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RakshaBandhan Story: क्या आप जानना चाहते हैं रक्षाबंधन की कहानी और इसके पीछे की पौराणिक कथाएं एवं इतिहास? सब कुछ जानिए इस लेख में

Rakshabandhan-Story
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रक्षाबंधन पौराणिक कथा और इतिहासिक कथाएं (Rakshabandhan story): रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) वह पावन पर्व है जो भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास के बंधन को और अधिक मजबूत करता है। यह त्योहार हमारी संस्कृति और परंपराओं की जड़ों से जुड़ा हुआ है, जो हमें अपने पारिवारिक रिश्तों के महत्व का एहसास दिलाता है। अब सवाल ये उठता है कि ये त्योहार 2024 में कब मनाया जायेगा, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रक्षाबंधन का त्योहार सावन महीने में 19 अगस्त दिन सोमवार को मनाया जायेगा।

हर साल श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला यह त्योहार, बहनों द्वारा अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करने का प्रतीक है। वहीं भाई भी अपनी बहनों को आजीवन सुरक्षा और सम्मान देने का वचन देते हैं। इस पवित्र अवसर पर घर का माहौल भाई-बहन के प्रेम और स्नेह से सराबोर हो जाता है। मिठाइयों का आदान-प्रदान, उपहारों का लेन-देन और एक-दूसरे के प्रति अपार स्नेह इस दिन की खास बातें हैं। परंतु क्या आप जानते हैं कि रक्षाबंधन (RakshaBandhan Story) का यह पर्व कब और कैसे शुरू हुआ? इस प्राचीन पर्व के पीछे छिपी पौराणिक कथाएं और इसका धार्मिक महत्व क्या है? राखी बांधने की सही विधि क्या है? आइए, इस लेख में हम रक्षाबंधन के इतिहास, महत्व और इससे जुड़ी रोचक बातों पर गहराई से नजर डालते हैं…

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Table Of Content :-

S.NOप्रश्न
1रक्षाबंधन से जुड़ी पौराणिक और इतिहासिक कथाएं
3श्रीकृष्ण और द्रौपदी से जुड़ी कथा 
4रक्षाबंधन का महत्व
5राखी बांधने की विधि

रक्षाबंधन से जुड़ी पौराणिक और इतिहासिक कथाएं ( Raksha Bandhan se Judi Pauranik Aur Etihasik Kahani) 

1.राजा बलि से जुड़ी कथा- (Raksha Bandhan ki kahani)

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पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में जब राजा बलि अश्वमेध यज्ञ करा रहे थे, तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर उन्हें छलने की योजना बनाई। विष्णु जी ने वामन रूप धारण कर राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांगी। 

राजा बलि ने सोचा कि यह छोटा सा ब्राह्मण तीन पग में भला कितनी जमीन नाप सकेगा, इसलिए उन्होंने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। लेकिन, जैसे ही विष्णु जी ने अपना असली रूप दिखाना शुरू किया, उनका आकार बढ़ने लगा और उन्होंने दो पग में ही पूरा संसार नाप लिया। तीसरे पग के लिए, राजा बलि ने स्वयं को समर्पित कर दिया और विष्णु जी ने उन्हें पाताल लोक का राज्य दे दिया। बलि ने विष्णु जी से एक वचन मांगा कि वे हमेशा उनके सामने रहें, जिसे विष्णु जी ने स्वीकार कर लिया। इस पर लक्ष्मी जी को अपने स्वामी की चिंता हुई और देवर्षि नारद के सुझाव पर उन्होंने बलि को अपना भाई बनाने का निश्चय किया। लक्ष्मी जी ने एक स्त्री का रूप धारण कर पाताल लोक पहुंचीं और रोते हुए बलि से कहा कि उनका कोई भाई नहीं है, जिससे वे अत्यंत दुखी हैं। बलि ने सहानुभूति दिखाते हुए उन्हें अपनी धर्म बहन बना लिया। इसके बाद लक्ष्मी जी ने राजा बलि को राखी बांधी और अपने स्वामी विष्णु जी को वापस मांग लिया। तभी से रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाने लगा, जो भाई-बहन के अटूट प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।

2.श्री कृष्ण और द्रौपदी से जुड़ी कथा  (Raksha Bandhan ki kahani)

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एक अन्य कथा के अनुसार, महाभारत में श्रीकृष्ण और द्रौपदी के बीच भाई-बहन के पवित्र संबंध की एक अनोखी कहानी है। जब श्रीकृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया, तो उनकी कनिष्ठा ऊंगली कट गई और रक्त की धार बहने लगी। 

इस दुखद घड़ी में द्रौपदी ने बिना सोचे-समझे अपनी साड़ी के चीर का एक टुकड़ा फाड़कर श्री कृष्ण की उंगली पर बांध दिया। इस छोटे से परंतु महत्वपूर्ण कार्य ने श्री कृष्ण को गहरे रूप से प्रभावित किया। उन्होंने द्रौपदी को अपनी बहन के रूप में स्वीकार कर लिया और हर संकट में उनकी रक्षा करने का वचन दिया। (Rakshabandhan Story) श्री कृष्ण का यह वचन एक निर्णायक क्षण में सत्य साबित हुआ, जब द्रौपदी को दुर्योधन द्वारा भरी सभा में अपमानित करने का प्रयास किया गया। श्रीकृष्ण ने अपने वादे के अनुरूप चमत्कारी रूप से द्रौपदी की लाज बचाई और दुर्योधन के कुटिल प्रयासों को विफल कर दिया। इस घटना ने न केवल द्रौपदी और श्री कृष्ण के बीच के संबंध को और भी मजबूत किया, बल्कि भाई-बहन के पवित्र बंधन का एक अमिट उदाहरण भी प्रस्तुत किया। इस प्रकार, राखी और रक्षा के इस अनूठे पर्व का जन्म हुआ, जो आज भी हमें भाई-बहन के स्नेह और सुरक्षा की महत्ता का स्मरण कराता है।

रक्षाबंधन का महत्व (Raksha Bandhan ka Mahatva)

Raksha Bandhan ka Mahatva

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रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) का महत्व निम्नलिखित तीन बिंदुओं में विस्तार से बताया जा सकता है:

  • भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक: रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) भाई-बहन के अटूट प्रेम और बंधन का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। बदले में, भाई अपनी बहनों की सुरक्षा और जीवनभर उनकी देखभाल का वचन देते हैं। यह पर्व न केवल खून के रिश्तों को मजबूत करता है, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव को भी गहरा बनाता है। इस विशेष दिन पर, परिवार के सदस्य एकत्र होते हैं, साथ में भोजन करते हैं, और पुरानी यादों को ताजा करते हैं, जिससे पारिवारिक संबंध और भी मधुर बन जाते हैं।
  • सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व: रक्षाबंधन (Rakshabandhan Story) का पर्व भारतीय संस्कृति और परंपराओं में गहरा महत्व रखता है। पौराणिक कथाओं में अनेक उदाहरण मिलते हैं जहाँ राखी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जैसे कि लक्ष्मी जी ने राजा बलि को राखी बांधकर भगवान विष्णु को वापस लाने का वचन लिया, और महाभारत में श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को राखी के बदले उसकी लाज बचाई। इन कहानियों से रक्षाबंधन का धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है, जिससे यह पर्व केवल एक पारिवारिक उत्सव नहीं, बल्कि धर्म और संस्कृति का भी महत्वपूर्ण हिस्सा बनता है।
  • सामाजिक और नैतिक संदेश: रक्षाबंधन (Rakshabandhan Story) केवल भाई-बहन के रिश्ते तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज में सामूहिक सौहार्द और सुरक्षा का भी प्रतीक है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि हमें दूसरों की रक्षा और सहायता के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। भाई-बहन का यह बंधन हमें यह संदेश देता है कि समाज में हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह अपने आस-पास के लोगों की सुरक्षा और सम्मान का ख्याल रखे। इस प्रकार, रक्षाबंधन सामाजिक एकता, नैतिकता और मानवता के मूल्य भी उजागर करता है।

राखी बांधने की विधि क्या है (Rakhi Bandhne ki Vidhi kya Hai)

Rakhi Bandhne ki Vidhi kya Hai

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राखी बांधने की विधि को विस्तार से छह बिंदुओं में इस प्रकार समझा सकते हैं:

  • सामग्री की तैयारी: राखी बांधने से पहले सभी आवश्यक सामग्री तैयार कर लें। इसमें राखी, रोली (कुमकुम), चावल (अक्षत), दीपक, मिठाई, नारियल और एक थाली शामिल होती है। थाली को सजाकर उसमें सभी सामग्री को व्यवस्थित रूप से रखें। एक दीपक जलाएं और उसे थाली में रखें, जिससे पूजा की पवित्रता बनी रहे।
  • भाई को आमंत्रित करें: थाली तैयार करने के बाद, अपने भाई को पूजा स्थान पर बुलाएं। भाई को साफ और अच्छे वस्त्र पहनने चाहिए। उसे आसन पर बैठने के लिए कहें। यह ध्यान रखें कि भाई पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे, जिससे शुभता बढ़े।
  • पूजा की शुरुआत: भाई के माथे पर तिलक लगाएं। इसके लिए रोली का उपयोग करें और उसे चावल के साथ मिलाकर भाई के माथे पर अक्षत (तिलक) लगाएं। तिलक लगाने के बाद, भाई के दाहिने हाथ की कलाई पर थोड़ा जल छिड़कें और उसे पवित्र करें। यह प्रक्रिया शुभता और पवित्रता का प्रतीक है।
  • राखी बांधना: तिलक और जल छिड़कने के बाद, भाई की कलाई पर राखी बांधें। राखी बांधते समय मंत्र का उच्चारण करें या भाई के दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना करें। राखी बांधते समय ध्यान रखें कि राखी अच्छी तरह से बंधी हो और उसमें कोई गाँठ न हो।
  • आरती और मिठाई: राखी बांधने के बाद, भाई की आरती उतारें। आरती करते समय दीपक को घुमाएं और भाई की सुख-समृद्धि की कामना करें। आरती उतारने के बाद भाई को मिठाई खिलाएं और नारियल दें। यह परंपरा भाई-बहन के रिश्ते को और भी मधुर बनाती है।
  • आशीर्वाद और उपहार: राखी बांधने की विधि पूर्ण करने के बाद, भाई अपनी बहन को उपहार या धनराशि देता है। यह उपहार भाई की ओर से बहन के प्रति स्नेह और सुरक्षा के वचन का प्रतीक होता है। भाई-बहन एक-दूसरे का आशीर्वाद लेते हैं और त्योहार की खुशियों को साझा करते हैं।

इस प्रकार, राखी बांधने की विधि भाई-बहन के अटूट प्रेम और संबंध की महत्वपूर्ण परंपरा है, जो हर साल रक्षाबंधन के पवित्र पर्व पर धूमधाम से मनाई जाती है।

क्या रात के समय में राखी बांधी जा सकती है? (Kya Rat ke Samay Rakhi Bandhi ja Sakti Hai)

राखी का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है, और इसे आमतौर पर दिन के समय मनाने की परंपरा है। हालांकि, यदि किसी विशेष परिस्थिति के कारण दिन में राखी नहीं बांधी जा सकती, तो रात के समय भी राखी बांधना संभव है। महत्वपूर्ण यह है कि इस पवित्र धागे को बांधते समय भाई-बहन का भावनात्मक जुड़ाव और श्रद्धा बनी रहे। रात में राखी बांधते समय, यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पूजा की सभी विधियों और परंपराओं का पालन हो, ताकि इस अनूठे त्योहार का पूरा आनंद और आशीर्वाद प्राप्त हो सके। परिस्थितियों के अनुसार, समय का लचीलापन भी हमारे रिश्तों को और मजबूत बनाता है।

Conclusion:-Rakshabandhan Story

रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भाई-बहन के रिश्ते की मजबूती, प्रेम, और सुरक्षा के वचन का प्रतीक है। इसके धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व ने इसे सदियों से प्रासंगिक बनाए रखा है। रक्षाबंधन (RakshaBandhan Story) के पावन त्योहार से संबंधित यह बेहद खास लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया इसे अपने सभी भाई बहनों व मित्र गणों के साथ अवश्य साझा करें ताकि वह भी रक्षाबंधन के इतिहास और इसके महत्व को समझ सके साथ ही साथ हमारे अन्य लेख भी जरूर पढ़िए और हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर रोजाना विजिट करिए। 

FAQ’s:-Rakshabandhan Story

Q. रक्षाबंधन 2024 कब मनाया जाएगा?

Ans. हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल रक्षाबंधन का पर्व 19 अगस्त 2024, सोमवार को मनाया जाएगा। श्रावण पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त को सुबह 3 बजकर 4 मिनट से शुरू होकर रात 11 बजकर 55 मिनट तक रहेगी।

Q. रक्षाबंधन का महत्व क्या है? 

Ans. रक्षाबंधन (Raksha Bandhan)भाई-बहन के प्यार और विश्वास का प्रतीक है। यह त्योहार उनके बीच के मजबूत रिश्ते को दर्शाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं।

Q. राखी बांधने की विधि क्या है? 

Ans. राखी बांधने के लिए बहनें पहले थाली में राखी, रोली, चावल, मिठाई और दीया रखती हैं। फिर वे भाई की आरती उतारकर उनके माथे पर तिलक लगाती हैं और उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं। इसके बाद भाई बहन को उपहार या पैसे देते हैं।

Q. रक्षाबंधन का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में कहां मिलता है? 

Ans. रक्षाबंधन का जिक्र प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों और महाकाव्यों में भी मिलता है। महाभारत में द्रौपदी द्वारा भगवान कृष्ण की उंगली पर खून रोकने के लिए कपड़ा बांधने की कथा प्रचलित है, जिसके बाद कृष्ण ने उनकी रक्षा का वचन दिया था।

Q. रक्षाबंधन के दिन भाई-बहन क्या करते हैं? 

Ans. रक्षाबंधन के दिन भाई-बहन पारंपरिक पोशाक पहनते हैं। बहनें राखी बांधने की थाली तैयार करती हैं। वे भाई की आरती करके उनके माथे पर तिलक लगाती हैं और राखी बांधती हैं। भाई बहनों को प्यार से उपहार या पैसे देते हैं।

Q. रक्षाबंधन का संदेश क्या है? 

Ans. रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के बीच सुरक्षा, देखभाल और सम्मान के भाव को दर्शाता है। यह उन्हें एक-दूसरे के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का एहसास दिलाता है। राखी का बंधन उनके स्नेह और प्रेम को मजबूत करता है।