Shri Pundrik Goswami ji Maharaj Biography: आध्यात्मिकता की दुनिया में कुछ ऐसे नाम हैं जो अपने ज्ञान और अनुभवों से हमें प्रेरित करते हैं। ऐसा ही एक नाम है श्रीमान माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी (Shri Pundrik Goswami ji) का महज 7 साल की उम्र में भागवत गीता का ज्ञान देकर उन्होंने दुनिया को चकित कर दिया था। आज वह अपने प्रवचनों और कार्यों से लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं।
श्री पुंडरीक गोस्वामी जी (Shri Pundrik Goswami ji) का जन्म 20 जुलाई 1988 को वृंदावन में हुआ था। वह प्रसिद्ध संत श्री अतुल कृष्ण गोस्वामी जी महाराज के पोते और श्री श्रीभूति कृष्ण गोस्वामी जी महाराज के पुत्र हैं। उनके परिवार में 38 पीढ़ियों से भागवत कथा की परंपरा चली आ रही है। ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी उन्होंने आध्यात्मिक मार्ग को चुना। श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी (Shri Pundrik Goswami ji) ने अपने जीवन को श्री चैतन्य महाप्रभु (Chaitanya Mahaprabhu) के संदेश को वैष्णव शास्त्रों के व्याख्यान द्वारा विश्व भर में प्रचारित करने में समर्पित कर दिया है, उन्होंने भारतीय धार्मिक और भक्ति विरासत से युवाओं को अवगत कराने के लिए अपनी शिक्षाओं का प्रसार किया है
आइए इस विशेष लेख के जरिए हम इन युवा आचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी (Shri Pundrik Goswami ji) के बारे में विस्तार से जानते हैं और इनके प्रेरणादायक जीवन और उपलब्धियां के बारे में भी जानते हैं…!!
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Shri Pundrik Goswami – Overview
टॉपिक | Shri Pundrik Goswami ji Maharaj Biography |
लेख प्रकार | आर्टिकल |
भाषा | हिंदी |
वर्ष | 2024 |
नाम | श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी |
जन्म | 20 जुलाई 1988 |
जन्म स्थान | वृन्दावन (उत्तर प्रदेश) |
आयु | 35 वर्ष |
कार्य | कथा वाचन |
आधिकारिक वेबसाइट | www.sripundrik.com |
श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी कौन हैं? Who is Shri Pundrik Goswami ji?
श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी (Shri Pundrik Goswami ji) एक प्रसिद्ध वैष्णव संत और आध्यात्मिक गुरु हैं। वे वृंदावन (vrindavan), उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में जन्मे थे और प्रसिद्ध संत श्री अतुल कृष्ण गोस्वामी जी महाराज के पोते हैं। पुण्डरीक गोस्वामी जी श्रीमद्भागवतम, चैतन्य चरितामृत, राम कथा और भगवद गीता पर अपने आध्यात्मिक प्रवचनों के लिए जाने जाते हैं। वे मात्र 7 वर्ष की आयु से ही गीता पर प्रवचन देने लगे थे। उनके प्रवचन मुख्यतः श्रीकृष्ण के बारे में होते हैं।
पुण्डरीक गोस्वामी जी (Shri Pundrik Goswami ji) श्रीमन माधव-गौडेश्वर पीठम के वर्तमान आचार्य हैं और गौड़ीय वैष्णव परंपरा के 38वें आचार्य हैं। वे एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं और चिकित्सा शिविर आयोजित करने, गरीबों को मुफ्त चिकित्सा सेवा देने और वंचित बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करने जैसे कार्यों में सक्रिय रहते हैं। अपने कार्यों के माध्यम से वे लोगों को उनके जीवन के सभी पहलुओं में विकसित करने में मदद करना चाहते हैं।
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श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी की जीवनी | Biography of Shri Pundrik Goswami
श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी (Shri Pundrik Goswami ji) माध्व गौडेश्वर वैष्णव पीठ के आध्यात्मिक वंश परंपरा के 38वें आचार्य, वैष्णव संत, वक्ता और वैदिक ज्ञान के विद्वान हैं. जन्म 20 जुलाई 1988 को उत्तर प्रदेश के वृंदावन में हुआ, वे प्रसिद्ध संत श्री अतुल कृष्ण गोस्वामी जी महाराज के पोते और प्रसिद्ध भगवत वक्ता श्रीभूति कृष्ण गोस्वामी जी महाराज के पुत्र हैं |
श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी (Shri Pundrik Goswami ji) ने अपने जीवन को श्री चैतन्य महाप्रभु के संदेश को वैष्णव शास्त्रों के व्याख्यान द्वारा विश्व भर में प्रचारित करने में समर्पित कर दिया है. उन्होंने भारतीय धार्मिक और भक्ति विरासत से युवाओं को अवगत कराने के लिए अपनी शिक्षाओं का प्रसार किया है |
उन्होंने सात साल की उम्र से ही गीता पर उपदेश देना शुरू किया | वे अपने आध्यात्मिक प्रवचनों के लिए जाने जाते हैं, जो मुख्य रूप से कृष्ण पर आधारित हैं। वे श्रीमद भागवतम, चैतन्य चरितामृत, राम कथा और भगवद गीता पर अपने प्रवचन देते हैं।
वे दुनिया भर के विभिन्न चैनलों द्वारा आध्यात्मिकता और धर्म पर बोलने के लिए आमंत्रित किए गए हैं। उन्होंने गोपाल क्लब का संचालन करके कृष्ण चेतना का प्रसार किया है। उन्होंने युवा आयामों के लिए गोपाल क्लब और निमाई पाठशाला जैसे कई कार्यक्रमों की स्थापना की है |
उन्होंने विभिन्न सामाजिक कार्यों में सक्रिय भाग लिया है, जिसमें विभिन्न चिकित्सा शिविरों का नेतृत्व, आवश्यकतामंदों को नि: शुल्क चिकित्सा देना, और वंचित बच्चों को नि: शुल्क शिक्षा प्रदान करना शामिल है।
श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी (Shri Pundrik Goswami ji) के जीवन का मुख्य उद्देश्य भौतिक और आध्यात्मिक जीवन के बीच संतुलन बनाने की शिक्षाएं देना है। उनके द्वारा किए गए कार्य, श्री पुण्डरीक गोस्वामी की योजना को दर्शाते हैं, जो लोगों की सभी पहलुओं में विकास और विकास में मदद करने के लिए है।
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श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी का परिवार | Family of Shri Pundrik Goswami ji
श्री पुण्डरीक गोस्वामी (Shri Pundrik Goswami ji) जिन्हें श्री मन्माधव गौड़ेश्वर वैष्णव आचार्य भी कहा जाता है, एक परंपरागत वैष्णव परिवार से हैं। उनका जन्म 20 जुलाई 1988 को वृन्दावन, उत्तर प्रदेश में हुआ। उनके पिता श्रीभूति कृष्ण गोस्वामी और माता सुकृति गोस्वामी थीं। उनकी पत्नी का नाम रेणुका पुण्डरीक गोस्वामी है।
उनके दादाजी, संत श्री अतुल कृष्ण गोस्वामी जी महाराज, उनके गुरु भी थे। यह परिवार वैष्णव संत और वक्ता के रूप में प्रसिद्ध है, जिन्होंने वैदिक ज्ञान की गहराई को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
श्री पुण्डरीक गोस्वामी श्री गोपाल भट्ट गोस्वामी के परिवार से हैं, जो वृंदावन के प्रसिद्ध छः गोस्वामियों में से एक थे। उन्होंने 1542 में वृंदावन में राधा रमण मंदिर (Radha Raman Mandir) की स्थापना की थी। यह परिवार श्री गौड़ीय परंपरा के 38वें आचार्य हैं।
श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी की शिक्षा | Education of Shri Pundrik Goswami Ji
पुण्डरीक गोस्वामी जी (Shri Pundrik Goswami ji) ने मात्र सात वर्ष की आयु से ही भगवद्गीता पर प्रवचन देना प्रारम्भ कर दिया था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा का विस्तृत विवरण उपलब्ध स्रोतों में नहीं मिला, परन्तु इतनी कम उम्र में गीता पर प्रवचन देने से स्पष्ट है कि उन्हें बचपन से ही वैदिक ज्ञान और धार्मिक शिक्षा का गहन अध्ययन करने का अवसर प्राप्त हुआ था।
पुण्डरीक गोस्वामी जी (Shri Pundrik Goswami ji), श्री गोपाल भट्ट गोस्वामी के वंशज हैं, जो वृंदावन के प्रसिद्ध छह गोस्वामियों में से एक थे और स्वयं श्री चैतन्य महाप्रभु से प्रेरित एवं दीक्षित थे। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि उन्हें अपने पारिवारिक पृष्ठभूमि से गौड़ीय वैष्णव सिद्धांतों और भक्ति के मार्ग की शिक्षा प्राप्त हुई होगी।
श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी की कथा | Katha of Shri Pundrik Goswami Ji
श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी (Shri Pundrik Goswami ji) की कथाएँ अत्यंत प्रेरणादायक और मनमोहक होती हैं। उनकी कथाओं में भक्ति और आध्यात्मिकता का सुंदर समन्वय होता है। वे श्रीमद्भागवतम्, श्रीमद्भगवद्गीता, श्री चैतन्य चरितामृत और श्री रामकथा जैसे विभिन्न धार्मिक ग्रंथों की कथाएँ सुनाते हैं।
गोस्वामी जी अपनी कथाओं के माध्यम से श्रोताओं को श्री कृष्ण (Lord Krishna) के प्रति प्रेम और भक्ति का संदेश देते हैं। उनकी वाणी में एक अद्भुत आकर्षण होता है जो श्रोताओं के हृदय को छू लेता है। वे अपनी कथाओं में उपमाओं, दृष्टांतों और प्रसंगों का बखूबी प्रयोग करते हैं जिससे विषय को समझना आसान हो जाता है। गोस्वामी जी की कथाएँ सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए उपयुक्त होती हैं। वे विशेष रूप से युवाओं को कृष्ण चेतना की ओर आकर्षित करने का प्रयास करते हैं। उनका मानना है कि आज के भौतिकतावादी युग में आध्यात्मिकता और नैतिक मूल्यों का संचार करना बहुत आवश्यक है।
गोस्वामी जी की कथाओं में एक विशेष ऊर्जा होती है। वे अपने श्रोताओं को भक्ति के रंग में सराबोर कर देते हैं। उनकी मधुर वाणी और गहन अध्यात्म ज्ञान लोगों को मंत्रमुग्ध कर देता है। उनकी कथाओं से प्रेरणा पाकर अनेक लोगों ने अपना जीवन कृष्ण भक्ति को समर्पित कर दिया है।
श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी (Shri Pundrik Goswami ji) की कथाएँ भक्ति, प्रेम और आध्यात्मिकता का पावन संगम हैं। वे अपनी अमृतमयी वाणी से जन-जन को कृष्ण प्रेम की ओर अग्रसर करते हैं।
श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी का मोबाइल नंबर | Mobile Number of Shri Pundrik Goswami ji
अपॉइंटमेंट और कथा के लिए:- | +91-9560817001 |
व्हाट्सएप: | +91-7696644494 |
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Conclusion:
श्रीमन माधव गौडेश्वर वैष्णव आचार्य श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी (Shri Pundrik Goswami ji) का जीवन एक ऐसी प्रेरणादायक यात्रा है जो हमें आध्यात्मिकता और भक्ति के मार्ग पर चलने की सीख देती है। महज 7 साल की उम्र में जब बच्चे खेल-कूद में मशगूल होते हैं, पुण्डरीक जी ने अपने प्रवचनों से दुनिया को चकित कर दिया था। श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी के जीवन से संबंधित या विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो हमारे अन्य सभी लेख को भी एक बार जरूर पढ़िए और अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो उसे कॉमेंट बॉक्स में जाकर जरुर पूछे, हम आपके सभी प्रश्नों का जवाब देने का प्रयास करेंगे। ऐसे ही अन्य लेख को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट janbhakti.in पर रोज़ाना विज़िट करें ।
FAQ’s:
Q. पुण्डरीक गोस्वामी जी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
Ans. पुण्डरीक गोस्वामी जी (Shri Pundrik Goswami ji) का जन्म 20 जुलाई 1988 को उत्तर प्रदेश के वृंदावन में हुआ था। वे प्रसिद्ध संत श्री अतुल कृष्ण गोस्वामी जी महाराज के पौत्र और प्रसिद्ध भागवत वक्ता श्री श्रीभूति कृष्ण गोस्वामी जी महाराज के पुत्र हैं।
Q. पुण्डरीक गोस्वामी जी किस परंपरा के आचार्य हैं?
Ans. पुण्डरीक गोस्वामी जी (Shri Pundrik Goswami ji) गौड़ीय परंपरा के 38वें आचार्य हैं। वे श्रीमान मध्व-गौडेश्वर पीठम के आचार्य हैं। उनका परिवार श्री गोपाल भट्ट गोस्वामी (वृंदावन के प्रसिद्ध छह गोस्वामियों में से एक) से संबंधित है, जिन्होंने 1542 में वृंदावन में राधा रमण मंदिर की स्थापना की थी।
Q. पुण्डरीक गोस्वामी जी किस उम्र से गीता का प्रवचन देने लगे थे?
Ans. पुण्डरीक गोस्वामी जी (Shri Pundrik Goswami ji) मात्र सात वर्ष की आयु से ही गीता का प्रवचन देने लगे थे। उनके आध्यात्मिक प्रवचन ज्यादातर कृष्ण के बारे में होते हैं।
Q. पुण्डरीक गोस्वामी जी किन ग्रंथों पर प्रवचन देने के लिए प्रसिद्ध हैं?
Ans. पुण्डरीक गोस्वामी जी (Shri Pundrik Goswami ji) श्रीमद्भागवतम, चैतन्य चरितामृत, रामकथा और भगवद्गीता पर अपने आध्यात्मिक प्रवचनों के लिए प्रसिद्ध हैं।
Q. पुण्डरीक गोस्वामी जी कृष्ण भावना फैलाने के लिए किस क्लब का संचालन करते हैं?
Ans. पुण्डरीक गोस्वामी जी (Shri Pundrik Goswami ji) कृष्ण भावना फैलाने के लिए गोपाल क्लब का संचालन करते हैं। वे एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं और विभिन्न सामाजिक कार्यों में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं।
Q. पुण्डरीक गोस्वामी जी किन भाषाओं में प्रवचन देते हैं?
Ans. पुण्डरीक गोस्वामी जी (Shri Pundrik Goswami ji) हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी भाषाओं में प्रवचन देते हैं। उनके प्रवचन आध्यात्मिक ज्ञान से भरपूर होते हैं और वैदिक ज्ञान के विद्वान के रूप में भी जाने जाते हैं।