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जानिए घुस्मेश्वरनाथ मंदिर के बारे में, Know about Ghusmeshwarnath Temple

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Ghusmeshwarnath Temple:घुस्मेश्वरनाथ मंदिर जिसे ग्रुशनेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, भारत के महाराष्ट्र (Maharashtra) राज्य में स्थित सबसे प्रतिष्ठित हिंदू मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित है और इसे 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है, जो भगवान शिव का पवित्र प्रतिनिधित्व हैं। भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिए देश भर से और यहां तक कि विदेशों से भी भक्त इस मंदिर में आते हैं। आज के इस लेख के जरिए हम आपको घुश्मेश्वर नाथ मंदिर से संबंधित विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे, हम आपको इस मंदिर के इतिहास (History), वास्तुकला (Architecture), महत्व (Importance) के बारे में भी बताएंगे इसीलिए हमारे इस लेखक को अंत तक जरूर पढ़िए ।

Ghusmeshwarnath Temple Overview

टॉपिकजानिए घुस्मेश्वरनाथ मंदिर के बारे में, Know about Ghusmeshwarnath Temple
लेख प्रकार आर्टिकल
मंदिरघुस्मेश्वरनाथ मंदिर
स्थान महाराष्ट्र
प्रमुख देवता भगवान शिव 
मंदिर की वास्तुकलादक्षिण भारतीय शैली 
महत्व 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक 
मंदिर की ऊंचाई 30 मीटर (98 फीट) 

घुश्मेश्वरनाथ मंदिर का इतिहास, History of Ghusmeshwar Nath Temple

एक अत्यंत तेजस्वी ब्राह्मण (Brahman) सुधर्मा (Sudharma) दक्षिण देश में देवगिरिपर्वत के पास रहता था। इसकी पत्नी का नाम सुदेहा (Sudeha) था। ये दोनों आपस में बेहद प्रेम करते थे। इनकी कोई संतान नहीं थी। ज्योतिष-गणना (astrological calculations) से यह पता चला था कि सुदेहा गर्भवती नहीं हो सकती है। लेकिन फिर भी वो संतान चाहती थी। तब सुदेहा ने अपने पति यानी सुधर्मा से कहा कि वो उसकी छोटी बहन से दूसरा विवाह (Marriage) कर लें। सुधर्मा ने पहले तो यह बात नहीं मानी लेकिन सुदेहा की बार-बार की जिद्द ने सुधर्मा को झुका ही दिया।

सुधर्मा अपनी पत्नी की छोटी बहन घुश्मा (Ghushma) को विवाह कर घर ले आया। घुश्माअत्यंत विनीत और सदाचारिणी स्त्री थी। साथ ही शिव शंकर (Lord Shiva) की परम भक्त भी थी। घुश्मा प्रतिदिन 101शिवलिंग (Shivling) बनाती थी, और पूरे मन के साथ उनका पूजन करती थी। शिवजी की कृपा ऐसी रही कि कुछ ही समय बाद उसके घर में एक बालक ने जन्म लिया। दोनों बहनों की खुशी का ठिकाना न रहा। दोनों बेहद प्यार से रह रही थीं। लेकिन पता नहीं कैसे सुदेहा के मन में एक गलत विचार घर कर गया। उसने सोचा कि इस घर में सब तो घुश्मा का ही है मेरा कुछ भी नहीं।

इस बात को सुदेहा ने इतना सोचा की यह बात उसके मन में घर कर गई। सुदेहा सोच रही थी कि संतान भी उसकी है और उसके पति पर भी घुश्मा ने हक जमा रखा है। घुश्मा का बालक भी बड़ा हो गया है और उसका विवाह भी हो गया है। इन्हीं सब कुविचारों के साथ एक दिन उसने घुश्मा के युवा पुत्र को रात में सोते समय ही मौत के घाट उतार दिया। वहीं, उसके शव को तालाब (pond) में फेंक दिया। यह वही तालाब था जहां घुश्मा हर रोज पार्थिव शिवलिंगों को फेंका करती थी।

जब सुबह हुई तो पूरे घर में कोहराम मच गया। घुश्मा और उसकी बहू फूट-फूटकर रोने लगे। लेकिन घुश्मा ने शिव में अपनी आस्था नहीं छोड़ी। उसने हर दिन की तरह ही इस दिन भी शिव की भक्ति की। पूजा समाप्त होने के बाद जब वो पार्थिव शिवलिंगों को फेंकने तालाब पर गई तो उसका बेटा तालाब के अंदर से निकलकर आता हुआ दिखाई पड़ा। बाहर आकर वो हमेशा की तरह घुश्मा के चरणों को स्पर्श करने लगा यह दृश्य ऐसा लग रहा था कि मानो उसका पुत्र किसी यात्रा से लौटा हो बस कुछ ही समय पश्चात वहां भगवान शिव भी प्रकट हुए उन्होंने घुश्मा से वरदान मांगने को कहा लेकिन शिवाजी सुदेहा से अत्यंत क्रोधित थे और अपने त्रिशूल से उसका वध करना चाहते थे लेकिन घुश्मा ने भगवान शिव से हाथ जोड़कर विनती की, की आप मेरी बहन को माफ कर दीजिए साथ ही वरदान के तौर पर घुश्मा ने भगवान शिव को इस स्थान पर ठहरने के लिए कहा शिवजी ने घुश्मा की दोनों बातें मान ली, और सुदेहा को माफ कर दिया । साथ ही उसे स्थान पर ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) के रूप में हमेशा के लिए स्थापित भी हो गए ।

घुश्मेश्वरनाथ मंदिर का महत्व, Importance of Ghushmeshwar Nath Temple

घुस्मेश्वरनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर (Ghusmeshwarnath Temple) को हिंदू पौराणिक कथाओं में एक अत्यधिक महत्वपूर्ण और पूजनीय स्थल माना जाता है और यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जिन्हें भगवान शिव का सबसे पवित्र मंदिर माना जाता है। घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के कुछ प्रमुख महत्व यहां दिए गए हैं:

  • आध्यात्मिक महत्व: यह मंदिर भगवान शिव के सबसे शक्तिशाली रूपों में से एक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इस मंदिर में भक्ति और पवित्रता के साथ पूजा करते हैं उन्हें आशीर्वाद, सुरक्षा और मोक्ष मिलता है।
  • ऐतिहासिक महत्व: मंदिर का एक समृद्ध और प्राचीन इतिहास है जो भगवान कृष्ण के पोते वज्रनाभ के समय का है। ऐसा माना जाता है कि समय के साथ विभिन्न शासकों और भक्तों द्वारा मंदिर परिसर का विस्तार किया गया, जिससे यह सांस्कृतिक और स्थापत्य महत्व का एक महत्वपूर्ण स्थल बन गया।
  • सांस्कृतिक महत्व: मंदिर भगवान शिव के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, और महा शिवरात्रि और श्रावण जैसे महत्वपूर्ण त्योहारों के दौरान बड़ी संख्या में आगंतुकों को आकर्षित करता है। यह मंदिर जीवंत और स्थायी हिंदू संस्कृति का भी प्रतीक है और इसे भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।
  • वास्तुशिल्प महत्व: मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक हिंदू मंदिर डिजाइन का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसमें दीवारों और छतों पर जटिल नक्काशी और मूर्तियां हैं। मंदिर का भव्य प्रवेश द्वार, छोटे मंदिर और बड़ा तालाब इसकी वास्तुकला की भव्यता को बढ़ाते हैं।

घुश्मेश्वरनाथ मंदिर में दर्शन करने का समय, Timings to visit Ghushmeshwar Nath Temple

घुस्मेश्वरनाथ मंदिर (Ghusmeshwarnath Temple) सुबह 05:30 बजे खुलता है और शाम को 09:30 बजे बंद हो जाता है। श्रावण माह के दौरान, मंदिर प्रातः 03:00 बजे से रात्रि 11:00 बजे तक खुला रहता है इस दौरान मंदिर में विभिन्न अनुष्ठान भी किए जाते हैं। भक्त दोपहर और शाम की आरती जैसे इन अनुष्ठानों का हिस्सा बन सकते हैं ।

घुश्मेश्वरनाथ मंदिर कैसे पहुंचे? How to Reach Ghushmeshwar Nath Temple?

  • हवाई मार्ग द्वारा- औरंगाबाद हवाई अड्डे (Aurangabad Airport) (जो ग्रिशनेश्वर से 29 किमी की दूरी पर निकटतम हवाई अड्डा है) से जयपुर, मुंबई, उदयपुर और दिल्ली के लिए नियमित उड़ान सेवाएँ उपलब्ध हैं। यदि आप अन्य शहरों से उड़ान भर रहे हैं, तो आप हमेशा ग्रिशनेश्वर के लिए कनेक्टिंग उड़ानें आज़मा सकते हैं।
  • ट्रेन द्वारा- निकटतम रेलवे स्टेशन औरंगाबाद में है, जो मुख्य मार्ग में नहीं है। निकटतम प्रमुख रेलवे स्टेशन 140 किमी की दूरी पर मनमाड है। ग्रिशनेश्वर के पास रेलवे स्टेशन हैं: औरंगाबाद (AWB) ग्रिशनेश्वर से 22 किमी, मनमाड जंक्शन (MMR) ग्रिशनेश्वर से 86 किमी दूर ।

Summary 

घुश्मेश्वरनाथ मंदिर (Ghusmeshwarnath Temple) एक प्रमुख तीर्थस्थल है और हर साल लाखों श्रद्धालु यहाँ पर भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं। घुश्मेश्वरनाथ मंदिर एक ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण स्थल है। यह मंदिर महाराष्ट्र की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक है। आज के इस लेख के जरिए हमने आपको घुश्मेश्वर नाथ मंदिर से संबंधित विस्तृत जानकारी प्रदान करें की अगर आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो तो इसे अपने मित्रों के साथ जरूर साझा करें साथ ही हमारे आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें ।

FAQ’S 

Q. घुस्मेश्वरनाथ मंदिर किस देवता को समर्पित है?

Ans. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जिन्हें यहां घुस्मेश्वरनाथ के नाम से जाना जाता है।

Q. घुस्मेश्वरनाथ मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय कब है?

Ans. घुस्मेश्वरनाथ मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच है, जब मौसम सुहावना होता है।

Q. घुस्मेश्वरनाथ मंदिर का पर्यटन महत्व क्या है?

Ans. यह मंदिर एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

Q. घुस्मेश्वरनाथ मंदिर का धार्मिक महत्व क्या है?

Ans. यह मंदिर हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। यहां भगवान शिव के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।

Q. घुस्मेश्वरनाथ मंदिर में क्या-क्या त्यौहार मनाए जाते हैं?

Ans. इस मंदिर में महाशिवरात्रि, सोमवार, प्रदोष, और नागपंचमी जैसे त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं।

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सुरभि शर्मा
मेरा नाम सुरभि शर्मा है और मैंने पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। हमेशा से मेरी रुचि हिंदू साहित्य और धार्मिक पाठों के प्रति रही हैं। इसी रुचि के कारण मैं एक पौराणिक लेखक हूं। मेरा उद्देश्य भारतीय पौराणिक कथाओं और धार्मिक ग्रंथों को सार्थकता से प्रस्तुत करके समाज को शिक्षा और प्रेरणा प्रदान करना है। मैं धार्मिक साहित्य के महत्व को समझती हूं और इसे नई पीढ़ियों तक पहुंचाने का संकल्प रखती हूं। मेरा प्रयास है कि मैं भारतीय संस्कृति को अधिक उत्कृष्ट बनाने में योगदान दे सकूं और समाज को आध्यात्मिकता और सामाजिक न्याय के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित कर सकूं।