Top 10 Katha Vachak in India: भारत (India) एक ऐसा देश है जहाँ कहानियों और कथाओं का एक समृद्ध खजाना है। यहाँ की संस्कृति और परंपरा में कथा-वाचन का एक विशेष स्थान रहा है। प्राचीन काल से ही कथावाचक (Kathavachak) लोगों को ज्ञान, मनोरंजन और प्रेरणा देते आए हैं। वे अपनी कहानियों के माध्यम से जीवन के गहन सत्य और सनातन मूल्यों को श्रोताओं तक पहुँचाते हैं।
आज के डिजिटल युग में भी कथावाचकों (Kathavachak) की प्रासंगिकता कम नहीं हुई है। उनकी कहानियाँ लोगों को अपनी जड़ों से जोड़ने और आध्यात्मिक शांति प्रदान करने का काम करती हैं। भारत में ऐसे कई प्रसिद्ध कथावाचक हैं जिन्होंने अपने जीवन को हिंदू धर्म के प्राचीन ग्रंथों में निहित ज्ञान और विवेक को फैलाने के लिए समर्पित कर दिया है। इस लेख में हम भारत के 10 सबसे प्रसिद्ध कथावाचक के जीवन और उनके कथा वाचन के बारे में जानेंगे। ये वो महान विभूतियाँ हैं जिन्होंने श्रीमद्भागवत महापुराण, रामकथा, देवी भागवत जैसे पवित्र ग्रंथों की कथाओं को जन-जन तक पहुँचाया है। उनकी मधुर वाणी और अद्भुत कथन शैली लाखों श्रोताओं के दिलों को छू चुकी है। इन कथावाचकों में श्री इंद्रेश उपाध्याय जी, धीरेंद्र शास्त्री जी, देवकीनंदन ठाकुर महाराज, मोरारी बापू, जया किशोरी जैसे नाम शामिल हैं।
आइए जानते हैं इन महान आत्माओं के संघर्ष, साधना और उपलब्धियों के बारे में विस्तार से। यह एक ऐसी प्रेरक यात्रा होगी जो आपके जीवन को स्पर्श कर सकारात्मक ऊर्जा से भर देगी…!!
List of top 10 Katha Vachak of India
1. आचार्य गौरव कृष्ण गोस्वामी जी (Acharya Gaurav Krishna Goswami ji)
आचार्य गौरव कृष्ण गोस्वामी जी (Acharya Gaurav Krishna Goswami ji), श्रीमद भागवत कथा के प्रसिद्ध वाचक, भारत के श्री धाम वृंदावन में 6 जुलाई 1984 को जन्मे। उन्होंने अपना जीवन भागवत पुराण के संदेश को फैलाने और भगवान कृष्ण के प्रति आध्यात्मिक विकास और भक्ति बढ़ाने में समर्पित कर दिया।
आचार्य जी का यह विश्वास है कि श्रीमद भागवत कथा सुनने मात्र से व्यक्ति की भगवान में अद्वितीय श्रद्धा और भक्ति उत्पन्न होती है। उनकी भागवत कथा की व्याख्याएँ आम जनता में आध्यात्मिकता और भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति की भावना को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उनके अनुसार, श्रीमद भागवत कथा हर प्रसंग में हमें मानवता की शिक्षा प्रदान करती है और हमारे जीवन को ऐसे मार्ग पर चलाती है जिससे लक्ष्य की प्राप्ति हो आचार्य गौरव कृष्ण गोस्वामी जी के उद्देश्य और शिक्षाओं की स्पष्टता, साधारण लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता का कारण बनी है।
2. आचार्य श्री कौशिक जी महाराज (Acharya Shri Kaushik Ji Maharaj)
आचार्य श्री कौशिक जी महाराज (Acharya Shri Kaushik Ji Maharaj) का जन्म 26 मार्च 1974 को आगरा जिले के तासौड गाँव के एक सनातन ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन से ही उनकी रुचि साधु-संतों के साथ रहने और विभिन्न धार्मिक उपदेशों में भाग लेने की थी। वे अपने गाँव के गुफ़ा आश्रम में रामायण सत्र में भाग लेते थे।
एक बार पूज्य पूरन दास जी महाराज ने उन्हें देखकर कहा था कि यह बच्चा एक दिन सभी को गर्वित करेगा, जो कि सही साबित हुआ। बहुत कम उम्र में ही वे वृंदावन के एक स्कूल के दौरे पर गए और वहाँ पूज्य श्री डोंगरे जी महाराज के शिष्य श्री कमलेश जी महाराज के एक सत्र में भाग लिया। इससे उनमें बांके बिहारी के प्रति दिव्यता और भक्ति की भावना और अधिक जागृत हुई। कौशिक जी (Kaushik ji) ने श्रीमद् भागवत कथा के कई वर्गों में भाग लिया और संस्कृत भाषा में मास्टर डिग्री प्राप्त की। उन्होंने परम पूज्य आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी श्री अवधेशानंद गिरि जी महाराज के गुरु शिष्य परम्परा में एक कदम आगे बढ़ाया। शुरुआत में लोग कहते थे कि वह इस क्षेत्र में कुछ नहीं कर सकते, लेकिन उन्होंने इसे चुनौती के रूप में लिया और अपनी दृढ़ निश्चय व समर्पण के बल पर सफलता हासिल की।
आज उनके प्रवचन लाखों श्रोताओं के मन और आत्मा को स्पर्श करते हैं। उनका प्रभाव इतना गहरा है कि लोग उनके सान्निध्य में उनकी शक्ति का अनुभव करते हैं और अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में बदलते हैं। दिव्य अनुग्रह से, बिना किसी औपचारिक संगीत प्रशिक्षण के भी महाराज श्री अपने प्रवचनों में आत्मीय लोक और शास्त्रीय भारतीय संगीत का प्रतिपादन करते हैं। उनकी आवाज़ सुनना एक विशेषाधिकार है।
महाराज श्री का सार्वभौमिक संदेश है कि प्रेम और ज्ञान घृणा और संकट पर विजय पा सकते हैं। वे दुनिया भर में यात्रा करके बांके बिहारी के लाखों भक्तों को आकर्षित करते हैं। आचार्य श्री कौशिक जी महाराज (Acharya Shri Kaushik Ji Maharaj) द्वारा श्रीमद्भागवत कथा का सीधा प्रसारण भी किया जाता है जिसे लाखों भक्त देखते और सुनते हैं।
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3. देवी चित्रलेखा जी (Devi Chitralekha Ji)
देवी चित्रलेखा जी (Devi Chitralekha Ji) एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक संत, भगवत गीता उपदेशक और प्रेरक वक्ता हैं। उनका जन्म 19 जनवरी 1997 को हरियाणा के पलवल जिले के खंबी गांव में हुआ था।
बचपन से ही वे आध्यात्मिक रूप से प्रवृत्त थीं और अपने दादा-दादी के साथ धार्मिक आयोजनों में जाती थीं। मात्र 4 साल की उम्र में उन्हें ‘गौड़िया वैष्णववाद’ में शिक्षित किया गया और 6 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पहली कथा सुनाई, जिससे सभी आश्चर्यचकित रह गए। देवी चित्रलेखा जी (Devi Chitralekha Ji) मुख्य रूप से भगवान श्री कृष्ण और भगवान श्री राम की कथाओं का पाठ करने के लिए जानी जाती हैं। उनकी कथाएं भावपूर्ण भजनों से भरपूर होती हैं और श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देती हैं। उन्होंने न केवल भारत बल्कि UK, USA और ऑस्ट्रेलिया जैसे विदेशों में भी अपनी कथाएं सुनाई हैं। उनका उद्देश्य ‘भारत की हिंदू संस्कृति और विरासत को संरक्षित करना’ और ‘भागवत कथा का पूरे विश्व में प्रचार करना’ है।
4. जया किशोरी (Jaya Kishori)
जया किशोरी (Jaya Kishori) एक प्रसिद्ध कथावाचक, मोटिवेशनल स्पीकर और भजन गायिका हैं। वह 13 जुलाई 1995 को राजस्थान में जन्मीं थीं। उनका पूरा नाम जया शर्मा है और उनके माता-पिता शिव शंकर शर्मा और गीता देवी शर्मा हैं।
बचपन से ही जया किशोरी (Jaya Kishori) को आध्यात्मिकता और धर्म में रुचि थी। मात्र 7 साल की उम्र में उनका झुकाव धर्म की ओर हो गया था और 9 साल की उम्र तक उन्होंने कई धार्मिक स्त्रोत कंठस्थ कर लिए थे। उनके प्रारंभिक गुरु पंडित गोविंद राम मिश्रा ने उन्हें ‘किशोरी’ की उपाधि दी, जो उनकी कृष्ण भक्ति को दर्शाता है। जया किशोरी (Jaya Kishori) ने अपनी शिक्षा कोलकाता के श्री शिक्षायतन कॉलेज और महादेवी बिड़ला वर्ल्ड एकेडमी से की है।
उन्होंने ओपन स्कूल से बीकॉम भी किया है। वह अविवाहित हैं और कहती हैं कि वे अपने परिजनों की सलाह से शादी करेंगी। जया किशोरी (Jaya Kishori) मुख्य रूप से भागवत कथा, रामायण और हनुमान चालीसा पर अपने प्रवचनों के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने बहुत कम उम्र में ही लोगों को भगवद गीता, नानी बाई का मायरा और नरसी की भात जैसी कथाओं को अपनी मधुर वाणी से सुनाकर प्रसिद्धि पाई। उनके कथा वाचन इतने मनमोहक होते हैं कि लोग उन्हें देवी, पूज्य जया और साध्वी कहकर संबोधित करते हैं।
जया किशोरी (Jaya Kishori) के प्रवचन ज्ञान और प्रेरणा से भरपूर होते हैं। वह सभी उम्र के लोगों से जुड़ने और उन्हें सार्थक जीवन जीने के लिए प्रेरित करने में सक्षम हैं। उनके यूट्यूब चैनल पर उनके भजन और प्रवचन उपलब्ध हैं जो काफी लोकप्रिय हैं। वह अब शीर्ष मोटिवेशनल स्पीकर्स में भी शामिल हैं और बड़े संस्थान उन्हें प्रेरणादायक भाषण देने के लिए आमंत्रित करते हैं।
5. मोरारी बापू (Morari Bapu)
मोरारी बापू (Morari Bapu), भारत के प्रसिद्ध कथावाचक, जिन्होंने अपने वाणी से रामचरितमानस की कथाओं को जीवंत किया। 1946 के सितंबर में गुजरात के तालगजरदा गांव में जन्मे, बापू ने अपने दादा, त्रिभोवंदासजी, की शिक्षा से रामचरितमानस की गहराई को समझा।
14 वर्ष की उम्र में उन्होंने रामजी मंदिर में अपनी पहली राम कथा (Ram Katha) सुनाई, जिससे उन्हें लोकप्रियता मिली। उनकी कथाएं सामाजिक सुधार का माध्यम भी रहीं हैं, जिसमें उन्होंने हाशिये पर रहने वाले समुदायों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाई। बापू ने अपनी कथाएं विश्व भर में सुनाईं, जिसमें यूएस, यूके, दक्षिण अफ्रीका, केन्या, उगांडा और भूटान शामिल हैं। उनके अनुयायी हिन्दू समाज से ही नहीं, बल्कि मुस्लिम और ईसाई समुदायों में भी हैं। बापू की दानशीलता भी उनकी पहचान है, जिसमें उन्होंने प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोगों की मदद की। 2018 में कैलिफोर्निया, यूएस, में हुई उनकी राम कथा में, उन्होंने उत्तराखंड, भारत, में बाढ़ के पीड़ितों के लिए 1 मिलियन डॉलर इकट्ठा किए।
बापू की यात्राएं और उनके द्वारा संगठित विशेष कार्यक्रम भी उनके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं। सावन के महीने में, उन्होंने देश के सभी 12 ज्योतिर्लिंगों की यात्रा की और शिष्यों और श्रद्धालुओं के लिए विशेष रामकथा का आयोजन किया।
6. अनिरुद्धाचार्य जी महाराज (Aniruddhacharya Ji Maharaj)
एक प्रसिद्ध कथावाचक और संत हैं जो सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए जाने जाते हैं। वे 27 सितंबर 1989 को मध्य प्रदेश के दमोह जिले के रिनवाझा गाँव में जन्मे थे। बचपन से ही उन्हें आध्यात्मिक मामलों में रुचि थी और उन्होंने भगवद्गीता, रामायण और महाभारत जैसे विभिन्न धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया। उन्होंने वृंदावन में अपने गुरु संत गिरराज शास्त्री महाराज से दीक्षा ली और धार्मिक वक्ता और भजन गायक के रूप में अपना करियर शुरू किया।
अपने करिश्माई व्यक्तित्व और हर वर्ग के लोगों से जुड़ने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं। उन्हें हिंदू शास्त्रों का विशाल ज्ञान है और वे जटिल अवधारणाओं को सरल और समझने में आसान भाषा में समझा सकते हैं]। उनके भाषण और उपदेश भक्ति, हास्य और ज्ञान से भरे होते हैं। वे गौ सेवा और संरक्षण के प्रबल समर्थक हैं और अक्सर गायों के प्रति सम्मान और श्रद्धा के साथ व्यवहार करने के महत्व के बारे में बात करते हैं। वे विभिन्न सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों में भी शामिल हैं, जिसमें जरूरतमंदों और वंचितों को सहायता प्रदान करना शामिल है।
7. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri)
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri), उन्हें बागेश्वर धाम सरकार के नाम से भी जाना जाता है, मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के एक धार्मिक स्थल, बागेश्वर धाम के प्रमुख पुजारी हैं। उन्होंने 1996 में गढ़ा, छतरपुर में एक निर्धन ब्राह्मण परिवार में जन्म लिया था। उनका बाल्यकाल कठिनाईयों और गरीबी से भरा हुआ था।
शास्त्री जी की कथा वाचन की क्षमता ने उन्हें मध्य प्रदेश में और उसके परे एक लोकप्रिय व्यक्तित्व बनाया है। उनकी कथा वाचन की कार्यशैली को एक उपचारात्मक गुण माना जाता है, और उनके सत्रों में मानसिक, भावनात्मक और वित्तीय समस्याओं से राहत ढूंढने वाले लोग उपस्थित होते हैं। यह माना जाता है कि इन सत्रों के दौरान हिन्दू देवता हनुमान की उपस्थिति महसूस होती है। शास्त्री जी वर्तमान में अविवाहित हैं और समाज सेवा में समर्पित हैं। उन्होंने सामाजिक सेवा के लिए अपनी आय का उपयोग किया है, जैसे कि लड़कियों की शादी का वित्तपोषण, जरूरतमंदों को चिकित्सा सहायता प्रदान करना, और गरीबों के लिए भोजन और आश्रय व्यवस्था करना।
शास्त्री जी की जीवनी में एक महत्वपूर्ण घटना थी जब भारतीय कवि और प्रेरणादायक वक्ता कुमार विश्वास ने उनके बागेश्वर धाम मंदिर में राम कथा का वाचन किया। यह मंदिर बालाजी महाराज के देवता को समर्पित है, जो शास्त्री जी द्वारा चलाया जाता है। उनके मंदिर में सामूहिक विवाह समारोह मनाए जाते हैं, जहां वह दुल्हनों के सभी खर्चों का भार उठाते हैं, उन्हें एक घर प्रदान करते हैं, और यहां तक कि उन्हें स्कूटर भी उपहार स्वरूप देते हैं।
8. देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज (Devkinandan Thakur Ji Maharaj)
देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज (Devkinandan Thakur Ji Maharaj), जिन्हें ठाकुर जी महाराज के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रमुख हिंदी कथावाचक, गायक और आध्यात्मिक गुरु हैं। देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज का जन्म 12 सितंबर 1978 को उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मथुरा (Mathura) जिले में हुआ था।
ठाकुर महाराज (Thakur Ji Maharaj) ने अपना बचपन धार्मिक माहौल में बिताया और मात्र 6 वर्ष की आयु में उन्होंने घर छोड़कर वृंदावन की ओर अपने कदम बढ़ाए। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव में ही पूरी की और अंग्रेजी भाषा में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की। ठाकुरजी महाराज (Thakur Ji Maharaj) की कथाएं और उनके वाचन की मधुरता से लाखों भक्त मोहित होते हैं। वे भागवत गीता, श्री राम कथा, देवी भागवत, शिव पुराण और कृष्ण लीला आदि पर प्रवचन देते हैं। उनकी कथाओं की प्रस्तुति में ऐसी जीवन्तता होती है कि सुनने वाले अपने आप को उसी लीला में जीते हुए महसूस करते हैं।
ठाकुर महाराज की कथाओं में सामाजिक और आध्यात्मिक मूल्यों की गहराई होती है, जो सुनने वालों को आत्मनिर्भरता, सामरस्य और शांति की ओर प्रेरित करती है। उनकी कथाएं सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि जीवन के सार्थकता और आत्मिक उन्नति की ओर मार्गदर्शन करने के लिए भी सुनी जाती हैं.
वे अपनी कथाओं को अपने YouTube चैनल से लाइव भी प्रसारित करते हैं।वे सतत यत्नशीलता से लोगों को धर्म, सत्य, प्रेम और कर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।
9. पंडित प्रदीप मिश्रा जी (Pandit Pradeep Mishra ji)
पंडित प्रदीप मिश्रा जी(Pandit Pradeep Mishra ji), जिन्हें रघुराम के नाम से भी जाना जाता है, वे अग्रणी कथा वाचक हैं जिन्होंने अपने शिव पुराण आधारित कथा वाचन के लिए पिछले दो वर्षों में लोकप्रियता प्राप्त की है। उनका जन्म 1980 में सीहोर में हुआ था और उन्होंने अपनी शिक्षा स्नातक तक पूरी की।
मिश्रा जी के परिवार का शिक्षा स्तर अच्छा नहीं था, और वे चना बेचकर और चाय की दुकान चलाकर अपना जीवन यापन करते थे। पंडित मिश्रा जी को बचपन से ही भक्ति और भजन में रुचि थी और उन्होंने अपने स्कूल के दिनों में भजन कीर्तन करना शुरू कर दिया था। उन्होंने गुरु श्री विथलेश रे काका जी से गुरु दीक्षा प्राप्त की और पुराणों के बारे में जाना। उनके गुरु और गुरु माँ ने उन्हें यह कहकर आश्वस्त किया था कि उनका पंडाल कभी खाली नहीं होगा।
पंडित मिश्रा जी (Pandit Mishra ji) ने अपने कथा वाचन की शुरुआत शिव मंदिर में की और वे मंदिर की सफाई भी करते थे। फिर उन्होंने सीहोर के स्टेज पर अपना पहला कथा वाचन किया।
10. इंद्रेश उपाध्याय जी (Indresh Upadhyay Ji)
इंद्रेश उपाध्याय जी (Indresh Upadhyay ji) भारत के प्रसिद्ध युवा कथावाचक हैं। उनका जन्म 7 अगस्त 1997 को वृंदावन, उत्तर प्रदेश में एक आध्यात्मिक परिवार में हुआ था। उनके पिता श्री कृष्ण चंद्र शास्त्री जी, जो ‘ठाकुर जी’ के नाम से प्रसिद्ध हैं, भी एक प्रसिद्ध कथावाचक हैं।
इंद्रेश जी (Indresh ji) ने बचपन से ही श्रीमद्भागवत का अध्ययन किया और मात्र 13 साल की उम्र में ही पिता के मार्गदर्शन में इस पवित्र ग्रंथ को पूरी तरह से सीख लिया था। उनकी सुमधुर वाणी और कथा वाचन की अद्भुत शैली लोगों को मंत्रमुग्ध कर देती है। वे अपनी कथाओं के माध्यम से श्रोताओं के दिलों में भक्ति का संचार करते हैं। इंद्रेश जी (Indresh ji) का जीवन गौ सेवा और भक्ति के प्रति समर्पित है। वे अपनी कथाओं में गाय माता की महिमा का गुणगान करते हैं और लोगों को गौ सेवा के लिए प्रेरित करते हैं। उन्होंने कई मधुर भजनों की भी रचना की है जो बेहद लोकप्रिय हैं। वे अपने श्रोताओं के दिलों में कृष्ण प्रेम जगाने और वृंदावन की लीलाओं का रसास्वादन कराने में माहिर हैं।
वर्तमान में इंद्रेश जी वृंदावन में अपने परिवार के साथ निवास करते हैं। उनके व्यक्तित्व में एक अलौकिक आकर्षण और प्रभाव है।
Conclusion
यह 10 प्रसिद्ध कथाकार Top 10 Katha Vachak in India भारत की विशाल साहित्यिक प्रतिभा का एक छोटा सा नमूना हैं। इनकी रचनाओं ने न केवल हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है, बल्कि पाठकों को जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में सोचने और समझने के लिए प्रेरित किया है। अगर आपको हमारा यह विशेष लेख पसंद आया हो तो कृपया इसे अपने सभी प्रियजनों के साथ अवश्य साझा करें और अगर इस लेख से उत्पन्न आपके मन में कोई प्रश्न हो तो कृपया उन प्रश्नों को कमेंट बॉक्स में जरूर लिखिए हम आपके सभी प्रश्नों का हर संभव जवाब देने का प्रयास करेंगे। ऐसी और भी बेहद रोचक लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर रोजाना विजिट करें।
FAQ’s
Q. कथा वाचन की परंपरा कब से चली आ रही है?
Ans. कथा वाचन की परंपरा प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग रही है। वेदों, पुराणों और उपनिषदों में कथाओं के माध्यम से ज्ञान और सद्गुणों का प्रसार किया जाता रहा है। महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्यों की कथाएँ भी लोगों को प्रेरित करती रही हैं।
Q. भागवत कथा का महत्व क्या है?
Ans. भागवत कथा हिंदू धर्म के सबसे पवित्र ग्रंथों में से एक श्रीमद्भागवत पुराण पर आधारित है। इसमें भगवान कृष्ण और अन्य अवतारों की लीलाओं का वर्णन है। भागवत कथा सुनने से आध्यात्मिक ज्ञान, भक्ति और वैराग्य की भावना जागृत होती है।
Q. श्रीमद भागवत कथा का आयोजन क्यों किया जाता है?
Ans. श्रीमद भागवत कथा का आयोजन आध्यात्मिक विकास, भगवान कृष्ण के प्रति समर्पण और आत्मसाक्षात्कार को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।
Q. श्रीमद भागवत कथा की सुनने से क्या लाभ होता है?
Ans. श्रीमद भागवत कथा की सुनने से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है और उसे जीवन की समस्याओं से राहत मिलती है। इसका मानना जाता है कि इसे सुनने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
Q. श्रीमद भागवत कथा का मोदर्न जीवन में क्या महत्व है?
श्रीमद भागवत कथा का मोदर्न जीवन में भी महत्व है, क्योंकि यह आध्यात्मिकता और भक्ति का महत्व बताती है। यह आयोजन आज भी भारत भर में होता है, जिससे हमें जीवन में आध्यात्मिकता और भक्ति का महत्व याद दिलाया जाता है।
Q. भागवत कथा सुनने से क्या लाभ होते हैं?
Ans. भागवत कथा सुनने से कई लाभ होते हैं। इससे मन की शुद्धता बढ़ती है, पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है, और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह शरीर और मन के संताप को दूर करके सुख-शांति प्रदान करती है।