जया पार्वती व्रत कथा (Jaya Parvati Vrat katha): जया पार्वती व्रत (Jaya Parvati Vrat) एक प्राचीन और पवित्र व्रत है जो भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। यह व्रत प्रतिवर्ष आषाढ़ मास में पड़ता है और विशेष रूप से गुजरात राज्य और भारत के पश्चिमी क्षेत्रों में रखा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस व्रत के पीछे एक प्रेरणादायक कथा छिपी हुई है? एक कथा जो हमें शिव-पार्वती के अटूट प्रेम और भक्ति का संदेश देती है। आइए, हम आपको ले चलते हैं इस प्राचीन कथा की यात्रा पर। एक ऐसी कथा जो सदियों से महिलाओं को प्रेरित करती आ रही है। एक ऐसी कथा जो हमें सिखाती है कि प्रेम, विश्वास और समर्पण की शक्ति के आगे कोई बाधा टिक नहीं सकती।
तो तैयार हो जाइए, क्योंकि अब हम आपको सुनाने जा रहे हैं जया पार्वती व्रत की अद्भुत और रोमांचक कथा…
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Table Of Content
S.NO | प्रश्न |
1 | जया पार्वती पौराणिक व्रत कथा |
2 | जया पार्वती व्रत कथा पीडीएफ |
जया पार्वती पौराणिक व्रत कथा (Jaya Parvati Vrat Katha)
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पौराणिक कथाओं में उल्लेखित एक कालखंड में, कौंडिल्य नगर में वामन नामक एक प्रतिष्ठित ब्राह्मण अपनी पत्नी सत्या के साथ निवास करता था। भौतिक संपन्नता के बावजूद, संतान सुख की कमी उनके जीवन को अधूरा बना देती थी।
एक दिन, देवर्षि नारद उनके घर पधारे। वामन और सत्या ने पूरे समर्पण और श्रद्धा के साथ उनकी सेवा की और अपनी संतानहीनता का समाधान पूछा। नारद जी ने उन्हें बताया कि नगर के बाहर दक्षिण दिशा में एक वन में बिल्व वृक्ष के नीचे भगवान शिव (Lord Shiva) लिंगस्वरूप में माता पार्वती के साथ विराजमान हैं। उनकी पूजा से संतान सुख अवश्य प्राप्त होगा। नारद जी की सलाह मानकर, वामन और सत्या ने शिवलिंग को ढूंढ़कर विधिपूर्वक पूजा-अर्चना आरंभ की। पांच वर्षों तक निरंतर इस अनुष्ठान को निभाया। एक दिन, जब वामन पूजा के लिए फूल तोड़ रहा था, तभी एक सांप ने उसे डस लिया और वह अचेत होकर वन में गिर पड़ा। देर रात तक जब वह घर नहीं लौटा, तो सत्या उसे खोजने वन में आई। अपने पति को मृतप्राय अवस्था में देखकर वह करुण पुकार करने लगी, वन देवता और माता पार्वती (Goddess Parvati) से सहायता मांगने लगी।
ब्राह्मणी की मार्मिक पुकार सुनकर वन देवता और माता पार्वती (Goddess Parvati) प्रकट हुए। उन्होंने वामन के मुख में अमृत डालकर उसे पुनः जीवित कर दिया। इसके बाद, ब्राह्मण दंपत्ति ने श्रद्धा और विश्वास के साथ माता पार्वती की आराधना की। माता पार्वती ने (Goddess Parvati) उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान मांगने का अवसर दिया। दोनों ने संतान प्राप्ति की इच्छा व्यक्त की। तब माता पार्वती ने जया पार्वती व्रत (Jaya Parvati Vrat) करने की सलाह दी।
आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी के दिन, वामन और सत्या ने श्रद्धा और नियमपूर्वक इस व्रत का पालन किया, जिसके फलस्वरूप उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत का पालन करने से संतान सुख और अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है।
जया पार्वती व्रत कथा पीडीएफ (Jaya Parvati Vrat Katha PDF)
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जया पार्वती व्रत (Jaya Parvati Vrat) हिन्दू महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक आवश्यकता है, और इसे मनाने से मान्यता है कि वैवाहिक सुख, खुशी, और भगवान शिव और देवी पार्वती का आशीर्वाद मिलता है। जया पार्वती व्रत से संबंधित यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया हमारे अन्य सभी व्रत कथाओं से संबंधित लेख भी जरूर पढ़िए और हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर रोजाना विजिट करिए।
FAQ’S
Q. जया पार्वती व्रत कब मनाया जाता है?
Ans. जया पार्वती व्रत (Jaya Parvati Vrat) हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि से शुरू होकर 5 दिनों तक मनाया जाता है।
Q. जया पार्वती व्रत में क्या खाया जाता है?
Ans. इस व्रत के दौरान नमक, गेहूं से बने उत्पाद और सब्जियां नहीं खाई जाती हैं। फल, दूध, दही का सेवन किया जा सकता है।
Q. जया पार्वती व्रत की पूजा विधि क्या है?
Ans. व्रत के पहले दिन घर के पूजा स्थान पर एक गमले में जवारा रखा जाता है। उसकी रोज पूजा की जाती है और पानी दिया जाता है। अंतिम दिन मंदिर में व्रत का उद्यापन किया जाता है।
Q. जया पार्वती व्रत का महत्व क्या है?
Ans. इस व्रत को करने से माता पार्वती प्रसन्न होती हैं। अविवाहित लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है और विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यह व्रत परिवार में सुख-समृद्धि लाता है।
Q. जया पार्वती व्रत कहां मनाया जाता है?
Ans. यह व्रत मुख्य रूप से भारत के पश्चिमी भाग, विशेषकर गुजरात और मालवा क्षेत्र में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
Q. जया पार्वती व्रत को और किन नामों से जाना जाता है?
Ans. इस व्रत को विजया पार्वती व्रत और गौरी व्रत के नाम से भी जाना जाता है।