दीपावली क्यों मनाई जाती है? जानिए दिवाली की कथा (Diwali kyu Manai jati Hai): दीपावली (Deepawali), जिसे दिवाली (Diwali) के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार पूरे भारत में बड़े ही उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। दीपावली की रात को घरों में दीये जलाए जाते हैं, आतिशबाजी होती है, और लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर खुशियां मनाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दीपावली 2024 में कब है? क्या आप जानते हैं कि दीपावली क्यों मनाई जाती है? और क्या आप जानते हैं कि दीपावली के त्योहार से जुड़ी रोचक कहानियां कौन सी हैं? इस लेख में, हम आपको दीपावली के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे और इसके पीछे की कहानियों को समझाएंगे। हम आपको बताएंगे कि कैसे दीपावली हमारे जीवन में खुशियां और रोशनी लाती है और कैसे यह त्योहार हमें एकता और सामाजिक समरसता की ओर ले जाता है। तो आइए, दीपावली के बारे में जानें और इसकी महत्ता को समझें।
इस लेख के माध्यम से, हम आपको दीपावली के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे, जिससे आप इसकी महत्ता को समझ सकें और इसका लाभ उठा सकें…
दिवाली 2024 कब है? (Diwali 2024 kab Hai)
31 अक्टूबर की सुबह 4 बजे, उज्जैन के महाकाल मंदिर में विशेष भस्मारती के दौरान दीपावली का भव्य आयोजन किया जाएगा, जो श्रद्धालुओं के लिए एक अविस्मरणीय आध्यात्मिक अनुभव होगा। इसी दिन, श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली सांदीपनि आश्रम में भी प्रदोषकाल में दीपावली मनाई जाएगी, जो भक्तों को दिव्य अनुभूति प्रदान करेगी। धर्मशास्त्रों के अनुसार, 31 अक्टूबर को दीपावली मनाना पूर्णतः शास्त्रों के अनुरूप है, जिससे यह दिन अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व धारण करता है। इसलिए समस्त देशवासियों को इस अवसर पर 31 अक्टूबर 2024 की रात को दीपावली का पर्व हर्षोल्लास से मनाना चाहिए।
दिवाली क्यों मनाई जाती है? (Diwali kyu Manayi Jati Hai)
दीपावली (Diwali), जिसे दीपों का पर्व भी कहा जाता है, भारत का सबसे प्रमुख और पवित्र त्योहार है। इसे कार्तिक महीने की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। दीपावली के पीछे कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं, जैसे भगवान श्रीराम का 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटना, पांडवों का वनवास समाप्त कर राज्य में पुनः प्रवेश, और भगवान श्रीकृष्ण द्वारा नरकासुर का वध। इस दिन मां लक्ष्मी, धन और समृद्धि की देवी, का पूजन भी विशेष रूप से किया जाता है, क्योंकि यह दिन उनके अवतरण का प्रतीक माना जाता है। दीपावली अच्छाई की बुराई पर विजय, प्रकाश की अंधकार पर जीत, और जीवन में सुख-समृद्धि का प्रतीक है, जिसे दीप जलाकर और खुशियां मनाकर सभी लोग एक साथ मनाते हैं।
दिवाली से जुड़ी पांच कहानियां (Diwali se judi 5 kahaniyan)
1. पांडवों का राज्य में पुनः आगमन
महाभारत की कथा के अनुसार, पांडवों को कौरवों और शकुनी मामा ने छलपूर्वक शतरंज के खेल में पराजित कर दिया था, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें 13 वर्षों के लिए वनवास भोगना पड़ा। वनवास की समाप्ति पर, कार्तिक अमावस्या के दिन पांडव अपने राज्य लौटे। उनके लौटने की खुशी में राज्य के लोगों ने घर-घर दीप जलाए और उत्सव मनाया। यही माना जाता है कि इस ऐतिहासिक घटना से दीपावली के त्योहार की शुरुआत हुई थी, जब अंधकार को प्रकाश से जीतने का प्रतीक बना।
2. श्रीराम का अयोध्या में आगमन
दीपावली की सबसे प्रचलित कथा भगवान श्रीराम से जुड़ी है। जब राम ने 14 वर्षों का वनवास पूरा कर राक्षस रावण का वध कर अयोध्या लौटे, तो नगरवासियों ने दीप जलाकर उनके स्वागत में उल्लास मनाया। यह दिन राम की विजय और धर्म की पुनर्स्थापना का प्रतीक बन गया। अयोध्यावासियों के दीपों से सजी इस अमावस्या की रात को तभी से ‘दीपावली’ के रूप में मनाया जाने लगा, जो प्रकाश और सुख-समृद्धि का पर्व बना।
3. राजा विक्रमादित्य का राज्याभिषेक
भारत के महान सम्राट राजा विक्रमादित्य का राज्याभिषेक भी दीपावली के साथ जुड़ा है। विक्रमादित्य को उनके न्यायप्रियता और साहस के लिए स्मरण किया जाता है। यह कहा जाता है कि कार्तिक अमावस्या के दिन ही उनका राज्याभिषेक हुआ था। उनकी उदारता और न्यायप्रियता के प्रतीक स्वरूप, इस पावन अवसर पर दीप जलाने की परंपरा शुरू हुई। यह दिन आदर्श शासन और समाज में धार्मिकता की विजय का प्रतीक बन गया।
4. मां लक्ष्मी का प्रकट होना
समुद्र मंथन की प्रसिद्ध घटना में से दीपावली का एक और प्रमुख कारण उत्पन्न होता है। कहा जाता है कि कार्तिक अमावस्या के दिन ही मां लक्ष्मी ने समुद्र मंथन से अवतार लिया था। धन, समृद्धि, और वैभव की देवी लक्ष्मी की इस विशेष दिन पूजा की जाती है, जिससे उनके आशीर्वाद से घर-घर में खुशहाली आए। दीपावली के दीप जलाना लक्ष्मी के स्वागत का प्रतीक माना जाता है, जिससे हर घर में सुख और समृद्धि का वास हो।
5. नरकासुर का अंत
दीपावली के त्योहार से जुड़ी एक अन्य महत्वपूर्ण कथा नरकासुर के वध की है। नरकासुर, प्रागज्योतिषपुर का अत्याचारी राजा था, जिसने देवमाता अदिति के आभूषणों को छीन लिया था। देवताओं के अनुरोध पर भगवान श्रीकृष्ण और उनकी पत्नी सत्यभामा ने मिलकर नरकासुर का अंत किया। नरकासुर की मृत्यु के बाद, लोगों ने अंधकार के अंत और बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने के लिए दीप जलाए, जो आज भी दीपावली की परंपरा का एक हिस्सा है।
Conclusion:-Diwali kyu Manai jati Hai
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FAQ’s:-Diwali kyu Manai jati Hai
1. भगवान राम की अयोध्या वापसी
दिवाली का सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण कारण भगवान राम की 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या वापसी है। राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ जब अयोध्या लौटे, तब उनके स्वागत के लिए अयोध्यावासियों ने पूरे नगर को दीपों से सजाया था। इसीलिए इसे ‘दीपावली’ कहा जाता है, जिसका मतलब होता है ‘दीपों की पंक्ति’।
2. भगवान लक्ष्मी पूजा
दिवाली को धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी की पूजा के रूप में भी मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन से प्रकट हुई थीं और इस दिन घरों की सफाई और सजावट करने से माता लक्ष्मी का वास होता है। लोग इस दिन धन की देवी की आराधना करते हैं ताकि उनके घर में धन और समृद्धि बनी रहे।
3. नरकासुर वध
कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण ने इस दिन नरकासुर नामक असुर का वध किया था। यह असुर पाप और अज्ञानता का प्रतीक था, और उसके वध से लोगों को मुक्ति मिली। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी देखा जाता है।
4. महावीर निर्वाण दिवस
जैन धर्म के अनुसार, दिवाली का दिन भगवान महावीर के निर्वाण (मोक्ष) का दिन है। इस दिन को जैन समुदाय विशेष पूजा और ध्यान द्वारा मनाते हैं।
5. सिख धर्म में दिवाली
सिख धर्म में भी दिवाली का महत्व है। इस दिन सिखों के छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद सिंह जी, मुगल सम्राट जहांगीर द्वारा जेल से मुक्त किए गए थे। सिख समुदाय इस दिन को ‘बंदी छोड़ दिवस’ के रूप में मनाता है।
6. नया साल
दिवाली के बाद से व्यापारिक समुदाय नया साल मनाते हैं। इस दिन से नए बहीखाते खोले जाते हैं और व्यवसाय में उन्नति की कामना की जाती है।
SEO के लिए FAQs (Frequently Asked Questions):
- दिवाली कब मनाई जाती है? दिवाली हर साल अक्टूबर या नवंबर महीने में अमावस्या के दिन मनाई जाती है। यह हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास में आती है।
- दिवाली के मुख्य त्योहार कौन से हैं? दिवाली के पांच मुख्य त्योहार हैं: धनतेरस, नरक चतुर्दशी, लक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजा, और भाई दूज।
- दिवाली पर कौन-कौन सी पूजा होती हैं? दिवाली पर लक्ष्मी पूजा, गणेश पूजा और धन की पूजा की जाती है ताकि घर में समृद्धि और सुख-शांति बनी रहे।
- दिवाली क्यों मनाई जाती है? दिवाली भगवान राम की अयोध्या वापसी, देवी लक्ष्मी की पूजा, नरकासुर के वध और भगवान महावीर के निर्वाण के रूप में मनाई जाती है।
- दिवाली को और किन नामों से जाना जाता है? दिवाली को दीपावली, दीपोत्सव और प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता है।