शिव जी को कौनसा फूल नहीं चढ़ाना चाहिए (Shiv ji ko konsa Phool Nahi Chadhana Chahiye) : शिवलिंग पर पुष्प अर्पित करना हमारी सनातन परंपरा का एक अभिन्न अंग रहा है। भक्त अपनी श्रद्धा और भक्ति के साथ महादेव को विभिन्न प्रकार के सुगंधित पुष्प चढ़ाते हैं। परन्तु क्या आप जानते हैं कि कुछ ऐसे फूल भी हैं, जिन्हें शिवलिंग पर कभी नहीं चढ़ाना चाहिए?
प्राचीन शास्त्रों और पुराणों में इसका स्पष्ट उल्लेख मिलता है कि कुछ विशेष पुष्पों को शिवलिंग पर अर्पित करने से भगवान शिव अप्रसन्न हो सकते हैं। ये फूल न केवल पूजा में बाधा उत्पन्न करते हैं, अपितु भक्तों के जीवन में कष्टों का कारण भी बन सकते हैं। फिर भी अनजाने में कई लोग ऐसे निषिद्ध फूलों को शिवलिंग पर चढ़ा देते हैं और फिर आश्चर्यचकित होते हैं कि उनकी मनोकामनाएं क्यों पूरी नहीं हो रही हैं। इसलिए यह जानना बेहद आवश्यक है कि किन फूलों को कभी भी शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए।
तो आइए, इस लेख में हम आपको बताते हैं उन 9 फूलों के बारे में, जिन्हें शिवलिंग पर अर्पित करने से बचना चाहिए। साथ ही हम इन नियमों के पीछे छिपे धार्मिक और वैज्ञानिक कारणों पर भी प्रकाश डालेंगे। यह जानकारी न केवल आपकी पूजा को निर्विघ्न बनाएगी, बल्कि आपके आध्यात्मिक ज्ञान को भी समृद्ध करेगी।
तो देर किस बात की, चलिए शुरू करते हैं यह बेहद खास लेख…
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Table Of Content :-Shiv ji ko konsa Phool Nahi Chadhana Chahiye
S.NO | प्रश्न |
1 | भगवान शिव को कौन से फूल नहीं चढ़ाने चाहिए? |
2 | भगवान शिव को क्यों नहीं चढ़ाए जाते हैं यह 9 फूल? |
भगवान शिव को कौन से फूल नहीं चढ़ाने चाहिए? (Bhagwan Shiv ko Kaun Se Phool Nahi Chadana Chahiye)
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श्रावण मास में शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व है, जो अपार पुण्य और आशीर्वाद का द्वार खोलती है। परंतु शिव पूजा में कुछ विशेष सावधानियां बरतना आवश्यक है, क्योंकि भगवान शिव को हल्दी, कुमकुम, रोली, मेहंदी, और तुलसी जैसे पदार्थ अर्पित करना वर्जित माना गया है। इसी तरह, शिवलिंग पर कुछ विशेष फूल चढ़ाने से भी पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता। इन फूलों में केतकी, मदंती, केवड़ा, जूही, कैथ, कदंब, बहेड़ा, वैजयंती, शिरीष, और अनार के लाल फूल शामिल हैं। ये सभी फूल भगवान शिव की पूजा में निषिद्ध माने गए हैं, और इन्हें अर्पित करने से पूजा का प्रभाव कम हो जाता है। अतः शिव भक्तों के लिए यह आवश्यक है कि वे शिवलिंग की पूजा में इन फूलों का उपयोग न करें, ताकि उनकी पूजा सफल और फलदायी हो सके।
भगवान शिव को क्यों नहीं चढ़ाए जाते हैं यह 9 फुल? (Bhagwan Shiv ko kyon Nahi Chadhate Jate Hain Yeh 9 Phool)
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S.NO | फूल |
1 | केतकी के फूल |
2 | मदंती के फूल |
3 | केवड़ा के फूल |
4 | कैथ के फूल |
5 | कदंब के फूल |
6 | अनार का लाल |
7 | शिरीष के फूल |
8 | वैजयंती के फूल |
9 | बहेड़ा के फूल |
- केतकी के फूल (Ketaki ke Phool)
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भगवान शिव (Lord Shiva) को केतकी का फूल (Ketaki ka phool) चढ़ाने की मनाही का कारण एक प्राचीन कथा से जुड़ा हुआ है। इस कथा के अनुसार, एक बार भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु के बीच श्रेष्ठता को लेकर विवाद हुआ। इस विवाद को सुलझाने के लिए भगवान शिव ने एक विशाल ज्योतिर्मय स्तंभ प्रकट किया और दोनों से इसके छोर का पता लगाने को कहा। भगवान ब्रह्मा ने केतकी के फूल की मदद से झूठ बोला कि उन्होंने स्तंभ का अंत देख लिया है। भगवान शिव (Lord Shiva) इस झूठ से क्रोधित हो गए और ब्रह्मा को श्राप दिया कि उनकी पूजा नहीं होगी और केतकी के फूल को कभी पूजा में स्वीकार नहीं किया जाएगा। इस कारण केतकी का फूल शिवलिंग पर नहीं चढ़ाया जाता।
- मदंती के फूल (Mandati ke Phool)
भगवान शिव (Lord Shiva) को मदंती के फूल (Madanti ka phool) नहीं चढ़ाने का कारण एक पौराणिक कथा से जुड़ा है। कथा के अनुसार, एक बार राक्षसों के राजा बाणासुर ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की। उसकी तपस्या से खुश होकर शिवजी ने उसे वरदान देने का वचन दिया। बाणासुर ने अपनी पूजा में मदंती के फूलों का उपयोग किया था। जब बाणासुर ने वरदान मांगते समय भगवान शिव से अत्यधिक अहंकारपूर्ण और घमंडी व्यवहार दिखाया, तो शिवजी ने उसे श्राप दिया कि जिन फूलों का उसने इस्तेमाल किया था, वे फूल कभी भी उनकी पूजा में स्वीकार नहीं किए जाएंगे। इस श्राप के कारण, मदंती के फूलों को भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा में वर्जित माना जाता है और इन्हें शिवलिंग पर चढ़ाने की मनाही है।
- केवड़ा के फूल (Kewda ka Phool)
भगवान शिव (Lord Shiva) को केवड़ा का फूल (Kewda ka Phool) नहीं चढ़ाने का कारण एक प्राचीन कथा से संबंधित है। कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव और ब्रह्मा जी के बीच श्रेष्ठता को लेकर विवाद हुआ। इसे सुलझाने के लिए भगवान शिव ने एक ज्योतिर्मय स्तंभ उत्पन्न किया और दोनों देवताओं से इसके छोर का पता लगाने को कहा। भगवान ब्रह्मा ने ऊपर की दिशा में जाकर केवड़ा के फूल को साक्षी मानकर झूठ बोला कि उन्होंने स्तंभ का अंत देख लिया है। इस छल और झूठ के कारण भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने ब्रह्मा जी की पूजा न होने का श्राप दिया। साथ ही, केवड़ा के फूल को भी झूठी गवाही देने के कारण श्रापित कर दिया कि उसे उनकी पूजा में कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा। इसीलिए शिवलिंग पर केवड़ा का फूल चढ़ाना वर्जित है।
- कैथ के फूल (Kaith ke Phool)
भगवान शिव (Lord Shiva) को कैथ (बिल्ब पत्र) का फूल नहीं चढ़ाने का कारण उनकी पूजा में इसके अनुचित माने जाने से जुड़ा है। कैथ का पेड़ और उसके फल शिवजी को प्रिय माने जाते हैं, लेकिन इसका फूल पूजा में वर्जित है। इसके पीछे धार्मिक मान्यता यह है कि कैथ के फूल का रंग और गंध भगवान शिव की ऊर्जा और तपस्या के अनुकूल नहीं होते। इसके अलावा, कुछ कथाओं में यह भी बताया गया है कि कैथ के फूलों में कीड़े और अन्य अशुद्धियाँ होने की संभावना रहती है, जिससे यह शुद्ध नहीं माना जाता। शिवलिंग पर केवल शुद्ध और सुगंधित फूल चढ़ाने का नियम है, इसलिए कैथ के फूलों को शिव पूजा में शामिल नहीं किया जाता। इस कारण से भक्तजन भगवान शिव की पूजा में कैथ के फूल का उपयोग नहीं करते हैं।
- कदंब के फूल (Kadamb ke Phool)
भगवान शिव (Lord Shiva) को कदंब के फूल चढ़ाने की मनाही का कारण एक पौराणिक कथा से जुड़ा है। कथा के अनुसार, कदंब का पेड़ भगवान शिव के अंश से उत्पन्न हुआ था और इसे उनकी पूजा के लिए विशेष रूप से अपनाया गया था। हालांकि, एक बार इस पेड़ ने भगवान शिव के प्रति अहंकार और उपेक्षा का प्रदर्शन किया। उसने सोचा कि उसके फूल इतने सुंदर और सुगंधित हैं कि वे शिवलिंग पर चढ़ाए जाने योग्य नहीं हैं। इस अहंकार के कारण भगवान शिव (Lord Shiva) ने उसे श्राप दिया कि उसके फूल अब उनकी पूजा में स्वीकार नहीं किए जाएंगे। इसके चलते कदंब के फूल शिवलिंग पर चढ़ाने की मनाही हो गई। पूजा के दौरान केवल उन फूलों का उपयोग किया जाता है जो भगवान शिव (Lord Shiva) की ऊर्जा और भक्ति के अनुरूप माने जाते हैं।
- अनार का लाल फूल (Anar ka Phool)
भगवान शिव (Lord Shiva) को अनार के लाल फूल (Anar ke phool) चढ़ाने की मनाही का कारण एक पौराणिक कथा से जुड़ा है। कथा के अनुसार, एक बार एक भक्त ने भगवान शिव (Lord Shiva) को अनार के लाल फूल चढ़ाने का प्रयास किया, यह मानते हुए कि ये फूल शिवजी की पूजा के लिए उपयुक्त हैं। लेकिन भगवान शिव ने उन फूलों को स्वीकार नहीं किया क्योंकि उनका रंग और स्वरूप पूजा की शुद्धता और उद्देश्य के अनुरूप नहीं था। इसके अतिरिक्त, अनार के फूल में पंखुड़ियों की बनावट और उनका विशेष प्रकार का रंग भगवान शिव की पूजा के परंपरागत नियमों से मेल नहीं खाता। इस कारण से, अनार के फूलों को शिवलिंग पर चढ़ाने की मनाही है। शिवजी की पूजा में ऐसे फूलों का उपयोग किया जाता है जो उनकी दिव्यता और पवित्रता के अनुकूल होते हैं।
- शिरीष के फूल (Shirish ke Phool)
भगवान शिव (Lord Shiva) को शिरीष के फूल न चढ़ाने के पीछे एक पौराणिक मान्यता है। शिरीष का फूल, जिसे अंग्रेजी में ‘विल्ड ड्रेजन’ या ‘फ्लेम ऑफ़ द फॉरेस्ट’ कहते हैं, को भगवान शिव के पूजन में न चढ़ाने की वजह उसकी विशिष्टता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, शिरीष के फूलों का संबंध पाताल लोक और राक्षसों से है, जिससे इनका उपयोग देवताओं की पूजा में अशुद्ध माना जाता है। इसके अलावा, शिरीष के फूलों के तीव्र रंग और गंध को शिव की शांति और सौम्यता के विपरीत माना जाता है। इसलिए, धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार, भगवान शिव (Lord Shiva) को शिरीष के फूल अर्पित नहीं किए जाते और उनके पूजन में अन्य पुष्पों जैसे बेल पत्र, आक और धतूरा को प्राथमिकता दी जाती है।
- वैजयंती के फूल (Vaijayanti ke Phool)
भगवान शिव (Lord Shiva) को वैजयंती के फूल (Vaijayanti ke phool) न चढ़ाने के पीछे धार्मिक मान्यताएँ हैं। वैजयंती का फूल, जिसे आमतौर पर तुलसी के समान सुंदर और सुगंधित माना जाता है, शिव पूजा में अर्पित नहीं किया जाता क्योंकि यह फूल राक्षसों और असुरों से जुड़ा हुआ माना जाता है। हिंदू धर्म में, वैजयंती का फूल लक्ष्मी देवी और विष्णु भगवान से संबंधित माना जाता है, जो अन्य देवताओं के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है। शिव की पूजा के लिए विशेष रूप से बेल पत्र, धतूरा और आक के फूलों का उपयोग किया जाता है, क्योंकि इनकी पौराणिक महत्व और शिव के साथ गहरी धार्मिक कनेक्टिविटी है। इस प्रकार, वैजयंती के फूलों की पूजा में अनुपस्थिति की धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यता है।
- बहेड़ा के फूल (Baheda ke Phool)
भगवान शिव (Lord Shiva) को बहेड़ा के फूल (Baheda ka Phool) न चढ़ाने की मान्यता धार्मिक परंपराओं से जुड़ी है। बहेड़ा, जिसे भारतीय चिकित्सा में औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है, का फूल शिव की पूजा में अर्पित नहीं किया जाता। इसका मुख्य कारण यह है कि बहेड़ा का फूल विशेष रूप से राक्षसों और असुरों से संबंधित माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, शिव पूजा के लिए विशेष रूप से बेल पत्र, धतूरा और आक के फूलों को प्राथमिकता दी जाती है, जो शिव के पवित्रता और शांति के प्रतीक हैं। बहेड़ा का फूल, जो अपनी विशिष्टता और औषधीय गुणों के बावजूद, शिव की पूजा में उपयुक्त नहीं माना जाता है। यह मान्यता पूजा के सही रीति-रिवाजों और धार्मिक अनुशासन को बनाए रखने के लिए है।
Conclusion:-Shiv ji ko konsa Phool Nahi Chadhana Chahiye
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FAQ’s:-Shiv ji ko konsa Phool Nahi Chadhana Chahiye
Q. भगवान शिव को केतकी के फूल क्यों नहीं चढ़ाए जाते?
Ans. केतकी के फूल को भगवान शिव को न चढ़ाने का कारण एक पौराणिक कथा है, जिसमें भगवान ब्रह्मा ने झूठा दावा किया था कि उन्होंने एक ज्योतिर्मय स्तंभ का अंत देख लिया है। शिव ने इस झूठ से नाराज होकर केतकी के फूल को पूजा में स्वीकार न करने का श्राप दिया।
Q. मदंती के फूल भगवान शिव की पूजा में क्यों निषिद्ध हैं?
Ans. मदंती के फूल को भगवान शिव की पूजा में निषिद्ध माना जाता है क्योंकि राक्षसों के राजा बाणासुर ने इन्हें इस्तेमाल कर भगवान शिव से अहंकारी व्यवहार किया था। शिव ने उसे श्राप दिया कि इन फूलों को कभी पूजा में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
Q. भगवान शिव को केवड़ा के फूल क्यों नहीं चढ़ाए जाते?
Ans. केवड़ा के फूल को भगवान शिव की पूजा में इसलिए निषिद्ध माना जाता है क्योंकि भगवान ब्रह्मा ने झूठी गवाही देने के लिए केवड़ा के फूल का इस्तेमाल किया था। शिव ने इस कारण केवड़ा के फूल को स्वीकार न करने का श्राप दिया।
Q. कैथ के फूल भगवान शिव को क्यों नहीं चढ़ाए जाते?
Ans. कैथ के फूल भगवान शिव की पूजा में वर्जित हैं क्योंकि इनका रंग और गंध शिव की ऊर्जा के अनुकूल नहीं होते। इसके अलावा, कैथ के फूलों में अशुद्धियों की संभावना रहती है, जिससे ये पूजा के लिए उपयुक्त नहीं माने जाते।
Q. कदंब के फूलों को भगवान शिव की पूजा में क्यों नहीं इस्तेमाल किया जाता?
Ans. कदंब के फूलों को भगवान शिव की पूजा में इसलिए नहीं चढ़ाया जाता क्योंकि इन फूलों ने भगवान शिव के प्रति अहंकार और उपेक्षा का प्रदर्शन किया था। शिव ने उन्हें श्राप दिया कि उनके फूल पूजा में स्वीकार नहीं किए जाएंगे।
Q. अनार के लाल फूल भगवान शिव को क्यों नहीं चढ़ाए जाते?
Ans. अनार के लाल फूल भगवान शिव को इसलिए नहीं चढ़ाए जाते क्योंकि उनका रंग और स्वरूप पूजा की शुद्धता के अनुकूल नहीं होता। इन फूलों का विशेष प्रकार शिव की पूजा के परंपरागत नियमों से मेल नहीं खाता।