माना जाता है जो सृष्टि को शांति प्रदान करता है। देवताओं के आग्रह पर शिवजी ने चंद्रमा को अपने मस्तक पर विराजमान कर लिया। 

एक अन्य कथा के मुताबिक, चंद्रमा की 27 पत्नियाँ (नक्षत्र) थीं जिनमें से रोहिणी उनकी सबसे प्रिय थी। इससे अन्य पत्नियाँ ईर्ष्या करने लगीं और उन्होंने अपने पिता दक्ष प्रजापति से शिकायत की। क्रोधित होकर दक्ष ने चंद्रमा को क्षय रोग का श्राप दे दिया जिससे उसकी कलाएं घटने लगीं। परेशान चंद्रमा ने नारद मुनि की सलाह पर शिवजी की कठोर तपस्या की और उन्हें प्रसन्न किया। प्रसन्न होकर शिवजी ने चंद्रमा को अपने सिर पर स्थान दिया | और उसे श्राप से मुक्त किया। तभी से चंद्रमा शिव के मस्तक पर विराजमान है। 

कामिका अगम के अनुसार, चंद्रमा भगवान शिव के व्यापक ज्ञान का प्रतीक है और दर्शाता है कि उन्हें सब कुछ ज्ञात है। इस प्रकार भगवान शिव द्वारा चंद्रमा धारण करने के पीछे गहन अध्यात्मिक और पौराणिक महत्व छिपा हुआ है। यह उनके करुणामय स्वरूप, बलिदान और ज्ञान का प्रतीक है। इसलिए शिव भक्त उन्हें चंद्रशेखर के नाम से भी पुकारते हैं।

भगवान चंद्रमा की पूजा कैसे की जाती है? (How is Lord Moon Worshipped)

भगवान चंद्रमा (Lord moon) की पूजा अमावस्या के अगले दिन चंद्र दर्शन के रूप में की जाती है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और चंद्र देव की पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस दिन चंद्र पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और खुशियाँ आती हैं। चंद्र देव को भावनात्मक और मानसिक कल्याण के लिए जिम्मेदार माना जाता है, इसलिए इस दिन चंद्र पूजा करने से नकारात्मक भावनाओं को दूर करने और मानसिक शांति को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। इसके अलावा, इस दिन ब्राह्मणों को दान देना और जीवनसाथी को उपहार देना भी बहुत शुभ माना जाता है। 

चंद्र दर्शन पूजा में चंद्र देव और पूर्वजों को प्रार्थना और भोजन अर्पित किया जाता है और एक समृद्ध और संतुष्ट जीवन के लिए उनका आशीर्वाद मांगा जाता है। 

भगवान चंद्रमा की पूजा का महत्व क्या है? (What is the importance of worshiping Lord Moon)

चंद्र देव (Moon), हिंदू धर्म (Hindu Religion) में एक महत्वपूर्ण देवता, जिन्हें चांद का प्रतीक माना जाता है। उनकी पूजा करने से कई सारे लाभ होते हैं, जिसमें दुःखों से राहत, माता-पिता के साथ अच्छे संबंध और बुरी आत्माओं से सुरक्षा शामिल हैं।

चंद्र देव की पूजा के दौरान ‘चंद्र चालीसा’ का पाठ किया जाता है, जो एक 40 पंक्तियों का भजन है। इसके द्वारा चंद्र देव के गुणों, उनकी तीन लोकों और तीन समयों में भूमिका, और उनकी बुरी आत्माओं से सुरक्षा प्रदान करने की क्षमता का वर्णन किया जाता है। चंद्र देव (Lord moon) की पूजा का महत्व उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली अनेकानेक आशीर्वादों और लाभों में निहित है |

Conclusion:

भगवान चंद्रमा (Lord Moon) सदियों से मानव सभ्यता के लिए प्रेरणा और रहस्य का स्रोत रहे हैं। ज्योतिष, धर्म और विज्ञान में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है, और वे हमारे जीवन को कई तरह से प्रभावित करते हैं। अगर आपको हमारा यह विशेष लेख पसंद आया हो तो कृपया ऐसे अपने प्रिय जनों के साथ अवश्य साझा करें, साथ ही हमारे अन्य सभी आर्टिकल्स को भी एक बार जरूर पढ़ें और अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो उसे कॉमेंट बॉक्स में जाकर जरुर पूछे, हम आपके सभी प्रश्नों का जवाब देने का प्रयास करेंगे। ऐसे ही अन्य लेख को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट janbhakti.in पर रोज़ाना विज़िट करें।

FAQ’s:

Q. चंद्र दर्शन क्या है?

Ans. चंद्र दर्शन हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि चंद्रमा को देवता माना जाता है। चंद्र दर्शन का अर्थ होता है अमावस्या (नया चंद्रमा) के बाद चंद्रमा का निरीक्षण

Q. चंद्रमा का क्या रंग है?

Ans. चंद्रमा का रंग वास्तव में सफेद नहीं है, बल्कि हल्का भूरा होता है। यह धूल, चट्टानों और धातुओं से बनी इसकी सतह से परावर्तित होने वाली सूर्य के प्रकाश के कारण होता है।

Q. चंद्र दर्शन का धार्मिक महत्व क्या है?

Ans. चंद्र दर्शन का धार्मिक महत्व बहुत अधिक होता है। इस दिन व्रत रखा जाता है और चंद्रमा को देखकर ही व्रत तोड़ा जाता है। इस दिन चंद्र देव की पूजा करने से घर में समृद्धि और खुशियां आती है

Q. चंद्रमा पृथ्वी से कितनी दूर है?

Ans. चंद्रमा पृथ्वी से औसतन 384,400 किलोमीटर दूर है। यह दूरी थोड़ी कम या ज्यादा हो सकती है क्योंकि चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर एक अंडाकार पथ में परिक्रमा करता है।

Q. क्या चंद्रमा का अपना कोई वायुमंडल है?

Ans. नहीं, चंद्रमा का कोई महत्वपूर्ण वायुमंडल नहीं है। इसका वातावरण बहुत पतला है, जिसमें पृथ्वी के वायुमंडल की तुलना में गैसों की मात्रा बहुत कम होती है।

Q. क्या चंद्रमा पर पानी है?

Ans. हाँ, चंद्रमा पर पानी है, लेकिन यह तरल रूप में नहीं है। यह बर्फ के रूप में चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों में पाया जाता है, और संभवतः चंद्रमा की सतह के नीचे भी मौजूद हो सकता है।