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श्री दुर्गा चालीसा | Shri Durga Chalisa

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Summary- माँ दुर्गा, हिंदू धर्म में शक्ति और विनाश की देवी हैं। उन्हें देवी पार्वती का रूप भी माना जाता है। दुर्गा चालीसा(Durga Chalisa), माँ दुर्गा की भक्ति और स्तुति में लिखी गई एक प्रार्थना है, जो उनके भक्तों द्वारा सदियों से गाई जाती रही है। जिसमें माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों, गुणों और शक्तियों का वर्णन किया गया है। यह चालीसा भक्तों को माँ दुर्गा के आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद कर सकती है।

श्री दुर्गा चालीसा | Shri Durga Chalisa

Durga Chalisa:हिंदू धर्म में देवी दुर्गा को शक्ति और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। उन्हें नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से पूजा जाता है। दुर्गा चालीसा(Shri Durga Chalisa), जो देवी दुर्गा की महिमा का वर्णन करती है। यह चालीसा भक्ति और आराधना का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। दुर्गा चालीसा का पाठ करना एक आध्यात्मिक अनुष्ठान है। यह पाठ भक्तों को देवी दुर्गा के आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करता है। 

दुर्गा चालीसा का पाठ करने से भक्तों में शक्ति, भक्ति और आशा की भावना बढ़ती है। दुर्गा चालीसा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पाठ है। यह पाठ भक्तों को देवी दुर्गा की शक्ति और भक्ति का अनुभव करने में मदद करता है। इसीलिए आप भी प्रतिदिन दुर्गा चालीसा का पाठ जरूर करें।

नमो नमो दुर्गे सुख करनी ।

नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी ॥

निरंकार है ज्योति तुम्हारी ।

तिहूँ लोक फैली उजियारी ॥

शशि ललाट मुख महाविशाला ।

नेत्र लाल भृकुटि विकराला ॥

रूप मातु को अधिक सुहावे ।

दरश करत जन अति सुख पावे ॥ 

तुम संसार शक्ति लै कीना ।

पालन हेतु अन्न धन दीना ॥

अन्नपूर्णा हुई जग पाला ।

तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥

प्रलयकाल सब नाशन हारी ।

तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ॥

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें ।

ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥ 

रूप सरस्वती को तुम धारा ।

दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ॥

धरयो रूप नरसिंह को अम्बा ।

परगट भई फाड़कर खम्बा ॥

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो ।

हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ॥

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं ।

श्री नारायण अंग समाहीं ॥ 

क्षीरसिन्धु में करत विलासा ।

दयासिन्धु दीजै मन आसा ॥

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी ।

महिमा अमित न जात बखानी ॥

मातंगी अरु धूमावति माता ।

भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ॥

श्री भैरव तारा जग तारिणी ।

छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥ 

केहरि वाहन सोह भवानी ।

लांगुर वीर चलत अगवानी ॥

कर में खप्पर खड्ग विराजै ।

जाको देख काल डर भाजै ॥

सोहै अस्त्र और त्रिशूला ।

जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥

नगरकोट में तुम्हीं विराजत ।

तिहुँलोक में डंका बाजत ॥ 

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे ।

रक्तबीज शंखन संहारे ॥

महिषासुर नृप अति अभिमानी ।

जेहि अघ भार मही अकुलानी ॥

रूप कराल कालिका धारा ।

सेन सहित तुम तिहि संहारा ॥

परी गाढ़ सन्तन पर जब जब ।

भई सहाय मातु तुम तब तब ॥ 

अमरपुरी अरु बासव लोका ।

तब महिमा सब रहें अशोका ॥

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी ।

तुम्हें सदा पूजें नरनारी ॥

प्रेम भक्ति से जो यश गावें ।

दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें ॥

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई ।

जन्ममरण ताकौ छुटि जाई ॥ 

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी ।

योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥

शंकर आचारज तप कीनो ।

काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ॥

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को ।

काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ॥

शक्ति रूप का मरम न पायो ।

शक्ति गई तब मन पछितायो ॥ 

शरणागत हुई कीर्ति बखानी ।

जय जय जय जगदम्ब भवानी ॥

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा ।

दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो ।

तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ॥

आशा तृष्णा निपट सतावें ।

मोह मदादिक सब बिनशावें ॥ 

शत्रु नाश कीजै महारानी ।

सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ॥

करो कृपा हे मातु दयाला ।

ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला ॥

जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ ।

तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥

श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै ।

सब सुख भोग परमपद पावै ॥ 

देवीदास शरण निज जानी ।

कहु कृपा जगदम्ब भवानी ॥

॥दोहा॥

शरणागत रक्षा करे,

भक्त रहे नि:शंक ।

मैं आया तेरी शरण में,

मातु लिजिये अंक ॥

श्री दुर्गा चालीसा डाउनलोड लिंक | Shri Durga Chalisa Download Link

श्री दुर्गा चालीसा(Shri Durga Chalisa) डाउनलोड करने के लिए हम आपसे लिंक साझा कर रहे हैं, आप इस लिंक को टच करके  श्री दुर्गा चालीसा डाउनलोड कर सकते हैं ।

FAQ’S

Q1. श्री दुर्गा चालीसा के रचयिता कौन है?

Ans. श्री दुर्गा चालीसा के रचयिता देवीदास जी हैं।

Q2. दुर्गा माता का पहला रूप कौन सा है?

Ans. दुर्गा माता का पहला रूप शैलपुत्री है।

Q3. दुर्गा माता का शक्तिशाली मंत्र क्या है?

Ans.  ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

Q4. श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करते समय किस दिशा में मुख करना चाहिए?

Ans. श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करते समय उत्तर दिशा में मुख करना चाहिए।

Q5.  श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करने का सबसे अच्छा समय क्या है?

Ans. श्री दुर्गा चालीसा का पाठ सुबह सूर्योदय से पहले या शाम को सूर्यास्त के बाद करना चाहिए।

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सुरभि शर्मा
मेरा नाम सुरभि शर्मा है और मैंने पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। हमेशा से मेरी रुचि हिंदू साहित्य और धार्मिक पाठों के प्रति रही हैं। इसी रुचि के कारण मैं एक पौराणिक लेखक हूं। मेरा उद्देश्य भारतीय पौराणिक कथाओं और धार्मिक ग्रंथों को सार्थकता से प्रस्तुत करके समाज को शिक्षा और प्रेरणा प्रदान करना है। मैं धार्मिक साहित्य के महत्व को समझती हूं और इसे नई पीढ़ियों तक पहुंचाने का संकल्प रखती हूं। मेरा प्रयास है कि मैं भारतीय संस्कृति को अधिक उत्कृष्ट बनाने में योगदान दे सकूं और समाज को आध्यात्मिकता और सामाजिक न्याय के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित कर सकूं।