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12 Mukhi Rudraksha ke Fayde Aur Nuksan: क्या हैं बारह मुखी रुद्राक्ष के फायदे और नुकसान?, जानिए इसे पहनने की विधि, नियम व मंत्र के बारे में|

12 Mukhi Rudraksha ke Fayde Aur Nuksan
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बारह मुखी रुद्राक्ष के फायदे और नुकसान (12 Mukhi Rudraksha ke Fayde Aur Nuksan):  रुद्राक्ष, हिंदू धर्म में एक पवित्र और शक्तिशाली मनका माना जाता है जो भगवान शिव से जुड़ा हुआ है। इस मनके की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई मानी जाती है और इसे पहनने से कई लाभ प्राप्त होते हैं। रुद्राक्ष की विभिन्न किस्में होती हैं जिन्हें उनकी सतह पर मौजूद मुखों या धारियों की संख्या के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। इनमें से 12 मुखी रुद्राक्ष को एक विशेष और दुर्लभ प्रकार का माना जाता है। मान्यता है कि इस रुद्राक्ष में भगवान विष्णु का वास होता है और इसके पहनने से व्यक्ति को कई लौकिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। परंतु क्या आप जानते हैं कि 12 मुखी रुद्राक्ष क्या होता है? इसके पहनने से क्या-क्या लाभ मिलते हैं? क्या इसके कोई नुकसान भी हो सकते हैं? इसे पहनने का सही तरीका और मंत्र क्या है? आज हम आपको इस लेख के माध्यम से 12 मुखी रुद्राक्ष से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातें विस्तार से बताएंगे। चाहे आप रुद्राक्ष के बारे में जानकार हों या फिर बिल्कुल नए, यह लेख आपके लिए रुद्राक्ष संबंधी अनेक रहस्यों से पर्दा उठाएगा। 

तो चलिए, 12 मुखी रुद्राक्ष के जानते हैं इस चमत्कारी मनके के बारे में सबकुछ…

बारह मुखी रुद्राक्ष क्या होता है? (12 Mukhi Rudraksha kya Hai)

बारह मुखी रुद्राक्ष (12 Mukhi Rudraksha), जिसे भगवान महाविष्णु (Bhagwan Vishnu) का प्रतीक माना जाता है, अपने अद्भुत लाभों के लिए प्रसिद्ध है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति को विभिन्न रोगों से मुक्ति मिलती है, जिससे उसका स्वास्थ्य बेहतर होता है। इसके साथ ही, यह संतान सुख, शिक्षा और धन की प्राप्ति में भी सहायक सिद्ध होता है। इसके अनोखे गुणों के कारण, बारह मुखी रुद्राक्ष (12 Mukhi Rudraksha) को किसी भी व्यक्ति द्वारा धारण किया जा सकता है। इसे पहनने से न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि जीवन में सुख और समृद्धि भी आती है। इस प्रकार, यह रुद्राक्ष अपने भक्तों के लिए वरदान स्वरूप है, जो हर क्षेत्र में सफलता की राह प्रशस्त करता है।

बारह मुखी रुद्राक्ष के फायदे और नुकसान (12 Mukhi Rudraksha ke Fayde Aur Nuksan)

12 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे: 

बारह मुखी रुद्राक्ष (12 Mukhi Rudraksha) का महत्व अद्वितीय है, यह सूर्य देवता की शक्ति का प्रतीक माना जाता है, जो सभी ग्रहों के राजा माने जाते हैं। इसकी पहचान इसकी सतह पर बारह प्राकृतिक रेखाओं से की जाती है। यह रुद्राक्ष धारण करने वाले को व्यवसाय और नौकरी संबंधी समस्याओं का समाधान करने में सहायता करता है।  बारह मुखी रुद्राक्ष स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए धारण किया जाता है। यह भय और चिंताओं को दूर करता है, मानसिक स्पष्टता और शांति प्रदान करता है, नेतृत्व गुणों को बढ़ाता है, और आत्मविश्वास और आत्मसम्मान में वृद्धि करता है। यह नकारात्मक ऊर्जाओं और बुरी नजर से सुरक्षा प्रदान करता है, और निर्णय लेने की क्षमता में सुधार करता है।

12 मुखी रुद्राक्ष पहनने के नुकसान: 

फिर भी, बारह मुखी रुद्राक्ष (12 Mukhi Rudraksha) का धारण करना सभी के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है। कुछ लोगों को सिरदर्द या माइग्रेन का सामना करना पड़ सकता है। यह कुछ लोगों को त्वचा की एलर्जी या जलन का कारण बन सकता है। उच्च रक्तचाप या हृदय रोग से पीड़ित लोगों, गर्भवती महिलाओं, या दारू या नशीली दवाओं के प्रभाव में रहने वाले लोगों को इसे धारण नहीं करना चाहिए मानसिक बीमारी से पीड़ित लोगों, अवैध गतिविधियों में शामिल लोगों, या अनैतिक गतिविधियों में शामिल लोगों को भी इसे धारण नहीं करना चाहिए,इसे धारण करने से पहले, यह महत्वपूर्ण है कि इसे एक सक्षम ज्योतिषी या धार्मिक व्यक्ति द्वारा शुद्ध और ऊर्जावान किया जाए।

बारह मुखी रुद्राक्ष पहनने की विधि व नियम (11 Mukhi Rudraksha Pehnne ki Vidhi Aur Niyam)

यहाँ 12 मुखी रुद्राक्ष पहनने की विधि को प्रमुख बिंदुओं में विस्तार से प्रस्तुत किया गया है:

  • सप्ताह का उचित दिन और नक्षत्र: 12 मुखी रुद्राक्ष (12 Mukhi Rudraksha) को विशेष रूप से रविवार के दिन पहनना शुभ माना जाता है। यदि संभव हो, तो इसे पुष्य नक्षत्र के दिन पहनें। यह नक्षत्र रुद्राक्ष की सकारात्मकता को और बढ़ाता है, जिससे इसे धारण करने वाले व्यक्ति को अधिक लाभ मिलता है।
  • अभिमंत्रण की प्रक्रिया: रुद्राक्ष को पहनने से पहले किसी योग्य ज्योतिषी से अभिमंत्रित करवाना अनिवार्य है। अभिमंत्रण प्रक्रिया रुद्राक्ष की आध्यात्मिक शक्ति को जागृत करती है, जिससे यह अधिक प्रभावशाली बन जाता है। यह व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को बढ़ाता है।
  • स्नान और वस्त्र: रविवार के दिन रुद्राक्ष धारण करने से पहले पवित्र स्नान करें। स्नान करने के बाद नए या स्वच्छ वस्त्र पहनना आवश्यक है। यह न केवल आपके मानसिक और आध्यात्मिक स्तर को शुद्ध करता है, बल्कि इसे पहनने की प्रक्रिया को भी पवित्र बनाता है।
  • गंगाजल से शुद्धिकरण: रुद्राक्ष को गंगाजल में स्नान कराना आवश्यक है। गंगाजल की पवित्रता इसे शुद्ध करता है और इसे विशेष आशीर्वाद प्रदान करता है। यह प्रक्रिया रुद्राक्ष की ऊर्जा को बढ़ाने में सहायक होती है, जिससे यह आपके जीवन में अधिक प्रभाव डालता है।
  • मंत्र जाप और रेशमी धागे में पिरोना: रुद्राक्ष को धारण करते समय “ओम सूर्याय नम:” और “ओम ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:” का 108 बार जाप करें। मंत्र जाप समाप्त होने के बाद, रुद्राक्ष की माला को रेशम के धागे में पिरोकर पहनें। यह न केवल रुद्राक्ष की ऊर्जा को संग्रहित करता है, बल्कि पहनने वाले को मानसिक शांति और शक्ति भी प्रदान करता है।

बारह मुखी रुद्राक्ष पहनने का मंत्र (12 Mukhi Rudraksha Pehnne ka Mantra)

  • 12 मुखी रुद्राक्ष (12 Mukhi Rudraksha) पहनने का प्रमुख मंत्र “ओम सूर्याय नम:” और “ओम ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:” है।

Conclusion:-12 Mukhi Rudraksha ke Fayde Aur Nuksan

आशा करते हैं की (बारह मुखी रुद्राक्ष के फायदे और नुकसान) से संबंधित यह बेहद खास लेख आपको पसंद आया होगा अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद

FAQ’s

क्या 12 मुखी रुद्राक्ष सभी के लिए उपयुक्त है?

  • हाँ, लेकिन इसे पहनने से पहले ज्योतिषी से परामर्श अवश्य करें, खासकर यदि आपकी कुंडली में सूर्य की स्थिति ठीक न हो।

क्या इसे किसी विशेष दिन धारण करना चाहिए?

  • इसे रविवार के दिन, भगवान सूर्य की पूजा करने के बाद धारण करना शुभ माना जाता है।

क्या इसके पहनने से स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव हो सकते हैं?

  • सामान्यतः इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता, लेकिन इसे हमेशा सही विधि और पूजा के साथ धारण करना चाहिए।

क्या 12 मुखी रुद्राक्ष पहनने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है?

  • कई लोग मानते हैं कि इसे पहनने से आर्थिक समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है, लेकिन यह आपके कर्म और मेहनत पर भी निर्भर करता है।

इसे कैसे शुद्ध करना चाहिए?

  • रुद्राक्ष को नियमित रूप से साफ पानी से धोकर, धूप में सुखाकर, भगवान सूर्य को अर्पित कर धारण करना चाहिए।