Apara Ekadashi Puja Vidhi: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। सनातन परंपरा में एकादशी तिथि को भगवान विष्णु का दिन माना जाता है। प्रत्येक महीने में दो एकादशी आती हैं – एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) को ‘अचला एकादशी’ भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की भक्ति करने से व्यक्ति को असीम धन, यश और पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही, इस व्रत को करने से मनुष्य अपने पापों से मुक्ति पा सकता है और मोक्ष की ओर अग्रसर हो सकता है। प्राचीन हिंदू ग्रंथों में अपरा एकादशी के महत्व और इससे जुड़ी कथाओं का वर्णन मिलता है। कहा जाता है कि स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अपरा एकादशी के व्रत का महत्व समझाया था। इस व्रत को लेकर कई रोचक किस्से और कथाएं प्रचलित हैं जो इसके धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व को रेखांकित करती हैं।
तो आइए, इस लेख में हम अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) के बारे में विस्तार से जानते हैं। हम समझेंगे कि अपरा एकादशी कब और क्यों मनाई जाती है, इस दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं, साथ ही इस व्रत से जुड़ी प्रमुख कथाओं और मान्यताओं के बारे में भी चर्चा करेंगे। तो पढ़ते रहिए, क्योंकि यह लेख आपको अपरा एकादशी के सम्पूर्ण महत्व को समझने में मदद करेगा…
अपरा एकादशी – Table Of Content
S.NO | प्रश्न |
1 | अपरा एकादशी पूजा विधि |
2 | क्या है अपरा एकादशी? |
3 | कैसे करें अपरा एकादशी पूजा? |
4 | अपरा एकादशी पूजा मुहूर्त |
5 | अपरा एकादशी की पूजन विधि क्या है? |
6 | अपरा एकादशी मुहूर्त |
7 | अपरा एकादशी पूजन सामग्री |
अपरा एकादशी पूजा विधि (Apara Ekadashi Puja vidhi)
अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) की पूजा विधि इस प्रकार है:–
- एकादशी तिथि यानी 2 जून 2024 की सुबह सूरज की पहली किरण निकलने से पहले दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होकर स्वच्छ जल से स्नान करें और साफ सुथरे वस्त्र धारण करें, विशेषकर पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
- पूरब या उत्तर दिशा की ओर एक स्थान पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें और व्रत का संकल्प लें। कलश स्थापना के बाद अक्षत, पान, सुपारी, लौंग, चीनी, मिठाई, रोली और फूल-माला भगवान को अर्पित करें।
- इसके बाद धूप और दीप जलाएं। इस दौरान ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का 108 बार जाप करें। अंत में भगवान विष्णु की आरती करें।
- फिर भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का स्मरण करते हुए अपने पापों और कष्टों के निवारण के लिए प्रार्थना करें। पूरे दिन आप चाहें तो फलों का सेवन कर सकते हैं।
- शाम के समय अपरा एकादशी की कथा सुनें और भगवान विष्णु की पुनः आरती करें। भक्तों को अपनी सुबह और शाम की प्रार्थना के समय एकादशी माता की आरती भी गानी चाहिए।
- अगले दिन यानी 3 जून 2024 को सुबह 8:05 से 8:10 के बीच व्रत का पारण करें। ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद उन्हें दान-दक्षिणा भी अर्पित करें।
- व्रत से एक दिन पहले यानी दशमी तिथि से तामसिक भोजन, प्याज और लहसुन का सेवन न करें। व्रत के दौरान बुरे विचारों से दूर रहें और मन को नियंत्रित रखें।
अपरा एकादशी व्रत (Apara Ekadashi Vrat) भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को समर्पित होता है। इस व्रत को करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, धन-दौलत और प्रसिद्धि की प्राप्ति होती है, और प्रेत योनि से भी मुक्ति मिलती है।
अपरा एकादशी क्या है? (Kya Hai Apara Ekadashi)
अपरा एकादशी (Apara Ekadashi), जिसे ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी भी कहा जाता है, हिन्दुओं के लिए एक महत्वपूर्ण दिन होता है, जिस पर वे उपवास रखते हैं। यह दिन समृद्धि प्राप्त करने का और भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा करने का एक शुभ दिन माना जाता है। इस व्रत का पालन करने वालों को धन और समृद्धि मिलती है। इसे हिन्दी मास ज्येष्ठ के कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि पर मनाया जाता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के मई या जून महीने में होता है। व्रत का आरंभ पूर्व दिन की संध्या से होता है और एकादशी तिथि समाप्त होने तक चलता है।
कैसे करें अपरा एकादशी पूजा? (Kaise Kare Apara Ekadashi Puja)
अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) की पूजा करने के लिए, आपको सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और स्वच्छ कपड़े पहनना चाहिए। आपको भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की मूर्ति या छवि को एक पीले कपड़े या लकड़ी की सीट पर रखना चाहिए, और उसे फूल, धूप, और फलों की भेंट चढ़ानी चाहिए। पूजा के दौरान आपको भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की स्तुति में मंत्र और भजन गाने चाहिए। यह महत्वपूर्ण है कि आप व्रत के दौरान झूठ, अशुद्ध विचार, और दूसरों को क्षति पहुंचाने से बचें। व्रत के अलावा, आप विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी कर सकते हैं, जिससे आपको देवता की विशेष कृपा और अनुग्रह मिलता है।
अपरा एकादशी पूजा मुहूर्त (Apara Ekadashi Puja Muhurat
2 जून को आयुष्मान योग में विष्णुजी की पूजा का सबसे श्रेष्ठ मुहूर्त बन रहा है। इस दिन प्रातः 05:23 से लेकर दोपहर 12:12 तक अपरा एकादशी की पूजा की जा सकती है। वहीं, 3 जून को सूर्योदय के बाद सौभाग्य योग में अपरा एकादशी के दिन विष्णुजी की पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा।
अपरा एकादशी पूजा मुहूर्त | Time |
प्रातः | 05:23 |
दोपहर | 12:12 तक |
अपरा एकादशी की पूजन विधि क्या है? (Apara Ekadashi Pujan Vidhi)
अपरा एकादशी जिसे अचला एकादशी भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से मान्यता है कि धन, सम्मान और सफलता की प्राप्ति होती है। इस व्रत की पूजन विधि को निम्नलिखित छह बिंदुओं में विस्तार से समझाया जा सकता है:-
- व्रत की शुरुआत: अपरा एकादशी व्रत की शुरुआत दशमी के दिन से होती है और यह एकादशी के दिन समाप्त होता है।
- सुबह की शुरुआत: व्रती को सुबह जल्दी उठना चाहिए, नहाना चाहिए, और अपने आस-पास की सफाई करनी चाहिए।
- पूजा और अर्चना: व्रत को फिर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए, उन्हें फूल, अगरबत्ती, और अन्य भेंटें देनी चाहिए।
- व्रत कथा और मंत्रजाप: व्रती को अपरा एकादशी व्रत कथा पढ़नी चाहिए और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए मंत्र और प्रार्थनाएं पढ़नी चाहिए।
- आहार नियम: इस अवधि के दौरान, व्रती को अनाज, दाल, और अन्य अशुद्ध माने जाने वाले भोजन से बचना चाहिए।
- दान करना: व्रती को खाद्य, वस्त्र, और अन्य आवश्यकताओं का दान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
अपरा एकादशी मुहूर्त (Apara Ekadashi Muhurat)
2 जून को आयुष्मान योग में विष्णुजी की पूजा के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त है। इस दिन प्रातः 05:23 से लेकर दोपहर 12:12 तक अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) की पूजा की जा सकती है। वहीं, 3 जून को सूर्योदय के बाद सौभाग्य योग में अपरा एकादशी के दिन विष्णुजी की पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा। इस प्रकार, भक्तजन 2 जून को आयुष्मान योग और 3 जून को सौभाग्य योग का लाभ उठाकर विष्णुजी की पूजा-अर्चना कर सकते हैं।
अपरा एकादशी पूजन सामग्री (Apara Ekadashi Pujan Samagri List)
S.NO | पूजन सामग्री |
1. | भगवान विष्णु की मूर्ति |
2. | अगरबत्ती, कपूर और माचिस |
3. | फूल, पत्ते और बेलपत्र |
4. | तुलसी के पत्ते |
5. | गंगाजल या शुद्ध जल |
6. | चंदन |
7. | धूप और दीप |
8. | पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण) |
9. | भोग के रूप में फल, सूखे मेवे और मिठाई |
10. | पूजा थाली को ढकने के लिए सूती कपड़ा |
11. | घंटी और शंख |
12. | अक्षत |
13. | मौली (लाल पवित्र धागा) |
14. | दिया |
Conclusion:
अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करने का अवसर भी प्रदान करती है। व्रत, पूजा, दान और सेवा के माध्यम से हम नकारात्मक विचारों और कर्मों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं और सच्चा सुख और आनंद अनुभव कर सकते हैं। अपरा एकादशी से संबंधित यह लेख अगर आपको पसंद आया हो तो ऐसे ही और भी व्रत व त्योहार से संबंधित लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in पर रोजाना विजिट करिए।
FAQ’s:
Q. अपरा एकादशी का महत्व क्या है?
Ans. अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु के समर्पित एक धार्मिक अनुष्ठान है। इस व्रत का पालन करने वाले भक्तों को विष्णु भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
Q. अपरा एकादशी के साथ जुड़े अनुष्ठान क्या हैं?
Ans. अनुष्ठान में सूर्योदय से पहले उठना, दैनिक कार्य करना, स्नान करना, और भगवान विष्णु को धूप, फूल, और तुलसी के पत्तों के साथ पूजा करना शामिल है।
Q. अपरा एकादशी के दौरान भक्तों को किस प्रकार का आहार अपनाना चाहिए?
Ans. भक्तों को इस अवधि के दौरान सात्विक (शुद्ध शाकाहारी) आहार अपनाना चाहिए।
Q. अपरा एकादशी के दौरान भोजन का समय क्या होना चाहिए?
Ans. भक्तों को सूर्यास्त के बाद भोजन करने से बचना चाहिए।
Q. अपरा एकादशी के दौरान क्या अन्य तरीके हैं जिन्हें पालन किया जा सकता है?
Ans. अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) के दौरान दान करना और ब्राह्मणों को भोजन, कपड़े, और उपहार प्रदान करना शुभ माना जाता है
Q. अपरा एकादशी के दौरान भगवान विष्णु के हजारों नामों का पाठन और पाठ क्या महत्व है?
Ans. भगवान विष्णु के हजारों नामों, जैसे कि “कृष्ण सहस्रनाम,” का पाठन और पाठ शुभ माना जाता है और भक्तों को दैवीय से जोड़ने में मदद कर सकता है।