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मोक्षदा एकादशी की व्रत कथा | Fasting Story Of Mokshada Ekadashi : जानिए क्यों मनाई जाती है मोक्षदा एकादशी? और क्या है इसका महत्व

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Fasting story Of Mokshada Ekadashi:शास्त्रों में एकादशी (Ekadashi) के दिन को बहुत ही पवित्र बताया गया है। मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) मोह को नष्ट करने वाला पर्व माना जाता है। जिस प्रकार अन्य एकादशियों पर भगवान श्री विष्णु (Sri Vishnu) की पूजा की जाती है, उसी प्रकार मोक्षदा एकादशी भी श्री हरि को समर्पित है। शास्त्रों में लिखा है कि द्वापर युग में महाभारत के दौरान जब श्रीकृष्ण (Sri Krishna) ने अर्जुन (Arjun) को गीता (Geeta) का ज्ञान दिया था, उस समय मोक्षदा एकादशी का समय चल रहा था। इसलिए इसे गीता जयंती (Geeta Jayanti) के नाम से भी प्रसिद्धि प्राप्त है ।ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो जाता है। मोक्ष प्राप्ति के लिए यह व्रत सभी व्रतों में सर्वोत्तम माना जाता है। इस व्रत को करने से अनंत गुना फल मिलता है। आज के इस विशेष लेख के जरिए हम आपको बताएंगे कि मोक्षदा एकादशी क्या है?(What is Mokshada Ekadashi?), मोक्षदा एकादशी की व्रत कथा क्या है?(What is the fasting story of Mokshada Ekadashi?), मोक्षदा एकादशी का महत्व क्या है? 2024 में मोक्षदा एकादशी कब है?(When is Mokshada Ekadashi in 2024), (What is the importance of Mokshada Ekadashi fast?), मोक्षदा एकादशी की पूजा विधि क्या है?(What is the worship method of Mokshada Ekadashi?), इत्यादि! इसलिए हमारे इस लेख को अंत तक जरूर पढ़िए ।

Fasting Story Of Mokshada Ekadashi Overview

टॉपिक मोक्षदा एकादशी की व्रत कथा | Fasting story Of Mokshada Ekadashi  
लेख प्रकार आर्टिकल
व्रत मोक्षदा एकादशी
प्रमुख देवता भगवान विष्णु
महत्वमोक्ष प्राप्ति, पापों से मुक्ति, मनोकामनाओं की पूर्ति, आध्यात्मिक उन्नति
मोक्षदा एकादशी की तिथि 11 दिसंबर 2024
मोक्षदा एकादशी का अन्य नाम गीता जयंती
मोक्षदा एकादशी का इतिहास भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था

मोक्षदा एकादशी क्या है?|What is Mokshada Ekadashi?

मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा और व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, यह एकादशी मोक्ष (Moksh) प्रदान करती है। साथ ही इसी तिथि पर भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत (Mahabharata) के कुरुक्षेत्र (Kurukshetra) में अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था, इसलिए इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और गीता का पाठ करने से जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है और पूर्वजों को भी मोक्ष मिलता है। शास्त्रों में मोक्षदा एकादशी की तुलना सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली मणि चिंतामणि से की गई है।

मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से पहले एकादशी व्रत के नियमों को जानना बहुत जरूरी है। एकादशी का व्रत 24 घंटे का होता है. व्रत एकादशी के सूर्योदय से लेकर द्वादशी के सूर्योदय तक रखा जाता है। दशमी की दोपहर को भोजन किया जाता है, उसके बाद दशमी की शाम को भोजन नहीं किया जाता है और एकादशी को भी भोजन नहीं किया जाता है। द्वादशी के दिन व्रत खोलने के बाद भोजन किया जाता है। 

2024 में मोक्षदा एकादशी कब है?|When is Mokshada Ekadashi in 2024?

साल 2024 में मोक्षदा एकादशी 11 दिसंबर दिन (बुधवार) को मनाई जाएगी। इस दिन एकादशी तिथि सुबह 3:24 पर शुरू हो जाएगी और एकादशी तिथि 12 दिसंबर रात्रि में 1:09 पर खत्म हो जाएगी। 

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा|Mokshada Ekadashi Fasting Story

गोकुल नामक नगर में वैखानस (Vaikhanasa) नामक राजा का राज्य था। उसके राज्य में चारों वेदों को जानने वाले ब्राह्मण रहते थे। वह राजा अपनी प्रजा का पालन पुत्र की भाँति करता था। एक बार रात के समय राजा को स्वप्न आया कि उसके पिता नरक में हैं। उसे बहुत आश्चर्य हुआ. सुबह वह विद्वान ब्राह्मणों के पास गए एवं अपने सपने के बारे में बताया। और कहा- मैंने अपने पिता को नरक में कष्ट भोगते देखा है। उन्होंने मुझसे कहा- बेटा, मैं नरक भोग रहा हूं । कृपया मुझे यहां से मुक्ति दिलवा दो. जब से मैंने ये शब्द सुने हैं, मैं बहुत बेचैन हो गया हूँ।

मुझे इस राज्य, धन, हाथी, घोड़े इत्यादि में कोई सुख नहीं मिलता, मैं क्या करूँ? राजा ने कहा- हे ब्राह्मण देवताओं! इस कारण से मेरा पूरा शरीर जल रहा है। अब आप कृपया मुझे कोई तप, दान, व्रत आदि उपाय बताएं जिससे मेरे पिता की मुक्ति हो सके। जो पुत्र अपने माता-पिता की रक्षा नहीं कर सकता, उसका जीवन व्यर्थ है। एक अच्छा पुत्र जो अपने माता-पिता और पूर्वजों का उद्धार करता है, वह हजारों मूर्ख पुत्रों से बेहतर है। जिस प्रकार एक चन्द्रमा सम्पूर्ण जगत को प्रकाशित कर देता है, परन्तु हजारों तारे नहीं कर पाते।

ब्राह्मणों ने कहा- हे राजन्! पास ही भूत, भविष्य और वर्तमान को जानने वाले पर्वत ऋषि का आश्रम है। वे आपकी समस्या का समाधान अवश्य करेंगे। यह सुनकर राजा ऋषि के आश्रम में गये। उस आश्रम में अनेक शांतिप्रिय योगी और ऋषि तपस्या कर रहे थे। उसी स्थान पर पर्वत मुनि विराजमान थे। राजा ने ऋषि के सामने साष्टांग प्रणाम किया। ऋषि ने राजा से उनकी कुशलता का समाचार लिया।

राजा ने कहा कि महाराज आपकी कृपा से मेरे राज्य में सब कुछ ठीक है, लेकिन अचानक मेरे मन में बहुत बेचैनी होने लगी। यह सुनकर मुनि ने अपनी आंखें बंद कर लीं और भूतों के बारे में सोचने लगे। तब उसने कहा, हे राजन! मैंने योगबल से तुम्हारे पिता के कुकर्मों को जान लिया है। उस पाप कर्म के कारण तुम्हारे पिता को नरक में जाना पड़ा। तब राजा ने कहा, कृपया मुझे इसका कोई उपाय बताएं।

ऋषि ने कहा- हे राजन्! तुम मार्गशीर्ष एकादशी (Margashirsha Ekadashi) का व्रत करो और उस व्रत का पुण्य अपने पिता को सौंप दो। इसके प्रभाव से आपके पिता को अवश्य ही नरक से मुक्ति मिल जायेगी। ऋषि के ये वचन सुनकर राजा महल में आया और ऋषि की सलाह के अनुसार उसने अपने परिवार सहित मोक्षदा एकादशी का व्रत किया। राजा ने अपने व्रत का पुण्य अपने पिता को समर्पित कर दिया.

इसके प्रभाव से उनके पिता को मोक्ष मिल गया और स्वर्ग जाते समय उन्होंने अपने पुत्र से कहा- हे पुत्र, तुम्हारा कल्याण हो। यह कहकर वह स्वर्ग चला गया। जो लोग मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी का व्रत करते हैं, उनके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इस कथा को पढ़ने या सुनने से यज्ञ का फल प्राप्त होता है। यह व्रत चिंतामणि के समान सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाला तथा मोक्ष प्रदान करने वाला है।

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मोक्षदा एकादशी की पूजा विधि|Mokshada Ekadashi worship Method

मोक्ष एकादशी के दिन, व्रत करने वाले भक्त सुबह जल्दी उठते हैं और सूर्योदय (sunrise) से पहले पवित्र स्नान करते हैं। वे इस दिन व्रत रखते हैं क्योंकि इसे सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक माना जाता है। इस व्रत के दौरान किसी भी प्रकार का भोजन या पेय पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए। व्रत 24 घंटे की अवधि के लिए रखा जाता है। जो कि एकादशी के सूर्योदय से प्रारंभ होकर द्वादशी के सूर्योदय तक रहता है व्रत के दौरान व्रतधारी शाकाहारी भोजन, फल, डेयरी उत्पाद और दूध का सेवन कर सकते हैं। इस प्रकार का व्रत गर्भवती महिलाएं भी कर सकती हैं।

मोक्षदा एकादशी की पूर्व संध्या पर भक्तों को लहसुन, प्याज, दालें, अनाज और चावल का सेवन करने से मना किया जाता है। भगवान विष्णु के भक्त बेल के पेड़ की पत्तियों का भी सेवन करते हैं। भक्त भगवान का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूरी भक्ति के साथ भगवान विष्णु की प्रार्थना और पूजा करते हैं। इस खास दिन पर कुछ लोग भगवत गीता की पूजा करते हैं और कई मंदिरों में धार्मिक उपदेश भी पढ़ते हैं। पर्यवेक्षक भगवान कृष्ण की प्रार्थना और पूजा भी करते हैं। शाम को, भक्त उत्सव देखने के लिए भगवान नारायण के मंदिर भी जाते हैं। मोक्षदा एकादशी के दिन मुकुंदष्टकम (Mukundashtakam), विष्णु सहस्रनाम (Vishnu Sahasranama) और भागवत गीता (Bhagwat Geeta) का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है।

मोक्षदा एकादशी का महत्व|Importance of Mokshada Ekadashi

मोक्षदा एकादशी पितृ दोष दूर करने वाली एकादशी मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि यदि हम मोक्षदा एकादशी का व्रत रखते हैं तो हमारे जिन पूर्वजों को अभी तक मोक्ष नहीं मिला है उन्हें भी मोक्ष की प्राप्ति होती है। मोक्षदा एकादशी का महत्व इस बात से भी समझा जा सकता है कि इस एकादशी का पुण्य अन्य सभी एकादशियों के सम्मिलित पुण्य के बराबर माना जाता है।

महाभारत में उल्लेख है कि इस दिन महाभारत के युद्ध में पांडव अर्जुन अपने कर्तव्य को लेकर भ्रमित हो गए थे, इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने इसी दिन अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इसलिए मोक्षदा एकादशी का दिन पूरे भारत में गीता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण दोनों की पूजा की जाती है। इसलिए इस एकादशी का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। यह एकादशी पूरे भारत में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है, चाहे वह उत्तर भारत हो या दक्षिण। दक्षिण भारत में इस एकादशी को वैकुंठ एकादशी के रूप में मनाया जाता है। साल की आखिरी एकादशी होने के कारण इसका महत्व अपने आप में खास हो जाता है।

Summary 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मोक्षदा एकादशी अत्यंत फलदायी होती है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग पूरे विधि-विधान से पूजा और व्रत करते हैं उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से भगवान विष्णु जी और लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहती है। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य के पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और वे कर्म बंधन से मुक्त हो जाते हैं। मोक्षदा एकादशी से संबंधित यह लेख अगर आपको पसंद आया हो तो इसे अपने मित्रों के साथ अवश्य साझा करें साथ ही हमारे आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें।

FAQ’S 

Q. मोक्षदा एकादशी कब मनाई जाती है?

Ans. मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को यह एकादशी मनाई जाती है।

Q. मोक्षदा एकादशी का महत्व क्या है?

Ans. यह एकादशी मोक्ष प्राप्ति के लिए विशेष मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करके पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति की कामना की जाती है।

Q. मोक्षदा एकादशी व्रत के क्या लाभ हैं?

Ans. इस व्रत को रखने से पापों से मुक्ति, मोक्ष प्राप्ति, सुख-समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है।

Q. मोक्षदा एकादशी को कौन-कौन से कार्य नहीं करने चाहिए?

Ans. इस दिन मांस, मदिरा, तामसिक भोजन, झूठ बोलना, क्रोध करना, चोरी करना आदि कार्य नहीं करने चाहिए।

Q. मोक्षदा एकादशी के दिन कौन-कौन से भोग लगाए जाते हैं?

Ans. इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी, फल, फूल, पान, मिठाई, आदि भोग लगाए जाते हैं।

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सुरभि शर्मा
मेरा नाम सुरभि शर्मा है और मैंने पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। हमेशा से मेरी रुचि हिंदू साहित्य और धार्मिक पाठों के प्रति रही हैं। इसी रुचि के कारण मैं एक पौराणिक लेखक हूं। मेरा उद्देश्य भारतीय पौराणिक कथाओं और धार्मिक ग्रंथों को सार्थकता से प्रस्तुत करके समाज को शिक्षा और प्रेरणा प्रदान करना है। मैं धार्मिक साहित्य के महत्व को समझती हूं और इसे नई पीढ़ियों तक पहुंचाने का संकल्प रखती हूं। मेरा प्रयास है कि मैं भारतीय संस्कृति को अधिक उत्कृष्ट बनाने में योगदान दे सकूं और समाज को आध्यात्मिकता और सामाजिक न्याय के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित कर सकूं।