Angaraki Chaturthi Puja vidhi: अंगारकी चतुर्थी (Angarki Chaturthi) – एक ऐसा दिन जो भगवान गणेश की कृपा और आशीर्वाद से भरपूर है। यह व्रत हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।
जब यह चतुर्थी मंगलवार (Tuesday) के दिन पड़ती है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन को अंगारकी चतुर्थी या मंगल चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। अंगारकी चतुर्थी का व्रत करने से न सिर्फ भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और समृद्धि भी मिलती है। यह व्रत ऋण मुक्ति और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भी बहुत फलदायी माना जाता है। इस व्रत की पौराणिक कथाएं और महत्व आपको अवश्य जानना चाहिए। तो चलिए, इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि अंगारकी चतुर्थी का व्रत क्यों और कैसे किया जाता है। हम इस व्रत की पूजा विधि, नियम, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में भी चर्चा करेंगे। साथ ही, हम कुछ ऐसी सावधानियों के बारे में भी बात करेंगे जिन्हें पूजा के दौरान ध्यान में रखना चाहिए।
तो तैयार हो जाइए, क्योंकि यह लेख आपको अंगारकी चतुर्थी (Angarki Chaturthi) व्रत के बारे में एक नई अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा और आपको इस पवित्र दिन का सही महत्व समझने में मदद करेगा….
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अंगारकी चतुर्थी व्रत पूजा विधि (Angaraki Chaturthi Puja Vidhi)
अंगारकी चतुर्थी (Angarki Chaturthi) व्रत की पूजा विधि निम्न प्रकार है:
- तैयारी: व्रती को सुबह जल्दी उठना चाहिए, स्नान करना चाहिए और पूजा शुरू करने से पहले स्वच्छ कपड़े पहनना चाहिए।
- कलश स्थापना: एक तांबे या पीतल का घड़ा जल से भरना होता है और उसके ऊपर एक नारियल रखा जाता है। इसे मंगो की पत्तियों और लाल कपड़े से सजाया जाता है। इसे कलश कहते हैं।
- गणेश पूजा: एक मूर्ति या भगवान गणेश की चित्र एक स्वच्छ कपड़े या एक लकड़ी के मंच पर रखी जाती है। मूर्ति को फिर फूलों, चंदन की पेस्ट, और अन्य पूजा सामग्री से सजाया जाता है। गणेश मंत्र, “ॐ गं गणपते नमः,” का जप करते हुए पूजा की जाती है।
- भेंट: फल, मिठाई, मोदक, नारियल, और अन्य भेंटें भगवान गणेश की मूर्ति के सामने रखी जाती हैं। व्रती इत्र और तेल के दीपक भी जलाते हैं।
- मंत्रों का जाप: व्रती गणेश मंत्र, “ॐ गं गणपते नमः,” का जाप 108 बार या संभवतः जितनी बार संभव हो सके, करते हैं।
- आरती: आरती तेल के दीपक को भगवान गणेश की मूर्ति के चारों ओर घुमाकर की जाती है। इसके बाद, व्रतियों के बीच प्रसाद (भेंटें) का वितरण किया जाता है।
- निष्कर्ष: पूजा व्रतियों द्वारा भगवान गणेश की आशीर्वाद और सुरक्षा की कामना के साथ समाप्त होती है।
क्या है अंगारकी चतुर्थी व्रत (Kya Hai Angaraki Chaturthi)
अंगारकी चतुर्थी (Angarki Chaturthi) का व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है जो वर्ष में केवल छह बार आता है, जब संकष्टी चतुर्थी मंगलवार को पड़ती है। इस दिन भगवान गणेश (Lord Ganesh) और मां दुर्गा की पूजा की जाती है। भक्तगण सूर्योदय से चंद्रोदय तक उपवास रखते हैं और श्रद्धा एवं भक्ति से गणेश पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी बाधाएं और कष्ट दूर होते हैं तथा सुख, समृद्धि और खुशहाली मिलती है।
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कैसे करें अंगारकी चतुर्थी व्रत पूजा (Kaise kare Angaraki Chaturthi Puja
सबसे पहले प्रातः काल स्नान आदि नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर पूजास्थल पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें। गणेश जी और माता दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर रखें। धूप-दीप जलाकर दूध से गणेश जी का अभिषेक करें। सिंदूर और घी मिलाकर चोला चढ़ाएं। चांदी का वर्क, जनेऊ अर्पित करें। “गजाननं भूतगणादि सेवितं…” मंत्र का जाप करें। रोली, चावल से तिलक करके गंध-पुष्प चढ़ाएं। लड्डू, फल, पान-सुपारी का भोग लगाएं। गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ और आरती करें। दिन में फलाहार करें। संध्या को पुनः पूजन करके अंगारकी चतुर्थी की कथा सुनें। रात्रि में चंद्र दर्शन के बाद ही भोजन ग्रहण करें।
अंगारकी चतुर्थी व्रत पूजा मुहूर्त (Angarki Chaturthi Puja Muhurat
25 जून 2024 को मनाए जाने वाली अंगारकी चतुर्थी (Angarki Chaturthi) का शुभ मुहूर्त सुबह 1:23 से रात्रि 11:11 तक रहेगा, इस अवधि के बीच आप अंगार के चतुर्थी के व्रत का पालन पूजा इत्यादि सभी अनुष्ठान कर सकते हैं।
अंगारकी चतुर्थी व्रत पूजन विधि (Angarki Chaturthi Pujan Vidhi
- प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और गंगाजल से गणेश जी की मूर्ति को स्वच्छ करें। पूजा के लिए धूप, कपूर, फूल, चावल, फल, हल्दी, प्रसाद आदि एकत्रित करें।
- गणेश जी (Lord Ganesh) की स्थापना के बाद घी का दीपक जलाएं, पूजा का संकल्प लें, गणेश जी का ध्यान करके उन्हें आमंत्रित करें। जल, पंचामृत और शुद्ध जल से गणेश जी का अभिषेक करें। गणेश मंत्र, चालीसा और स्तोत्र का पाठ करें।
- गणेश जी को नए वस्त्र या एक धागा पहनाएं। सिंदूर, चंदन, फूल और फूलों की माला अर्पित करें। गणेश जी को सुगंधित धूप दिखाएं। एक और दीपक जलाकर गणेश जी की मूर्ति को दिखाएं।
- हाथ धोकर मोदक, मिठाई, गुड़ और फल सहित नैवेद्य अर्पित करें। कपूर और घी के दीपक से गणेश जी की आरती करें। गणेश जी के चरणों में फूल अर्पित करें। गणेश जी की मूर्ति का परिक्रमा (प्रदक्षिणा) करें।
- पूजा पूरी करने के बाद जरूरतमंद लोगों के साथ भोजन और संसाधन साझा करें, गायों को भोजन कराएं और गौशालाओं में दान दें। शाम को चंद्रमा पूजा और दर्शन करने के बाद व्रत तोड़ें।
अंगारकी चतुर्थी (Angarki Chaturthi) व्रत को भक्ति और ईमानदारी से करने से अपार आशीर्वाद और सभी इच्छाओं की पूर्ति हो सकती है। यह भी कहा जाता है कि मंगलवार को यह व्रत करने से एक वर्ष तक हर महीने चतुर्थी व्रत करने के समान लाभ मिलते हैं।
अंगारकी चतुर्थी व्रत मुहूर्त (Angaraki Chaturthi Muhurat)
सूर्योदय | 25 जून, 5:47 पूर्वाह्न |
सूर्यास्त | 25 जून, शाम 7:12 बजे |
चतुर्थी तिथि का समय | 25 जून, 01:23 पूर्वाह्न – 11:11 अपराह्न |
अंगारकी चतुर्थी व्रत पूजन सामग्री (Angarki Chaturthi Pujan Samagri list)
S.NO | प्रश्न |
1 | श्री गणेश जी की मूर्ति या चित्र |
2 | पूजा के लिए साफ़ वस्त्र |
3 | शुद्ध और ताज़े फूल |
4 | पवित्र जल |
5 | धूप |
6 | दीपक |
7 | नैवेद्य (प्रसाद) |
8 | पान का पत्ता |
9 | जनेऊ |
10 | चंदन |
11 | धूपदान |
12 | आसन |
13 | पाद्य पात्र |
14 | अर्घ्य पात्र |
15 | आचमन पात्र (जल पीने के लिए |
16 | स्नान पात्र |
17 | वस्त्र |
18 | सुगंधित सामग्री |
19 | पुष्प |
20 | नैवेद्य पात्र |
21 | पान का पत्ता रखने का पात्र |
22 | पान का पत्ता रखने का पात्र |
Conclusion:-
अंगारकी चतुर्थी (Angarki Chaturthi) व्रत भगवान गणेश (Lord Ganesh) की विशेष कृपा प्राप्त करने का माध्यम माना जाता है। इस दिन भगवान गणेश (Lord Ganesh) की पूजा करने से विघ्नों का नाश होता है, कुशाग्र बुद्धि प्राप्त होती है और ग्रहों के दोष दूर होते हैं। अंगारकी चतुर्थी के पावन त्यौहार से संबंधित यह बेहद विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो ऐसे ही और भी व्रत एवं प्रमुख हिंदू त्योहार से संबंधित विशेष लेख हमारी वेबसाइट पर आकर जरूर पढ़ें और हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर भी रोजाना विजिट करें।
FAQ’s
Q. अंगारकी चतुर्थी क्या है?
Ans. अंगारकी चतुर्थी हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है जब वह मंगलवार के दिन पड़ती है। यह भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है जो संकटों से मुक्ति और कल्याण प्रदान करता है।
Q. अंगारकी चतुर्थी का महत्व क्या है?
Ans. अंगारकी चतुर्थी का व्रत करने से मानसिक स्पष्टता, बुद्धि और समृद्धि मिलती है। यह बाधाओं को दूर करने और सौभाग्य लाने के लिए भगवान गणेश की आराधना का दिन माना जाता है।
Q. अंगारकी चतुर्थी 2024 में कब है?
Ans. वर्ष 2024 में अंगारकी चतुर्थी 25 जून, मंगलवार को मनाई जाएगी।
Q. अंगारकी चतुर्थी व्रत कैसे करें?
Ans. इस व्रत में उपवास, भगवान गणेश की पूजा और विशिष्ट मंत्रों व प्रार्थनाओं का पाठ शामिल है। चंद्रमा के दर्शन और चंद्र देव को प्रार्थना अर्पित करने के बाद व्रत का पारण किया जाता है।
Q. अंगारकी चतुर्थी पूजा विधि क्या है?
Ans. पूजा क्षेत्र की सफाई करें, भगवान गणेश की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें, फूल, फल और मिठाई अर्पित करें तथा विशिष्ट मंत्र और प्रार्थनाएं पढ़ें। पूजा आमतौर पर सूर्यास्त के बाद शाम को की जाती है।
Q. अंगारकी चतुर्थी की लोकप्रिय मान्यताएं क्या हैं?
Ans. ऐसा माना जाता है कि भक्ति और विश्वास के साथ व्रत का पालन और पूजा करने से मानसिक स्पष्टता, बुद्धि और समृद्धि मिलती है। यह बाधाओं को दूर करने और सौभाग्य लाने में भी मददगार होता है।