Amarnath Temple History in Hindi : हिमालय (Himalaya) की गोद में बसी अमरनाथ गुफा (Amarnath Cave) हजारों साल से हिन्दू धर्म के श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती आ रही है। यह पवित्र गुफा न केवल अपनी अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता के लिए जानी जाती है, बल्कि इससे जुड़ी पौराणिक कथाएं और रहस्य भी लोगों को आश्चर्यचकित करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इसी गुफा में भगवान शिव (Lord Shiva) ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य सुनाया था। कहते हैं कि इस गुफा के दर्शन मात्र से व्यक्ति को हजार गुना पुण्य की प्राप्ति होती है। यहाँ का शिवलिंग अद्भुत रूप से चंद्रमा की कलाओं के साथ बढ़ता और घटता है, जिसे ‘अमरेश्वर’ कहा जाता है। इस गुफा से जुड़ी कई और भी मान्यताएं और रहस्य हैं जो इसे और भी विशेष बनाते हैं।
तो आइए, गहराई से जानते हैं अमरनाथ गुफा की अनोखी कथा और इससे जुड़े चमत्कारिक रहस्यों के बारे में, जो इस स्थान को हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र तीर्थों में से एक बनाते हैं।
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Amarnath ki Katha Overview
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टॉपिक | Amarnath Temple History in Hindi : आखिर क्या है अमरनाथ गुफा की पौराणिक कथा, जानिए इस लेख में |
लेख प्रकार | आर्टिकल |
भाषा | हिंदी |
साल | 2024 |
स्थान | हिमालय |
प्रमुख देवता | भगवान शिव |
कथा | अमरनाथ गुफा की कथा |
सबसे पहले अमरनाथ की गुफा का पता लगाया | ऋषि भृगु ने |
गुफा की समुद्र तल से ऊंचाई | लगभग 13,600 फुट |
अमरनाथ की गुफा किसको समर्पित है | भगवान शिव को |
अमरनाथ मंदिर गुफा का इतिहास क्या है? (Amarnath Temple History in Hindi)
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हिमालय (Himalaya) की गोद में बसी, भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित अमरनाथ की पवित्र गुफा, हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। श्रीनगर से 135 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित इस अद्भुत गुफा की समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 13,600 फुट है।
19 मीटर लंबी, 16 मीटर चौड़ी और 11 मीटर ऊंची इस गुफा का रहस्य 15वीं शताब्दी में धर्मगुरुओं द्वारा पुनः खोजे जाने से पहले लगभग विस्मृत हो गया था। इस गुफा के साथ एक प्राचीन कथा जुड़ी है। कहा जाता है कि कश्मीर की घाटी जलमग्न थी और कश्यप मुनि ने नदियों का बहाव करके इसे सुखाया। जब जल कम हुआ, तो सबसे पहले भृगु मुनि ने भगवान अमरनाथ (Lord Amarnath)के दर्शन किए। इसके बाद, जब लोगों ने इस पवित्र लिंग के बारे में सुना, तो इसे भगवान शिव का शिवलिंग मानने लगे। आज, लाखों श्रद्धालु हर साल इस पवित्र स्थल पर दर्शन के लिए आते हैं।
मई से अगस्त तक अमरनाथ गुफा (Amarnath Cave) में बर्फ की बूंदों के जमने से एक अद्वितीय शिवलिंग का निर्माण होता है, जिसे भक्तजन भगवान शिव का प्रतीक मानते हैं। इस अवधि में शिवलिंग का आकार घटता-बढ़ता रहता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यही वह गुफा है जहाँ भगवान शिव ने माता पार्वती को जीवन के रहस्यों के बारे में बताया था। कुछ अन्य कथाओं में इसे भगवान गणेश का भी प्रतीक माना जाता है।
अमरनाथ गुफा की खोज को लेकर अन्य पौराणिक दावे कौन हैं?
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- किवंदती के अनुसार, ऋषि भृगु ने सबसे पहले अमरनाथ की पवित्र गुफा का पता लगाया था। कहा जाता है कि अतीत में कश्मीर की घाटी जलमग्न थी, और यह ऋषि कश्यप थे जिन्होंने अपनी अलौकिक शक्तियों का उपयोग करके नदियों और नालों की एक जटिल श्रृंखला के माध्यम से इस जल को बाहर निकाला। जब घाटी जल से मुक्त हुई, तो यही ऋषि भृगु थे जिन्होंने सबसे पहले अमरनाथ गुफा में भगवान शिव के दिव्य स्वरूप के दर्शन किए।
- अमरनाथ गुफा (Amarnath Cave) की खोज को लेकर ब्रिटिश और चीनी लेखकों ने भी अपने-अपने दावे किए हैं, जो इस पवित्र स्थल की ऐतिहासिकता को और भी रहस्यमय बना देते हैं। इन दावों की सच्चाई की जांच करना कठिन है, क्योंकि प्रत्येक दावे के पीछे अपना एक अनूठा दृष्टिकोण और ऐतिहासिक संदर्भ है।
आज, अमरनाथ गुफा (Amarnath Cave) हिंदू आस्था का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, जहाँ हर साल हजारों श्रद्धालु कठिन यात्रा कर भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं। उनकी भक्ति और आस्था इस स्थल की महिमा को और भी बढ़ा देती है, जिससे यह स्थल केवल एक तीर्थ नहीं, बल्कि एक जीवंत आध्यात्मिक अनुभव बन जाता है।
अमरनाथ की खोज किसने की थी? (Who Discovered Amarnath)
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अमरनाथ गुफा (Amarnath Cave) की खोज के बारे में कहा जाता है कि 16वीं शताब्दी में एक मुसलमान गड़रिये ने की थी। एक दिन वह अपनी भेड़ों को चराते हुए बहुत दूर निकल गया, जहां उसकी मुलाकात एक साधु से हुई। साधु ने उसे कोयले से भरी एक कांगड़ी दी, जो बाद में सोने में बदल गई। अगले दिन जब वह साधु का धन्यवाद करने लौटा, तो वहां एक विशाल गुफा देखी। यही अमरनाथ गुफा थी, जहां भगवान शिव (Lord Shiva) ने माता पार्वती (Goddess Parvati) को अमरकथा सुनाई थी। तभी से यह एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थ स्थल बन गया।
अमरनाथ गुफा के लिए रास्ता (Amarnath Cave Route)
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अमरनाथ की दुर्गम गुफा तक सीधी सड़क की सुविधा नहीं है। यहाँ पहुँचने के लिए पहले जम्मू पहुँचना पड़ता है, फिर वहाँ से श्रीनगर की यात्रा करनी होती है। श्रीनगर से पहलगाम (92 किमी) या बालटाल (93 किमी) तक का सफर तय करके ही पवित्र यात्रा आरंभ होती है। आप बस या टैक्सी से भी पहलगाम पहुँच सकते हैं। दिल्ली से नियमित बस सेवा भी उपलब्ध है। दिल्ली से अमरनाथ की दूरी 631 किमी है, जबकि बेंगलुरु से यह दूरी 2370 किमी है। यह यात्रा जितनी कठिन है, उतनी ही रोमांचक और पवित्र भी है।
अमरनाथ की गुफा मे दो कबूतरों का रहस्य (Mystery of Two Pigeons in Amarnath Cave)
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पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि एक बार महादेव ने अमरनाथ की गुफा में माता पार्वती को मोक्ष का मार्ग दिखाया। इस दौरान, भगवान शिव ने उन्हें अमृतज्ञान सुनाया, जिसे गुफा में मौजूद एक कबूतर का जोड़ा भी सुन रहा था। कथा के अनुसार, इस ज्ञान को सुनने के बाद वह जोड़ा अमर हो गया। आज भी, यह कबूतर का जोड़ा गुफा में मौजूद है और इसके दर्शन को अत्यंत शुभ माना जाता है। इस कथा से अमरनाथ की गुफा को एक विशेष धार्मिक महत्ता प्राप्त हुई है, जहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।
Conclusion:-Amarnath Temple History in Hindi
अमरनाथ गुफा (Amarnath Cave) की यात्रा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। यह स्थान भगवान शिव और माता पार्वती की तपस्या का साक्षी रहा है। यहां दर्शन करने से हजार गुना पुण्य मिलता है। अमरनाथ गुफा की कथा और उसके रहस्य से संबंधित यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया हमारे और भी अन्य धार्मिक लेख भी जरूर पढ़ें ऐसे ही और भी लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर रोजाना विजिट करें।
FAQ’s:- Amarnath Temple History in Hindi
Q. अमरनाथ गुफा कहाँ स्थित है?
Ans. अमरनाथ गुफा जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में स्थित है। यह श्रीनगर से लगभग 141 किमी दूर है। यह गुफा हिमालय पर्वतमाला में लगभग 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। गुफा तक पहुंचने के लिए पहलगाम और बालटाल से दो मार्ग हैं।
Q. अमरनाथ गुफा का धार्मिक महत्व क्या है?
Ans. अमरनाथ गुफा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। मान्यता है कि इसी गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य सुनाया था। इसलिए इस गुफा को शिव का एक प्रमुख और पवित्र स्थान माना जाता है। हिंदू श्रद्धालु इस गुफा में स्थित प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन के लिए यात्रा करते हैं।
Q. अमरनाथ गुफा में शिवलिंग कैसे बनता है?
Ans. अमरनाथ गुफा की छत से टपकने वाली बर्फ की बूंदों से गुफा के मध्य में प्राकृतिक शिवलिंग बनता है। यह शिवलिंग लगभग 10 फीट ऊंचा होता है। चंद्रमा के आकार के बढ़ने-घटने के साथ यह शिवलिंग भी बढ़ता और घटता है। गुफा के अन्य भागों में भी बर्फ के गणेश, भैरव और पार्वती के आकार बनते हैं।
Q. अमरनाथ गुफा में मौजूद दो कबूतरों का क्या रहस्य है?
Ans. ऐसी मान्यता है कि जब भगवान शिव माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य सुना रहे थे, तब दो कबूतरों ने भी वह रहस्य सुन लिया था। इसलिए इन कबूतरों को अमर पक्षी माना जाता है। श्रद्धालुओं का मानना है कि आज भी गुफा में वही अमर कबूतरों का जोड़ा दिखाई देता है।
Q. अमरनाथ यात्रा का इतिहास कितना पुराना है?
Ans. अमरनाथ यात्रा का इतिहास महाभारत काल से माना जाता है। कल्हण की ‘राजतरंगिणी’ में उल्लेख है कि ईसा पूर्व कश्मीर के राजा सामदीमत भी बर्फ के शिवलिंग की पूजा के लिए जाते थे। बौद्ध काल में भी इस यात्रा के प्रमाण मिलते हैं। हालांकि 14वीं शताब्दी में यह यात्रा लगभग 300 वर्षों तक बाधित रही और 18वीं शताब्दी में फिर से शुरू हुई।
Q. अमरनाथ गुफा का आकार कितना बड़ा है?
Ans. अमरनाथ गुफा की परिधि लगभग 150 फीट है। यह गुफा करीब 90 फीट लंबी और 150 फीट ऊंची है। गुफा की छत से बर्फ के पानी की बूंदें निरंतर टपकती रहती हैं। गुफा के मध्य में एक जगह है जहां टपकने वाली बर्फ की बूंदों से शिवलिंग बनता है।