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नवरात्रि में क्यों होती है घट स्थापना? जानिए Ghatasthapana का महत्व,शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में

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Ghatasthapana : नवरात्रि (Navratri), देवी दुर्गा के नौ रूपों का उत्सव, हिंदू धर्म (Hindu religion) में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्योहार न केवल देवी दुर्गा की शक्ति और कृपा का प्रतीक है, बल्कि यह आत्म-शुद्धि, आध्यात्मिकता और सकारात्मकता का समय भी है। नवरात्रि के दौरान, भक्त देवी दुर्गा की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।इस उत्सव के दौरान, घट स्थापना (Ghatasthapana) और कलश स्थापना (Kalash sthapana) महत्वपूर्ण अनुष्ठान हैं। यह माना जाता है कि इन अनुष्ठानों के माध्यम से देवी दुर्गा का आह्वान किया जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। 

कलश स्थापना घट स्थापना के बाद की जाती है। इस अनुष्ठान में, कलश को मिट्टी के बर्तन में रखा जाता है और उसमें देवी दुर्गा का आह्वान किया जाता है। कलश को देवी दुर्गा का प्रतीक माना जाता है। घट स्थापना (Ghatasthapana) और कलश स्थापना (Kalash sthapana) अनुष्ठानों का बहुत महत्व है। यह माना जाता है कि इन अनुष्ठानों के माध्यम से देवी दुर्गा का आह्वान किया जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इन अनुष्ठानों से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस लेख में, हम घट स्थापना (Ghatasthapana) और कलश स्थापना (Kalash sthapana) अनुष्ठानों के बारे में विस्तार से जानेंगे। साथ ही हम आपको कलश स्थापना एवं घट स्थापना के शुभ मुहूर्त के बारे में भी बताएंगे इसीलिए हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़िए

क्या होता है  घटस्थापना (What is Ghatasthapana )

नवरात्रि (Navratri) के पहले दिन, घट स्थापना की जाती है। यह एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जो देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का प्रारंभिक चरण होता है। इस अनुष्ठान में, एक मिट्टी के बर्तन में जौ बोया जाता है और उसके ऊपर एक कलश स्थापित किया जाता है। कलश को देवी दुर्गा का प्रतीक माना जाता है।

घट स्थापना (Ghatasthapana) के लिए, मिट्टी के बर्तन में मिट्टी भरी जाती है और उसमें जौ बोए जाते हैं। फिर, एक नारियल को कलावा (रंगीन धागा) से बांधकर कलश के ऊपर रखा जाता है। कलश के चारों ओर पान के पत्ते और आम के पत्ते रखे जाते हैं। इसके बाद, कलश में जल, चावल, सुपारी, और दक्षिणा (पैसे) डाले जाते हैं।

घट स्थापना के बाद, देवी दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित किया जाता है और नौ दिनों तक पूजा की जाती है। नवरात्रि के दौरान, भक्त उपवास रखते हैं, देवी दुर्गा के मंत्रों का जाप करते हैं, और आरती करते हैं।

घटस्थापना का महत्व (Ghatasthapana Significance)

  • देवी दुर्गा का आह्वान: घट स्थापना के माध्यम से, देवी दुर्गा को घर में आमंत्रित किया जाता है।
  • नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करना: घट स्थापना घर से नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जाओं को आकर्षित करने में मदद करता है।
  • आशीर्वाद प्राप्त करना: घट स्थापना देवी दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करने का एक तरीका है।

घट स्थापना एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है जो भक्तों को देवी दुर्गा के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है।

घटस्थापना क्यों किया जाता है (What do we do in Ghatasthapana?)

घट स्थापना (Ghatasthapana), नवरात्रि (Navratri) उत्सव का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों का आह्वान किया जाता है। यह न केवल देवी की पूजा का प्रतीक है, बल्कि ब्रह्मांड की रचना और जीवन की उत्पत्ति का भी प्रतीक है। घट स्थापना में, एक मिट्टी के पात्र में जौ बोए जाते हैं, जो नवजीवन और उर्वरता का प्रतीक हैं। कलश, जो ब्रह्मांड का प्रतीक है, को मिट्टी के पात्र के ऊपर रखा जाता है। कलश के अंदर नारियल, पंचमेवा, सिक्के और अन्य शुभ वस्तुएं रखी जाती हैं।

नवरात्रि के दौरान, देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। प्रत्येक दिन, एक अलग देवी की पूजा की जाती है। घट स्थापना (Ghatasthapana), देवी दुर्गा के आह्वान का प्रतीक है, और नवरात्रि उत्सव की शुरुआत का संकेत देता है।

घट स्थापना के कुछ प्रमुख लाभों में शामिल हैं:

  • यह घर में सकारात्मक ऊर्जा लाता है।
  • यह नकारात्मक ऊर्जा और बुरी आत्माओं को दूर करता है।
  • यह सुख, समृद्धि और शांति लाता है।
  • यह भक्तों को देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है।

घट स्थापना (Ghatasthapana), एक सरल लेकिन महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जो नवरात्रि  उत्सव का प्रारंभिक चरण है। यह भक्तों को देवी दुर्गा के प्रति अपनी भक्ति और आस्था व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है।

घट स्थापना मुहूर्त (Ghatasthapana Time)

  • घटस्थापना मुहूर्त – सुबह 06.02 – सुबह 10.16 (अवधि- 4 घंटे 14 मिनट)

घटस्थापना और कलश स्थापना में अंतर (Difference Between Ghatasthapana and kalash Sthapana)

घट स्थापना (Ghatasthapana) और कलश स्थापना (Kalash sthapana) , दोनों ही नवरात्रि (Navratri) के महत्वपूर्ण अनुष्ठान हैं, लेकिन इनमें कुछ सूक्ष्म अंतर भी हैं।

घट स्थापना:

  • घट स्थापना का अर्थ है मिट्टी के घड़े में जौ बोना।
  • यह नवरात्रि के पहले दिन किया जाता है।
  • इसे ‘घटस्थापना’ या ‘जौ बोना’ भी कहा जाता है।
  • इस अनुष्ठान में, मिट्टी के घड़े में जौ बोया जाता है, और कलश स्थापित किया जाता है।
  • यह देवी दुर्गा के आगमन का प्रतीक है।

कलश स्थापना:

  • कलश स्थापना का अर्थ है कलश को स्थापित करना।
  • यह घट स्थापना के बाद किया जाता है।
  • इसे ‘कलश स्थापना’ या ‘कलश पूजन’ भी कहा जाता है।
  • इस अनुष्ठान में, कलश को मिट्टी के घड़े पर स्थापित किया जाता है, और उसमें विभिन्न वस्तुएं जैसे कि नारियल, आम के पत्ते, और सुपारी रखी जाती हैं।
  • यह देवी दुर्गा की शक्ति का प्रतीक है।

नवरात्री घटस्थापना मुहूर्त (Ghatasthapana Muhurat)

इस वर्ष चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) 9 अप्रैल से प्रारंभ हो रही है, आपको बता दें कि घट स्थापना (Ghatasthapana) का शुभ समय 9 अप्रैल को सुबह 6:02 से शुरू होगा और 10:16 तक रहेगा इसके अलावा सुबह 11:57 से लेकर दोपहर के 12:48 तक अभिजीत मुहूर्त भी है! आप अभिजीत मुहूर्त में भी घट स्थापना कर सकते हैं। 

घटस्थापना विधि (Ghatasthapana Vidhi)

  • शुभ मुहूर्त: घट स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त का चुनाव करें।
  • स्थान: पूजा घर में साफ-सुथरा स्थान चुनें।
  • मंडप: लकड़ी का चौकोर मंडप बनाएं।
  • मिट्टी का पात्र: मिट्टी के पात्र में गंगाजल, मिट्टी और गोबर मिलाकर मिट्टी तैयार करें।
  • जौ या गेहूं: मिट्टी में जौ या गेहूं बोएं।
  • कलश: मिट्टी के कलश को लाल कपड़े से ढकें और गले में कलावा बांधें।
  • पंचमेवा: कलश के मुख पर पंचमेवा रखें।
  • नारियल: नारियल को लाल कपड़े से ढककर कलश के मुख पर रखें।
  • दीपक: कलश के मुख पर दीपक रखें और तेल भरकर जलाएं।
  • पूजन: कलश, माता दुर्गा की प्रतिमा और अन्य देवी-देवताओं का पूजन करें।
  • आरती: आरती करें और माता दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करें।

घट स्थापना के लिए क्या क्या सामग्री चाहिए? (Ghatasthapana Samagri list)

सामग्री:

  • मिट्टी का कलश
  • मिट्टी का दीपक
  • पंचमेवा (नारियल, सुपारी, मौसमी फल, कलावा, सिक्का)
  • जौ या गेहूं के बीज
  • लाल कपड़ा
  • मिट्टी का पात्र
  • गंगाजल
  • रोली, चावल, कुमकुम, हल्दी
  • फूल
  • सुगंधित धूप
  • दीपक तेल

घटस्थापना की पूजा कैसे करें (How to worship Ghatasthapana?)

तैयारी:

  • सबसे पहले, एक स्वच्छ स्थान पर चौकी या मेज बिछाएं और उस पर लाल कपड़ा बिछाएं। मिट्टी का एक कलश, सात अनाज (जौ, गेहूं, चना, मूंग, उड़द, मसूर, और धान), गंगाजल, नारियल, मौली, betel nut, betel leaves, सुपारी, पान के पत्ते, फूल, फल, मिठाई, दीपक, और अगरबत्ती इकट्ठा करें।

कलश स्थापना:

  • कलश को मिट्टी के बर्तन या थाली में रखें और उसमें सात अनाज, गंगाजल, और थोड़ा सा नमक डालें। कलश के मुख पर नारियल रखें और उसे मौली से बांधें। कलश के चारों ओर पान के पत्ते, सुपारी, और फूल रखें।

मां दुर्गा का आह्वान:

  • दीपक जलाएं और अगरबत्ती लगाएं। मां दुर्गा का ध्यान करें और उन्हें पूजा सामग्री अर्पित करें। मां दुर्गा के नौ रूपों का स्मरण करते हुए उनकी आरती करें और चालीसा का पाठ करें।

नवरात्रि व्रत का संकल्प:

  • यदि आप नवरात्रि का व्रत रख रहे हैं, तो इस समय व्रत का संकल्प लें। मां दुर्गा से आपके व्रत को पूर्ण करने और आपके मनोकामनाएं पूर्ण करने का आशीर्वाद लें।

नवरात्रि के दौरान:

  • नवरात्रि के दौरान, प्रतिदिन सुबह और शाम को मां दुर्गा की पूजा करें। उन्हें भोग लगाएं और आरती करें। नवरात्रि के नौ दिनों में, मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करें।

नवमी पर कन्या पूजन:

  • नवमी के दिन, नौ कन्याओं को भोजन करवाएं और उन्हें दक्षिणा दें। मां दुर्गा का विसर्जन करें और अगले साल फिर से पूजा करने का संकल्प लें।

घटस्थापना मंत्र (Ghatasthapana Mantra)

  • ओम धान्यमसि धिनुहि देवान् प्राणाय त्यो दानाय त्वा व्यानाय त्वा। दीर्घामनु प्रसितिमायुषे धां देवो वः सविता हिरण्यपाणिः प्रति गृभ्णात्वच्छिद्रेण पाणिना चक्षुषे त्वा महीनां पयोऽसि।।

कलश स्थापना (kalash Sthapana)

नवरात्रि के दौरान कलश स्थापना (Kalash sthapana) एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जो देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का प्रारंभिक चरण माना जाता है। यह कलश स्थापना (Kalash sthapana) घर या मंदिर में एक शुभ स्थान पर की जाती है, जहाँ पूजा के दौरान देवी दुर्गा का आह्वान किया जाता है। कलश स्थापना के लिए, एक मिट्टी के कलश को पानी से भरा जाता है और उसके ऊपर आम के पत्तों, सुपारी, नारियल, कलावा और मौली से सजाया जाता है। इसके बाद, कलश को एक चौकी पर रखा जाता है और उसके चारों ओर नौ अनाज (जौ, गेहूं, मूंग, चना, मसूर, उड़द, बाजरा, धान और राई) बोए जाते हैं।

कलश स्थापना (Kalash sthapana) के दौरान, विभिन्न मंत्रों का जाप किया जाता है और देवी दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रार्थना की जाती है। यह माना जाता है कि कलश स्थापना से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और बुरी शक्तियां दूर होती हैं।

कलश स्थापना कब है (kalash Sthapana kab hai)

साल 2024 में घट स्थापना (Ghatasthapana) और कलश स्थापना (Kalash sthapana) का शुभ समय 9 अप्रैल को सुबह 6:02 से शुरू होगा और 10:16 तक रहेगा इसके अलावा सुबह 11:57 से लेकर दोपहर के 12:48 तक अभिजीत मुहूर्त भी है! आप अभिजीत मुहूर्त में भी घट स्थापना कर सकते हैं। 

कलश स्थापना विधि ( kalash Sthapana Vidhi)

  • पूजा स्थल को साफ करके लाल कपड़ा बिछाएं।
  • अष्टदल कमल बनाकर उस पर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें।
  • कलश में गंगाजल, सिक्का, रोली, हल्दी गांठ, दूर्वा, सुपारी डालकर कलश स्थापित करें।
  • कलश में 5 आम के पत्ते रखकर उसे ढक दें।
  • ऊपर से नारियल में कलावा बांधकर रख दें।
  • कलश के चारों ओर अक्षत, दीप, धूप, नैवेद्य, फल और मिठाई रखें।
  • ॐ जय जय जगदीश हरे, स्वामी जय जय जगदीश हरे ॐ मंत्र का जाप करें।
  • कलश स्थापना की विधि पूर्ण करें।

कलश पूजा मंत्र (kalash Pujan Mantra)

  • ओम भूरसि भूमिरस्यदितिरसि विश्वधाया विश्वस्य भुवनस्य धर्त्रीं। पृथिवीं यच्छ पृथिवीं दृग्वंग ह पृथिवीं मा हि ग्वंग सीः।।

नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना (Kalash sthapana) करते समय आपको इस विशेष मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।

कलश के ऊपर नारियल कैसे रखें? (How to keep Coconut on Top of Kalash?)

विधि:

  • शुद्धि: सबसे पहले, नारियल को गंगाजल या स्वच्छ जल से धोकर पवित्र किया जाता है।
  • कपड़े से लपेटना: लाल कपड़े को नारियल के मुख (जहाँ तीन छेद होते हैं) को ढकने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कपड़े को लपेटने के बाद, नारियल को मौली से बांधा जाता है।
  • अक्षत: नारियल के मुख पर अक्षत (चावल) रखे जाते हैं।
  • सुपारी और पान का पत्ता: सुपारी और पान का पत्ता नारियल के मुख पर रखे जाते हैं, अक्षत के ऊपर।
  • कलश पर स्थापना: कलश के मुख पर नारियल को स्थापित किया जाता है। नारियल का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।

Summary

नवरात्रि, एक ऐसा पर्व जो न केवल देवी दुर्गा की भक्ति का प्रतीक है, बल्कि आत्म-शुद्धि और अध्यात्मिकता का भी मार्ग प्रशस्त करता है। इस पर्व के दौरान नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, और कलश स्थापना , और घट स्थापना इस पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। कलश स्थापना हमें आध्यात्मिकता, सकारात्मकता और अच्छाई की शक्ति से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण साधन है। यह हमें अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने और एक बेहतर इंसान बनने का अवसर प्रदान करता है। घट स्थापना और कलश स्थापना से संबंधित या विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो इसे अपने मित्रगणों के साथ अवश्य साझा करें साथ ही हमारे अन्य आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें । और अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो उसे कॉमेंट बॉक्स में जाकर जरुर पूछे, हम आपके सभी प्रश्नों का जवाब देने का प्रयास करेंगे। ऐसे ही अन्य लेख को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट janbhakti.in पर रोज़ाना विज़िट करें ।

FAQ’s

Q.  घट स्थापना क्या है?

Ans.घट स्थापना नवरात्रि के पहले दिन की एक महत्वपूर्ण रस्म है। इस दिन मिट्टी के एक कलश को मिट्टी के घड़े में स्थापित किया जाता है।

Q. कलश स्थापना का क्या महत्व है?

Ans. कलश स्थापना को नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के आगमन का प्रतीक माना जाता है। 

Q. घट स्थापना के लिए क्या सामग्री आवश्यक है?

Ans. घट स्थापना के लिए मिट्टी का कलश, मिट्टी का घड़ा, गंगाजल, चावल, मिट्टी, सुपारी, नारियल,  फूल, फल, और मिठाई आवश्यक है।

Q. घट स्थापना कैसे की जाती है?

Ans. घट स्थापना के लिए सबसे पहले मिट्टी के घड़े में गंगाजल और मिट्टी डाली जाती है। उसके बाद कलश को घड़े में स्थापित किया जाता है। 

Q.  कलश स्थापना का मुहूर्त क्या है?

Ans. कलश स्थापना का मुहूर्त हर साल बदलता रहता है। यह मुहूर्त नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में किया जाता है।

Q. घट स्थापना के बाद क्या करना चाहिए?

Ans. घट स्थापना के बाद कलश को प्रतिदिन पूजा की जाती है। कलश में जल और चावल बदलते रहना चाहिए।