जया पार्वती व्रत 2024 तिथि, पूजा विधि और महत्व (Jaya Parvati Vrat 2024 ): प्रेम की ताकत क्या है? क्या यह दो दिलों को जोड़ने भर का काम करता है या फिर इससे कहीं ज़्यादा गहरा असर होता है? प्रेम की शक्ति को समझने के लिए हमें पौराणिक कथाओं की ओर रुख करना होगा। भारतीय मिथकों में ऐसी अनेक प्रेम कहानियाँ मौजूद हैं जो हमें जीवन के गूढ़ रहस्यों से रूबरू कराती हैं। ऐसी ही एक अद्भुत प्रेम कथा है भगवान शिव और माता पार्वती की। शिव-पार्वती का रिश्ता सिर्फ पति-पत्नी का नहीं, बल्कि दो आत्माओं का अटूट बंधन है। उनका प्यार इतना गहरा और निश्छल है कि उसके आगे भौतिक जगत की सारी बाधाएँ नगण्य हो जाती हैं। यह अलौकिक प्रेम हमें सिखाता है कि सच्चा प्यार पाने के लिए कितना त्याग और तपस्या करनी पड़ती है। इसी प्रेम की मनमोहक कहानी से जुड़ा है जया पार्वती व्रत (Jaya Parvati Vrat) । यह व्रत विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख के लिए किया जाता है। लेकिन इससे भी ज़्यादा, यह व्रत हमें प्रेम की सच्ची परिभाषा सिखाता है। शिव-पार्वती की तरह अपने साथी के प्रति समर्पण, विश्वास और त्याग की भावना रखना ही इस व्रत का सार है।
तो आइए, इस लेख के माध्यम से हम जया पार्वती व्रत और जया पार्वती व्रत (Jaya Parvati Vrat) की विधि और इससे जुड़ी मान्यताओं को विस्तार से जानने का प्रयास करते हैं….
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Table Of Content :-Jaya Parvati Vrat 2024
S.NO | प्रश्न |
1 | जया पार्वती व्रत 2024 |
2 | जया पार्वती व्रत 2024 कब है? |
3 | जया पार्वती व्रत पूजा विधि |
4 | जया पार्वती व्रत पूजन सामग्री |
जया पार्वती व्रत 2024 (Jaya Parvati Vrat)
जया पार्वती व्रत (Jaya Parvati Vrat), भारत के पश्चिमी भाग, विशेषकर गुजरात में मनाया जाने वाला पाँच दिवसीय उत्सव है। यह आषाढ़ मास (जुलाई-अगस्त) में शुरू होता है। इसे युवतियाँ और विवाहित महिलाएं अपने पतियों की सुख-समृद्धि के लिए अनुष्ठित करती हैं। इस व्रत के दौरान, उपवासियों को नमकिन खाद्य पदार्थों और अनाज से परहेज करना होता है, केवल फल और सब्जियां ही खाई जाती हैं। इसका पालन करने से मान्यता है कि भगवान शिव (Lord Shiva) और देवी पार्वती (Goddess Parvati) की कृपा प्राप्त होती है, जिससे विवाहित जीवन में सुख-समृद्धि और स्थायित्व मिलता है।
जया पार्वती व्रत 2024 कब है? (Jaya Parvati Vrat Kab Hai)
साल 2024 में जया-पार्वती व्रत शुक्रवार, 19 जुलाई को मनाया जाएगा। इस विशेष दिन पर प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06:50 बजे से रात 08:55 बजे तक रहेगा। त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 18 जुलाई 2024 को रात 08:44 बजे से हो रहा है और इसका समापन 19 जुलाई 2024 को शाम 07:41 बजे पर होगा। इस पवित्र व्रत के दौरान श्रद्धालु मां जया और पार्वती की पूजा अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त करेंगे।
19 जुलाई | 06:50 बजे से रात 08:55 बजे तक |
18 जुलाई | रात 08:44 बजे |
समापन 19 जुलाई | शाम 07:41 बजे |
जया पार्वती व्रत पूजा विधि (Jaya Parvati vrat puja vidhi)
आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी की शुभ बेला में ब्रह्म मुहूर्त में उठकर एक नई सुबह का स्वागत करें। स्नान कर, स्वच्छ वस्त्र धारण करें, और फिर पूजा-अर्चना की तैयारी करें। पहले दिन, एक पात्र में ज्वार या गेहूँ के दानों को बोकर अपने पूजा स्थल पर रखें। आने वाले पाँच दिनों तक इस पात्र में जल, अक्षत, पुष्प, रोली, और रूई की माला अर्पित करें। इस रूई की माला को ‘नगला’ कहा जाता है, जिसे कुमकुम से सजाया जाता है।
इस पावन दिन भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Goddess Parvati) की पूजा का विधान है। अपने घर के मंदिर में एक आसन पर लाल कपड़ा बिछाएं और माता पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें। दीप प्रज्वलित कर व्रत का संकल्प लें। शिव-पार्वती जी को कुमकुम, अष्टगंध, शतपत्र, कस्तूरी, फूल, नारियल, नैवेद्य, ऋतु फल, धूप, और पंचामृत अर्पित करें। साथ ही, माँ पार्वती को सुहाग की सामग्री अर्पित करें। यदि आपने बालू या रेत से हाथी का निर्माण किया है, तो उस पर पाँच प्रकार के फल, फूल, और प्रसाद चढ़ाएं। इसके पश्चात व्रत कथा का पाठ करें और माता पार्वती तथा भगवान शिव की आरती उतारें। अंत में, माता पार्वती (Goddess Parvati) का ध्यान करते हुए सुख-सौभाग्य और गृह शांति की कामना करें और अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें। व्रत के पाँचवें दिन प्रातः स्नान कर माता पार्वती, भगवान शिव, और ज्वार पात्र की पूजा करें और रात्रि में भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करें।
अगले दिन, रेत के हाथी और ज्वार के पौधों को किसी पवित्र नदी या तालाब में विसर्जित करें। इसके पश्चात, ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दान-दक्षिणा दें। अंत में, हरी सब्जी और गेहूँ से बनी रोटियों से व्रत का पारण करें।
जया पार्वती व्रत पूजन सामग्री ( Jaya Parvati Vrat Pooja Samagri)
जया पार्वती व्रत के लिए पूजन सामग्री की सूची इस प्रकार है:
S.NO | प्रश्न |
1 | मिट्टी का बर्तन |
2 | जौ के बीज |
3 | लाल धागा (नागला) |
4 | फूल |
5 | अगरबत्ती |
6 | दीपक |
7 | घी |
8 | जल |
9 | सिंदूर |
10 | हल्दी |
11 | कुमकुम |
12 | फल |
13 | मिठाई |
14 | बेल पत्र |
15 | सुपारी |
16 | दूर्वा घास |
17 | नारियल |
18 | पीला धागा |
19 | भगवान शिव और माता पार्वती की फोटो या मूर्ति |
Conclusion:-Jaya Parvati Vrat 2024
जया पार्वती व्रत (Jaya Parvati Vrat) हिन्दू महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण और सार्थक आयोजन है, जिसे उन्होंने बड़े भक्ति और विश्वास के साथ किया है। व्रत हिन्दू पौराणिक कथा में मूल रूप से है और मान्यता है कि यह भक्तों को खुशी, समृद्धि और आशीर्वाद देता है। व्रत भगवान शिव (Lord Shiva), देवी पार्वती (Goddess Parvati) के प्रति प्रेम, सम्मान, और कृतज्ञता की अभिव्यक्ति है, और एक साधन है उनके आशीर्वाद की कामना करने का एक सुखी और समृद्ध विवाहित जीवन के लिए। जया पार्वती व्रत से संबंधित यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया हमारे अन्य सभी व्रत कथाओं से संबंधित लेख भी जरूर पढ़िए और हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर रोजाना विजिट करिए।
FAQ’s:-Jaya Parvati Vrat 2024
Q. जया पार्वती व्रत क्या है?
Ans. जया पार्वती व्रत आषाढ़ माह में मनाया जाने वाला पांच दिवसीय अनुष्ठान है। यह व्रत शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि से शुरू होकर कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि तक चलता है। इस दौरान भक्त माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं।
Q. जया पार्वती व्रत का महत्व क्या है?
Ans. जया पार्वती व्रत का महत्व सुखी वैवाहिक जीवन और संतान प्राप्ति से जुड़ा है। अविवाहित कन्याएं इस व्रत को मनचाहा वर पाने के लिए करती हैं जबकि विवाहित महिलाएं पति की दीर्घायु और वैवाहिक सुख के लिए यह व्रत करती हैं।
Q. जया पार्वती व्रत में क्या खाया जाता है?
Ans. जया पार्वती व्रत के दौरान भक्त नमक रहित सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। इस दौरान नमक, गेहूं से बने उत्पाद और सब्जियां खाने से परहेज किया जाता है। व्रत के आखिरी दिन नमक और गेहूं सहित पूर्ण भोजन लिया जाता है।
Q. जया पार्वती व्रत की पूजा विधि क्या है?
Ans. जया पार्वती व्रत में व्रत के पहले दिन घर के पूजा स्थल पर एक कटोरे या गमले में जवारा या गेहूं के बीज रोपे जाते हैं। इसकी रोज पूजा की जाती है और ज्वारा को पानी दिया जाता है। पूजा में नगला नामक रुई का हार और सिंदूर का उपयोग किया जाता है।
Q. जया पार्वती व्रत का जागरण क्यों किया जाता है?
Ans. जया पार्वती व्रत के अंतिम दिन से एक रात पहले महिलाएं पूरी रात जागकर भजन-कीर्तन और आरती करती हैं जिसे जया पार्वती जागरण कहा जाता है। यह जागरण अगले दिन यानि गौरी तृतीया तक जारी रहता है।
Q. जया पार्वती व्रत में ज्वारा का क्या महत्व है?
Ans. जया पार्वती व्रत में ज्वारा या गेहूं के अंकुरित बीज का विशेष महत्व है। इन्हें व्रत के पहले दिन रोपा जाता है और पांच दिनों तक पूजा की जाती है। अंतिम दिन इन ज्वारा को निकालकर पास के जल स्रोत में विसर्जित कर दिया जाता है।