Home पुराण Shiv Puran- शिव पुराण को पढ़ने से मिलते हैं कई लाभ, लेकिन...

Shiv Puran- शिव पुराण को पढ़ने से मिलते हैं कई लाभ, लेकिन पाठ करते समय जरूर रखें इन बातों का ध्यान

Shiv Puran
Join Telegram Channel Join Now

Shiv Puran: शिव पुराण – भगवान शिव (Lord Shiva) की महिमा का अनुपम ग्रंथ। यह एक ऐसा पवित्र ग्रंथ है जो न केवल शिव भक्तों के लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है जो आध्यात्मिक उन्नति और जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहता है।

शिव पुराण (Shiv Puran) में भगवान शिव के विभिन्न रूपों, उनकी लीलाओं और उनके भक्तों की कथाओं का वर्णन किया गया है। इसमें शिव जी की आराधना, पूजा-विधि और व्रत-उपवास के महत्व को भी बताया गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिव पुराण को कब और कैसे पढ़ा जाना चाहिए? किन विशेष नियमों का पालन करना चाहिए और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? इस लेख में हम आपको शिव पुराण के पठन से जुड़ी सभी जरूरी बातें बताएंगे। चाहे आप एक शिव भक्त हों या फिर आध्यात्मिक जीवन में रुचि रखने वाले साधक, यह लेख आपके लिए निश्चित रूप से लाभदायक सिद्ध होगा। तो चलिए, शुरू करते हैं यह रोमांचक यात्रा शिव पुराण के रहस्यों को उजागर करने की और जानते हैं कि कैसे इस पवित्र ग्रंथ का पठन कर हम अपने जीवन को खुशहाल और सफल बना सकते हैं। शिव पुराण की महिमा अपरंपार है। जिस प्रकार चंद्रमा अपनी शीतल किरणों से जगत को आनंदित करता है, उसी प्रकार शिव पुराण का पठन हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। यह हमें जीवन के यथार्थ से परिचित कराता है 

तो देर किस बात की? आइए, एक नई शुरुआत करते हैं और शिव पुराण के पावन पन्नों में खो जाते हैं।

शिव पुराण – Table Of Content 

S.NOप्रश्न 
1.शिव पुराण पढ़ने के नियम
2.शिव पुराण पढ़ने के फायदे
3.शिव पुराण कब पढ़ना चाहिए
4.शिव पुराण पढ़ने के प्रमुख फायदे
5.शिव पुराण पढ़ने का समय
6.शिव पुराण के उपाय

शिव पुराण पढ़ने के नियम (Rules for Reading Shiv Purana)

शिव पुराण (Shiv Puran), हिन्दू धर्म (Hindu religion) के अत्यन्त महत्त्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है, जिसका पाठन विशेष नियमों के साथ किया जाता है, यह नियमों का पालन आवश्यक है क्योंकि इससे पुस्तक के धार्मिक महत्व का सम्मान होता है और इसके पाठन से अधिकतम लाभ मिलता है।

पहला नियम स्थिरता और भक्ति का है, पुराण को पढ़ने या सुनने से पहले, व्यक्ति को शिव पर केंद्रित होना चाहिए, मन को पवित्र रखना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। सात्विक आहार का सेवन भी महत्वपूर्ण है, जो शास्त्रीय भोजन, हल्का और शाकाहारी होता है, शिव पुराण के पाठन के समय परिवार के सदस्यों और परिचितों को शामिल करना चाहिए, क्योंकि इससे मान्यता है कि लाभ बढ़ता है। व्रत रखकर शिव पुराण का पाठन करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। व्रत और तपस्या के द्वारा, व्यक्ति अपने आत्मा का शुद्धिकरण करता है और शिव से एकाग्रता और समर्पण का अनुभव करता है।

इन सभी नियमों का पालन करने के द्वारा, शिव पुराण के पाठन से अधिकतम लाभ मिलता है, जिसमें आध्यात्मिक उन्नति, मोक्ष, और अंत में शिवलोक की प्राप्ति शामिल है।

शिव पुराण पढ़ने के फायदे (Benefits of Reading Shiv Purana)

शिव पुराण के पाठ से निम्नलिखित 12 प्रमुख लाभ प्राप्त होते हैं:

  • आध्यात्मिक ज्ञान – शिव पुराण (Shiv Puran) भगवान शिव के गुणों, लीलाओं और महिमा का वर्णन करता है जिससे पाठक को आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  • मोक्ष की प्राप्ति – शिव पुराण (Shiv Puran) का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को अंततः मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • मन और आत्मा की शुद्धि – शिव पुराण (Shiv Puran) का पाठ मन और आत्मा को पवित्र करता है।
  • भौतिक सुख और मोक्ष दोनों – शिव पुराण का पाठ भौतिक सुखों और मोक्ष, दोनों की प्राप्ति में सहायक है।
  • पापों से मुक्ति – शिव पुराण का पाठ व्यक्ति के पापों को नष्ट करने में सहायता करता है।
  • संसारिक कष्टों से छुटकारा – सावन माह में शिव पुराण का पाठ करने से संसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
  • मृत्यु के भय से मुक्ति – शिव पुराण का पाठ मृत्यु के भय को दूर करने में मददगार है।
  • मानसिक शांति – शिव पुराण का पाठ मन को शांति प्रदान करता है।
  • मनोकामनाओं की पूर्ति – शिव पुराण (Shiv Puran) का पाठ करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • संतान प्राप्ति – निःसंतान दंपत्तियों को शिव पुराण के पाठ से संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है।
  • वैवाहिक जीवन की समस्याओं का समाधान – शिव पुराण का पाठ वैवाहिक जीवन से जुड़ी समस्याओं के निवारण में सहायक है।
  • समस्त कष्टों का नाश – शिव पुराण के पाठ से व्यक्ति के सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं।

हालाँकि, शिव पुराण (Shiv Puran) का पाठ करते समय कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है जैसे कि पवित्रता, एकाग्रता, श्रद्धा और सम्मान के साथ पाठ करना। शिव पुराण का पाठ किसी स्वार्थ के लिए नहीं बल्कि ज्ञान और आंतरिक शांति प्राप्त करने के उद्देश्य से करना चाहिए।

शिव पुराण कब पढ़ना चाहिए (When should one read Shiva Purana?)

शिव पुराण (Shiv Puran) एक महत्वपूर्ण हिंदू धार्मिक ग्रंथ है जिसे शिव भक्तों द्वारा बहुत श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ा जाता है। शिव पुराण (Shiv Puran) को सोमवार (Monday) के दिन पढ़ना विशेष रूप से शुभ माना जाता है क्योंकि यह दिन भगवान शिव को समर्पित है। इसके अलावा, श्रावण मास में भी शिव पुराण (Shiv Puran) पढ़ना बहुत फलदायी होता है क्योंकि यह महीना भी शिव जी को प्रिय है। विशेष अवसरों जैसे महाशिवरात्रि या श्रावण पूर्णिमा पर भी शिव पुराण का पाठ करना चाहिए। शिव पुराण को शुद्ध मन और हृदय से पढ़ना चाहिए, बिना किसी द्वेष या नकारात्मकता के। पाठ करते समय ब्रह्मचर्य का पालन करना और भूमि पर बैठना भी महत्वपूर्ण है।

Also Read: जानिए शिव तांडव स्तोत्रम् के लाभ और पाठ

शिव पुराण पढ़ने के प्रमुख फायदे (Major Benefits of Reading Shiv Purana)

  • मोक्ष की प्राप्ति: शिव पुराण (Shiv Puran) के नियमित पाठ से व्यक्ति को जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है और अंततः मोक्ष की प्राप्ति होती है। “शिव पुराण का पाठ करने या सुनने से… जीवन के अंत में उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।”
  • मनोकामनाओं की पूर्ति: शिव पुराण (Shiv Puran) पढ़ने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। “शिव पुराण का पाठ करने से मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।” शिव की कृपा से भक्तों को इच्छित फल मिलते हैं।
  • संतान प्राप्ति: शिव पुराण (Shiv Puran) का पाठ करने से निःसंतान दंपत्तियों को संतान की प्राप्ति होती है। “शिव पुराण का पाठ करने से… निःसंतान लोगों को संतान की प्राप्ति हो जाती है।” शिव की असीम कृपा से वंश की वृद्धि होती है।
  • वैवाहिक जीवन में सुख: शिव पुराण (Shiv Puran) के पाठ से वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर होती हैं और दांपत्य जीवन सुखमय बनता है। “अगर वैवाहिक जीवन से संबंधित समस्याएं आ रही हैं तो वे समस्याएं दूर हो जाती हैं।”
  • कष्टों और पापों का नाश: शिव पुराण का पाठ करने से व्यक्ति के सभी कष्ट और पाप नष्ट हो जाते हैं। “व्यक्ति के समस्त प्रकार के कष्ट और पाप नष्ट हो जाते हैं।” 

शिव पुराण पढ़ने के नियम (Rules for reading Shiv Purana)

शिव पुराण (Shiv Puran), एक प्रमुख हिन्दू ग्रंथ, भगवान शिव की महिमा का गान करता है। यह ग्रंथ पढ़ने और समझने के लिए कुछ नियम हैं, जिन्हें निम्नलिखित रूप में व्याख्या किया गया है:

  • शुद्धता: शिव पुराण पढ़ने से पहले भक्तों को शुद्धता और स्वच्छता का पालन करना चाहिए। इसका मतलब है नहाना और स्वच्छ कपड़े पहनना।
  • संकल्प: भक्तों को शिव पुराण पढ़ने से पहले अपने कर्मों को भगवान शिव को समर्पित करने का संकल्प लेना चाहिए।
  • समर्पण और ध्यान: भक्तों को ग्रंथ पढ़ते या सुनते समय केंद्रित और समर्पित रहना चाहिए।
  • ब्रह्मचर्य: शिव पुराण पढ़ते समय भक्तों को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, जिसका मतलब है आत्म-नियंत्रण और शारीरिक शुद्धता।
  • सात्विक आहार: शिव पुराण पढ़ते समय भक्तों को सात्विक आहार (शुद्ध, सादा, और शाकाहारी भोजन) का पालन करना चाहिए।
  • संगति: शिव पुराण को शांत और स्वच्छ स्थल पर, या अन्य भक्तों की संगति में पढ़ना चाहिए।
  • नियमितता: शिव पुराण को नियमित रूप से पढ़ना चाहिए, ताकि उसके लाभ प्राप्त किए जा सकें।
  • सम्मान: शिव पुराण का सम्मान करना चाहिए और उसे सावधानी से हैंडल करना चाहिए।

ये नियम न केवल पाठन की गंभीरता को बढ़ाते हैं, बल्कि उसके लाभों को भी बढ़ाते हैं। यह माना जाता है कि इन नियमों का पालन करके पढ़ने से शिव पुराण, भक्तों को आशीर्वाद, सुख, और सुरक्षा प्रदान करता है, साथ ही आध्यात्मिक वृद्धि और आंतरिक शांति को बढ़ावा देता है।

शिव पुराण पढ़ने का समय (Time to Read Shiv Puran)

शिव पुराण (Shiv Puran) को पढ़ने का सबसे शुभ समय सोमवार को माना जाता है, जो भगवान शिव का प्रिय दिन है। श्रद्धालु सावन के महीने में भी शिव पुराण (Shiv Puran) का पाठ करना पसंद करते हैं, क्योंकि यह महीना भगवान शिव को समर्पित है। शिव पुराण को पढ़ने से पहले, शरीर और मन को शुद्ध करना चाहिए और पाठ के दौरान किसी भी प्रकार की हिंसा या अशुद्ध विचारों से बचना चाहिए। शिव पुराण को पूरी तरह से पढ़ने और हर सोमवार को रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव (Lord Shiva) की कृपा प्राप्त होती है, दुखों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। शिव पुराण 11 खंडों और 7 संहिताओं में विभाजित है और इसमें 24,000 श्लोक हैं। यह कलियुग के पापों से मुक्ति प्रदान करने वाला ग्रंथ माना जाता है।

Also Read: काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने से भगवान शिव बरसाएंगे अपनी कृपा, पूर्ण होगी आपकी सभी मनोकामनाएं

शिव पुराण के उपाय (Remedies of Shiva Purana)

शिव पुराण के प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं:

शिवलिंग का अभिषेक:

  • प्रतिदिन शिवलिंग पर जल और काले तिल का अभिषेक करने से जीवन की समस्याएं दूर होती हैं और सफलता मिलती है। जल और जौ के दानों से शिवलिंग का नियमित अभिषेक करने से न केवल व्यक्ति को लाभ होता है, बल्कि पूर्वजों को भी तृप्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

सोमवार का व्रत:

  • पांच सप्ताह तक सोमवार का व्रत रखकर मनोकामना पूरी करने का उपाय शिव पुराण में बताया गया है। इस व्रत में सुबह-शाम शिवजी की पूजा की जाती है। व्रत पूरा होने पर सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और शिवजी का आशीर्वाद मिलता है।

Also Read: आखिर क्या है भगवान शिव की तीसरी आंख का रहस्य?

ऋण मुक्ति के उपाय:

  • शिवजी को प्रतिदिन जल और अखंड चावल का भोग लगाने से ऋण और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है। यदि रोज़ाना संभव न हो तो हर सोमवार ऐसा करना चाहिए। इससे माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

शिव पुराण का पाठ और श्रवण:

  • संतानहीन दम्पत्तियों को संतान प्राप्ति के लिए शिव पुराण की कथा अवश्य पढ़नी या सुननी चाहिए। गंभीर रोगों से पीड़ित लोगों को भी शिव पुराण का पाठ या श्रवण करना चाहिए। शिव पुराण की कथा पढ़ने या सुनने मात्र से ही व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।

शिव पुराण के उपाय (Remedies of Shiva Purana)

शिव पुराण (Shiv Puran) के इन उपायों को करने से पहले कुछ नियमों का पालन भी आवश्यक है। शिव पुराण की कथा पढ़ने या सुनने से पहले शिवजी का ध्यान करते हुए संकल्प लेना चाहिए। पाठ या श्रवण पूरी भक्ति के साथ करना चाहिए। पाठ के दौरान एक समय सात्विक भोजन और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। कथा में सगे-संबंधियों को आमंत्रित करना चाहिए। शिव पुराण की कथा निराहार रहकर ही पढ़ें या सुनें।

इस प्रकार, शिव पुराण में बताए गए ये उपाय करने से जीवन की विभिन्न समस्याओं का समाधान होता है, सफलता और समृद्धि मिलती है तथा भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

Conclusion:

शिव पुराण (Shiv Puran) न केवल भगवान शिव (Lord Shiva) के भक्तों के लिए, बल्कि सभी आध्यात्मिक साधकों के लिए एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह पुराण जीवन के विभिन्न पहलुओं पर मार्गदर्शन प्रदान करता है और हमें मोक्ष के मार्ग पर ले जाता है। अगर आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो तो कृपया हमारे अन्य सभी लेखक को भी एक बार जरूर पढ़ें क्योंकि हमारे अन्य लेख भी बेहद रोचक और खास जानकारी के साथ लिखित हैं। इस लेख से उत्पन्न अगर आपके मन में कोई प्रश्न हो तो उन प्रश्नों को कमेंट बॉक्स में लिख दीजिए, हम आपके सभी प्रश्नों का हर संभव जवाब देने का प्रयास करेंगे। ऐसे ही और भी तमाम लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in पर रोजाना विजिट करें।

FAQ’S 

Q. शिव पुराण किस भगवान पर केंद्रित है? 

Ans. शिव पुराण भगवान शिव पर केंद्रित एक हिंदू धार्मिक ग्रंथ है। यह 18 महापुराणों में से एक है और हिंदू धर्म में सबसे अधिक पढ़ा जाने वाला पुराण माना जाता है। शिव पुराण में भगवान शिव की पूजा, महिमा और उनके विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है।

Q. शिव पुराण में कुल कितने अध्याय और श्लोक हैं? 

Ans. शिव पुराण में कुल 7 संहिताएँ और 24,000 श्लोक हैं। संहिताओं के नाम हैं – विद्येश्वर संहिता, रुद्र संहिता, शतरुद्र संहिता, कोटिरुद्र संहिता, उमा संहिता, कैलाश संहिता और वायवीय संहिता। रुद्र संहिता को 4 खंडों में और वायवीय संहिता को 2 भागों में विभाजित किया गया है।

Q. शिव पुराण का मुख्य विषय क्या है? 

Ans. शिव पुराण का मुख्य विषय भगवान शिव की महिमा, उनके अवतारों, ज्योतिर्लिंगों और भक्तों के वर्णन के साथ-साथ शिव की पार्वती के साथ संबंध और उनके पुत्र गणेश व कार्तिकेय को प्रस्तुत करना है। इसमें शिव पूजा से जुड़े विभिन्न अनुष्ठानों और प्रथाओं का भी विस्तृत वर्णन मिलता है।

Q. शिव पुराण के रचयिता कौन हैं? 

Ans. शिव पुराण के रचयिता महर्षि वेद व्यास माने जाते हैं। वेद व्यास ने कई अन्य हिंदू धार्मिक ग्रंथों जैसे महाभारत, भागवत पुराण आदि की भी रचना की थी। शिव पुराण वैदिक काल के बाद की रचना मानी जाती है।

Q. शिव पुराण में वर्णित प्रमुख शिव अवतार कौन से हैं? 

Ans. शिव पुराण में शिव के कई अवतारों का वर्णन मिलता है जैसे – वीरभद्र, शरभ, ग्रह, यक्ष, शिव दूत आदि। इनमें से वीरभद्र को शिव का सबसे शक्तिशाली अवतार माना जाता है जिन्होंने दक्ष यज्ञ का विध्वंस किया था। शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने जब-जब धर्म की रक्षा के लिए अवतार लिया है।

Q. शिव पुराण में वर्णित 12 ज्योतिर्लिंग कौन से हैं? 

Ans. शिव पुराण में 12 ज्योतिर्लिंगों का वर्णन मिलता है जो भगवान शिव के सबसे पवित्र स्थल माने जाते हैं। ये हैं – सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, केदारनाथ, भीमाशंकर, विश्वनाथ, त्र्यंबकेश्वर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वरम और घृष्णेश्वर। इन ज्योतिर्लिंगों की यात्रा को शिव भक्तों के लिए बहुत शुभ माना जाता है।