शरद पूर्णिमा कब है? जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व (Sharad Purnima kab Hai 2024): शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) हिंदू पंचांग की सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र पूर्णिमाओं में से एक है। यह आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है, जब चांद अपनी 16 कलाओं के साथ पूरी तरह खिलता है। इस दिन की रात को भगवान श्री कृष्ण (Bhagwan Shri Krishna) ने गोपियों के साथ महारास रचाया था। शरद पूर्णिमा को कोजागरी या कुमुदिनी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस शुभ अवसर पर लोग व्रत रखते हैं, पूजा करते हैं और खीर का प्रसाद चढ़ाते हैं। मान्यता है कि इस रात को चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है जो खीर में समा जाता है। शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) का चांद अपनी शीतल किरणों से मन को शांति प्रदान करता है। यह पर्व प्रकृति की सुंदरता और समृद्धि का प्रतीक है।
लेकिन क्या आप जानते हैं शरद पूर्णिमा 2024 में कब है? इस दिन की पूजा विधि क्या है और इसका क्या महत्व है? आइए इस लेख में हम आपको शरद पूर्णिमा के बारे में विस्तार से बताते हैं। हम चर्चा करेंगे कि इस पावन पर्व को कैसे मनाया जाता है, इसका शुभ मुहूर्त क्या है और इससे जुड़ी प्रमुख मान्यताएं क्या हैं। तो चलिए, जानते हैं शरद पूर्णिमा के पावन त्यौहार के बारे में विस्तार से…
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शरद पूर्णिमा क्या है? (Sharad Purnima kya Hai)
शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) की रात को कृष्ण और ब्रज की गोपियों के बीच हुई अद्भुत रासलीला के लिए विशेष माना जाता है। इस दिव्य नृत्य में शामिल होने की इच्छा से भगवान शिव (Bhagwan Shiva) ने गोपीश्वर महादेव का रूप धारण किया था। इस महत्वपूर्ण रात का विस्तार से वर्णन ब्रह्म पुराण, स्कंद पुराण, ब्रह्म वैवर्त पुराण और लिंग पुराण में मिलता है, जहाँ इसे अत्यंत पवित्र और अद्वितीय घटना के रूप में प्रस्तुत किया गया है। शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) की यह रात्रि भक्तों के लिए अध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण मानी जाती है।
शरद पूर्णिमा कब है 2024? (Sharad Purnima Kab Hai 2024)
शरद पूर्णिमा 2024 (Sharad Purnima 2024) में 16 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन चंद्रोदय शाम 05 बजकर 05 मिनट पर होगा। जो भक्त शरद पूर्णिमा का व्रत रखना चाहेंगे, वे 16 अक्टूबर को व्रत का पालन करेंगे। स्नान और दान की विधि 17 अक्टूबर को सूर्योदय के समय से शुरू होगी। शरद पूर्णिमा का यह दिन धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, खासकर चंद्रमा से जुड़ी मान्यताओं के अनुसार।
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शरद पूर्णिमा पूजा विधि (Sharad Purnima Puja Vidhi)
शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) की पूजा विधि को निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:
- मंदिर की सफाई और पूजा की तैयारी: सुबह स्नान के बाद घर के मंदिर की सफाई करें और लक्ष्मी माता व भगवान विष्णु की प्रतिमा को लाल या पीले कपड़े से सजी चौकी पर स्थापित करें। अगर संभव हो तो मिट्टी या तांबे के कलश पर वस्त्र से ढकी हुई लक्ष्मी जी की मूर्ति स्थापित करें।
- खीर का प्रसाद: गाय के दूध से चावल की खीर बनाकर रखें, जिसे रात में चंद्रमा की रोशनी में रखने के बाद मां लक्ष्मी को अर्पित करना है। खीर को विशेष प्रसाद के रूप में तैयार करना महत्वपूर्ण है।
- पूजन सामग्री और तिलक: गंगाजल से भगवान की मूर्तियों का स्नान कराएं, फिर अक्षत और रोली से तिलक करें। इसके बाद सफेद या पीली मिठाई का भोग अर्पित करें। पूजा में लाल या पीले फूल अर्पित करें, खासतौर से माता लक्ष्मी को गुलाब का पुष्प अर्पित करना शुभ माना जाता है।
- दीप प्रज्वलन और भक्ति संगीत: शाम के समय चंद्रमा के उदय पर 100 दीये या अपनी सामर्थ्य के अनुसार गाय के घी से दीये जलाएं और चारों ओर दीपों की रोशनी फैलाएं।
- चंद्रमा की रोशनी में खीर रखना: खीर को छोटे बर्तनों में भरकर छलनी से ढककर चंद्रमा की रोशनी में पूरी रात के लिए रखें। ऐसा करना शरद पूर्णिमा की पूजा का मुख्य अंग है।
- रात्रि जागरण और पाठ: रातभर जागते हुए ‘विष्णु सहस्त्रनाम’, ‘श्रीसूक्त’, ‘श्रीकृष्ण मधुराष्टकम्’, और ‘कनकधारा स्तोत्र’ का पाठ करें। पूजा की शुरुआत गणपति आरती से करें, और अगली सुबह ब्रह्म मुहूर्त में खीर को मां लक्ष्मी को अर्पित कर परिवार में प्रसाद के रूप में वितरित करें।
शरद पूर्णिमा शुभ मुहूर्त (Sharad Purnima Shubh Muhurat)
शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) का शुभ मुहूर्त निम्नलिखित है:
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 16 अक्टूबर 2024, सुबह 03:33 बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 17 अक्टूबर 2024, सुबह 02:02 बजे
- पूर्णिमा शुभ मुहूर्त: 16 अक्टूबर 2024, शाम 06:11 बजे से 08:26 बजे तक
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ | 16 अक्टूबर 2024, सुबह 03:33 बजे |
पूर्णिमा तिथि समाप्त | 17 अक्टूबर 2024, सुबह 02:02 बजे |
पूर्णिमा शुभ मुहूर्त | 16 अक्टूबर 2024, शाम 06:11 बजे से 08:26 बजे तक |
शरद पूर्णिमा का महत्व क्या है? (Sharad Purnima ka Mahatva Kya Hai)
- धार्मिक आयाम: शरद पूर्णिमा, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण और प्रमुख पूर्णिमा (पूर्ण चंद्रमा का दिन) है। इस दिन चंद्रमा अपनी सबसे उज्ज्वल और पूर्ण अवस्था में होता है और मान्यता है कि यह 16 कलाओं (सम्पूर्णता के प्रतीक) के साथ पृथ्वी पर अपनी शक्ति और आशीर्वाद देता है। शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी का अवतरण हुआ था, इसलिए इसे लक्ष्मी पूजन के रूप में भी मनाया जाता है।
- रिवाज और परंपराएं: शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) के दिन विशेष रिवाज और पूजा-पाठ की आयोजन होती है। खीर (चावल की खीर) की आहुति देना इनमें सबसे महत्वपूर्ण है[।भक्तगण कीर तैयार करते हैं और इसे चंद्रमा को चढ़ाते हैं, साथ ही प्रार्थनाएं और भजनों का गाना। इसके बाद, खीर को प्रसाद के रूप में भक्तों के बीच वितरित किया जाता है।
- धार्मिक कथाएं और मान्यताएं: शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) के दिन भगवान कृष्ण ने वृंदावन की गोपियों के साथ महा-रास (दिव्य नृत्य) की आयोजन की थी।. इसके अलावा, शरद पूर्णिमा की कथा दो बहनों से जुड़ी हुई है, जिन्होंने पूर्णिमा व्रत का पालन किया था, लेकिन छोटी बहन ने व्रत का पूरा पालन नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप उसके बच्चे जन्म के बाद ही मर गए[
Conclusion:-Sharad Purnima kab Hai 2024
हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (शरद पूर्णिमा कब है 2024?) यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्तिपर दोबारा जन भक्ति विज़िट करें, धन्यवाद
FAQ’s
Q. शरद पूर्णिमा पर खीर कैसे तैयार की जाती है?
Ans. गाय के दूध से चावल की खीर बनाएं और इसे चंद्रमा की रोशनी में रखने के बाद लक्ष्मी माता को अर्पित करें। यह विशेष प्रसाद शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) की पूजा में महत्वपूर्ण होता है।
Q. मंदिर की सफाई और पूजा की तैयारी कैसे करनी चाहिए?
Ans. सुबह स्नान के बाद घर के मंदिर की सफाई करें और लक्ष्मी माता व भगवान विष्णु की प्रतिमा को लाल या पीले कपड़े से सजी चौकी पर स्थापित करें। अगर संभव हो, तो लक्ष्मी जी की मूर्ति को मिट्टी या तांबे के कलश पर वस्त्र से ढककर रखें।
Q. लक्ष्मी माता की पूजा में किस प्रकार के फूल अर्पित करने चाहिए?
Ans. पूजा में लाल या पीले फूल अर्पित करें, खासतौर से माता लक्ष्मी को गुलाब का पुष्प अर्पित करना शुभ माना जाता है।
Q. शरद पूर्णिमा की पूजा में कितने दीये जलाने चाहिए?
Ans. शाम के समय चंद्रमा के उदय पर 100 दीये या अपनी सामर्थ्य के अनुसार गाय के घी से दीये जलाकर चारों ओर दीपों की रोशनी फैलाएं।
Q. चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने का क्या महत्व है?
Ans. खीर को छोटे बर्तनों में भरकर छलनी से ढककर चंद्रमा की रोशनी में पूरी रात के लिए रखें। यह शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) की पूजा का मुख्य अंग माना जाता है।
Q. भगवान की मूर्तियों का स्नान कैसे कराना चाहिए?
Ans. गंगाजल से भगवान की मूर्तियों का स्नान कराएं और फिर अक्षत व रोली से तिलक करें। इसके बाद सफेद या पीली मिठाई का भोग अर्पित करें।