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जानिए भगवान शिव और नंदी बैल की कथा,Know the Story of Lord Shiva and Nandi bull

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हिन्दू धर्म (Hindu religion) में भगवान शिव (Lord Shiva) को तीनों लोकों का स्वामी माना जाता है। वे सृष्टि के सृजन, पालन और संहार के देवता हैं। भगवान शिव को अक्सर एक विरक्त और शांत व्यक्ति के रूप में चित्रित किया जाता है, लेकिन उनके भीतर एक अद्भुत शक्ति और ऊर्जा का भंडार होता है। भगवान शिव के वाहन नंदी बैल (Nandi Bull)  हैं। नंदी बैल को शक्ति, उग्रता और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। नंदी बैल भगवान शिव के सबसे प्रिय और निष्ठावान भक्तों (devotees) में से एक हैं, और आज के इस लेख के जरिए हम आपको भगवान शिव के प्रिय भक्त नदी के बारे में बताएंगे साथ ही हम आपको भगवान शिव और नंदी की कथा भी बताएंगे इसलिए हमारे इस लेख (article) को अंत तक जरूर पढ़िए ।

टॉपिक जानिए भगवान शिव और नंदी बैल की कथा,Know the story of Lord Shiva and Nandi bull
लेख प्रकार आर्टिकल
देव/वाहननंदी 
जातिबैल
स्वभावदयालु, साहसी एवं शक्तिशाली
नंदी के पिता का नाम ऋषि शिलाद
भूमिकाभगवान शिव के वाहन और मित्र
महत्वहिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान

भगवान शिव और नंदी की कथा,Story of Lord Shiva and Nandi

पुराणों के अनुसार, एक बार शिलाद (Shilad) नाम के एक ऋषि (sage) थे। वे भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त थे। उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या (penance) से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया कि उन्हें एक दिव्य पुत्र (son) प्राप्त होगा।

कुछ समय पश्चात ही शिलाद ऋषि को एक पुत्र हुआ। उन्होंने अपने पुत्र का नाम नंदी रखा। नंदी बचपन से ही भगवान शिव के प्रति बहुत श्रद्धावान (devotee) थे। वे हमेशा भगवान शिव की पूजा किया करते थे।

एक दिन, नंदी के पिता शिलाद ऋषि के आश्रम में दो संत आए। उन संतों की नंदी ने की सेवा की। नंदी ने पूरी श्रद्धा से उनकी सेवा की। संत जब आश्रम से जाने लगे तो उन्होंने शिलाद ऋषि को दीर्घायु होने का आर्शिवाद दिया पर नंदी को नहीं। यह सब देखकर शील्ड ऋषि बहुत दुखी हुए और उन्होंने संतों से नदी को आशीर्वाद ना देने का कारण पूछा तभी संतों ने कहा कि नदी को आशीर्वाद देने से कोई लाभ नहीं होगा क्योंकि नदी अल्पायु है ।

संतों की बातों को सुनकर ऋषि बहुत दुखी रहने लगे अपने पिता की उदासी देख नंदी ने पिता से उदासी का कारण पूछा तभी उनके पिताजी ने नदी को अपनी पूरी व्यथा का डाली। यह सुनकर नंदी ने कहा, “पिताजी, आप चिंता न करें। मैं भगवान शिव की तपस्या (penance) करूंगा। मैं उन्हें प्रसन्न करके उनसे वरदान मांगूंगा कि वे मुझे दीर्घायु बना दें।”

नंदी ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिया। भगवान शिव ने कहा, “नंदी, मैं तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न हूं। मैं तुम्हें दीर्घायु होने का वरदान देता हूं। इसके साथ ही मैं तुम्हें अपना वाहन और सबसे प्रिय भक्त भी बनाता हूं।”

भगवान शिव के वरदान से नंदी जी को दीर्घायु प्राप्त हुई इसके बाद से नंदी की शिव जी के प्रिय भक्त भी बन गए साथ ही नंदी की हमेशा-हमेशा के लिए शिव जी की सेवा करने लगे ।

कैसे करें नंदी की पूजा?, How to worship Nandi?

भगवान शिव की पूजा करने के बाद सभी भक्तों को भगवान नंदी की भी पूजा अवश्य करनी चाहिए, नंदी महाराज के सामने घी का दीपक जलाना चाहिए और उनकी आरती करनी चाहिए और किसी भी अन्य व्यक्ति से बातचीत किए बिना नंदी जी के कानों में अपनी सभी इच्छाएं या मनोकामनाएं भी बोल देनी चाहिए।

मान्यता है कि नंदी जी के कानों में अपनी मनोकामनाएं बोलने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं सिद्ध हो जाती हैं हां लेकिन आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप नंदी जी के बाएं कान में ही अपनी सभी मनोकामनाएं बोले आपकी मनोकामनाओं को अन्य कोई व्यक्ति सुनने ना पाए।

आपको इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि आप नंदी जी के कानों में किसी भी व्यक्ति की बुराई ना करें और ना ही किसी का बुरा भी ना सोचे केवल अपनी इच्छाओं और अपने परिवार के सुखद जीवन की मनोकामनाओं को ही नंदी जी के समक्ष व्यक्त करें ।

नंदी की पूजा का महत्व, Importance of Nandi worship

हिंदू धर्म में नंदी बैल का बहुत महत्व है। वे भगवान शिव के वाहन और सबसे प्रिय भक्त हैं। नंदी जी को शक्ति और वीरता का प्रतीक माना जाता है। नंदी बैल को हिंदू धर्म में कई जगहों पर पूजा जाता है। शिव मंदिरों में नंदी बैल की मूर्ति या प्रतिमा अवश्य होती है। नंदी बैल को शिव मंदिरों के मुख्य द्वार पर बैठाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि नंदी बैल भगवान शिव के भक्तों की रक्षा भी करते हैं।

Summary 

नंदी बैल भगवान शिव के साथ-साथ हिंदू धर्म के लिए भी एक महत्वपूर्ण प्रतीक हैं। वे शक्ति, वीरता और भक्ति के प्रतीक हैं। नंदी बैल की पूजा और आराधना से व्यक्ति को शक्ति, वीरता और भक्ति प्राप्त होती है। भगवान शिव और नंदी जी की यह कथा अगर आपको पसंद आई हो तो इसे अपने मित्रों के साथ भी जरूर साझा करें साथ ही हमारे अन्य आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़िए ।

FAQ’S 

Q. नंदी बैल कौन हैं?

Ans. नंदी बैल भगवान शिव का वाहन और उनका सबसे प्रिय गण हैं।

Q. नंदी बैल का रूप कैसा है?

Ans. नंदी बैल को श्वेत रंग का, शांत और विनम्र स्वभाव वाला माना जाता है।

Q. नंदी बैल की पूजा का क्या महत्व है?

Ans. नंदी बैल की पूजा से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

Q. नंदी बैल को क्या भोग लगाया जाता है?

Ans. नंदी बैल को दूध, घी, बेल पत्र, फल और फूल भोग लगाया जाता है।

Q. नंदी बैल की पूजा का क्या महत्व है?

Ans. नंदी बैल की पूजा से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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सुरभि शर्मा
मेरा नाम सुरभि शर्मा है और मैंने पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। हमेशा से मेरी रुचि हिंदू साहित्य और धार्मिक पाठों के प्रति रही हैं। इसी रुचि के कारण मैं एक पौराणिक लेखक हूं। मेरा उद्देश्य भारतीय पौराणिक कथाओं और धार्मिक ग्रंथों को सार्थकता से प्रस्तुत करके समाज को शिक्षा और प्रेरणा प्रदान करना है। मैं धार्मिक साहित्य के महत्व को समझती हूं और इसे नई पीढ़ियों तक पहुंचाने का संकल्प रखती हूं। मेरा प्रयास है कि मैं भारतीय संस्कृति को अधिक उत्कृष्ट बनाने में योगदान दे सकूं और समाज को आध्यात्मिकता और सामाजिक न्याय के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित कर सकूं।