Masik Durgashtami: हर महीने आने वाली मासिक दुर्गा अष्टमी का व्रत हम सभी के जीवन में एक विशेष महत्व रखता है। यह वह दिन है जब हम अपनी आराध्य देवी मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं और उनसे अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।
मासिक दुर्गा अष्टमी (Masik Duragasthami) का व्रत न केवल हमारे आध्यात्मिक जीवन को समृद्ध बनाता है, बल्कि हमारे भौतिक जीवन में भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मासिक दुर्गा अष्टमी का व्रत करने से हमें क्या-क्या लाभ मिलते हैं? क्या आपको पता है कि इस पावन व्रत को करने का तरीका क्या है? और क्या आप इस बात से अवगत हैं कि इस व्रत से जुड़ी कुछ मान्यताएं और कथाएं क्या हैं? अगर नहीं, तो चिंता की कोई बात नहीं है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से मासिक दुर्गा अष्टमी व्रत से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।
तो चलिए, हम सब मिलकर जानते हैं कि मासिक दुर्गा अष्टमी (Masik Duragasthami) का व्रत क्यों और कैसे करना चाहिए, ताकि हम अपनी जिंदगी में देवी मां की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त कर सकें…
मासिक दुर्गाष्टमी – Table Of Content
मासिक दुर्गाष्टमी कब है? (Masik Durga Ashtami Kab Hai)
14 जून 2024 को शुक्रवार के दिन मासिक दुर्गाष्टमी (Masik Duragasthami) का पर्व मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को यह व्रत किया जाता है। इस दिन माता दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और उनकी कृपा प्राप्ति के लिए उपवास रखा जाता है। मान्यता है कि सच्ची श्रद्धा से की गई पूजा से जीवन की सभी मुश्किलें दूर हो जाती हैं।
मासिक दुर्गाष्टमी क्या है? (What is Masik Durgashtami)
हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी (Masik Duragasthami) का व्रत रखा जाता है। यह हिंदू धर्म में माता दुर्गा को समर्पित एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन भक्त माता दुर्गा की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए व्रत रखते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं, मनोकामनाएं पूरी होती हैं और भक्तों को समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पूजा में माता दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर के सामने लाल कपड़ा बिछाकर फूल, धूप और दीप अर्पित किए जाते हैं। इसके बाद प्रसाद के रूप में खीर और फल भी चढ़ाए जाते हैं।
मासिक दुर्गाष्टमी का महत्व (Masik Durgashtami Significance)
मासिक दुर्गाष्टमी (Masik Duragasthami), हर महीने आने वाला एक धार्मिक अवसर है, जिसे देवी दुर्गा (Goddess Durga) की आराधना के लिए मनाया जाता है। इसका महत्व दो बुनियादी बिंदुओं में संग्रहित किया जा सकता है:
- धार्मिक आस्था और पूजन: मासिक दुर्गाष्टमी (Masik Duragasthami) पर भक्त दुर्गा माता की पूजा करते हैं और पूरे दिन का उपवास करते हैं। पूजा का विधान इस प्रकार होता है: सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद, माता दुर्गा की प्रतिमा या फोटो को लाल रंग के कपड़े पर स्थापित करते हैं। देवी मां को जल, अक्षत (चावल के दाने), सिंदूर और लाल फूल अर्पित किये जाते हैं। घी का दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ किया जाता है और अंत में मां दुर्गा की आरती की जाती है।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: मासिक दुर्गाष्टमी (Masik Duragasthami) के दिन मां दुर्गा की आराधना और व्रत करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसे माना जाता है कि यदि भक्त इस दिन विश्वास और समर्पण के साथ पूजा करते हैं, तो उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। यहां तक कि यह भी माना जाता है कि माता दुर्गा की कृपा से भक्तों के पारिवारिक जीवन में सुख-समृद्धि आती है, सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में चल रही समस्याओं से निजात मिलती है।
मासिक दुर्गाष्टमी के फायदे (Masik Durgashtami Benefits)
मासिक दुर्गाष्टमी (Masik Duragasthami), जो प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष के अष्टमी दिन मनाई जाती है, का पालन करने से स्वास्थ्य और सुरक्षा की आशा होती है। पुरानों में इसका उल्लेख है कि इस दिन देवी दुर्गा की पूजा और उपवास करने से रोगों से बचाव होता है। इसका विशेष महत्व पौष मास में होता है, जब शीत ऋतु के दौरान रोगों से बचने के लिए देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। इसे मनाने से आर्थिक लाभ, सफलता और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन किए गए कार्य बाधाओं से मुक्त होते हैं। संक्षेप में, मासिक दुर्गाष्टमी (Masik Duragasthami) का पालन करने से स्वास्थ्य, सुरक्षा और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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मासिक दुर्गाष्टमी व्रत नियम (Masik Durgashtami Fasting Rules)
मासिक दुर्गा अष्टमी (Masik Duragasthami) के व्रत को निभाने के निम्नलिखित नियम हैं:
- शुद्धि और तैयारी: व्रत शुरू करने से पहले, पूजा स्थल को साफ़ करें और सजाएँ। माता दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति, फूल, धूप, दीपक, और प्रसाद जैसी फल, मिठाई और दूध इकट्ठा करें।
- स्नान और वेशभूषा: पूजा शुरू करने से पहले स्नान करें और साफ़ कपड़े पहनें। महिलाएं साड़ी या सलवार कमीज़ जैसी पारंपरिक पोशाक पहनती हैं, जबकि पुरुष कुर्ता पायजामा या धोती पहन सकते हैं।
- आवाहन: दीपक और धूप जलाकर, फूल और अन्य भेंट चढ़ाकर माता दुर्गा का आवाहन करें।
- मंत्र उच्चारण: दुर्गा सप्तशती, “ॐ दुं दुर्गायै नमः” या “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विचे” जैसे मंत्रों का पाठ करें।
- कथा वाचन: माता दुर्गा (Goddess Durga) और महिषासुर (Mahishasura) पर विजय प्राप्त करने की कथा सुनाएं। यह व्रत के महत्व और देवी की शक्ति को समझने में मदद करता है।
- भोग लगाना: फल, मिठाई और दूध जैसी विभिन्न भेंट माता को अर्पित करें। ये भेंट एक पवित्र मन से की जानी चाहिए।
- ध्यान और प्रार्थना: माता दुर्गा की दिव्य ऊर्जा पर ध्यान करें। शक्ति, बुद्धि और कल्याण के लिए प्रार्थना करें।
- आरती: दुर्गा आरती करके पूजा समाप्त करें। आरती गाते समय देवी के सामने दीपक लहराएं, फिर प्रसाद परिवार के सदस्यों में बाँटें।
- समापन: पूजा के बाद, माता दुर्गा का आशीर्वाद लेकर उनके निरंतर मार्गदर्शन और सुरक्षा की कामना करें। एक धार्मिक जीवन जीने और आध्यात्मिक विकास के लिए प्रयास करने का संकल्प लें।
- उपवास: दुर्गाष्टमी के दिन व्रत रखा जाता है। कुछ लोग निर्जल उपवास करते हैं जबकि अन्य फलाहार लेते हैं। व्रत का पालन श्रद्धा और समर्पण के साथ किया जाना चाहिए।
इन नियमों का पालन करके और भक्ति और ईमानदारी से मासिक दुर्गा अष्टमी मनाकर, भक्त माता के आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और अपनी आध्यात्मिक उन्नति कर सकते हैं। यह व्रत हर महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है।
मासिक दुर्गाष्टमी व्रत कथा (Masik Durgashtami Vrat Katha)
प्राचीन काल में, जब पृथ्वी पर असुरों की अत्यधिक बढ़ोतरी हो गई थी, तब वे स्वर्ग पर चढ़ाई करने लगे। असुरों ने स्वर्ग में आतंक मचाया और कई देवी-देवताओं का जीना भी दुश्वार कर दिया। उनमें से सबसे शक्तिशाली था महिषासुर (Mahishasura), जिसके उत्पात से स्वर्ग त्राहिमाम कर उठा। इस संकट को समाप्त करने के लिए देवों के देव महादेव भगवान शिव (Lord Shiva), पालनहार भगवान विष्णु (Lord Vishnu) और सृष्टिकर्ता भगवान ब्रह्मा (Lord Brahma) ने मिलकर एक शक्ति का निर्माण किया। इस दिव्य शक्ति का स्वरूप था देवी दुर्गा। सभी देवताओं ने अपनी-अपनी शक्तियां और हथियार मां दुर्गा को प्रदान किए। मां दुर्गा ने अद्वितीय शक्ति और साहस के साथ पृथ्वी पर अवतार लिया। दुर्गा मां ने अपने तेजस्वी रूप में असुरों का सामना किया। असुरों की सेना को नष्ट करते हुए, उन्होंने महिषासुर (Mahishasura) के साथ घोर संग्राम किया। अंततः, देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया और स्वर्ग को पुनः शांति दिलाई। इस महान विजय की स्मृति में दुर्गाष्टमी का पर्व मनाया जाता है, जो देवी दुर्गा की शक्ति, साहस और असुरों पर विजय का प्रतीक है। इस दिन, हम मां दुर्गा के अवतरण और उनके द्वारा की गई असुरों की पराजय का उत्सव मनाते हैं।
मासिक दुर्गाष्टमी व्रत कथा पीडीएफ (Masik Durgashtami Vrat Katha PDF)
मासिक दुर्गा अष्टमी (Masik Duragasthami) की व्रत कथा से संबंधित यह विशेष पीडीएफ (PDF) हम आपसे साझा कर रहे हैं, इस पीडीएफ (PDF) को आप सरलता पूर्वक डाउनलोड (Download) कर सकते हैं और फिर कथा का आनंद भी ले सकते हैं।
मासिक दुर्गाष्टमी पारण समय (Masik Durgashtami Parana Time)
मासिक दुर्गा अष्टमी (Masik Duragasthami) मां दुर्गा को समर्पित एक पावन त्यौहार है इस दुर्गा अष्टमी की प्रारंभ तिथि और पारण तिथि निम्नलिखित है-
अष्टमी तिथि का समय – 13 जून, 09:33 अपराह्न – 15 जून, 12:04 पूर्वाह्न |
Conclusion:
मासिक दुर्गा अष्टमी (Masik Duragasthami) व्रत आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह व्रत शांति और समृद्धि प्राप्त करने के लिए एक उत्तम तरीका है। यदि आप अपनी मनोकामनाएं पूरी करना चाहते हैं और अपने जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको इस व्रत को अवश्य रखना चाहिए। मासिक दुर्गा अष्टमी से संबंधित यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया ऐसे और भी व्रत और त्योहार से संबंधित लेख हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in पर जाकर जरूर पढ़ें।
FAQ’s:
Q. मासिक दुर्गा अष्टमी का व्रत क्या है?
Ans. मासिक दुर्गा अष्टमी (Masik Duragasthami) व्रत हिन्दू धर्म में हर माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को रखा जाता है। इस दिन माता दुर्गा की पूजा की जाती है और इसे अत्यंत शुभ माना जाता है।
Q. मासिक दुर्गा अष्टमी का व्रत कब रखा जाता है?
Ans. मासिक दुर्गा अष्टमी (Masik Duragasthami) व्रत हिन्दू लुनार माह के शुक्ल पक्ष के अठवें दिन, अर्थात वैशाख माह के अष्टमी तिथि को रखा जाता है।
Q. मासिक दुर्गा अष्टमी की व्रत कथा क्या है?
Ans. मासिक दुर्गा अष्टमी की व्रत कथा मां दुर्गा से संबंधित है, इस कथा में माता दुर्गा महिषासुर नामक दैत्य का संघार करती है और देवताओं की रक्षा करती हैं।
Q. मासिक दुर्गा अष्टमी की पूजा कैसे की जाती है?
Ans. मासिक दुर्गा अष्टमी (Masik Duragasthami) की पूजा निर्धारित विधियों के अनुसार की जाती है। भक्तों को जल्दी उठकर नहाना चाहिए और सूर्य देवता को जल चढ़ाना चाहिए। पूजा गृह में लाल वस्त्र फैलाया जाता है और उसपर देवी दुर्गा की मूर्ति रखी जाती है।
Q मासिक दुर्गा अष्टमी की पूजा कहां करनी चाहिए?
Ans. मासिक दुर्गा अष्टमी (Masik Duragasthami) की पूजा को एक शुद्ध और पवित्र वातावरण में, प्राथमिकतापूर्वक एक अलग पूजा कक्ष में करना चाहिए।
Q. मासिक दुर्गा अष्टमी की पूजा के दौरान देवी को क्या चढ़ाना चाहिए?
Ans. मासिक दुर्गा अष्टमी (Masik Duragasthami) की पूजा के दौरान, देवी को लाल फूल, चंदन की पेस्ट, अगरबत्ती, और खीर और फलों का प्रसाद चढ़ाना चाहिए।