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Karwa Chauth kab Hai 2024: अक्टूबर महीने में करवा चौथ कब है?, जाने सही तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, कथा, महत्व व मंत्र के बारे में। 

Karwa Chauth kab Hai 2024
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करवा चौथ कब है नोट करें सही शुभ मूहुर्त, पूजन विधि, महत्व, कथा, मंत्र और इस बार के संयोग (Karwa Chauth 2024 kab Hai): करवा चौथ (Karwa Chauth), जो कि हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, एक ऐसा त्योहार है जो पति-पत्नी के बीच प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। यह त्योहार न केवल भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, बल्कि यह हमारे जीवन में सच्चे प्रेम और समर्पण की महत्ता को समझने का भी अवसर है। 

यह त्योहार पत्नियों के लिए अपने पति के प्रति समर्पण और प्रेम का प्रतीक है, और पतियों के लिए अपनी पत्नी के प्रति सम्मान और प्रेम का प्रतीक है।करवा चौथ का महत्व न केवल धार्मिक है, बल्कि यह हमारे जीवन में सच्चे प्रेम और समर्पण को बढ़ावा देने का भी अवसर है। इस त्योहार के दौरान, पत्नियां अपने पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन के लिए उपवास रखती हैं और भगवान शिव और पार्वती की पूजा करती हैं। यह त्योहार हमें सच्चे प्रेम और समर्पण की महत्ता को समझने और अपने जीवन में उनको अपनाने के लिए प्रेरित करता है। इस लेख में, हम आपको करवा चौथ के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। हम आपको बताएंगे कि करवा चौथ क्या है, इसका महत्व क्या है, शुभ मुहूर्त व पूजा मुहूर्त क्या है, पूजा विधि क्या है, पूजन सामग्री कौन-कौन सी लगती है, प्रमुख मंत्र कौन सा है, और आरती कौन सी है। इसके अलावा, हम आपको करवा चौथ के पीछे की कहानी और इसके महत्व को भी समझाएंगे।

यह लेख आपको करवा चौथ (Karwa Chauth) के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेगा और आपको इस त्योहार को मनाने के लिए प्रेरित करेगा…

करवा चौथ कब है 2024? (karva Chauth ka Vrat kab Hai)

karva Chauth ka Vrat kab Hai

करवा चौथ (Karwa Chauth) का पर्व हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, जो सुहागिन महिलाओं के लिए अत्याधिक महत्व रखता है। वर्ष 2024 में यह शुभ दिन रविवार, 20 अक्टूबर को शुरू होगा। चतुर्थी तिथि की शुरुआत सुबह 6:46 बजे होगी, जो अगले दिन यानी सोमवार, 21 अक्टूबर को सूर्योदय से पहले 4:16 बजे समाप्त हो जाएगी। इस अवधि के दौरान व्रती महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुखी जीवन की कामना करते हुए उपवास करती हैं और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही अपना व्रत पूर्ण करती हैं।

करवा चौथ का शुभ मुहूर्त (Karva Chauth ka Shubh Muhurat)

इस वर्ष करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त 20 अक्टूबर को रहेगा, जो शाम 5:46 से लेकर 7:57 तक का समय है। इस अवधि में विधिपूर्वक पूजा कर अपने व्रत का संकल्प पूरा करें।

यह भी पढ़े:– 1.करवा चौथ कहानी 2. करवा चौथ आरती 3.करवा चौथ व्रत में क्या खाएं क्या ना खाएं 4. करवा चौथ शुभकामनाएं 5. करवा चौथ सामग्री 6. करवा चौथ शुभ मुहूर्त 7. पहली बार करवा चौथ

करवा चौथ की पूजा विधि (karva Chauth Puja karne ki Vidhi)

karva Chauth Puja karne ki Vidhi

करवा चौथ की पूजन विधि:

  • पूजा स्थल की तैयारी: सबसे पहले पूजा के स्थान को अच्छे से स्वच्छ कर लें। फिर सही दिशा में दीवार पर करवा माता की तस्वीर या मूर्ति को स्थापित करें, ताकि पूजा विधिवत हो सके।
  • पूजा थाली की सजावट: पूजा की थाली में आवश्यक सामग्री रखें जैसे जल से भरा हुआ लोटा, मिट्टी का करवा, रोली, गेहूं, धूप, दीपक, और सींक आदि। यह सभी सामग्री पूजा के दौरान उपयोग की जाती है और इसे शुभ माना जाता है।
  • व्रत कथा सुनना: शुभ मुहूर्त में अपनी सास, जेठानी या किसी पूजनीय महिला से करवा चौथ की व्रत कथा सुनें। कथा सुनते समय थाली में रखा जल का लोटा और ढक्कन सहित मिट्टी का करवा अपने पास रखें।
  • करवे की अदला-बदली: कथा समाप्त होने के बाद सात बार करवे की अदला-बदली करें। यह प्रक्रिया व्रत की मुख्य परंपरा है और इसे करने से पति की लंबी उम्र और समृद्धि की कामना की जाती है।
  • चंद्र दर्शन और अर्घ्य: चंद्रमा के निकलने के बाद दीपक जलाकर चंद्रमा की पूजा करें और आरती उतारें। छलनी से चंद्रमा का दर्शन करें और फिर अपने पति का चेहरा देखकर व्रत खोलें। इसके बाद बुजुर्गों से आशीर्वाद लेकर भोजन करें।

करवा चौथ पूजन सामग्री (karva Chauth Puja Samagri)

करवा चौथ पूजन सामग्री की सूची:

  • चंदन
  • शहद
  • अगरबत्ती
  • पुष्प
  • कच्चा दूध
  • शक्कर
  • शुद्ध घी
  • दही
  • मिठाई
  • गंगाजल
  • कुंकू
  • अक्षत (चावल)
  • सिंदूर
  • मेहंदी
  • महावर
  • कंघा
  • बिंदी
  • चुनरी
  • चूड़ी
  • बिछुआ
  • मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन
  • दीपक
  • रुई
  • कपूर
  • गेहूं
  • शक्कर का बूरा
  • हल्दी
  • पानी का लोटा
  • गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी
  • लकड़ी का आसन
  • चलनी
  • आठ पूरियों की अठावरी
  • हलुआ
  • दक्षिणा (दान) के लिए पैसे

करवा चौथ की पूजा का समय (Karwa Chauth ki Puja ka Shubh Muhurat)

करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:46 बजे से शुरू होकर शाम 7:57 बजे तक रहेगा और पूजा का कुल समय: 1 घंटे 16 मिनट है।

शुभ मुहूर्तशाम 5:46 बजे से 7:57 बजे तक।
कुल समय1 घंटे 16 मिनट।

करवा चौथ की कहानी (Karva Chauth ki kahani)

करवा चौथ की पौराणिक कथा एक ऐसी अद्भुत कहानी है जो सच्चे प्रेम, समर्पण, और सतीत्व की शक्ति को दर्शाती है। कहा जाता है कि देवी करवा अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के किनारे रहती थीं। एक दिन, जब उनके पति नदी में स्नान कर रहे थे, तो एक मगरमच्छ ने उनके पैर पकड़ लिया और उन्हें धीरे-धीरे नदी में खींचने लगा। मृत्यु के साक्षात सामने आने पर करवा के पति ने अपनी पत्नी को पुकारा। करवा तुरंत दौड़ीं और जब उन्होंने अपने पति को मगरमच्छ के चंगुल में फंसा देखा, तो बिना समय गंवाए, उन्होंने एक कच्चा धागा लिया और मगरमच्छ को एक पेड़ से बांध दिया।

करवा के सतीत्व और दृढ़ विश्वास के कारण मगरमच्छ कच्चे धागे से इतनी मजबूती से बंध गया कि वह टस से मस नहीं हो सका। इस स्थिति में करवा के पति और मगरमच्छ दोनों के प्राण संकट में फंस गए। करवा ने तब यमराज को पुकारा और उनसे प्रार्थना की कि वे उनके पति को जीवनदान दें और मगरमच्छ को मृत्युदंड दें। यमराज ने कहा कि वह ऐसा नहीं कर सकते, क्योंकि मगरमच्छ की आयु अभी शेष है, जबकि उनके पति की आयु पूरी हो चुकी है। यह सुनकर करवा ने क्रोधित होकर यमराज को चेतावनी दी कि यदि उन्होंने उसकी प्रार्थना नहीं मानी, तो वह उन्हें शाप दे देंगी। सती करवा की दृढ़ निष्ठा और शाप के भय से यमराज विवश हो गए। उन्होंने मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया और करवा के पति को पुनः जीवन प्रदान किया।

यह कहानी न केवल करवा माता के अटूट प्रेम और समर्पण की मिसाल है, बल्कि यह भी बताती है कि एक स्त्री का सतीत्व और विश्वास कितनी बड़ी शक्ति होती है। यही कारण है कि करवा चौथ के अवसर पर सुहागन स्त्रियां व्रत रखती हैं और करवा माता से प्रार्थना करती हैं कि जैसे उन्होंने अपने पति की रक्षा की, वैसे ही वे उनके सुहाग की भी रक्षा करें। इस प्रकार करवा चौथ का यह व्रत स्त्रियों के सच्चे प्रेम, अटूट विश्वास और अपने पति की लंबी आयु के लिए किए गए समर्पण का प्रतीक है।

करवा चौथ की कहानी PDF Download

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करवा चौथ का महत्व क्या है? (Karva Chauth ka Mahatva Kya Hai)

करवा चौथ (Karwa Chauth) एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो पति-पत्नी के बीच प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। यहाँ करवा चौथ का महत्व निम्नलिखित पॉइंट में विस्तार से दिया गया है:

  • पति-पत्नी के बीच प्रेम और समर्पण: करवा चौथ का सबसे बड़ा महत्व यह है कि यह पति-पत्नी के बीच प्रेम और समर्पण को बढ़ावा देता है। इस दिन, पत्नियां अपने पति की लंबी उम्र और सุขी जीवन के लिए उपवास रखती हैं और भगवान शिव और पार्वती की पूजा करती हैं। यह उपवास और पूजा पति-पत्नी के बीच प्रेम और समर्पण को मजबूत बनाता है।
  • सुहागिनों की सुरक्षा और सुख: करवा चौथ (Karwa Chauth) का एक अन्य महत्व यह है कि यह सुहागिनों की सुरक्षा और सुख के लिए मनाया जाता है। इस दिन, पत्नियां अपने पति की सुरक्षा और सुख के लिए प्रार्थना करती हैं और भगवान शिव और पार्वती से आशीर्वाद लेती हैं। यह त्योहार सुहागिनों को अपने पति के साथ सुखी और समृद्ध जीवन की कामना करने का अवसर प्रदान करता है।
  • आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व: करवा चौथ (Karwa Chauth) का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व भी बहुत अधिक है। इस दिन, पत्नियां भगवान शिव और पार्वती की पूजा करती हैं और अपने पति के साथ सुखी जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं। यह त्योहार पत्नियों को अपने पति के प्रति समर्पित और निष्ठावान बनने के लिए प्रेरित करता है और उन्हें आध्यात्मिक और धार्मिक मूल्यों को अपनाने का अवसर प्रदान करता है।

करवा चौथ के मंत्र (Karwa Chauth ke Mantra)

करवा चौथ (Karwa Chauth) के व्रत में मंत्रों का जाप अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यहाँ कुछ प्रमुख मंत्र दिए गए हैं जिन्हें पूजन के दौरान जपना चाहिए:

1. देवी पार्वती: ॐ शिवायै नमः

2. भगवान शिव: ॐ नमः शिवाय

3. स्वामी कार्तिकेय: ॐ षण्मुखाय नमः

4. भगवान गणेश: ॐ गणेशाय नमः

5. चंद्रमा: ॐ सोमाय नमः

करवा चौथ की आरती (karva Chauth Aarti)

ओम जय श्री चौथ मैया, बोलो जय श्री चौथ मैया

सच्चे मन से सुमिरे, सब दुःख दूर भया
ओम जय श्री चौथ मैया
ऊंचे पर्वत मंदिर, शोभा अति भारी
देखत रूप मनोहर, असुरन भयकारी
ओम जय श्री चौथ मैया

महासिंगार सुहावन, ऊपर छत्र फिरे
सिंह की सवारी सोहे, कर में खड्ग धरे
ओम जय श्री चौथ मैया

बाजत नौबत द्वारे, अरु मृदंग डैरु
चौसठ जोगन नाचत, नृत्य करे भैरू
ओम जय श्री चौथ मैया

बड़े बड़े बलशाली, तेरा ध्यान धरे
ऋषि मुनि नर देवा, चरणो आन पड़े
ओम जय श्री चौथ मैया

चौथ माता की आरती, जो कोई सुहगन गावे
बढ़त सुहाग की लाली, सुख सम्पति पावे
ओम जय श्री चौथ मैया।

करवा चौथ आरती PDF Download

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Conclusion

हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (करवा चौथ कब है) Karwa Chauth kab Hai 2024 यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद 

FAQ’s

1. करवा चौथ कब है?

करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। 2024 में करवा चौथ 20 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन विवाहित महिलाएं सूर्योदय से चंद्रमा के दर्शन तक निर्जला व्रत रखती हैं और अपने पति की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं।

2. करवा चौथ का महत्व क्या है?

करवा चौथ का महत्व वैवाहिक जीवन में प्रेम, विश्वास और समर्पण को बढ़ाने के रूप में देखा जाता है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन उपवास रखती हैं और रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने व्रत का पारण करती हैं। यह त्योहार पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

3. करवा चौथ व्रत कैसे रखा जाता है?

करवा चौथ व्रत सूर्योदय से पहले सरगी (भोजन) ग्रहण करके शुरू होता है, जो सास अपनी बहू को देती हैं। दिनभर बिना भोजन और पानी के उपवास किया जाता है, और रात को चंद्रमा के दर्शन के बाद व्रत तोड़ा जाता है। महिलाएं करवा चौथ की कथा भी सुनती हैं और पूजा करती हैं।

4. करवा चौथ पर सरगी क्या है?

सरगी वह विशेष भोजन होता है जो सास अपनी बहू को करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले खाने के लिए देती हैं। इसमें फल, मिठाई, मेवे, और अन्य पौष्टिक पदार्थ शामिल होते हैं। सरगी का उद्देश्य दिनभर के व्रत में ऊर्जा बनाए रखना है।

5. करवा चौथ की पूजा विधि क्या है?

करवा चौथ की पूजा में सबसे पहले मिट्टी के करवे (घड़े) की पूजा की जाती है। महिलाएं करवा चौथ की कथा सुनती हैं और फिर रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथ से पानी पीकर व्रत तोड़ती हैं।

6. करवा चौथ के दिन क्या खास होता है?

करवा चौथ के दिन विवाहित महिलाएं विशेष रूप से सजती-संवरती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन चांद निकलने का इंतजार बेहद खास माना जाता है, क्योंकि चंद्रमा के दर्शन के बाद ही व्रत का पारण होता है।