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भगवान शिव और नंदी बैल की कथा।Lord Shiva and Nandi Story: कौन है नंदी? क्या है इनका इतिहास,महत्व,पूजा विधि आदि ? चलिए इस लेख में जानें

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भगवान शिव और नंदी बैल की कथा।Lord Shiva and Nandi Story: हिंदू धर्म में भगवान नंदी का एक विशेष स्थान है, जो भगवान शिव के विश्वसनीय सेवक और शक्तिशाली बैल के रूप में जाने जाते हैं। नंदी की प्रतिमा लगभग हर शिव मंदिर में देखी जा सकती है, जो भगवान शिव की आराधना का प्रतीक है। नंदी की कहानी और इतिहास पौराणिक कथाओं में भरा पड़ा है, जो उनकी शक्ति, भक्ति और समर्पण को दर्शाता है। नंदी की पूजा करने से व्यक्ति को शक्ति, साहस और आत्मविश्वास प्राप्त होता है। इस लेख में, हम आपको भगवान नंदी के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। हम आपको बताएंगे कि भगवान नंदी कौन हैं, उनका इतिहास क्या है, उनकी कहानी क्या है, नंदी की पूजा कैसे की जाती है, और नंदी की पत्नी का क्या नाम है। साथ ही, हम आपको नंदी के महत्व और उनकी पूजा के लाभों के बारे में भी बताएंगे। 

तो आइए, इस विशेष लेख के जरिए जानें भगवान नंदी जी से संबंधित सभी जानकारी विस्तार से, तो कृपया हमारे इसलिए को अंत तक जरूर पढ़ें…..

टॉपिक जानिए भगवान शिव और नंदी बैल की कथा, Know The Story of Lord Shiva And Nandi Bull
लेख प्रकार आर्टिकल
देव/वाहननंदी 
जातिबैल
स्वभावदयालु, साहसी एवं शक्तिशाली
नंदी के पिता का नाम ऋषि शिलाद
भूमिकाभगवान शिव के वाहन और मित्र
महत्वहिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान

नंदी कौन है । Nandi kaun hain

नंदी (Nandi), भगवान शिव (Bhagwan Shiv) के प्रिय वाहन और उनके परम भक्त, शिव की शक्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। उन्हें न केवल भगवान शिव के वाहन के रूप में जाना जाता है, बल्कि कैलाश पर्वत के द्वारपाल के रूप में भी उनका विशेष महत्व है। शिव के प्रमुख गणों में नंदी का स्थान अत्यंत उच्च है। उनकी शालीनता और शांत स्वभाव उन्हें सभी गणों में अद्वितीय बनाता है।

नंदी का इतिहास क्या है । Nandi ka itihas kya hai

नंदी (Nandi), भगवान शिव (Bhagwan Shiv) के प्रमुख गण और उनके अनन्य भक्त के रूप में पूजनीय हैं। पुराणों के अनुसार, नंदी न केवल शिव के वाहन हैं, बल्कि उन्हें शिव की सेवा और भक्ति का प्रतीक भी माना जाता है। एक मान्यता यह भी है कि नंदी ही प्राचीन कामशास्त्र के रचनाकार हैं। बैल को महिष कहा जाता है, और इसी कारण भगवान शिव का एक नाम “महेश” भी प्रचलित हुआ।

ऋषि शिलाद, जो तपस्या और कठोर साधना के लिए प्रसिद्ध थे, ने घोर तपस्या के बाद पुत्र के रूप में नंदी को प्राप्त किया। बचपन से ही नंदी को वेदों का गहन ज्ञान दिया गया। एक दिन, शिलाद ऋषि के आश्रम में मित्र और वरुण नामक दो दिव्य ऋषि पधारे। नंदी ने पिता की आज्ञा से उनका आदरपूर्वक सत्कार किया। प्रसन्न होकर ऋषियों ने शिलाद ऋषि को लंबी आयु का आशीर्वाद दिया, परंतु नंदी को कोई आशीर्वाद नहीं दिया।

शिलाद ऋषि के पूछने पर ऋषियों ने कहा कि नंदी अल्पायु है। यह सुनकर शिलाद ऋषि चिंतित हो गए। जब नंदी ने पिता के चेहरे पर चिंता के भाव देखे, तो उसने इसका कारण पूछा। शिलाद ऋषि ने जब सारी बात बताई, तो नंदी मुस्कुराए और बोले, “पिताजी, आपने मुझे शिव की कृपा से पाया है। मेरी आयु की रक्षा भी वही करेंगे। आप नाहक चिंता न करें।”

यह कहते हुए नंदी भुवन नदी के तट पर चले गए और भगवान शिव की घोर तपस्या करने लगे। उनकी भक्ति और कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए। शिव ने नंदी से वरदान मांगने को कहा। नंदी ने निवेदन किया, “हे प्रभु, मैं सदा-सर्वदा आपके साथ रहना चाहता हूं। आपके सानिध्य में मेरा जीवन धन्य हो।”

नंदी (Nandi) के इस समर्पण से शिव अत्यंत प्रसन्न हुए। उन्होंने नंदी को गले लगाकर वरदान दिया और कहा, “तुम केवल मेरे वाहन नहीं, बल्कि मेरे परम मित्र और सर्वोत्तम गण भी हो।” शिव ने नंदी को बैल का चेहरा प्रदान किया और उन्हें अपना वाहन बनने का गौरव प्रदान किया।

नंदी का महत्व । Nandi ka mahatv

शिव का वाहन: नन्दी को शिव का वाहन माना जाता है, जो उनके साथ अटूट संबंध स्थापित करता है। यह बैल मूल रूप से शिव का ही पशु रूप था, लेकिन कुछ विद्वानों का मत है कि यह बाद में उनका वाहन बना। नन्दी की मूर्तियाँ आमतौर पर शिव मंदिरों के प्रवेश द्वार पर स्थापित की जाती हैं, जहां वे शिव की सेवा में लगे हुए होते हैं ।

धार्मिक महत्व: नन्दी का धार्मिक महत्व भी है। वह शिव के निकटतम और सबसे विश्वस्त अनुयायी माने जाते हैं, और उन्हें शिव के संदेशवाहक के रूप में देखा जाता है। भक्तों का मानना है कि नन्दी के माध्यम से उनकी प्रार्थनाएं और अनुरोध शिव तक पहुंचते हैं। इसलिए, नन्दी की प्रतिमा के सामने प्रार्थना करने का धार्मिक अभ्यास है, जिससे मान्यता है कि यह भक्तों की कामनाओं की पूर्ति करता है।

भगवान शिव और नंदी की कथा । Story of Lord Shiva And Nandi

पुराणों के अनुसार, एक बार शिलाद (Shilad) नाम के एक ऋषि (sage) थे। वे भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त थे। उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या (penance) से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया कि उन्हें एक दिव्य पुत्र (son) प्राप्त होगा।

कुछ समय पश्चात ही शिलाद ऋषि को एक पुत्र हुआ। उन्होंने अपने पुत्र का नाम नंदी रखा। नंदी बचपन से ही भगवान शिव के प्रति बहुत श्रद्धावान (devotee) थे। वे हमेशा भगवान शिव की पूजा किया करते थे।

एक दिन, नंदी के पिता शिलाद ऋषि के आश्रम में दो संत आए। उन संतों की नंदी ने की सेवा की। नंदी ने पूरी श्रद्धा से उनकी सेवा की। संत जब आश्रम से जाने लगे तो उन्होंने शिलाद ऋषि को दीर्घायु होने का आर्शिवाद दिया पर नंदी को नहीं। यह सब देखकर शील्ड ऋषि बहुत दुखी हुए और उन्होंने संतों से नदी को आशीर्वाद ना देने का कारण पूछा तभी संतों ने कहा कि नदी को आशीर्वाद देने से कोई लाभ नहीं होगा क्योंकि नदी अल्पायु है।

संतों की बातों को सुनकर ऋषि बहुत दुखी रहने लगे अपने पिता की उदासी देख नंदी ने पिता से उदासी का कारण पूछा तभी उनके पिताजी ने नदी को अपनी पूरी व्यथा का डाली। यह सुनकर नंदी ने कहा, “पिताजी, आप चिंता न करें। मैं भगवान शिव की तपस्या (penance) करूंगा। मैं उन्हें प्रसन्न करके उनसे वरदान मांगूंगा कि वे मुझे दीर्घायु बना दें।”

नंदी ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिया। भगवान शिव ने कहा, “नंदी, मैं तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न हूं। मैं तुम्हें दीर्घायु होने का वरदान देता हूं। इसके साथ ही मैं तुम्हें अपना वाहन और सबसे प्रिय भक्त भी बनाता हूं।”

भगवान शिव के वरदान से नंदी जी को दीर्घायु प्राप्त हुई इसके बाद से नंदी की शिव जी के प्रिय भक्त भी बन गए साथ ही नंदी की हमेशा-हमेशा के लिए शिव जी की सेवा करने लगे।

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नंदी की पूजा कैसे करें? (Nandi ki Puja Kaise kare?)

नंदी (Nandi) महाराज की पूजा विधि के तीन प्रमुख चरण:

  • शिवलिंग का जलाभिषेक और दीप प्रज्वलन: शिवालय में प्रवेश करने के बाद सर्वप्रथम भगवान शिव का जलाभिषेक करें। यह पूजा का पहला और महत्वपूर्ण चरण है, जो आपके श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। जलाभिषेक के पश्चात, नंदी महाराज की प्रतिमा के समक्ष श्रद्धा भाव से एक दीपक जलाएं। यह दीपक समर्पण और भक्तिपूर्ण ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।
  • नंदी महाराज की आरती: दीप प्रज्वलित करने के बाद नंदी महाराज की आरती करें। आरती को पूर्ण भक्ति और ध्यान के साथ गाएं या सुनें। आरती के दौरान मन को शांत रखें और पूरे मनोयोग से नंदी महाराज के प्रति अपना समर्पण प्रकट करें। आरती के बाद कुछ क्षण ध्यान करें और उनकी दिव्यता को अनुभव करें।
  • मनोकामना व्यक्त करना: आरती के उपरांत, बिना किसी से बातचीत किए सीधे नंदी महाराज के समीप जाएं। उनके कानों में धीमे स्वर में अपनी मनोकामना व्यक्त करें। इसे पूरी निष्ठा और विश्वास के साथ करें। मनोकामना व्यक्त करने के बाद “नंदी महाराज, कृपया हमारी मनोकामना पूरी करें” अवश्य कहें। ऐसा माना जाता है कि नंदी महाराज आपकी इच्छाओं को भगवान शिव तक पहुंचाने का माध्यम बनते हैं।

नंदी की पूजा का महत्व, Importance of Nandi Worship

हिंदू धर्म में नंदी बैल का बहुत महत्व है। वे भगवान शिव के वाहन और सबसे प्रिय भक्त हैं। नंदी जी को शक्ति और वीरता का प्रतीक माना जाता है। नंदी बैल को हिंदू धर्म में कई जगहों पर पूजा जाता है। शिव मंदिरों में नंदी बैल की मूर्ति या प्रतिमा अवश्य होती है। नंदी बैल को शिव मंदिरों के मुख्य द्वार पर बैठाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि नंदी बैल भगवान शिव के भक्तों की रक्षा भी करते हैं।

Conclusion

नंदी बैल भगवान शिव के साथ-साथ हिंदू धर्म के लिए भी एक महत्वपूर्ण प्रतीक हैं। वे शक्ति, वीरता और भक्ति के प्रतीक हैं। नंदी बैल की पूजा और आराधना से व्यक्ति को शक्ति, वीरता और भक्ति प्राप्त होती है। भगवान शिव और नंदी जी की यह कथा अगर आपको पसंद आई हो तो इसे अपने मित्रों के साथ भी जरूर साझा करें साथ ही हमारे अन्य आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़िए ।

FAQ’S

Q.नंदी की पत्नी का नाम क्या है?

Ans. नंदी की पत्नी का नाम सुयशा था, जो मरुतों की पुत्री थीं। 

Q. नंदी के कान में क्या बोला जाता है?

Ans. “ॐ” शब्द का उच्चारण करने के बाद नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहें, ध्यान रखें कि कोई और न सुने, इससे आपकी मनोकामना भगवान शिव तक जल्दी पहुंचती है। 

Q. नंदी बैल कौन हैं?

Ans. नंदी बैल भगवान शिव का वाहन और उनका सबसे प्रिय गण हैं।

Q. नंदी बैल का रूप कैसा है?

Ans. नंदी बैल को श्वेत रंग का, शांत और विनम्र स्वभाव वाला माना जाता है।

Q. नंदी बैल की पूजा का क्या महत्व है?

Ans. नंदी बैल की पूजा से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

Q. नंदी बैल को क्या भोग लगाया जाता है?

Ans. नंदी बैल को दूध, घी, बेल पत्र, फल और फूल भोग लगाया जाता है।

Q. नंदी बैल की पूजा का क्या महत्व है?

Ans. नंदी बैल की पूजा से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।