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Radha Ashtami Vrat kaise karen: राधा अष्टमी व्रत कैसे करें? क्या है इसकी पूजन विधि और नियम? सब कुछ जानिए इस लेख।

Radha Ashtami Vrat 2024
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राधा अष्टमी का व्रत कैसे करें,व्रत की विधि (Radha Ashtami Vrat 2024) : श्री राधा अष्टमी (Radha Ashtami) का पावन पर्व हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन भगवान श्री कृष्ण की प्रिय सखी और अनन्य भक्त श्री राधा रानी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। श्री राधा रानी को भगवान श्री कृष्ण की शक्ति और अर्धांगिनी के रूप में पूजा जाता है। उनके प्रेम और समर्पण की कहानियां हिंदू धर्म में अत्यंत प्रसिद्ध हैं। 

श्री राधा अष्टमी का व्रत हर भक्त के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन व्रत रखकर श्री राधा रानी और भगवान श्री कृष्ण की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि श्री राधा अष्टमी के दिन व्रत रखने और पूजा करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। लेकिन इस व्रत को करने के लिए कुछ नियमों का पालन करना भी जरूरी होता है। इस लेख में हम श्री राधा अष्टमी व्रत (Radha Ashtami Vrat) की विधि, पूजा के नियम और व्रत खोलने का सही समय के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। साथ ही हम इस बात पर भी प्रकाश डालेंगे कि इस व्रत को करने से क्या लाभ मिलते हैं और भक्तों को क्या फल की प्राप्ति होती है।

तो चलिए, श्रद्धा और भक्ति के साथ श्री राधा अष्टमी व्रत के बारे में विस्तार से जानते हैं।…

Table Of Content 

S.NOप्रश्न
1राधा अष्टमी व्रत क्या है?
2राधा अष्टमी का व्रत कैसे करें?
3राधा अष्टमी व्रत की विधि
4राधा अष्टमी का व्रत कब खोलना चाहिए

राधा अष्टमी व्रत क्या है? (Radha Ashtami Vrat kya Hai)

राधा अष्टमी व्रत (Radha Ashtami Vrat) श्रीकृष्ण (Lord Krishna) की अर्धांगिनी राधा रानी के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह व्रत भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ता है। इस दिन भक्तगण राधा रानी का पूजन करके उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं। राधा रानी को भगवान कृष्ण (Lord Krishna) की प्रेम स्वरूपा माना जाता है, और उनके व्रत को करने से भक्तों को प्रेम, सौहार्द, और वैवाहिक जीवन में सुख की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत धारी उपवास रखते हैं और रात्री जागरण कर राधा रानी के भजन-कीर्तन करते हैं। इस वर्ष 2024 में राधा अष्टमी व्रत 11 सितंबर को मनाया जाएगा। इस दिन विशेष पूजा, व्रत, और कथा का आयोजन करके राधा रानी का स्मरण किया जाता है, और उनसे सुख-शांति और समृद्धि की प्रार्थना की जाती है।

राधा अष्टमी का व्रत कैसे करें? (Radha Ashtami Vrat kaise karen)

राधा अष्टमी का व्रत (Radha Ashtami Vrat) भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। इस वर्ष यह व्रत 11 सितंबर 2024 को मनाया जा रहा है। इस दिन भक्त प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर श्री राधा जी का विधिवत पूजन करते हैं।

पूजा विधि के अनुसार, सबसे पहले मंडप के नीचे मंडल बनाया जाता है। फिर उसके मध्य में मिट्टी या तांबे का कलश स्थापित किया जाता है। कलश पर तांबे का पात्र रखा जाता है जिस पर वस्त्राभूषण से सुसज्जित राधाजी की मूर्ति स्थापित की जाती है। इसके बाद राधा-कृष्ण की मूर्तियों को पंचामृत से स्नान कराकर नए वस्त्र पहनाए जाते हैं। फिर उन्हें धूप, दीप, अक्षत, पुष्प, फल, नैवेद्य और दक्षिणा समेत 16 उपचार अर्पित किए जाते हैं। श्री राधा कृपाकटाक्ष स्तोत्र का पाठ करने के बाद राधा-कृष्ण की स्तुति और आरती की जाती है। पूजा के बाद हरि चर्चा में समय बिताया जाता है और रात्रि में नाम संकीर्तन किया जाता है। इस दिन एक समय फलाहार करना चाहिए और मंदिर में दीपदान करना चाहिए।

राधा अष्टमी का व्रत (Radha Ashtami Vrat) करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मनुष्य को सभी सुखों की प्राप्ति होती है। इस दिन राधा जी से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। राधा जी की पूजा के बिना श्रीकृष्ण जी की पूजा अधूरी मानी जाती है।

राधा अष्टमी व्रत की विधि  (Radha Ashtami ki Puja Vidhi)

राधा अष्टमी व्रत (Radha Ashtami Vrat) की पूजा विधि निम्नानुसार है:

  • प्रातः काल में स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल की सफाई करें। पूजा के लिए चौकी स्थापित करें, उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और भगवान श्री कृष्ण व राधा रानी का चित्र स्थापित करें।
  • चौकी पर अक्षत रखकर उसके ऊपर कलश स्थापित करें। कलश में जल, गंगाजल, हल्दी, सुपारी, अक्षत, रोली और सिक्का डालें। कलश के मुख पर आम के पत्ते रखकर उसके ऊपर चावल से भरी कटोरी रखें और उस पर राधा-कृष्ण की प्रतिमा विराजित करें।
  • गणेश जी की पूजा सबसे पहले करें। उन्हें सुपारी, पान, अक्षत, दूर्वा और पुष्प अर्पित करें। सभी देवताओं की प्रतिमाओं पर गंगाजल छिड़कें और चंदन-रोली का तिलक लगाएं।
  • श्री राधा रानी और कृष्ण को अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, मौली समेत पूर्ण पूजा सामग्री अर्पित करें। उन्हें दही की अरबी, पूड़ी, खीर आदि पकवान भोग के रूप में चढ़ाएं।
  • पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर का समय होता है। पूजन के बाद पूरे दिन उपवास रखें या एक समय भोजन करें।
  • पूजा के अंत में आरती उतारें और अपनी गलतियों की क्षमा मांगें। प्रसाद सभी लोगों में वितरित करें।
  • राधा अष्टमी व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है, संतान सुख और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। राधा जी को प्रसन्न करने से श्री कृष्ण भी प्रसन्न हो जाते हैं और घर में मां लक्ष्मी का वास होता है।

राधा अष्टमी का व्रत कब खोलना चाहिए? (Radha Ashtami ka Vrat kab kholna Chahiye)

भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि के दिन मनाये जाने वाले त्योहार राधा अष्टमी (Radha Ashtami) को लोग बड़े ही धूमधाम से देशभर में मनाते हैं। इस दिन लोग राधा रानी के लिए व्रत भी रखते हैं लेकिन हर किसी का यही सवाल होता है की व्रत को कब खोलना चाहिए! तो आपको बता दें कि राधा अष्टमी का व्रत (Radha Ashtami Vrat) आपको अष्टमी तिथि के समाप्त होने और सूर्योदय होने के बाद ही खोलना चाहिए, सूर्य होने के पश्चात  प्रति को प्रातः नहा धोकर शुद्ध वन से राधा रानी की और भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना करनी चाहिए फिर उसके बाद व्रत ही अपना व्रत किसी भी अन्य को खाकर तोड़ सकते हैं।

Conclusion:-Radha Ashtami Vrat 2024

हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (राधा अष्टमी का व्रत कैसे करें?) यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद

FAQ’s

Q.राधा अष्टमी कब मनाई जाती है?

Ans.राधा अष्टमी, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व जन्माष्टमी के ठीक 15 दिन बाद आता है।

Q.राधा अष्टमी व्रत का क्या महत्व है?

Ans.राधा अष्टमी व्रत का विशेष महत्व है क्योंकि यह राधा रानी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। राधा रानी भगवान श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त और प्रेमिका मानी जाती हैं। इस दिन व्रत रखने से भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण और राधा जी की कृपा प्राप्त होती है।

Q.व्रत के दौरान किन चीज़ों का ध्यान रखें?

  • व्रत के दौरान केवल सात्विक भोजन करें।
  • नकारात्मक विचारों और क्रोध से दूर रहें।
  • पूजा और मंत्रों का उच्चारण पूर्ण श्रद्धा के साथ करें।
  • पूरे दिन राधा रानी और श्रीकृष्ण का स्मरण करें।

Q.व्रत के बाद क्या करना चाहिए?

Ans.व्रत के समापन पर व्रत तोड़ने से पहले ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। इसके बाद ही फलाहार या सात्विक भोजन ग्रहण करें।

Q. राधा अष्टमी व्रत 2024 में कब मनाया जाएगा?

Ans. 2024 में राधा अष्टमी व्रत 11 सितंबर को मनाया जाएगा।