दुर्गा पूजा 2024 कब है? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि (Durga Ashtami Kab Hai): दुर्गा पूजा (Durga Puja), जिसे दुर्गोत्सव के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र त्योहारों में से एक है। यह त्योहार मां दुर्गा (Maa Durga) की आराधना और पूजा के लिए समर्पित है, जो शक्ति, साहस और ज्ञान की प्रतीक हैं।
यह त्योहार न केवल भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, बल्कि यह हमारे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने और मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का भी अवसर है। दुर्गा पूजा (Durga Puja) का महत्व न केवल धार्मिक है, बल्कि यह हमारे जीवन में शक्ति, साहस और ज्ञान की वृद्धि का भी प्रतीक है। इस त्योहार के दौरान, भक्त मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं और उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष पूजा और अनुष्ठान करते हैं। यह त्योहार हमें शक्ति, साहस और ज्ञान की महत्ता को समझने और अपने जीवन में उनको अपनाने के लिए प्रेरित करता है। इस लेख में, हम आपको दुर्गा पूजा (Durga Puja) के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। हम आपको बताएंगे कि दुर्गा पूजा क्या है, इसका महत्व क्या है, दुर्गा पूजा की विधि क्या है, और इससे जुड़ी मान्यताएं और परंपराएं क्या हैं। इसके अलावा, हम आपको दुर्गा पूजा की सही तिथि व मुहूर्त, आयुध पूजा विजय मुहूर्त के बारे में भी जानकारी प्रदान करेंगे।
इस लेख के जरिए हम आपको बताएंगे कि कैसे दुर्गा पूजा के दौरान विशेष पूजा और अनुष्ठान करने से हम अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं और मां दुर्गा की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। तो चलिए शुरू करते हैं…
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दुर्गा पूजा 2024 कब है? (Durga Puja 2024 kab Hai)
दुर्गा पूजा 2024 (Durga Puja 2024) की तिथियाँ भारत के हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार अश्विन महीने में आती हैं। इस वर्ष, यह पवित्र उत्सव 9 अक्टूबर से 12 अक्टूबर तक पूरे उल्लास और भक्ति के साथ मनाया जाएगा। देवी दुर्गा की आराधना और विजय का यह पर्व, शक्ति और सत्य की जीत का प्रतीक है। इस शुभ अवसर पर भक्त माता की कृपा प्राप्त करने के लिए पूजा, अनुष्ठान और भव्य समारोहों में भाग लेते हैं।
दुर्गा पूजा 2024 : तिथि और समय (Durga Puja 2024: Tithi Aur Samay)
S.NO | तारीख | तिथि | रिवाज |
1 | 3 अक्टूबर 2024 | प्रतिपदा | घटस्थापना, शैलपुत्री पूजा। घटस्थापना मुहूर्त प्रातः 05:28 बजे से प्रातः 06:31 बजे तक है। |
2 | 4 अक्टूबर, 2024 | द्वितीय | चन्द्र दर्शन, ब्रह्मचारिणी पूजा। |
3 | 5 अक्टूबर, 2024 | द्वितीय | द्वितीया |
4 | 6 अक्टूबर, 2024 | तृतीया | सिन्दूर तृतीया, चंद्रघंटा पूजा, विनायक चतुर्थी। |
5 | 7 अक्टूबर, 2024 | चतुर्थी | कुष्मांडा पूजा, उपांग ललिता व्रत। |
6 | 8 अक्टूबर, 2024 | पंचमी | सरस्वती आवाहन |
7 | 9 अक्टूबर, 2024 | षष्ठी | सरस्वती आवाहन, कात्यायनी पूजा। मूल नक्षत्र आवाहन मुहूर्त सुबह 10:25 बजे से शाम 04:42 बजे तक है। |
8 | 10 अक्टूबर, 2024 | सप्तमी | सरस्वती पूजा, कालरात्रि पूजा. |
9 | 11 अक्टूबर, 2024 | अष्टमी | दुर्गा अष्टमी, महागौरी पूजा, संधि पूजा, महानवमी। |
10 | 12 अक्टूबर, 2024 | नवमी | दशमी – आयुध पूजा, नवमी होम, नवरात्रि पारण, दुर्गा विसर्जन, विजयादशमी। |
दुर्गा पूजा विधि (Durga Puja Vidhi)
दुर्गा पूजा (Durga Puja) की संपूर्ण विधि निम्नलिखित बिंदुओं में समझी जा सकती है:
- पूजा की तैयारी: दुर्गा पूजा के लिए आवश्यक सभी सामग्री जैसे देवी की मूर्ति या तस्वीर, लाल कपड़ा, लाल चुनरी, माउली, लौंग, इलायची, कुमकुम, हल्दी, धूप, अगरबत्ती, मोपी, चावल, बताशा, दीया, घी/तेल, फूल, फल, मिठाई, पंचामृत, गंगाजल, बेल पत्ते, कपूर, माचिस और घंटी इकट्ठा करें। पूजा स्थल को साफ करें और लाल कपड़े से सजाएं। देवी की मूर्ति या तस्वीर को लाल कपड़े पर स्थापित करें।
- शुद्धि कर्म: स्नान करके साफ कपड़े पहनकर खुद को पवित्र करें। देवी के सामने बैठकर दीपक और अगरबत्ती जलाएं। फूल अर्पित करते हुए “ॐ दुर्गे दुर्गायै नमः” मंत्र का उच्चारण करें। देवी को प्रणाम करें।
- पंचामृत अर्पण: एक कटोरे में गंगाजल, दूध, दही, शहद और घी मिलाकर देवी को पंचामृत अर्पित करें।
- आरती: दीपक को देवी के सामने घुमाते हुए “ॐ जय दुर्गे कल्याणी माता जय दुर्गे महाबले। जय दुर्गे शुभं ददाति सर्वसम्पत्प्रदायिनी॥” मंत्र का उच्चारण करें।
- मंत्र उच्चारण: दुर्गा मंत्र “ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।”, दुर्गा ध्यान मंत्र “या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।” और दुर्गा बीज मंत्र “ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डयै विच्चै नमः” का उच्चारण करें।
- नवदुर्गा पूजा: नवरात्रि के नौ दिनों में दुर्गा भवानी के नौ रूपों – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की संध्या आरती और दुर्गा सप्तशती पाठ के साथ पूजा करें।
- विसर्जन और प्रसाद वितरण: पूजा के अंत में मिठाई और फल देवी को अर्पित करके परिवार के सदस्यों और भक्तों में बांटें। दसवें दिन नवदुर्गा भवानी के विग्रह (मूर्ति) का विसर्जन करके देवी का आशीर्वाद लें।
दुर्गा पूजा क्यों मनाई जाती है? (Durga Puja Kyon Manayi Jaati Hai)
दुर्गा पूजा (Durga Puja) हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है जो देवी दुर्गा (Devi Durga) की पूजा और उनकी महिषासुर पर विजय का उत्सव मनाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी दुर्गा ने देवताओं और मानवता की रक्षा के लिए महिषासुर नामक दानव का वध किया था। इसलिए उनकी आराधना की जाती है। दुर्गा पूजा (Durga Puja) मुख्य रूप से बंगाल में धूमधाम से मनाया जाता है। दस दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में भक्त पंडालों में स्थापित देवी दुर्गा की मूर्तियों की पूजा करते हैं। पूरा वातावरण उल्लास और भक्ति से भर जाता है। अंत में मूर्तियों को नदी में विसर्जित कर दिया जाता है। यह पर्व लोगों में सद्भाव और आशा का संचार करता है।
दुर्गा पूजा का महत्व (Durga Puja ka Mahatva)
दुर्गा पूजा (Durga Puja), भारतीय संस्कृति और आस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका महत्व मुख्य बिंदुओं में व्यक्त किया जा सकता है:
- धार्मिक महत्व: दुर्गा पूजा (Durga Puja), माता दुर्गा (Devi Durga) की उपासना का समय होता है, जो दैवी शक्ति की प्रतीक हैं। यह त्योहार अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है, क्योंकि माता दुर्गा ने दानव महिषासुर को पराजित किया था। भक्त इस समय माता की कृपा प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं, जिससे वे अपनी जीवन की बाधाओं को पार कर सकें।
- सांस्कृतिक महत्व: दुर्गा पूजा सिर्फ धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक महोत्सव भी है, विशेषकर पश्चिम बंगाल में। इस अवसर पर, सुंदरता से सजे हुए माता दुर्गा की मूर्तियाँ पंडालों में स्थापित की जाती हैं, जो असंख्य दर्शकों को आकर्षित करते हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रमों, नृत्य और संगीत की प्रस्तुतियों के माध्यम से लोगों का सामाजिक संगठन होता है।
- आध्यात्मिक महत्व: दुर्गा पूजा का आध्यात्मिक पहलू भी होता है। *यह नौ दिन का त्योहार माता दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की उपासना का समय होता है, जो उनके व्यक्तित्व के विशिष्ट पहलुओं का प्रतिष्ठापन करते हैं। भक्त मंत्र पठन, पूजा-अर्चना करते हैं और आत्म-नियंत्रण, आत्म-संयम और आत्म-चिंतन का अभ्यास करते हैं, जो आध्यात्मिक विकास के लिए आवश्यक हैं।
दुर्गा पूजा से जुड़ी मान्यताएं, परंपराएं (Durga Puja Se Judi Maanytayein Aur Paramparayen)
दुर्गा पूजा के प्रमुख रीति-रिवाज-
दुर्गा पूजा (Durga Puja) के दौरान, पूरे घर को पूजा के लिए सुंदर ढंग से सजाया जाता है। लोग नए परिधानों का चयन करते हैं, जो त्योहार की उत्सवधर्मिता को बढ़ाते हैं। पंचमी के दिन देवी का मुख प्रकट होता है, जो विशेष उत्साह का प्रतीक होता है। महा षष्ठी से त्योहार की शुरुआत होती है, यह दिन देवी दुर्गा (Devi Durga) के आगमन का प्रतीक माना जाता है। सप्तमी के दिन एक विशेष परंपरा के अंतर्गत पेड़ को लाल किनारे वाली पीली रेशमी साड़ी से सजाया जाता है, ऐसा माना जाता है कि देवी सप्तमी से उस पेड़ में निवास करती हैं। महा अष्टमी पर संस्कृत भजनों का पाठ और देवी को अंजलि अर्पित की जाती है।
दुर्गा पूजा के सांस्कृतिक अनुष्ठान और परंपराएं-
महा अष्टमी के दिन कुमारी पूजा का आयोजन होता है, जो छोटी कन्याओं की पूजा के रूप में की जाती है। संध्या पूजा, महा अष्टमी और महा नवमी को जोड़ने के लिए शाम को आयोजित होती है। नवमी के दिन नृत्य और संगीत के साथ उल्लास मनाया जाता है। दसवें दिन देवी दुर्गा (Devi Durga) की विदाई होती है, जिसे ‘सिंदूर खेला’ उत्सव के माध्यम से मनाया जाता है। इस परंपरा में विवाहित महिलाएँ लाल रंग के सिंदूर से खेलती हैं, और यह देवी के अगले वर्ष लौटने की भावना का प्रतीक है। पूजा का समापन मिठाइयों और उपहारों के आदान-प्रदान के साथ होता है, जो नए वर्ष के लिए आशा और शुभकामनाओं का प्रतीक है।
आयुध पूजा विजय मुहूर्त (Ayudha Puja Vijaya Muhurat)
आयुध पूजा 2024 में शनिवार, 12 अक्टूबर को धूमधाम से मनाई जाएगी। इस पावन अवसर के लिए विशेष शुभ मुहूर्त निम्नलिखित हैं:
- अभिजीत मुहूर्त: प्रातः 11:45 से 12:30 तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 2:34 से 3:23 तक
आयुध पूजन का सर्वोत्तम समय: प्रातः से लेकर 12:30 बजे तक (विशेष रूप से अभिजीत मुहूर्त के दौरान पूजा करना अत्यंत शुभ माना गया है)
यह ध्यान में रखना चाहिए कि ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर पूजा के शुभ मुहूर्त में कुछ अंतर हो सकता है। ऐसे में, अपने स्थानीय विद्वान ज्योतिषी से परामर्श कर, आपको अपने लिए सर्वोत्तम मुहूर्त का चयन करना चाहिए।
Conclusion:- Durga Ashtami Kab Hai
हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (दुर्गा पूजा 2024 कब है? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि) Durga Ashtami Kab Hai यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद
FAQ’s:-Durga Ashtami Kab Hai
1. दुर्गा अष्टमी कब है?
दुर्गा अष्टमी हर साल नवरात्रि के आठवें दिन मनाई जाती है। 2024 में, दुर्गा अष्टमी 10 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन लोग माँ दुर्गा की विशेष पूजा, हवन और व्रत रखते हैं।
2. दुर्गा अष्टमी का महत्व क्या है?
दुर्गा अष्टमी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह दिन देवी दुर्गा के शक्ति स्वरूप का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध कर धरती से अन्याय और अत्याचार का अंत किया था। इसे शक्ति पूजा और विजय का दिन माना जाता है।
3. दुर्गा अष्टमी पर कौन-कौन से अनुष्ठान किए जाते हैं?
दुर्गा अष्टमी पर मुख्य रूप से कन्या पूजन (कंजक पूजा), हवन, व्रत और विशेष दुर्गा सप्तशती पाठ किया जाता है। लोग इस दिन देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं और कन्याओं को भोजन कराते हैं, जिन्हें देवी के रूप में पूजा जाता है।
4. दुर्गा अष्टमी के दिन क्या करना चाहिए?
दुर्गा अष्टमी के दिन सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। इस दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करना, माँ दुर्गा की पूजा करना और जरूरतमंदों को दान देना बहुत ही शुभ माना जाता है। अगर आप व्रत कर रहे हैं, तो अष्टमी की पूजा के बाद ही व्रत खोलें।
5. क्या दुर्गा अष्टमी पर कन्या पूजन जरूरी है?
जी हाँ, दुर्गा अष्टमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है। यह माना जाता है कि कन्याओं में देवी दुर्गा का वास होता है, और उन्हें भोजन कराना तथा उपहार देना बहुत शुभ माना जाता है।
6. दुर्गा अष्टमी को कौन सा व्रत रखा जाता है?
दुर्गा अष्टमी के दिन कई लोग निर्जला व्रत रखते हैं और पूरे दिन केवल माँ दुर्गा की आराधना करते हैं। कुछ लोग फलाहार व्रत भी रखते हैं। व्रत रखने वाले भक्त दिनभर उपवास रखते हैं और संध्या के समय पूजा-अर्चना के बाद व्रत खोलते हैं।