Home चालीसा विष्णु चालीसा | Vishnu Chalisa

विष्णु चालीसा | Vishnu Chalisa

Join Telegram Channel Join Now

Vishnu Chalisa:भगवान विष्णु हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। वे सृष्टि के पालनहार और त्रिदेवों में से एक हैं। भगवान विष्णु को अनेक नामों से जाना जाता है, जैसे कि नारायण, हरि, केशव, माधव, शेषनाग, आदि।भगवान विष्णु के चालीसा का पाठ करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। चालीसा में भगवान विष्णु के अनेक नामों का वर्णन किया गया है, जिनमें से प्रत्येक नाम भगवान विष्णु के किसी विशेष गुण या रूप का प्रतिनिधित्व करता है। चालीसा का पाठ करने से भगवान विष्णु के प्रति भक्ति और श्रद्धा बढ़ती है। इसीलिए आप भी प्रतिदिन भगवान विष्णु की चालीसा का पाठ अवश्य करें।

॥ दोहा॥

विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।

कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ।

॥ चौपाई ॥

नमो विष्णु भगवान खरारी ।

कष्ट नशावन अखिल बिहारी ॥

प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी ।

त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥

सुन्दर रूप मनोहर सूरत ।

सरल स्वभाव मोहनी मूरत ॥

तन पर पीतांबर अति सोहत ।

बैजन्ती माला मन मोहत ॥4॥

शंख चक्र कर गदा बिराजे ।

देखत दैत्य असुर दल भाजे ॥

सत्य धर्म मद लोभ न गाजे ।

काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥

संतभक्त सज्जन मनरंजन ।

दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ॥

सुख उपजाय कष्ट सब भंजन ।

दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥8॥

पाप काट भव सिंधु उतारण ।

कष्ट नाशकर भक्त उबारण ॥

करत अनेक रूप प्रभु धारण ।

केवल आप भक्ति के कारण ॥

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा ।

तब तुम रूप राम का धारा ॥

भार उतार असुर दल मारा ।

रावण आदिक को संहारा ॥12॥

आप वराह रूप बनाया ।

हरण्याक्ष को मार गिराया ॥

धर मत्स्य तन सिंधु बनाया ।

चौदह रतनन को निकलाया ॥

अमिलख असुरन द्वंद मचाया ।

रूप मोहनी आप दिखाया ॥

देवन को अमृत पान कराया ।

असुरन को छवि से बहलाया ॥16॥

कूर्म रूप धर सिंधु मझाया ।

मंद्राचल गिरि तुरत उठाया ॥

शंकर का तुम फन्द छुड़ाया ।

भस्मासुर को रूप दिखाया ॥

वेदन को जब असुर डुबाया ।

कर प्रबंध उन्हें ढूंढवाया ॥

मोहित बनकर खलहि नचाया ।

उसही कर से भस्म कराया ॥20॥

असुर जलंधर अति बलदाई ।

शंकर से उन कीन्ह लडाई ॥

हार पार शिव सकल बनाई ।

कीन सती से छल खल जाई ॥

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी ।

बतलाई सब विपत कहानी ॥

तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी ।

वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥24॥

देखत तीन दनुज शैतानी ।

वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ॥

हो स्पर्श धर्म क्षति मानी ।

हना असुर उर शिव शैतानी ॥

तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे ।

हिरणाकुश आदिक खल मारे ॥

गणिका और अजामिल तारे ।

बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥28॥

हरहु सकल संताप हमारे ।

कृपा करहु हरि सिरजन हारे ॥

देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे ।

दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥

चहत आपका सेवक दर्शन ।

करहु दया अपनी मधुसूदन ॥

जानूं नहीं योग्य जप पूजन ।

होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥32॥

शीलदया सन्तोष सुलक्षण ।

विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ॥

करहुं आपका किस विधि पूजन ।

कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥

करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण ।

कौन भांति मैं करहु समर्पण ॥

सुर मुनि करत सदा सेवकाई ।

हर्षित रहत परम गति पाई ॥36॥

दीन दुखिन पर सदा सहाई ।

निज जन जान लेव अपनाई ॥

पाप दोष संताप नशाओ ।

भव-बंधन से मुक्त कराओ ॥

सुख संपत्ति दे सुख उपजाओ ।

निज चरनन का दास बनाओ ॥

निगम सदा ये विनय सुनावै ।

पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥40॥

विष्णु चालीसा डाउनलोड लिंक | Vishnu Chalisa Download link

विष्णु चालीसा(Vishnu Chalisa) डाउनलोड करने के लिए हम आपसे लिंक साझा कर रहे हैं, आप इस लिंक को टच करके विष्णु चालीसा डाउनलोड कर सकते हैं ।

FAQ’S

Q. भगवान विष्णु के कितने अवतार हैं?

Ans. भगवान विष्णु के 10 मुख्य अवतार हैं। ये हैं: मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि।

Q. भगवान विष्णु का वाहन कौन है?

Ans. भगवान विष्णु का वाहन गरुड़ है। गरुड़ एक शक्तिशाली पक्षी है।

Q. भगवान विष्णु का निवास स्थान कौन सा है?

Ans. भगवान विष्णु का निवास स्थान वैकुंठ है। वैकुंठ एक स्वर्गीय लोक है जहां भगवान विष्णु और उनकी पत्नी लक्ष्मी रहती हैं।

Q. भगवान विष्णु का रंग कौन सा है?

Ans. भगवान विष्णु का रंग नीला है। नीला रंग शांति और ज्ञान का प्रतीक है।

Q. भगवान विष्णु की पत्नी कौन है?

Ans. भगवान विष्णु की पत्नी देवी लक्ष्मी हैं। लक्ष्मी धन और समृद्धि की देवी हैं।

Previous articleOm Namah Shivaya: ॐ नमः शिवाय का जाप आपके अहंकार और शत्रुओं को करेगा शांत  
Next articleगणेश चालीसा | Ganesh Chalisa
सुरभि शर्मा
मेरा नाम सुरभि शर्मा है और मैंने पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। हमेशा से मेरी रुचि हिंदू साहित्य और धार्मिक पाठों के प्रति रही हैं। इसी रुचि के कारण मैं एक पौराणिक लेखक हूं। मेरा उद्देश्य भारतीय पौराणिक कथाओं और धार्मिक ग्रंथों को सार्थकता से प्रस्तुत करके समाज को शिक्षा और प्रेरणा प्रदान करना है। मैं धार्मिक साहित्य के महत्व को समझती हूं और इसे नई पीढ़ियों तक पहुंचाने का संकल्प रखती हूं। मेरा प्रयास है कि मैं भारतीय संस्कृति को अधिक उत्कृष्ट बनाने में योगदान दे सकूं और समाज को आध्यात्मिकता और सामाजिक न्याय के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित कर सकूं।