खाटू श्याम जी का जन्मदिन कब है (Khatu Shyam ji ka Birthday kab Hai ): भगवान खाटू श्याम जी, हिंदू धर्म में एक पवित्र और शक्तिशाली देवता हैं, जिनकी पूजा और आराधना करने से भक्तों को आध्यात्मिक और धार्मिक लाभ प्राप्त होता है।
भगवान खाटू श्याम जी को भगवान कृष्ण के अवतारों में से एक माना जाता है, जो अपने भक्तों की रक्षा और सुख-समृद्धि के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। भगवान खाटू श्याम जी का इतिहास बहुत ही रोचक और प्रेरणादायक है, जो हमें उनकी महिमा और शक्ति के बारे में जानने का अवसर प्रदान करता है। भगवान खाटू श्याम जी को “हारे का सहारा” भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि वे अपने भक्तों के हर कठिनाई में सहारा बनने के लिए तैयार रहते हैं। इस लेख में, हम आपको भगवान खाटू श्याम जी के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। हम आपको बताएंगे कि भगवान खाटू श्याम जी कौन हैं, उनका जन्म कब हुआ था,उनका इतिहास और हिस्ट्री क्या है, और उन्हें “हारे का सहारा” क्यों कहा जाता है।
इस विशेष लेख के जरिए हम आपको उनके 11 प्रसिद्ध नामों के बारे में भी बताएंगे, जो उनकी महिमा और शक्ति को दर्शाते हैं। तो आइए, जानें भगवान खाटू श्याम जी के बारे में और अपने जीवन को अधिक सार्थक बनाएं….
Also Read:-खाटू श्याम जी की आरती
खाटू श्याम कौन हैं? (Khatu Shyam kaun Hain)
खाटू श्याम जी (Khatu Shyam) को भगवान श्रीकृष्ण (Bhagwan Krishna) का अवतार माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, उनका असली नाम बर्बरीक था, जो महाभारत के वीर योद्धा भीम के पुत्र घटोत्कच और नागकन्या मोरवी के पुत्र थे। बर्बरीक ने मां कात्यायनी की कठोर तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया और वरदान में तीन अद्भुत बाण प्राप्त किए, जिन्हें “तीन बाणधारी” कहा जाता है। उन्होंने महाभारत युद्ध में शामिल होने का संकल्प लिया था, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने उनसे उनकी निष्ठा और शक्ति की परीक्षा ली। कृष्ण ने बर्बरीक से उनका शीश दान मांगा, जिसे उन्होंने सहर्ष अर्पित कर दिया। प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने उन्हें कलियुग में खाटू श्याम के रूप में पूजे जाने का आशीर्वाद दिया। खाटू श्याम जी की भक्ति से श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन्हें कलियुग का देवता माना जाता है।
Also Read:-खाटू श्याम चालीसा
खाटू श्याम की कहानी (khatu Shyam ji ki kahani)
भगवान खाटू श्याम जी (Bhagwan Khatu Shyam ji) की कहानी महाभारत काल से जुड़ी है। खाटू श्याम जी का असली नाम बर्बरीक था, और वे महाभारत के महान योद्धा भीम के पोते तथा घटोत्कच के पुत्र थे। बर्बरीक अपनी वीरता और अद्भुत शक्ति के लिए प्रसिद्ध थे। उन्हें वरदान प्राप्त था कि वे तीन बाणों से किसी भी युद्ध का अंत कर सकते हैं। उनकी भक्ति और निष्ठा ऐसी थी कि उन्होंने देवी माँ से अमोघ बाण प्राप्त किया, जिसे उन्होंने हर युद्ध में विजय सुनिश्चित करने का प्रण किया था।
महाभारत के युद्ध के दौरान, बर्बरीक ने यह प्रतिज्ञा ली थी कि वह युद्ध में हमेशा हारने वाले पक्ष की ओर से लड़ेगा। जब भगवान श्रीकृष्ण को इस बात का ज्ञान हुआ, तो उन्होंने बर्बरीक की परीक्षा लेने का निर्णय लिया। श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से पूछा कि युद्ध में वह किस पक्ष का समर्थन करेंगे। बर्बरीक ने जवाब दिया कि वह कमजोर पक्ष के साथ होंगे, चाहे वह कोई भी हो। यह सुनकर श्रीकृष्ण समझ गए कि बर्बरीक की शक्ति के कारण युद्ध का संतुलन बिगड़ जाएगा।
तब श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उसके सिर का दान माँगा, ताकि युद्ध धर्म और न्याय के अनुसार हो सके। बर्बरीक ने सहर्ष अपना सिर भगवान श्रीकृष्ण को दान में दे दिया और अपने बलिदान से महाभारत के युद्ध को संतुलित रखा। श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को आशीर्वाद दिया कि कलियुग में वे “श्याम” के नाम से पूजे जाएंगे और जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से उनकी भक्ति करेगा, उसकी मनोकामनाएँ पूर्ण होंगी।
यही कारण है कि आज बर्बरीक “खाटू श्याम जी” के रूप में पूजे जाते हैं। राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गाँव में स्थित उनका मंदिर श्रद्धालुओं के लिए विशेष आस्था का केंद्र है। भक्त उनकी शरण में आकर अपनी समस्याओं का समाधान पाते हैं, और खाटू श्याम जी की कृपा से उनके जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है।
खाटू श्याम जी का जन्मदिन कब है? (Khatu Shyam ji ka janmdin kab Hai)
खाटू श्याम का जन्मदिन 2024 में 12 नवंबर, मंगलवार को प्रबोधिनी एकादशी के दिन मनाया जाएगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार, श्री खाटू श्याम जी की जयंती प्रतिवर्ष कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस दिन श्री खाटू श्याम जी की विधिवत पूजा के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के भोग भी अर्पित किए जाते हैं।
खाटू श्याम जी का जन्मदिन कब है | 12 नवंबर, मंगलवार को |
खाटू श्याम का इतिहास (khatu Shyam ka Itihas)
भगवान खाटू श्याम जी के बारे में दी गई जानकारी को चार मुख्य बिंदुओं में निम्नलिखित तरीके से प्रस्तुत किया जा सकता है:
खाटू श्याम जी का मूल परिचय:
खाटू श्याम जी का असली नाम बर्बरीक था, जो महाभारत के महान योद्धा भीम के पोते और घटोत्कच के पुत्र थे। उन्हें अद्वितीय वीरता और शक्ति के लिए जाना जाता था। बर्बरीक के पास अद्भुत शक्ति थी, जिसके कारण वे केवल तीन बाणों से किसी भी युद्ध का अंत कर सकते थे। देवी माँ के आशीर्वाद से उन्हें अमोघ बाण मिला था, और उन्होंने प्रतिज्ञा ली थी कि वे हर युद्ध में विजय सुनिश्चित करेंगे।
महाभारत युद्ध में बर्बरीक का निर्णय:
महाभारत के युद्ध में बर्बरीक ने प्रतिज्ञा की थी कि वह हारने वाले पक्ष की ओर से लड़ेंगे। जब श्रीकृष्ण को इस निर्णय का ज्ञान हुआ, तो उन्होंने बर्बरीक की परीक्षा लेने का निश्चय किया। बर्बरीक ने श्रीकृष्ण को बताया कि वह कमजोर पक्ष का समर्थन करेंगे, जिससे युद्ध का संतुलन बिगड़ने की संभावना बन गई।
श्रीकृष्ण द्वारा बलिदान का अनुरोध:
युद्ध में न्याय और धर्म बनाए रखने के लिए, श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उसके सिर का दान माँगा। बर्बरीक ने अपनी सहमति जताई और सिर का दान श्रीकृष्ण को अर्पित किया। उनके इस बलिदान से महाभारत के युद्ध का संतुलन बना रहा। श्रीकृष्ण ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि कलियुग में वे “श्याम” के नाम से पूजे जाएंगे, और जो भक्त उन्हें सच्चे मन से याद करेगा, उसकी सभी इच्छाएँ पूर्ण होंगी।
खाटू श्याम जी का प्रसिद्ध मंदिर और श्रद्धा का केंद्र: आज बर्बरीक “खाटू श्याम जी” के नाम से पूजे जाते हैं, और राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गाँव में स्थित उनका मंदिर श्रद्धालुओं के लिए विशेष आस्था का स्थान है। भक्त वहाँ अपनी समस्याओं का समाधान पाने और खाटू श्याम जी की कृपा से सुख-समृद्धि और शांति की प्राप्ति के लिए आते हैं।
खाटू श्याम को हारे का सहारा क्यों कहते हैं? (Khatu Shyam ko Hare ka Sahara kyon kehte Hain)
खाटू श्याम (Khatu Shyam) जी को हारे का सहारा इसलिए कहा जाता है क्योंकि महाभारत युद्ध में वे हारे हुए पक्ष का साथ देने वाले थे। खाटू श्याम जी ने अपनी माता को वचन दिया था कि वे युद्ध में हारने वाले पक्ष का साथ देंगे। जब कौरवों की हार होने लगी, बर्बरीक ने उनका साथ देने का निर्णय लिया। परन्तु भगवान श्रीकृष्ण को लगा कि बर्बरीक के कौरवों का साथ देने से पांडवों की हार निश्चित है। इसलिए श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उनका शीश दान में मांग लिया, जिसे बर्बरीक ने बिना संकोच दिया। इस प्रकार खाटू श्याम जी हारे हुए, कमज़ोर पड़ रहे पक्ष के सहारा बने।
खाटू श्याम के 11 नाम (Khatu Shyam ke 11 Naam)
- बर्बरीक (Barbarik)
- मौरवी नंदन (Maurvi Nandan)
- तीन बाण धारी (Teen Baan Dhari)
- शीश का दानी (Sheesh Ke Daani)
- कलयुग के अवतारी (Kalyug Ke Avtari)
- खाटू नरेश (Khatu Naresh)
- लखदातार (Lakhdatar)
- लीले का अश्वार (Lele Ka Ashvar)
- खाटू श्याम (Khatu Shyam)
- हारे का सहारा (Hare Ka Sahara)
- श्री श्याम (Shree Shyam)
Conclusion:-Khatu Shyam ji ka Birthday kab Hai
हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (खाटू श्याम जी का इतिहास) यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद
FAQS :-Khatu Shyam ji ka Birthday kab Hai
प्रश्न: खाटू श्याम जी का जन्मदिन कब मनाया जाता है?
उत्तर: खाटू श्याम जी का जन्मदिन माघ शुक्ल एकादशी को मनाया जाता है।
प्रश्न: खाटू श्याम जी का मंदिर कहां स्थित है?
उत्तर: खाटू श्याम जी का मंदिर राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गांव में स्थित है।
प्रश्न: इस दिन कौन-कौन से धार्मिक आयोजन होते हैं?
उत्तर: इस दिन विशेष पूजा, भजन-कीर्तन, शोभा यात्रा, और प्रसाद वितरण का आयोजन होता है।