Vastu Tips for Kitchen: घर का किचन हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा होता है। यह वह जगह है जहां हम अपने परिवार के लिए स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं और प्यार से परोसते हैं। किचन की सजावट और रंग योजना का हमारे मन और भावनाओं पर गहरा प्रभाव पड़ता है। वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, किचन के लिए सही रंगों का चयन करना बहुत महत्वपूर्ण होता है।ये रंग सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy) से भरपूर होते हैं और घर में खुशहाली लाते हैं।
आज के इस विशेष लेख के जरिए हम आपको बताएंगे कि वास्तु (Vastu) के अनुसार हमारे घर के किचन की सही दिशा क्या होनी चाहिए?, वास्तु के अनुसार किचन का रंग कैसा होना चाहिए?, वास्तु के अनुसार किचन में रंगों का क्या महत्व है?, साथ ही हम आपको यह भी बताएंगे कि हमारे किचन के लिए कौन से रंग अनुकूल हैं? और कौन से रंगों के प्रयोग से हमें बचाना चाहिए?, इत्यादि! इसीलिए हमारे इस विशेष लेख को अंत तक जरूर पढ़िए।
वास्तु के अनुसार किचन की सही दिशा क्या होनी चाहिए?
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, घर के किचन की सही दिशा दक्षिण-पूर्व होनी चाहिए। यह दिशा अग्नि तत्व से जुड़ी होती है और इसे अग्नि देवता की दिशा भी माना जाता है। किचन को इस दिशा में बनाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy) का संचार होता है। साथ ही, खाना बनाते समय व्यक्ति का मुख पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए। यदि खाना बनाते वक्त मुख दक्षिण दिशा की ओर हो तो आर्थिक समस्याएं हो सकती हैं, जबकि पश्चिम दिशा की ओर मुख होने पर स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। इसके अलावा, किचन में सिंक उत्तर-पश्चिम दिशा में और पानी से जुड़ी चीजें उत्तर-पूर्व दिशा में होनी चाहिए।
किचन का आकार बड़ा, हवादार और अच्छी रोशनी वाला होना चाहिए। वास्तु के इन नियमों का पालन करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
वास्तु के कैसा होना चाहिए किचन का रंग?
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra), एक प्राचीन भारतीय विज्ञान, इमारतों के निर्माण और डिजाइन के तरीकों को मार्गदर्शन देता है। यह माना जाता है कि वास्तु शास्त्र का पालन करने से घर के निवासियों को सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि मिलती है। किचन घर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है, और इसकी स्थिति और रंग के लिए वास्तु शास्त्र में विशेष दिशानिर्देश दिए गए हैं।
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, किचन का रंग व्यक्ति की कुंडली के आधार पर सावधानीपूर्वक चुना जाना चाहिए। यदि किचन छोटा है, तो हल्के रंग जैसे कि हल्का गुलाबी, नारंगी, हल्का पीला, और सफेद का अनुशंसित किया जाता है। हल्के रंगों का उपयोग करने से सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy) का संचार होता है और एक शांतिपूर्ण माहौल बनता है। वास्तु शास्त्र ने अग्नेय कोने (दक्षिण-पूर्व) की दीवार का रंग संतरी या हल्का लाल होना चाहिए, बताया है। उत्तर-पूर्व कोने में हल्का पीला या हल्का हरा इस्तेमाल किया जा सकता है। घर की समृद्धि और अच्छी किस्मत सुनिश्चित करने के लिए, वास्तु शास्त्र ने किचन के उत्तर-पूर्व कोने को नीला रंग करने की सलाह दी है।
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, काले रंग के ग्रेनाइट का उपयोग किचन स्लैब के लिए अशुभ माना जाता है। इसके बजाय, हल्के रंग का ग्रेनाइट या संगमरमर का उपयोग करने की सिफारिश की जाती है। इस प्रकार, वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों के आधार पर किचन और उसकी दीवारों का रंग सावधानीपूर्वक चुना जाना चाहिए।
वास्तु के अनुसार किचन में रंगों का क्या महत्व है?
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, किचन में रंगों का बहुत महत्व होता है। रंग न केवल किचन के वातावरण को प्रभावित करते हैं, बल्कि घर में रहने वालों के स्वास्थ्य, खुशहाली और समृद्धि पर भी असर डालते हैं।
वास्तु (Vastu) के अनुसार, किचन के रंग घर में सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy) का संचार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सही रंगों का चयन करके, घर में सुख-शांति और खुशहाली को बढ़ावा दिया जा सकता है। इसके अलावा, किचन के रंग भोजन की गुणवत्ता और स्वाद को भी प्रभावित कर सकते हैं। वास्तु शास्त्र में माना जाता है कि रंग लोगों के मूड और भावनाओं पर असर डालते हैं, जो खाना पकाने और खाने के अनुभव को बेहतर या बदतर बना सकते हैं।
किचन (kitchen) में रंगों का एक और महत्व यह है कि वे घर के सदस्यों के बीच संबंधों और सामंजस्य को मजबूत कर सकते हैं। कुछ रंग रिश्तों में मधुरता लाने और बंधन को मजबूत करने में मदद करते हैं।
वास्तु के अनुसार रसोई में सफेद रंग
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, रसोई में सफेद रंग का उपयोग करना बहुत शुभ माना जाता है। सफेद रंग शुद्धता, स्वच्छता और नई शुरुआत का प्रतीक है। यह ज्ञान और बुद्धि से भी जुड़ा हुआ है। रसोई में सफेद रंग का इस्तेमाल करने से सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy) का संचार होता है और वातावरण खुला व स्पष्ट महसूस होता है।
पूर्व दिशा की दीवारों पर सफेद रंग का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। पूर्व दिशा वायु तत्व से जुड़ी होती है जो बुद्धि और ज्ञान का प्रतीक है। पूर्व की ओर सफेद रंग पॉजिटिव सोच को बढ़ावा देता है और बौद्धिक विकास को प्रोत्साहित करता है। इसके अलावा, उत्तर-पूर्व दिशा की दीवारों पर भी सफेद रंग का प्रयोग करना लाभदायक होता है। उत्तर-पूर्व दिशा को सबसे शुभ माना जाता है और यह ज्ञान व प्रबोधन से जुड़ी होती है। यहाँ सफेद रंग एक साफ-सुथरा, शांत और ध्यान लगाने वाला माहौल बनाता है जो आत्म-चिंतन के लिए अनुकूल होता है।
रसोई की छत (kitchen roof) को भी सफेद रंग से पेंट करने की सलाह दी जाती है। छत पर सफेद रंग सूर्य की प्राकृतिक किरणों को परावर्तित करता है जिससे रसोई उजली और खुली-खुली लगती है। यह सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने में भी मदद करता है।
वास्तु के अनुसार किचन में पीला रंग
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार रसोई में पीले रंग का प्रयोग करना बेहद शुभ और सकारात्मक (positive) माना जाता है। पीला रंग (Yellow paint) सूर्य का प्रतीक होता है जो ऊर्जा, प्रकाश और जीवंतता का प्रतीक है। रसोई में पीले रंग का उपयोग करने से खाने में स्वाद बढ़ता है और भूख को उत्तेजित करता है।
वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार, रसोई में पीले रंग (Yellow paint) का प्रयोग करने से सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy) का संचार होता है और परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और सद्भाव बढ़ता है। पीला रंग मानसिक तनाव को दूर करता है और मन को शांत रखता है। यह रंग खुशी और उत्साह का प्रतीक भी माना जाता है।
रसोई (Kitchen) की दीवारों पर हल्के पीले रंग का प्रयोग किया जा सकता है जो कि एक शांत और सकारात्मक माहौल बनाता है। पीले रंग की टाइल्स या बैकस्प्लैश का प्रयोग भी किया जा सकता है जो रसोई को एक आकर्षक और जीवंत लुक देता है। हालांकि, बहुत चमकीले या तेज पीले रंग के उपयोग से बचना चाहिए क्योंकि यह थकान और चिड़चिड़ापन पैदा कर सकता है।
वास्तु के अनुसार किचन में गुलाबी रंग
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, रसोई में गुलाबी रंग का उपयोग करना बहुत शुभ माना जाता है। यह रंग प्रेम, करुणा और शांति का प्रतीक है। गुलाबी रंग का संबंध हृदय चक्र से भी है, जो भावनात्मक संतुलन और प्रेम को बढ़ावा देता है।
रसोई में गुलाबी रंग का उपयोग करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह रंग भोजन बनाने और खाने के अनुभव को और अधिक आनंदमय बनाता है। गुलाबी रंग का उपयोग दीवारों, टाइल्स, बर्तनों या किचन एक्सेसरीज़ में किया जा सकता है।
वास्तु के अनुसार, रसोई में गुलाबी रंग का उपयोग करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। बहुत गहरे गुलाबी रंग का उपयोग न करें क्योंकि यह उत्तेजना और क्रोध को बढ़ा सकता है। इसके बजाय, हल्के और कोमल गुलाबी रंगों को प्राथमिकता दें। इसके अलावा, गुलाबी रंग को अन्य रंगों जैसे सफेद, क्रीम या हरे रंग के साथ मिलाया जा सकता है ताकि एक संतुलित और सुखद वातावरण बनाया जा सके। गुलाबी रंग का उपयोग करते समय, यह सुनिश्चित करें कि रसोई अच्छी तरह से प्रकाशित और हवादार हो। प्राकृतिक प्रकाश और ताजी हवा के प्रवाह से रसोई में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
कुल मिलाकर, वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, रसोई में गुलाबी रंग का उपयोग करना एक बुद्धिमानी भरा निर्णय है। यह न केवल रसोई को सुंदर और आकर्षक बनाता है, बल्कि घर में प्रेम, शांति और सद्भाव को भी बढ़ावा देता है। इसलिए, अपनी रसोई में गुलाबी रंग को शामिल करने पर विचार करें और इसके चमत्कारी प्रभाव का अनुभव करें।
वास्तु के अनुसार किचन में भूरा रंग
भूरा रंग वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार रसोई के लिए एक आदर्श रंग माना जाता है। यह रंग घर में गर्मजोशी और खुशी का माहौल पैदा करता है। भूरा रंग पृथ्वी तत्व का प्रतिनिधित्व करता है, जो स्थिरता, सुरक्षा और पोषण का प्रतीक है। इस रंग को रसोई की दीवारों पर इस्तेमाल करने से एक सकारात्मक और आमंत्रित करने वाला वातावरण बनता है।
वास्तु के अनुसार, भूरे रंग के विभिन्न शेड्स का उपयोग करके रसोई को जीवंत और आकर्षक बनाया जा सकता है। हल्के भूरे रंग की दीवारें शांत और सौम्य प्रभाव डालती हैं, जबकि गहरे भूरे रंग की दीवारें एक समृद्ध और क्लासिक लुक देती हैं। भूरे रंग के साथ बेज या क्रीम जैसे हल्के रंगों का संयोजन भी एक सुरुचिपूर्ण और सुखदायक माहौल बना सकता है। भूरा रंग न केवल सौंदर्य की दृष्टि से बल्कि कार्यात्मक रूप से भी एक बेहतरीन विकल्प है। यह धूल और दागों को आसानी से छिपा देता है, जिससे रसोई को साफ-सुथरा रखना आसान हो जाता है। साथ ही, भूरा रंग किसी भी तरह की रसोई सजावट और फर्नीचर के साथ आसानी से मेल खाता है, चाहे वह पारंपरिक हो या आधुनिक।
तो अगर आप अपनी रसोई में एक आरामदायक और पॉजिटिव एनर्जी (Positive energy) वाला माहौल चाहते हैं, तो भूरे रंग को चुनना एक उत्तम विकल्प हो सकता है। यह रंग आपकी रसोई को न सिर्फ वास्तु के अनुरूप बनाएगा, बल्कि एक स्टाइलिश और टाइमलेस लुक भी प्रदान करेगा।
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, रसोई (Kitchen) में काले रंग का इस्तेमाल सावधानी से करना चाहिए। काला रंग आग्नेय तत्व को दर्शाता है और रसोई में अधिकता से इस्तेमाल करने पर नकारात्मक ऊर्जा (negative energy) पैदा हो सकती है। हालांकि, कुछ जगहों पर काले रंग का प्रयोग लाभदायक हो सकता है:
- रसोई का प्लेटफॉर्म: वास्तु के अनुसार रसोई (Kitchen) का प्लेटफॉर्म काले ग्रेनाइट या किसी गहरे रंग के पत्थर का बना होना चाहिए। यह शुभ माना जाता है।
- रसोई के उपकरण: काले रंग के कुछ उपकरण जैसे टोस्टर, ओवन आदि का इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन ध्यान रखें कि ये दक्षिण-पूर्व दिशा में रखे जाएं।
- एक्सेंट दीवार: अगर आप अपनी रसोई में काले रंग का टच देना चाहते हैं तो एक छोटी एक्सेंट दीवार बनाई जा सकती है। लेकिन ज्यादा काला रंग न हो।
वास्तु के अनुसार किचन में कौन से रंग वर्जित हैं?
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, किचन में कुछ रंगों का प्रयोग वर्जित माना जाता है। काला, नीला और ग्रे रंग किचन के लिए शुभ नहीं माने जाते क्योंकि ये नकारात्मक ऊर्जा (negative energy) और अशुभता से जुड़े हुए हैं। इसके अलावा, उत्तर दिशा में स्थित रसोई के लिए गहरे रंग जैसे गहरा लाल, गहरा नीला या काला भी उपयुक्त नहीं माने जाते। वास्तु (Vastu) में किचन के लिए उज्ज्वल और हल्के रंग जैसे सफेद, पीला, नारंगी, हरा आदि को तरजीह दी जाती है जो सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy) और खुशहाली को बढ़ावा देते हैं।
Summary
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार किचन में रंगों का चुनाव करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। शुभ रंगों का प्रयोग करें, अशुभ रंगों से बचें, और दिशाओं के अनुसार रंगों का चुनाव करें। अगर आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो तो इस अपने मित्र गणों एवं परिवार जनों के साथ अवश्य साझा करें साथ ही हमारे अन्य आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें और अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो उसे कॉमेंट बॉक्स में जाकर जरुर पूछे, हम आपके सभी प्रश्नों का जवाब देने का प्रयास करेंगे। ऐसे ही अन्य लेख को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट janbhakti.in पर रोज़ाना विज़िट करें ।
Disclaimer: इस लेख के द्वारा दी गई सभी जानकारियां मान्यताओं पर आधारित है। हम आपको बता दें कि janbhakti.com ऐसी मान्यताओं की पुष्टि नहीं करता है, इसलिए इन सभी वास्तु टिप्स को अमल में लाने से पहले विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें ।
FAQ’S
Q. किचन के लिए सबसे शुभ दिशा कौन सी है?
Ans. वास्तु के अनुसार, किचन के लिए सबसे शुभ दिशा दक्षिण-पूर्व और उत्तर-पश्चिम मानी जाती है। इन दिशाओं में बना किचन सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि लाता है।
Q. किचन में चूल्हा कहाँ रखना चाहिए?
Ans. चूल्हा दक्षिण-पूर्व दिशा में पूर्व की ओर रखना चाहिए। ध्यान रखें कि गैस स्टोव के बर्नर दीवार से कम से कम 6 इंच दूर हों।
Q. सिंक कहाँ रखना चाहिए?
Ans. सिंक उत्तर-पूर्व दिशा में उत्तर की ओर रखना चाहिए। चूल्हे और सिंक के बीच पर्याप्त जगह होनी चाहिए, कम से कम 3 फीट।
Q. किन रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए?
Ans. किचन में हल्के और शांत रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए, जैसे कि सफेद, हरा, नीला, या पीला। ये रंग सकारात्मक ऊर्जा और खुशी को बढ़ावा देते हैं।
Q. किचन में कौन सी मूर्तियाँ रखनी चाहिए?
Ans. किचन में अग्निदेव, अन्नपूर्णा देवी, और लक्ष्मी देवी की मूर्तियाँ रखी जा सकती हैं। इन देवी-देवताओं को भोजन बनाने से पहले नमस्कार करना चाहिए।
Q. किचन को हमेशा साफ कैसे रखें?
Ans. किचन को हमेशा साफ और व्यवस्थित रखना चाहिए। गंदे बर्तन, कूड़ा-कचरा, और टूटे हुए सामान को तुरंत हटा देना चाहिए।