गुरु नानक जयंती कब है? (Guru Nanak jayanti kab Hai): गुरु नानक जयंती सिख धर्म का एक महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है, जो गुरु नानक देव जी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह पर्व पूरे भारत में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, खासकर पंजाब और सिख समुदाय में।
गुरु नानक देव जी सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु थे, जिन्होंने अपनी शिक्षाओं और उपदेशों से लोगों को एकता, समरसता, और आध्यात्मिक ज्ञान की ओर प्रेरित किया। उनकी जयंती का महत्व न केवल सिख धर्म में है, बल्कि यह पूरे विश्व में शांति, प्रेम, और एकता का संदेश देता है। इस लेख में, हम आपको गुरु नानक जयंती के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। हम आपको बताएंगे कि गुरु नानक जयंती क्या है, 2024 में गुरु नानक जयंती कब मनाई जाएगी, इसे क्यों मनाया जाता है, गुरु नानक जी का इतिहास क्या है, उनकी प्रमुख शिक्षाएं क्या हैं, उनकी जयंती का महत्व क्या है, और उनके परिवार और वंशजों का नाम क्या है।
तो आइए, जानें गुरु नानक जयंती के पावन पर्व के बारे में बेहद विस्तार से…
गुरुनानक जयंती क्या है? (Gurunanak Jayanti kya Hai)
गुरु नानक जयंती (Guru Nanak jayanti) सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। यह पर्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में आता है। गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था, जिसे आज ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है और यह पाकिस्तान में स्थित है। इस दिन गुरुद्वारों में कीर्तन, लंगर, और सेवा का आयोजन होता है। भक्त गुरु नानक जी की शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए मानवता, समानता और भाईचारे का संदेश फैलाने का संकल्प लेते हैं।
गुरु नानक जयंती 2024 कब है? (When is Guru Nanak Jayanti)
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 15 नवंबर को प्रातः 6 बजकर 19 मिनट पर होगा, और इसका समापन 16 नवंबर को रात्रि 2 बजकर 58 मिनट पर होगा। इस दिन विशेष रूप से कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक पर्व मनाया जाएगा, जो गुरु नानक जयंती के रूप में भी अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि आध्यात्मिक उन्नति और समरसता का प्रतीक है।
गुरु नानक जयंती क्यों मनाई जाती है? (Guru Nanak Jayanti kyon Manai Jati Hai)
गुरु नानक जयंती (Guru Nanak jayanti) सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। गुरु नानक का जन्म 1469 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था, जिसे अब ननकाना साहिब (पाकिस्तान) के नाम से जाना जाता है। इस दिन को प्रकाश पर्व भी कहा जाता है क्योंकि गुरु नानक जी ने समाज में धर्म, समानता, और सद्भाव का प्रकाश फैलाया। उन्होंने जाति-पांति और अंधविश्वास का विरोध किया और एक ईश्वर की उपासना का संदेश दिया। उनकी शिक्षाओं पर आधारित सिख धर्म आज भी विश्वभर में लाखों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है। इस दिन, गुरुद्वारों में कीर्तन, लंगर और प्रभात फेरी का आयोजन किया जाता है, और उनके बताए मार्ग पर चलने की प्रेरणा ली जाती है।
गुरु नानक देव जी का जीवन परिचय (Guru Nanak Dev Ji Biography)
गुरु नानक देव जी (Guru Nanak Dev Ji) का जीवन भारतीय समाज और संस्कृति में एक अविस्मरणीय धरोहर बन चुका है। उनका जन्म 15 अप्रैल, 1469 को राय भोई दी तलवंडी (अब पाकिस्तान के ननकाना साहिब) में हुआ था, एक व्यापारी खत्री परिवार में। उनकी जन्मतिथि पर विभिन्न मत हैं; कुछ इसे वैसाख माह में मानते हैं, जबकि अन्य इसे कार्तिक माह की 15वीं तिथि के रूप में मानते हैं। गुरु नानक के जीवन के बारे में जो भी जानकारी मिलती है, वह मुख्यतः साखियों और उपाख्यानों के माध्यम से प्रकट होती है, जो उनके संघर्षों, शिक्षाओं और दिव्य दृष्टिकोण को दर्शाती हैं।
गुरु नानक देव जी (Guru Nanak Dev Ji) ने अपने जीवन के माध्यम से एकेश्वरवाद का संदेश दिया और समाज में व्याप्त कुरीतियों और असमानताओं के खिलाफ प्रखर आवाज उठाई। उन्होंने भक्ति भजनों के जरिए अपनी शिक्षाएं दीं, जिसमें शबद और सिमरन के माध्यम से भगवान का ध्यान और नाम का जाप महत्वपूर्ण बताया गया। उनका जीवन हमें भक्ति, ध्यान और आत्मिक उन्नति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। उन्हें सिख धर्म के पहले गुरु के रूप में मान्यता प्राप्त है, और उनका “मूल मंत्र” आज भी सिख धर्म का अभिन्न हिस्सा है।
गुरु नानक देव जी के अंतिम वर्षों में करतारपुर गांव में शरण ली, जहाँ उन्होंने अपने शिष्यों के साथ एक समुदाय स्थापित किया। यहाँ उनके भक्ति भजन गाए जाते थे और उनकी शिक्षाएं समाज को दिशा देती थीं। उनकी दिव्य उपदेशों से प्रेरित होकर हजारों लोग उनके पास आते थे और उनके मार्गदर्शन में सुधार की दिशा में कदम बढ़ाते थे।
गुरु नानक देव जी का निधन 1539 में करतारपुर में हुआ, लेकिन उनकी दिव्य शिक्षाएं आज भी जीवित हैं। सिख धर्म के अनुयायी उन्हें श्रद्धा और सम्मान के साथ याद करते हैं। उनका जीवन मानवता की सेवा, शांति और समानता का प्रतीक बन चुका है, और सिख धर्म की नींव को मजबूत करने में उनकी भूमिका हमेशा याद की जाएगी।
गुरु नानक का जन्म कहाँ हुआ था? (Guru Nanak ka Janm kaha Hua Tha)
गुरु नानक देव जी (Guru Nanak Dev Ji) का जन्म 15 अप्रैल, 1469 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के एक छोटे से गांव तलवंडी में हुआ, जिसे आजकल ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है। वह सिख धर्म के पहले गुरु थे और उनकी उत्पत्ति एक हिंदू परिवार में हुई थी। उनके पिता का नाम मेहता कालूचंद था, जबकि उनकी मां का नाम तृप्ती देवी था। गुरु नानक देव जी का जीवन और उनके उपदेश आज भी विश्वभर में मानवता और आध्यात्मिकता की मिसाल बने हुए हैं।
गुरु नानक देव जी का परिवार (Guru Nanak Dev Ji ka Parivar)
गुरु नानक देव जी (Guru Nanak Dev Ji) के पिता का नाम मेहता कालूचंद था, जो एक खत्री ब्राह्मण थे, और उनकी मां का नाम तृप्ती देवी था। उनके जन्मस्थान तलवंडी को बाद में नानक के नाम पर ननकाना साहिब के नाम से जाना गया। गुरु नानक की एक बहन भी थीं, जिनका नाम नानकी था। बचपन से ही उनके अंदर असाधारण बुद्धि और दिव्य समझ के लक्षण स्पष्ट रूप से दिखने लगे थे, जो भविष्य में उनकी महानता का संकेत थे।
गुरु नानक देव जी के वंशज (Guru Nanak Dev Ji ke Vanshaj)
गुरु नानक देव जी (Guru Nanak Dev Ji) के परिवार के वंशजों में प्रमुख रूप से श्री चंद और लख्मी दास का नाम लिया जाता है। गुरु नानक ने अपने जीवन के अंतिम समय में अपने प्रिय शिष्य भाई लहना को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था, जो बाद में गुरु अंगद देव के नाम से प्रसिद्ध हुए। गुरु नानक का यह निर्णय सिख धर्म के उत्तराधिकार और इसके विस्तार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम था।
गुरु नानक की मृत्यु कब हुई? (Guru Nanak ki Mrityu kab Hui)
अपने उत्तराधिकारी को घोषित करने के कुछ समय बाद, गुरु नानक देव जी ने 22 सितंबर 1539 को 70 वर्ष की आयु में करतारपुर में अंतिम सांस ली। उनका यह निधन न केवल सिख समुदाय, बल्कि समूचे धार्मिक और आध्यात्मिक संसार के लिए एक गहरी क्षति था। लेकिन उनके उपदेश और शिक्षाएं आज भी जीवित हैं और अनगिनत लोगों के जीवन को प्रकाशित करती हैं।
गुरु नानक जयंती उत्सव (Guru Nanak Jayanti Celebration)
गुरु नानक जयंती के खास दिन, श्रद्धालु गुरु नानक देव जी की अमूल्य शिक्षाओं को पूरे मन से याद करते हैं। इस दिव्य अवसर पर कीर्तन, अखंड पाठ और लंगर का आयोजन होता है, जिससे उनके संदेशों को और अधिक लोगों तक पहुंचाया जा सके। यह पर्व सिख समुदाय के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे हर साल कार्तिक माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन लोग सेवा, परोपकार और ईश्वर भक्ति के रास्ते पर चलने का संकल्प लेते हैं, ताकि गुरु नानक के बताए मार्ग पर चलकर अपना जीवन और भी अधिक सार्थक बना सकें।
गुरु नानक देव जी का इतिहास (Guru Nanak Dev Ji ka Itihas)
- गुरु नानक देव जी का जन्म और परिवार: गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन राएभोए के तलवंडी गांव में हुआ, जो वर्तमान पाकिस्तान में ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है। उनके पिता का नाम कल्याणचंद (मेहता कालू) था और माता का नाम तृप्ता था। उनका बचपन साधारण था, लेकिन उनके व्यक्तित्व में एक विशेष आकर्षण था, जो आगे चलकर उन्हें समाज के महान सुधारक बना गया।
- उपनयन संस्कार और विवाह: गुरु नानक देव जी ने 13 वर्ष की आयु में उपनयन संस्कार लिया और धार्मिक शिक्षा की ओर अग्रसर हुए। 16 वर्ष की आयु में उनका विवाह सुलखनी नामक महिला से हुआ, जिससे उनके दो पुत्र—श्रीचंद और लक्ष्मीचंद—हुए। श्रीचंद जी ने उदासीन अखाड़े की स्थापना की, जो आज भी सिख समुदाय में महत्वपूर्ण माना जाता है। उनका विवाह और परिवार से जुड़ाव केवल व्यक्तिगत जीवन की राह नहीं दिखाता, बल्कि समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक बदलाव की शुरुआत भी करता है।
- उदासियां और यात्राएं: 1499 में गुरु नानक ने अपना संदेश देना शुरू किया और 30 वर्ष की आयु में धार्मिक यात्रा के लिए घर छोड़ा। उन्होंने 1521 तक भारत, अफगानिस्तान, फारस, अरब और अन्य देशों का दौरा किया। इन यात्राओं को ‘उदासियां’ कहा जाता है, जिसमें गुरु नानक ने न केवल धार्मिक उपदेश दिए, बल्कि विभिन्न संस्कृतियों और समाजों के बीच समानता और मानवता का संदेश फैलाया। उनकी यात्राओं से सिख धर्म को वैश्विक पहचान मिली।
- करतारपुर साहिब में अंतिम वर्ष: गुरु नानक देव जी ने 1522 में पाकिस्तान के नारोवाल जिले में स्थित करतारपुर साहिब में अपने जीवन के अंतिम 17 वर्षों का समय बिताया। यह स्थान रावी नदी के किनारे स्थित है और आज भी सिख समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यहां रहते हुए गुरु नानक जी ने अपने अंतिम दिनों में ध्यान और साधना की, जिससे यह स्थान उनके समर्पण और महानता का प्रतीक बन गया।
- महाप्रयाण और गुरु अंगद देव जी का उत्तराधिकार: 22 सितंबर, 1539 को गुरु नानक देव जी का महाप्रयाण हुआ। उनके अंतिम समय में उन्होंने अपने शिष्य भाई लहना को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया, जो बाद में गुरु अंगद देव के नाम से प्रसिद्ध हुए। गुरु नानक जी का जीवन और उनके उपदेश आज भी हमारे जीवन में सत्य, प्रेम और सेवा के मार्ग को दर्शाते हैं। उनका योगदान केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक सुधारों में भी था, और उन्होंने जीवनभर एकता, भाईचारे और समानता के सिद्धांतों का प्रचार किया।
गुरु नानक का योगदान (Guru Nanak ka Yogdan)
- गुरु नानक देव जी (Guru Nanak Dev Ji) का योगदान भारतीय समाज और धर्म के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने सिख धर्म की स्थापना की, जो एक नए धार्मिक दृष्टिकोण और सामाजिक समानता का प्रतीक बन गया।
- गुरु नानक ने दुनिया को सच्चे धर्म और भक्ति का मार्ग दिखाया, जिसमें व्यक्ति की आत्मा की शुद्धता और ईश्वर के प्रति सच्ची श्रद्धा को प्रमुख माना गया।
- उन्होंने जातिवाद, अंधविश्वास और समाज में व्याप्त असमानताओं के खिलाफ संघर्ष किया और सभी को समान दृष्टि से देखने का संदेश दिया।
- गुरु नानक देव जी ने “एक ओंकार” का उद्घोष किया, जो ईश्वर की एकता का प्रतीक है।
- उनका योगदान न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक सुधारों में भी महत्वपूर्ण था, जिससे आज भी उनके विचार लोगों के जीवन में प्रासंगिक बने हुए हैं।
गुरु नानक जयंती का महत्त्व क्या है? (Guru Nanak jayanti ka Mahatva kya Hai)
गुरु नानक जयंती का महत्व निम्नलिखित तीन प्रमुख बिंदुओं में विस्तार से समझाया जा सकता है:
- धार्मिक और आध्यात्मिक संदेश: गुरु नानक देव जी ने समाज में समानता, प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया। उनका जीवन सत्य, अहिंसा और न्याय की शिक्षा का प्रतीक है। उन्होंने भक्ति का मार्ग अपनाने के बजाय आत्मा की शुद्धता और ईश्वर के प्रति सच्ची श्रद्धा को महत्व दिया। उनका सिद्धांत था कि सभी मनुष्य समान हैं और ईश्वर के समक्ष सभी का स्थान समान है, चाहे वह कोई भी जाति, धर्म या रंग का हो।
- सिख धर्म की नींव: गुरु नानक देव जी ने सिख धर्म की स्थापना की, जो एक सशक्त धार्मिक और सामाजिक आंदोलन बना। उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब को अंतिम गुरु के रूप में मान्यता दी और इस धर्म में भक्ति के साथ-साथ कर्म, सेवा और समाज के उत्थान को महत्व दिया। उनकी शिक्षाएं आज भी सिख समुदाय के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं।
- समाज सुधार और सांप्रदायिक सौहार्द: गुरु नानक ने न केवल धार्मिक सुधारों की दिशा में कार्य किया, बल्कि सामाजिक असमानताओं को समाप्त करने की कोशिश की। उन्होंने जातिवाद, बुराई और अंधविश्वास के खिलाफ संघर्ष किया और सबको एक समान दृष्टि से देखने का संदेश दिया। उनके आदर्शों ने समाज में एकता, सहिष्णुता और सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा दिया।
गुरु नानक की शिक्षाएं (Guru Nanak ki Shiksha yen)
गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं सिख धर्म के मूल स्तंभों में से एक हैं, जो जीवन को सच्चाई, प्रेम और समर्पण से भर देती हैं। उनकी 10 प्रमुख शिक्षाओं को हम इस तरह समझ सकते हैं:
1.एक ओंकार:-गुरु नानक देव जी ने यह शिक्षा दी कि ईश्वर एक है और वह सभी जगह और सभी प्राणियों में विद्यमान है। उनका संदेश है कि चाहे हम किसी भी धर्म का पालन करें, सबका मार्ग एक ही है – एकता और समानता की प्रेरणा देने वाली शिक्षा।
2. नाम जपो:-गुरु जी ने कहा कि ईश्वर के नाम का जप करना हमारे जीवन को शुद्ध और संतुलित बना सकता है। उन्होंने यह भी सिखाया कि भक्ति का सबसे सरल और सशक्त रूप नाम स्मरण है, जो सिख धर्म की अनिवार्य साधना है।
3. किरत करो:-गुरु नानक देव जी का संदेश था कि हमें मेहनत और ईमानदारी से काम करना चाहिए। केवल परिश्रम से ही प्राप्त सफलता स्थायी और सार्थक होती है, जो जीवन में वास्तविक समृद्धि लाती है।
4. वंड छको:-गुरु जी ने समाज में भाईचारे को बढ़ावा देने की शिक्षा दी। उन्होंने यह सिखाया कि हमें अपनी कमाई और संसाधनों को दूसरों के साथ बांटना चाहिए, ताकि सभी की जीवन यात्रा सुखमय हो।
5. सभी का सम्मान करो:-गुरु नानक देव जी ने बताया कि हमें हर व्यक्ति का सम्मान करना चाहिए, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म या वर्ग से हो। उनका उद्देश्य समाज में भेदभाव और असमानता को मिटाना था।
6. सेवा भावना:-गुरु जी ने निःस्वार्थ सेवा को सर्वोपरि बताया। उनका मानना था कि सेवा में सच्ची भक्ति और आंतरिक शांति का अनुभव होता है। उनके अनुयायी आज भी इस सेवा भाव को अपनाते हैं।
7. संतोष रखें:-गुरु जी ने सिखाया कि हमें संतोषी और लोभ से दूर रहना चाहिए। संतोष से हम न केवल अपनी जीवन की यात्रा सुखमय बना सकते हैं, बल्कि दूसरों के साथ भी सच्ची खुशी साझा कर सकते हैं।
8. सत्संग का महत्व:-गुरु नानक देव जी ने संगत (समाज) में रहने का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि अच्छे लोगों का साथ हमें सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है और हमें जीवन की सही दिशा दिखाता है।
9. निंदा और अहंकार से बचें:-गुरु जी ने निंदा और अहंकार से दूर रहने की सलाह दी। उनका कहना था कि जो लोग दूसरों की निंदा करते हैं या अपने अहंकार में जीते हैं, वे कभी सच्चा सुख नहीं पा सकते।
10. सत्यमार्ग पर चलें:-गुरु नानक देव जी ने हमेशा सत्य बोलने और सत्य मार्ग पर चलने की शिक्षा दी। उनका विश्वास था कि झूठ और छल से कभी भी सच्ची शांति और आनंद नहीं मिलता। सत्य ही जीवन का सर्वोत्तम मार्ग है।
Conclusion:-Guru Nanak jayanti kab Hai
हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (गुरु नानक जयंती 2024) यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद
FAQ’s:-Guru Nanak jayanti kab Hai
गुरु नानक जयंती कब है?
गुरु नानक जयंती 2024 में 15 नवंबर को मनाई जाएगी। हर साल यह पर्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि होती है।
गुरु नानक जयंती क्यों मनाई जाती है?
गुरु नानक जयंती सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी की जयंती के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में हुआ था और उन्होंने अपने जीवन में मानवता, एकता, और समाज में भाईचारे का संदेश दिया।
गुरु नानक जयंती कैसे मनाई जाती है?
गुरु नानक जयंती पर गुरुद्वारों में कीर्तन और धार्मिक प्रवचन का आयोजन किया जाता है। ‘नगर कीर्तन’ नामक एक जुलूस भी निकाला जाता है, जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब को पालकी में सजाया जाता है। इस दिन लंगर का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें सभी को नि:शुल्क भोजन परोसा जाता है।
इस वर्ष गुरु नानक जयंती की तिथि क्या है?
2024 में गुरु नानक जयंती 15 नवंबर, शुक्रवार को मनाई जाएगी।
गुरु नानक जयंती का महत्व क्या है?
गुरु नानक जयंती का सिख समुदाय के साथ-साथ पूरे भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। यह दिन गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को याद करने और उनके विचारों का पालन करने का संदेश देता है।