जन्माष्टमी भजन लिरिक्स (krishna janmashtami Bhajan Lyrics): कान्हा की महिमा अपरंपार है, उनकी लीलाएं अद्भुत और अनोखी हैं। श्री कृष्ण के जन्मोत्सव पर पूरा भारत झूम उठता है और भक्ति के रंग में सराबोर हो जाता है। जन्माष्टमी का यह पावन पर्व हमें प्रेम, करुणा और समर्पण का संदेश देता है। इस शुभ अवसर पर हर तरफ भजनों की गूंज सुनाई देती है, मंदिरों में श्रद्धालु कान्हा के दर्शन को उमड़ पड़ते हैं। भजन हमारी भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक परंपरा का अभिन्न अंग हैं। वे हमारे हृदय को छू लेते हैं और हमें भक्ति के मार्ग पर अग्रसर करते हैं।
जन्माष्टमी (Janmashtami) पर गाए जाने वाले भजन श्री कृष्ण की महिमा का गुणगान करते हैं, उनके बाल रूप की मनमोहक छवि को चित्रित करते हैं। ये भजन हमें कान्हा के साथ एक अटूट रिश्ता जोड़ने में सहायक होते हैं। आइए, इस लेख में हम कुछ ऐसे ही मधुर भजनों का आनंद लेते हैं जो जन्माष्टमी के इस पावन अवसर पर गाए जाते हैं। ये भजन हमें श्री कृष्ण के चरणों में समर्पित होने का मार्ग दिखाते हैं, हमें प्रेम और भक्ति से ओतप्रोत करते हैं। चलिए, इन भजनों के माध्यम से हम अपने आराध्य कान्हा के साथ एक अनोखा नाता जोड़ते हैं और उनकी कृपा के पात्र बनते हैं। तो फिर देर किस बात की? आइए, इस लेख को शुरू करते हैं…
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Table Of Content :-krishna janmashtami Bhajan Lyrics
S.NO | जन्माष्टमी भजन |
1 | कंकरिया से मटकी फोड़ी |
2 | देना हो तो दीजिए |
3 | मन में बसाकर तेरी मूर्ति |
4 | तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे |
5 | हरि सुंदर नंद मुकुंदा |
1. कंकरिया से मटकी फोड़ी (Kankariya Se Matki Phodi)
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सुन री यशोदा मैया,
तेरे नंदलाल रे,
कंकरिया से मटकी फोड़ी,
कंकरिया से मटकी फोड़ी,
मदन गोपाल रे,
कंकरिया से मटकी फोड़ी ||
नानो कन्हैया तेरो बड़ा उत्पाती,
संग में ग्वाल बाल खुरापाती,
कर दे डगरिया पे,
कर दे डगरिया पे,
कर दे डगरिया पे चलना मोहाल रे,
कंकरिया से मटकी फोड़ी,
मदन गोपाल रे,
कंकरिया से मटकी फोड़ी ||
छाछ दही माखन को बेरी,
दाड़ो ढीठ डाटे से ना डरे री,
ऊँचे छीके टांगी,
ऊँचे छीके टांगी,
ऊँचे छीके टांगी बहुत संभाल रे,
कंकरिया से मटकी फोड़ी,
मदन गोपाल रे,
कंकरिया से मटकी फोड़ी ||
सुन री यशोदा मैया,
तेरे नंदलाल रे,
कंकरिया से मटकी फोड़ी,
कंकरिया से मटकी फोड़ी,
मदन गोपाल रे,
कंकरिया से मटकी फोड़ी ||
2. देना हो तो दीजिए (Dena Ho To Dijiye)
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देना हो तो दीजिए,
जनम जनम का साथ !
अब तो कृपा कर दीजिए,
जनम जनम का साथ !
मेरे सर पर रख बनवारी,
अपने दोनों यह हाथ !!
देने वाले श्याम प्रभु से,
धन और दौलत क्या मांगे !
श्याम प्रभु से मांगे तो फिर,
नाम और इज्ज़त क्या मांगे !
मेरे जीवन में अब कर दे,
तू कृपा की बरसात !!
देना हो तो दीजिए,
जनम जनम का साथ !!
श्याम तेरे चरणों की धूलि,
धन दौलत से महंगी है !
एक नज़र कृपा की बाबा,
नाम इज्ज़त से महंगी है !
मेरे दिल की तम्मना यही है,
करूँ सेवा तेरी दिन रात !!
देना हो तो दीजिए,
जनम जनम का साथ !!
झुलस रहें है गम की धुप में,
प्यार की छईया कर दे तू !
बिन माझी के नाव चले ना,
अब पतवार पकड़ ले तू !
मेरा रास्ता रौशन कर दे,
छायी अन्धिआरी रात !!
देना हो तो दीजिए,
जनम जनम का साथ !!
सुना है हमने शरणागत को,
अपने गले लगाते हो !
ऐसा हमने क्या माँगा जो,
देने से घबराते हो !
चाहे जैसे रख बनवारी,
बस होती रहे मुलाक़ात !!
देना हो तो दीजिए,
जनम जनम का साथ !!
देने वाले श्याम प्रभु से,
धन और दौलत क्या मांगे !
श्याम प्रभु से मांगे तो फिर,
नाम और इज्ज़त क्या मांगे !
मेरे जीवन में अब कर दे,
तू कृपा की बरसात !!
3. मन में बसाकर तेरी मूर्ति (Man Mein Basakar Teri Murti)
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मन में बसाकर तेरी मूर्ति,
उतारू में गिरधर तेरी आरती !!
मन में बसाकर तेरी मूर्ति,
उतारू में गिरधर तेरी आरती !!
करुणा करो कष्ट हरो ज्ञान दो भगवन,
भव में फसी नाव मेरी तार दो भगवन,
करुणा करो कष्ट हरो ज्ञान दो भगवन,
भव में फसी नाव मेरी तार दो भगवन,
दर्द की दवा तुम्हरे पास है,
जिंदगी दया की है भीख मांगती !
मन में बसाकर तेरी मूर्ति,
उतारू में गिरधर तेरी आरती !!
मांगु तुझसे क्या में यही सोचु भगवन,
जिंदगी जब तेरे नाम करदी अर्पण,
मांगु तुझसे क्या में यही सोचु भगवन,
जिंदगी जब तेरे नाम करदी अर्पण,
सब कुछ तेरा कुछ नहीं मेरा,
चिंता है तुझको प्रभु संसार की !
मन में बसाकर तेरी मूर्ति,
उतारू में गिरधर तेरी आरती !!
वेद तेरी महिमा गाये संत करे ध्यान,
नारद गुणगान करे छेड़े वीणा तान,
वेद तेरी महिमा गाये संत करे ध्यान,
नारद गुणगान करे छेड़े वीणा तान,
भक्त तेरे द्वार करते है पुकार,
दास अनिरुद्ध तेरी गाये आरती !
मन में बसाकर तेरी मूर्ति,
उतारू में गिरधर तेरी आरती !!
मन में बसाकर तेरी मूर्ति,
उतारू में गिरधर तेरी आरती !!
मन में बसाकर तेरी मूर्ति,
उतारू में गिरधर तेरी आरती !!
4. तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे (Tera kisne kiya Shringar)
तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे,
तू लगे दूल्हा सा दिलदार सांवरे !
तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे,
तू लगे दूल्हा सा दिलदार सांवरे !
मस्तक पर मलियागिरी चन्दन,
केसर तिलक लगाया !
मोर मुकुट कानो में कुण्डल,
इत्र खूब बरसाया !
महकता रहे यह दरबार सांवरे,
तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे !!
बागो से कलियाँ चुन चुन कर,
सुन्दर हार बनाया !
रहे सलामत हाथ सदा वो,
जिसने तुझे सजाया !
सजाता रहे वो हर बार सांवरे
तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे !!
बोल सांवरे बोल तुम्हे मैं,
कौन सा भजन सुनाऊँ !
ऐसा कोई राग बतादे,
तू नाचे मैं गाऊं !
नचाता रहूँ मैं, हर बार सांवरे,
तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे !!
तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे,
तू लगे दूल्हा सा दिलदार सांवरे !
तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे,
तू लगे दूल्हा सा दिलदार सांवरे !!
5. हरि सुंदर नंद मुकुंदा (Hari Sundar Nand Mukunda)
हरि सुंदर नंद मुकुंदा
हरि नारायण हरि ॐ
हरि सुंदर नंद मुकुंदा
हरि नारायण हरि ॐ !
हरि केशव हरि गोविंद
हरि नारायण हरि ॐ
हरि केशव हरि गोविंद
हरि नारायण हरि ॐ !!
हरि सुंदर नंद मुकुंदा
हरि नारायण हरि ॐ
हरि केशव हरि गोविंद
हरि नारायण हरि ॐ
हरि केशव हरि गोविंद
हरि नारायण हरि ॐ !!
हरि सुंदर नंद मुकुंदा
हरि नारायण हरि ॐ !!
वन्माली मुरलीधारी
गोवर्धन गिरिवर्धारी
वन्माली मुरलीधारी
गोवर्धन गिरिवर्धारी
नित नित कर माखन चोरी
गोपी मन हारी !!
आओ रे गाओ रे गोकुल के प्यारे
आओ रे कान्हा रे गोकुल के प्यारे
आओ रे नाचो रे रास रचाओ रे
गाओ रे नाचो रे रास रचाओ रे !!
हरि सुंदर नंद मुकुंदा
हरि नारायण हरि ॐ
हरि सुंदर नंद मुकुंदा
हरि नारायण हरि ॐ !!
हरि केशव हरि गोविंद
हरि नारायण हरि ॐ
हरि केशव हरि गोविंद
हरि नारायण हरि ॐ !!
हरि सुंदर नंद मुकुंदा
हरि नारायण हरि ॐ
हरि सुंदर नंद मुकुंदा
हरि नारायण हरि ॐ !!
हे मोर मुकुट गिरधारी
कान्हा पीताम्भर धारी
हे मोर मुकुट गिरधारी
कान्हा पीताम्भर धारी
गोपियाँ संग रास रचाये
मोहन मुरली धारी !!
आओ रे आओ रे मोहन गिरधारी
आओ रे कान्हा रे हे कृष्णा मुरारी
आओ रे नाचो रे रास रचाओ रे
गाओ रे नाचो रे रास रचाओ रे !!
हरि सुंदर नंद मुकुंदा
हरि नारायण हरि ॐ
हरि सुंदर नंद मुकुंदा
हरि नारायण हरि ॐ !!
हरि केशव हरि गोविंद
हरि नारायण हरि ॐ
हरि केशव हरि गोविंद
हरि नारायण हरि ॐ !!
हरि सुंदर नंद मुकुंदा
हरि नारायण हरि ॐ
हरि सुंदर नंद मुकुंदा
हरि नारायण हरि ॐ !!
Conclusion:-krishna janmashtami Bhajan Lyrics
जन्माष्टमी (Janmashtami) के पावन अवसर पर गाए जाने वाले भजन हमारी सांस्कृतिक विरासत का अमूल्य हिस्सा हैं। ये भजन न सिर्फ हमारी भक्ति को और गहरा बनाते हैं, बल्कि हमें जीवन में सकारात्मकता और आनंद से भरने की प्रेरणा भी देते हैं। जन्माष्टमी के पावन त्यौहार से संबंधित यह बेहद खास देख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया ऐसे ही और भी लिख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर रोजाना विजिट करें।
FAQ’s:-krishna janmashtami Bhajan Lyrics
Q. श्री कृष्ण जन्माष्टमी कब मनाई जाती है?
Ans. श्री कृष्ण जन्माष्टमी (Shri Krishna Janmashtami) हर वर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। तिथि ग्रेगोरियन कैलेंडर में अगस्त या सितंबर में पड़ती है।
Q.जन्माष्टमी पर लोग किस प्रकार के व्रत और उपवास रखते हैं?
Ans. जन्माष्टमी (Janmashtami) पर भक्त उपवास रखते हैं, जो आमतौर पर निर्जला व्रत होता है। वे रात तक फलाहार करते हैं और रात 12 बजे भगवान कृष्ण के जन्म के बाद ही भोजन करते हैं। उपवास में केवल फल, दूध और पानी का सेवन किया जाता है।
Q.जन्माष्टमी के दिन मन्दिरों में किस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित होते हैं?
Ans. जन्माष्टमी (Janmashtami) के दिन मंदिरों में भजन, कीर्तन और झांकियों का आयोजन होता है। भक्त भगवान कृष्ण की लीलाओं की झांकियां देखते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। रात्रि 12 बजे भगवान के जन्म का महोत्सव मनाया जाता है।
Q. दही हांडी का क्या महत्व है और यह कैसे मनाया जाता है?
Ans. दही हांडी भगवान कृष्ण (Lord Krishna) के बाल रूप की लीला को दर्शाने के लिए मनाया जाता है। इस खेल में एक मटकी, जिसमें दही और अन्य मिठाइयाँ होती हैं, ऊँचाई पर लटकाई जाती है। युवक समूह मिलकर इस मटकी को फोड़ने का प्रयास करते हैं।
Q. भगवान श्रीकृष्ण का जन्म किस जेल में हुआ था?
Ans. भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) का जन्म मथुरा में कंस के कारागार में हुआ था। उनके माता-पिता, देवकी और वासुदेव, को कंस ने बंदी बना रखा था। भगवान कृष्ण का जन्म आधी रात को हुआ, जिसके बाद वासुदेव उन्हें गोकुल ले गए।
Q. जन्माष्टमी के दिन कृष्ण का कौन सा नाम सबसे अधिक स्मरण किया जाता है और क्यों?
Ans. जन्माष्टमी (Janmashtami) के दिन “गोविंद” और “मुरलीधर” नाम का सबसे अधिक स्मरण किया जाता है। गोविंद का अर्थ है गोपालक, जो भगवान कृष्ण के बाल रूप को दर्शाता है। मुरलीधर नाम उनकी बांसुरी बजाने की कला को इंगित करता है, जो उनकी लीलाओं का मुख्य भाग है।