सावन 2024 (Sawan 2024 Date): श्रावण का महीना हिंदू पंचांग का पांचवां महीना होता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के जुलाई-अगस्त के महीनों के साथ मेल खाता है। यह वर्षा ऋतु का प्रतीक माना जाता है, जब प्रकृति अपने हरे-भरे, मनमोहक रूप में नज़र आती है। परंतु श्रावण मास की महत्ता केवल प्राकृतिक सौंदर्य तक ही सीमित नहीं है।
यह महीना हिंदू धर्म में विशेष आस्था और महत्व रखता है। भगवान शिव (Lord Shiva) की आराधना के लिए समर्पित इस पवित्र माह में कई व्रत, त्योहार और पर्व मनाए जाते हैं। श्रावण मास की शुरुआत सावन सोमवार व्रत से होती है, जो इस माह के सभी सोमवारों को रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा-अर्चना करने और व्रत रखने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके अलावा इस माह में कई अन्य महत्वपूर्ण पर्व भी आते हैं, जैसे हरियाली तीज, नागपंचमी, रक्षाबंधन और जन्माष्टमी। भगवान शिव की पूजा और ध्यान के माध्यम से हम अपने मन को शांत करते हैं, अपने कर्मों पर मनन करते हैं और जीवन के गहन अर्थ को समझने का प्रयास करते हैं।
आइए, श्रावण मास की इस अद्भुत यात्रा पर एक साथ चलते हैं। आगे के लेख में हम श्रावण मास से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे। तो पढ़ते रहिए…
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Table Of Content :- sawan Date 2024
S.NO | प्रश्न |
1 | सावन 2024 प्रारंभ तिथि |
2 | सावन 2024 समाप्ति तिथि |
3 | क्या है श्रावण मास |
4 | क्यों मनाया जाता है सावन |
5 | श्रावण मास का महत्व |
6 | श्रावण मास व्रत कथा |
7 | श्रावण मास के पीछे वैज्ञानिक कारण |
सावन 2024 प्रारंभ तिथि (Sawan Date 2024)
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सावन 2024 (Sawan) की शुरुआत 22 जुलाई को होगी और यह 29 दिनों तक चलेगा, जो 19 अगस्त को समाप्त होगा। इस वर्ष सावन में 5 सोमवार पड़ेंगे – 22 और 29 जुलाई, 5, 12 और 19 अगस्त। मंगला गौरी व्रत 23, 30 जुलाई और 6, 13 अगस्त को पड़ेंगे। श्रावण अमावस्या 28 जुलाई और रक्षाबंधन 19 अगस्त को मनाया जाएगा। सावन भगवान शिव को समर्पित एक पवित्र महीना है, जिसमें भक्त उपवास रखते हैं और मंदिरों में पूजा करते हैं। यह मानसून का समय भी है, जो प्रकृति के पुनरुत्थान और उर्वरता का प्रतीक है।
सावन 2024 समाप्ति तिथि (Sawan 2024 End Date)
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सावन (Sawan) का पवित्र महीना इस वर्ष 22 जुलाई 2024 को सोमवार से प्रारंभ होगा और 19 अगस्त 2024 को सोमवार को समाप्त होगा। इस दौरान कुल 29 दिन और 5 सोमवार होंगे। भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित यह महीना उनके भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है और शिव आराधना की जाती है। सावन में व्रत, पूजा और आध्यात्मिक साधना का विशेष महत्व बताया गया है।
क्या है श्रावण मास ? (What is Shravan Month)
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श्रावण मास (Sawan) में विशेष तौर पर सोमवार (Monday) को जल चढ़ाकर या व्रत रखकर भोलेनाथ की पूजा की जाती है। इसके अलावा, यह मास विभिन्न त्यौहारों, व्रतों और महत्वपूर्ण तिथियों के लिए भी जाना जाता है, जिसमें कांवड़ यात्रा, कालाष्टमी, कामिका एकादशी, हरियाली तीज, नाग पंचमी, दुर्गाष्टमी व्रत, वर्ल्ड फोटोग्राफी दिवस, रक्षा बंधन, और नराली पूर्णिमा शामिल हैं। श्रावण मास में विभिन्न राशियों के लिए विशेष अनुष्ठान और विधान भी होते हैं।
क्यों मनाया जाता है सावन (Sawan Kyu Manaya Jata Hai)
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सावन (Sawan) हिंदू कैलेंडर का एक पवित्र महीना है जिसे भगवान शिव (Lord Shiva) की आराधना के लिए मनाया जाता है। सावन के महीने को मनाने के दो प्रमुख कारण हैं:
- सावन में भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है: हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव (Lord Shiva) अन्य महीनों में कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं, लेकिन सावन के महीने में वे धरती पर अवतरित होते हैं। इसलिए भक्त इस महीने भगवान शिव (Lord Shiva) की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। सावन में शिवलिंग पर जल, दूध, भांग और धतूरा चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। इस महीने तांत्रिक भोजन का सेवन वर्जित होता है और सात्विक भोजन का महत्व बढ़ जाता है।
- सावन में सूर्य उपासना का विशेष महत्व है: सावन के महीने में सूर्य उपासना का भी विशेष महत्व माना गया है। प्रतिदिन सूर्य देव को जल का अर्घ्य देने और मंत्र जाप करने से आत्मविश्वास बढ़ता है और नकारात्मकता दूर होकर सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। सावन के हर रविवार को पूरे मन से सूर्य उपासना करना बेहद शुभ और कल्याणकारी माना जाता है। सूर्य को लाल चंदन, कनेर के पुष्प और गुड़ का भोग लगाकर मंत्र जाप करने से जीवन में चारों तरफ यश, सिद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है।
श्रावण मास का महत्व (Shravan Month Importance)
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श्रावण मास (Sawan), जिसे सावन मास भी कहा जाता है, हिन्दू कैलेंडर का एक पवित्र महीना है जिसमें भगवान शिव की उपासना की जाती है। इस महीने को भगवान शिव के भक्तों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। यह माना जाता है कि इस महीने में उनकी उपासना से भक्तों की इच्छाएं पूरी होती हैं। विशेष रूप से, इस महीने के दौरान विशेष अनुष्ठान जैसे कि रुद्राभिषेक, जप आदि का पालन करने से भौतिक समृद्धि और आध्यात्मिक विकास की प्राप्ति होती है। अलग-अलग राशियों के लिए विशेष अनुष्ठान की सिफारिशें भी होती हैं।
श्रावण मास व्रत कथा (Shravan Month Vrat Katha)
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पौराणिक कथा में सजीव रूप से वर्णित सावन मास का वह विशेष समय आता है, जब समुद्र मंथन की अद्भुत घटना घटित हुई थी। देवता और दानवों के सहयोग से इस मंथन से अनेक रत्न और अमृत की प्राप्ति हुई, लेकिन उनके साथ ही निकला महाविनाशक हलाहल विष।
इस विष की भयावहता ने पूरे संसार में कोहराम मचा दिया। यह विष इतना प्रचंड था कि उसके प्रभाव से सृष्टि का नाश निश्चित था। इस गंभीर संकट का समाधान ढूंढने के लिए सभी देवी-देवता भगवान शिव की शरण में पहुंचे। भगवान शिव ने अपने अपार धैर्य और त्याग का परिचय देते हुए संसार की रक्षा का बीड़ा उठाया और उस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया। विष की तीव्रता ने उनके कंठ को नीला कर दिया, जिससे वे ‘नीलकंठ’ कहलाने लगे। विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने भगवान शिव को जल अर्पित करना शुरू किया, जिससे उन्हें राहत मिली। यह कृतज्ञता और सेवा का भाव उन्हें प्रसन्न कर गया। तब से हर साल सावन मास में भगवान शिव को जल अर्पित करने और उनका जलाभिषेक करने की परंपरा का प्रारंभ हुआ। इस अनुष्ठान में भक्ति और श्रद्धा की अद्भुत झलक मिलती है, जो हमें भगवान शिव के त्याग और परोपकार की याद दिलाती है। सावन का यह मास उनकी महिमा और कृपा का प्रतीक बन गया है।
श्रावण मास के पीछे वैज्ञानिक कारण (Scientific Reason Behind Shravan Month)
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श्रावण मास, हिन्दू पंचांग का पांचवा महीना, जो आमतौर पर जुलाई-अगस्त में आता है, अपनी वैज्ञानिक प्रकृति के कारण उत्साह का स्रोत है। यह मौसम वर्षा का है, जब पृथ्वी और नदियां नई जीवन और ऊर्जा से पुनः संवर्धित होती हैं। श्रावण मास के दौरान, भक्तगण पावन नदियों का प्रतीक जल चढ़ाकर भगवान शिव की उपासना करते हैं, जिससे उन्हें उनके आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। वैज्ञानिक दृष्टि से, यह तत्व जीवन के पुनर्नवीकरण और पृथ्वी के स्वास्थ्यपूर्वक वृद्धि का प्रतीक है। इसलिए, श्रावण मास का महत्व न केवल धार्मिक परंपराओं और अनुष्ठानों में ही सीमित नहीं होता, बल्कि वह वैज्ञानिक और पर्यावरणीय संदर्भ में भी महत्वपूर्ण होता है।वहीं आयुर्वेद कि माने तो सावन या श्रावण का महीना ऐसा समय माना जाता है जब हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता अपने सबसे निचले स्तर पर पहुँच जाती है। इस अवधि के दौरान मांसाहारी, मसालेदार या तैलीय खाद्य पदार्थों का सेवन करने से प्रतिरक्षा प्रणाली और पाचन तंत्र दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि वे भारी और पचाने में कठिन होते हैं। आयुर्वेद इस समय शरीर को सहारा देने के लिए सूप जैसे हल्के और आसानी से पचने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने की सलाह देता है। इसका लक्ष्य संतुलित आहार बनाए रखना है जो अच्छे पाचन को बढ़ावा देता है और समग्र स्वास्थ्य का समर्थन करता है।
Conclusion:- sawan Date 2024
श्रावण मास (Sawan) के पवित्र महीने में भगवान शिव (Lord Shiva) की भक्ति और आराधना करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। इस माह में शिव पूजा, व्रत और दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। श्रावण मास के पावन माह से संबंधित यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया हमारे और भी धार्मिक लेख को जरूर पढ़िए! हमारे अन्य लेख भी आपको काफी पसंद आएंगे और हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर भी रोजाना विजिट करिए।
FAQ’s: sawan Date 2024
Q. श्रावण मास का महत्व क्या है?
Ans. श्रावण मास को भगवान शिव का प्रिय माह माना जाता है। इस महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा और व्रत का विधान है। शिव पुराण के अनुसार जो भी व्यक्ति इस माह में सोमवार का व्रत करता है, भगवान शिव उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
Q. श्रावण मास में कौन से व्रत रखे जाते हैं?
Ans. श्रावण मास में मुख्य रूप से तीन प्रकार के व्रत रखे जाते हैं – सावन सोमवार व्रत, सोलह सोमवार व्रत, औरप्रदोष व्रत। सावन सोमवार व्रत इस महीने के हर सोमवार को रखा जाता है। सोलह सोमवार व्रत शुरू करने के लिए यह शुभ समय माना जाता है। प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद पाने के लिए रखा जाता है।
Q. श्रावण मास का प्रकृति से क्या संबंध है?
Ans. श्रावण मास का प्रकृति से गहरा संबंध है। इस महीने में मानसून की वर्षा से पूरी धरती हरी-भरी हो जाती है। गर्मी के बाद बारिश से मानव समुदाय को बड़ी राहत मिलती है। श्रावण मास प्रकृति की सुंदरता का प्रतीक है।
Q. सावन सोमवार व्रत का क्या महत्व है?
Ans. सावन सोमवार व्रत का विशेष महत्व है। सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। श्रावण मास में हर सोमवार को शिवलिंग का जल और दूध से अभिषेक करना, बेलपत्र चढ़ाना, शिव मंत्रों का जाप करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। भक्त पूरी श्रद्धा से इस व्रत को करते हैं।
Q. श्रावण मास में शिव पूजा का क्या महत्व है?
Ans. श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा और आराधना का विशेष महत्व है। शिव पुराण के अनुसार इस माह में सोमवार का व्रत और शिव पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। श्रावण मास में शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र चढ़ाना, शिव मंत्रों का जाप करना अति फलदायी माना गया है।
Q. श्रावण मास का कांवड़ यात्रा से क्या संबंध है?
Ans. श्रावण मास में शिव भक्तों द्वारा कांवड़ यात्रा का आयोजन किया जाता है। लाखों भक्त हरिद्वार, गंगोत्री आदि तीर्थों से गंगाजल भरी कांवड़ लेकर पैदल यात्रा करते हैं और अपने शहरों में शिवलिंग पर वह जल चढ़ाते हैं। कांवड़ यात्रा श्रावण मास की एक प्रमुख परंपरा है।