गुरु पूर्णिमा क्यों मनाया जाता है (Guru Purnima kyu Manaya Jata Hai): गुरु हमारी जिंदगी में एक अहम किरदार निभाते हैं। वे न केवल हमें ज्ञान देते हैं, बल्कि जीवन जीने की कला भी सिखाते हैं। उनके मार्गदर्शन से ही हम अपने लक्ष्य तक पहुंचते हैं और सफलता के शिखर पर विराजमान होते हैं। ऐसे में गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और उन्हें सम्मानित करने के लिए हर साल आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) का पर्व मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा का त्योहार न केवल भारत में, बल्कि विश्व के कई देशों में मनाया जाता है। इस दिन शिष्य अपने गुरुओं के चरणों में बैठकर उनसे आशीर्वाद लेते हैं और उनकी सेवा करते हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima kyu Manaya Jata Hai) क्यों और कब मनाई जाती है? इस पर्व का क्या महत्व है और इससे जुड़ी कौन सी कथा है? इस लेख में हम आपको इन सभी सवालों के जवाब देंगे और गुरु पूर्णिमा के बारे में विस्तार से बताएंगे…
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Table Of Content :- Guru Purnima kyu Manaya Jata Hai
S.NO | प्रश्न |
1 | गुरु पूर्णिमा क्या होती है? |
2 | गुरु पूर्णिमा कब और क्यों मनाई जाती है? |
3 | गुरु पूर्णिमा का महत्व |
4 | गुरु पूर्णिमा की कथा |
गुरु पूर्णिमा क्या होती है? (What is Guru Purnima)
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गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima), एक प्रमुख भारतीय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उत्सव है, जिसे गुरुओं, जिन्होंने अज्ञानता के अंधकार को दूर करके ज्ञान की रौशनी से राह दिखाई, के सम्मान में मनाया जाता है। इसे आदियोगी शिव के द्वारा सप्तर्षियों को योग के विज्ञान का प्रदान करने के दिन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व आषाढ़ मास (जुलाई-अगस्त) की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन, शिष्य अपने गुरु के प्रति आदर, सम्मान, और कृतज्ञता प्रकट करते हैं। इसका महत्व भारत के अलावा अन्य देशों में भी मान्य किया जाता है।
गुरु पूर्णिमा कब और क्यों मनाई जाती है? (When And Why is Guru Purnima Celebrated)
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सनातन धर्म में गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima kyu Manaya Jata Hai) का पर्व अत्यधिक महत्व रखता है। हर साल यह उत्सव आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को पूरे उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इसे आषाढ़ पूर्णिमा और गुरु पूर्णिमा दोनों नामों से जाना जाता है। इस वर्ष यह पावन पर्व 21 जुलाई, रविवार को पड़ रहा है। गुरु पूर्णिमा, ज्ञान और बुद्धि के प्रतीक के रूप में गुरु के सम्मान के लिए मनाया जाता है, आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला यह पर्व, महर्षि वेद व्यास के जन्मदिवस के रूप में भी जाना जाता है।
वेद व्यास ने संस्कृत भाषा की गहराईयों का अन्वेषण किया और चार वेदों, महाभारत, 18 पुराणों, और ब्रह्म सूत्रों का संकलन गुरु पूर्णिमा के दिन किया, शिष्य अपने गुरु को उपहार देते हैं, और उनके मार्गदर्शन और आशीर्वाद की कामना करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पवित्र स्नान, दान और गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
गुरु पूर्णिमा का महत्व (Importance of Guru Purnima)
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गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima), भारतीय आध्यात्मिक परंपरा में एक गहरे महत्व का दिन है, जिसे ज्ञान की खोज और आध्यात्मिक गुरुओं की श्रद्धांजलि के रूप में मनाया जाता है। तो चलिए इन तीन मुख्य बिंदुओं के माध्यम से हम गुरु पूर्णिमा के महत्व को समझने का प्रयास करते हैं-
- गुरु का सम्मान: गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता और सम्मान व्यक्त करने का दिन है। भारतीय आध्यात्मिक परंपरा में, गुरु को ज्ञान का प्रतीक माना जाता है और वे दिव्य मार्गदर्शक के रूप में पूजित होते हैं।
- संत व्यास के जन्मोत्सव का आयोजन: गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) को हिन्दी महाकाव्य महाभारत और पुराणों के लेखक संत व्यास के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है। उन्हें वेदों के संग्रहकर्ता के रूप में भी माना जाता है, इसलिए इस दिन को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
- बौद्ध धर्म में महत्व: गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) का बौद्ध धर्म में भी महत्व है क्योंकि इसी दिन भगवान बुद्ध ने अपने पहले पांच शिष्यों को अपना पहला उपदेश दिया था, जिसे धम्मचक्कपवत्तन सूत्त नाम से जाना जाता है।
इस प्रकार, गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) भारतीय आध्यात्मिक परंपरा में एक बड़े महत्व का दिन है, जिसे गुरु का सम्मान करने, कृतज्ञता व्यक्त करने और अपनी आध्यात्मिक यात्रा के प्रति समर्पण को स्थायी करने के दिन के रूप में मनाया जाता है।
गुरु पूर्णिमा की कथा (Story of Guru Purnima)
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गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) का पर्व, जो भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है, महर्षि वेदव्यास के पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है। महर्षि वेदव्यास, भगवान विष्णु के अंशावतार, ऋषि पराशर और सत्यवती के पुत्र थे। बाल्यकाल से ही अध्यात्म में गहरी रुचि रखने वाले वेदव्यास ने अपने माता-पिता से प्रभु दर्शन की इच्छा व्यक्त की और वन में तपस्या करने की अनुमति मांगी।
माता सत्यवती (Goddess Saraswati) ने प्रारंभ में उनकी इच्छा को ठुकरा दिया, परंतु वेदव्यास के दृढ़ संकल्प के आगे झुकते हुए उन्होंने अंततः अनुमति दे दी, यह कहते हुए कि जब भी घर की याद आए तो लौट आना। वन में जाकर महर्षि वेदव्यास ने कठोर तपस्या की और इसी तपस्या के फलस्वरूप संस्कृत भाषा में निपुणता प्राप्त की। उन्होंने चारों वेदों का विस्तार किया और महाभारत, अठारह महापुराण और ब्रह्मसूत्र जैसे महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की। महर्षि वेदव्यास को अमरता का वरदान प्राप्त है, और वे आज भी किसी न किसी रूप में हमारे बीच विद्यमान हैं। वेदव्यास को कृष्णद्वैपायन के नाम से भी जाना जाता है और हिन्दू धर्म में भगवान के रूप में पूजा जाता है। वेदव्यास (Vedavyasa) का जन्मदिन होने के कारण इस पर्व को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
Conclusion:- Guru Purnima kyu Manaya Jata Hai
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गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) का त्योहार हमें यह संदेश देता है कि हमें अपने गुरुओं का सम्मान करना चाहिए और उनकी सेवा करनी चाहिए। गुरु ही हमारा मार्गदर्शन करते हैं और हमें सही राह दिखाते हैं। उनके आशीर्वाद से ही हम जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। गुरु पूर्णिमा के पावन त्योहार से संबंधित यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया हमारे अन्य सभी आर्टिकल्स को भी एक बार जरूर पढ़िए साथ ही साथ हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर भी रोजाना विजिट करिए।
FAQ’s:- Guru Purnima kyu Manaya Jata Hai
Q. गुरु पूर्णिमा क्या है?
Ans. गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो प्रतिवर्ष आषाढ़ माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह दिन गुरुओं के सम्मान में मनाया जाता है जिन्होंने हमें ज्ञान और मार्गदर्शन दिया है। इस दिन शिष्य अपने गुरु की पूजा करते हैं और उन्हें सम्मानित करते हैं।
Q. गुरु पूर्णिमा कब मनाई जाती है?
Ans. गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) हिंदू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। यह आमतौर पर जून या जुलाई महीने में पड़ती है।
Q. गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?
Ans. गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) गुरुओं के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन है। हिंदू मान्यता के अनुसार, गुरु ही हमें अज्ञानता के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाते हैं। वे हमारे जीवन को सही दिशा देते हैं। इसलिए गुरुओं के सम्मान में यह त्योहार मनाया जाता है।
Q. गुरु पूर्णिमा का महत्व क्या है?
Ans. गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इस दिन गुरु की पूजा करने से ज्ञान, सद्बुद्धि और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। गुरु-शिष्य परंपरा को निभाने और गुरु के प्रति समर्पण दिखाने का यह पर्व है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान-दक्षिणा का भी महत्व है।
Q. गुरु पूर्णिमा की कथा क्या है?
Ans. पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था जिन्होंने महाभारत (Mahabharata) और पुराणों की रचना की। इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं। मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने सप्तऋषियों को योग सिखाना शुरू किया और गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था।
Q. गुरु पूर्णिमा पर क्या किया जाता है?
Ans. गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) के दिन लोग अपने गुरुओं की पूजा करते हैं, उन्हें उपहार और श्रद्धांजलि देते हैं। गुरुओं के चरणों में माथा टेकते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। मंदिरों में विशेष पूजा और भजन-कीर्तन होते हैं। कई लोग इस दिन उपवास भी रखते हैं और ध्यान-साधना करते हैं।