Home General Neelkanth Mahadev Temple : भगवान शिव को समर्पित राजस्थान का नीलकंठ महादेव...

Neelkanth Mahadev Temple : भगवान शिव को समर्पित राजस्थान का नीलकंठ महादेव मंदिर है बेहद खास, जानिए मंदिर का रहस्यमई इतिहास

Neelkanth Mahadev Temple
Join Telegram Channel Join Now

Neelkanth Mahadev Temple: राजस्थान (Rajasthan) के अलवर जिले में स्थित, नीलकंठ महादेव मंदिर, कला, संस्कृति और आध्यात्मिकता का एक अद्भुत संगम है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और अपनी भव्यता और पौराणिक महत्व के लिए जाना जाता है। 

मंदिर के स्थापत्य कला में नागर और गुर्जर शैली का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है। मंदिर के चारों ओर खूबसूरत नक्काशीदार स्तंभ, मूर्तियां और कलाकृतियां इसे एक अद्वितीय कलाकृति बनाती हैं। कहा जाता है कि यहीं पर भगवान शिव (Lord Shiva) ने समुद्र मंथन के दौरान निकले हुए विष को ग्रहण किया था। नीलकंठ महादेव मंदिर  (Neelkanth Mahadev Temple) केवल एक ऐतिहासिक स्मारक नहीं, बल्कि आस्था का भी प्रमुख केंद्र है। दूर-दराज से भक्त भगवान शिव के दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यहां आते हैं। मंदिर में हर साल महाशिवरात्रि, सावन और अन्य त्योहारों पर विशेष आयोजन किए जाते हैं।

आज के इस विशेष लेख के जरिए हम आपको इसी नीलकंठ महादेव मंदिर (Neelkanth Mahadev Temple) से संबंधित विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे, हम आपको बताएंगे कि नीलकंठ मंदिर कहां है?,  नीलकंठ मंदिर का महत्व क्या है?,  नीलकंठ महादेव मंदिर की वास्तुकला कैसी है? नीलकंठ महादेव मंदिर में दर्शन का समय क्या है? इत्यादि इसीलिए हमारे इस लेख को अंत तक जरूर पढ़िए।

नीलकंठ मंदिर कहां है? (Where is Neelkanth Temple)

अलवर (Alwar) का नीलकंठ महादेव मंदिर  (Neelkanth Mahadev Temple), राजस्थान (Rajasthan) में स्थित एक भव्य और प्राचीन हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और नीलकंठ नाम से प्रसिद्ध हैं। मंदिर राजस्थान (Rajasthan) के अलवर जिले में, अरावली पहाड़ियों की तलहटी में, नीलकंठ पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर का निर्माण शिल्पकला का अद्भुत नमूना है। मंदिर में कई मूर्तियां और शिलालेख हैं जो 8वीं शताब्दी के भारतीय कला और संस्कृति की झलक देते हैं। मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव का स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है।

यह मंदिर न केवल अपनी भव्यता और प्राचीनता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि धार्मिक महत्व के लिए भी जाना जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव ने यहां विषपान किया था, जिसके कारण उनका गला नीला हो गया था। इसी कारण उन्हें नीलकंठ नाम से जाना जाता है। यह मंदिर भारतीय संस्कृति और धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह कला और स्थापत्य का अद्भुत नमूना है।

Also Read :- मात्र एक रुपए की जमीन पर बना है जयपुर का बिड़ला  मंदिर

नीलकंठ मंदिर का इतिहास (History of Neelkanth Temple)

अलवर में नीलकंठ मंदिर  (Neelkanth Mahadev Temple) का इतिहास कई शताब्दियों पुराना है, और इसकी उत्पत्ति हिंदू धर्म की समृद्ध पौराणिक कथाओं और धार्मिक मान्यताओं से जुड़ी हुई है। 

नीलकंठ मंदिर  (Neelkanth Mahadev Temple) भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित है, जो हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के नाम से जाने जाने वाले महान मंथन के दौरान, देवता और राक्षस , दोनों ने अमरता का अमृत प्राप्त करने की कोशिश की थी। जैसे ही मंथन आगे बढ़ा तभी  , समुद्र से ‘हलाहल’ नामक घातक जहर निकला। जहर इतना शक्तिशाली था कि इससे पूरे ब्रह्मांड को नष्ट होने का खतरा था।

ब्रह्मांड को जहर के विनाशकारी प्रभाव से बचाने के लिए, भगवान शिव (Lord Shiva) ने अपनी करुणा और कर्तव्य की भावना से इसे पीने का फैसला किया। जैसे ही उन्होंने जहर निगला, इससे उनका गला नीला हो गया, जिससे उन्हें नीलकंठ का नाम मिला, जिसका संस्कृत में अर्थ है “नीले गले वाला”। ऐसा माना जाता है कि नीलकंठ मंदिर (Neelkanth Temple) वही स्थान है जहां यह दिव्य घटना घटी थी, जो इसे अत्यधिक महत्व के पवित्र स्थल के रूप में चिह्नित करता है।

नीलकंठ मंदिर की वास्तुकला , (Architecture of Neelkanth Temple)

नीलकंठ मंदिर (Neelkanth Temple) की अधिकांश संरचना विभिन्न बाहरी कारकों के कारण जीर्ण-शीर्ण हो गई है, फिर भी इसकी कला और वास्तुकला आपको बीते युग के उन कुशल भारतीयों की शिल्प कौशल से आश्चर्यचकित कर देगी। भगवान शिव (Lord Shiva) के प्रति लोगों की अत्यधिक भक्ति के कारण इसे हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है।

आप देख सकते हैं कि मंदिर की दीवार पर कई मूर्तियां उकेरी गई हैं जो आपको याद दिलाएंगी जैसे कि आप किसी अन्य खजुराहो मंदिर को देख रहे हैं (जो छतरपुर, मध्य प्रदेश में स्थित है और भारत के विश्व यूनेस्को स्थलों में से एक है) और ऐसा इसलिए है क्योंकि कई मूर्तियां समान का अनुसरण करती हैंकला की कामुक शैली जो खजुराहो मंदिर में देखी जा सकती है। मंदिर परिसर में, आप एक “रंगमंडप” (एक प्रकार का मंडप जो ज्यादातर हिंदू मंदिरों में देखा जाता है) पा सकते हैं जिसमें तीन पंचरथ (हिंदू धर्म के महाकाव्य महाभारत (Mahabharata) की पुस्तक में वर्णित पांच पांडवों के पांच रथ) हैं जिनमें तीन देवता हैं। इसके अंदर। लेकिन अब स्पष्ट विनाश के तीन बकाया में से केवल एक ही बचा है। इसमें “शिव लिंग” है जहां भक्त पूजा करते हैं और भगवान शिव (Lord Shiva) की आराधना करते हैं। इसे उत्तर, पूर्व और दक्षिण में तीन अलग-अलग मूर्तियों से सजाया गया है।

यदि आप अलवर में हैं, तो उन सभी लोकप्रिय स्थानों की यात्रा के साथ-साथ नीलकंठ मंदिर को भी अपनी सूची में रखना न भूलें

Also Read :-भगवान शिव बरसाएंगे अपनी कृपा

नीलकंठ महादेव मंदिर का महत्व , (Importance of Neelkanth Mahadev Temple)

अलवर (Alwar) शहर में स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर, भगवान शिव के नीलकंठ अवतार को समर्पित एक ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थल है। यह मंदिर अनेक कारणों से महत्वपूर्ण है, जिनमें शामिल हैं:

धार्मिक महत्व:

  • भगवान शिव का नीलकंठ अवतार: यह मंदिर भगवान शिव के नीलकंठ अवतार को समर्पित है, जो समुद्र मंथन के दौरान विषपान करने के बाद उनके गले का रंग नीला हो जाने के कारण जाना जाता है।
  • पांडवों द्वारा स्थापित: मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना पांडवों द्वारा महाभारत युद्ध के बाद की गई थी।
  • शिवलिंग: मंदिर में स्थापित शिवलिंग प्राकृतिक रूप से निर्मित है और इसे स्वयंभू शिवलिंग माना जाता है।
  • मोक्ष प्राप्ति: मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

ऐतिहासिक महत्व:

  • प्राचीनता: यह मंदिर 8वीं शताब्दी का माना जाता है और इसका निर्माण राजा मथानदेव द्वारा करवाया गया था।
  • वास्तुकला: मंदिर की वास्तुकला गुप्तकालीन एवं नागर शैली का मिश्रण है, जो इसे ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाता है।
  • मुगल आक्रमणों का साक्षी: इस मंदिर पर मुगल आक्रमणों का भी प्रभाव देखने को मिलता है, जो इसे ऐतिहासिक दृष्टि से और भी महत्वपूर्ण बनाता है।

नीलकंठ मंदिर कैसे पहुंचे? (How to Reach Neelkanth Temple)

हवाई मार्ग द्वारा: 

  • अलवर (Alwar) का निकटतम हवाई अड्डा जयपुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो लगभग 145 किलोमीटर दूर है। हवाई अड्डे से, आप अलवर के लिए टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या पहले से बुक की गई कैब ले सकते हैं। अलवर में एक बार आप नीलकंठ मंदिर की ओर बढ़ सकते हैं।

ट्रेन द्वारा: 

  • अलवर (Alwar) का अपना रेलवे स्टेशन है, जो भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप अपने स्थान से अलवर तक चलने वाली ट्रेनों की जांच कर सकते हैं और उसके अनुसार अपने टिकट बुक कर सकते हैं। अलवर रेलवे स्टेशन पहुंचने पर, आप टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या नीलकंठ मंदिर के लिए स्थानीय बस ले सकते हैं।

सड़क मार्ग से: 

  • अलवर (Alwar) सड़क नेटवर्क से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है, जिससे यहां बस या निजी वाहनों द्वारा पहुंचा जा सकता है। यदि आपके पास अपना वाहन है तो आप आसपास के शहरों से बस ले सकते हैं या अलवर तक ड्राइव कर सकते हैं। अलवर शहर से, आप टैक्सी किराए पर लेकर या स्थानीय बस लेकर नीलकंठ मंदिर तक पहुँच सकते हैं।

नीलकंठ महादेव मंदिर में दर्शन का समय (Darshan timings in Neelkanth Mahadev Temple)

नीलकंठ महादेव मंदिर प्रतिदिन सुबह 6:00 से रात 9:00 तक दर्शन अभिलाषियों के लिए खुला रहता है इस समय में आप भगवान नीलकंठ के स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन कर सकते हैं। आपको बता दें कि नीलकंठ महादेव मंदिर दर्शन के लिए सुबह और शाम का समय सबसे अच्छा होता है। मंदिर में दर्शन के लिए लाइन में लगना पड़ सकता है। मंदिर परिसर में कैमरा, भोजन, पेय पदार्थ और मोबाइल फोन का उपयोग करने की अनुमति नहीं है।

Conclusion:-

नीलकंठ महादेव मंदिर, अलवर के पर्यटन स्थलों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह मंदिर कला, इतिहास, प्रकृति और भक्ति प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र है मंदिर के आसपास का वातावरण शांत और मनमोहक है, जो इसे ध्यान और आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए आदर्श बनाता है। अगर आपको हमारा यह विशेष लेख पसंद आया हो तो इसे अपने मित्र गणों के साथ अवश्य साझा करें साथ ही हमारे अन्य आर्टिकल को भी जरूर पढ़ें और अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो उसे कॉमेंट बॉक्स में जाकर जरुर पूछे, हम आपके सभी प्रश्नों का जवाब देने का प्रयास करेंगे। ऐसे ही अन्य लेख को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट janbhakti.in पर रोज़ाना विज़िट करें ।

FAQ’S 

Q. नीलकंठ महादेव मंदिर कहाँ स्थित है?

Ans. यह मंदिर राजस्थान के अलवर जिले में अरावली पर्वत श्रृंखला की तलहटी में स्थित है।

Q. मंदिर का मुख्य आकर्षण क्या है?

Ans. मंदिर का मुख्य आकर्षण भगवान शिव का शिवलिंग है, जिसे नीलकंठ महादेव के नाम से जाना जाता है।

Q. मंदिर में कौन-से त्योहार मनाए जाते हैं?

Ans. मंदिर में महाशिवरात्रि, सावन का महीना, और अन्य हिंदू त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं।

Q. मंदिर में प्रवेश का शुल्क क्या है?

Ans. मंदिर में प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं है।

Q. मंदिर के दर्शन का समय क्या है?

Ans. मंदिर सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक का है इस समय सारणी में आप भगवान नीलकंठ के दर्शन कर सकते हैं।

Q. मंदिर के आसपास क्या देखने लायक है?

Ans. मंदिर के आसपास अनेक दर्शनीय स्थल हैं, जैसे कि अलवर किला, सिटी पैलेस, और मूसी महल।