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Varad Chaturthi: क्या होती है वरद चतुर्थी?, क्यों इस दिन होती है भगवान गणेश की पूजा? सब कुछ जानिए

Varad Chaturthi
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Varad Chaturthi: हमारी भारतीय संस्कृति में त्योहार का विशेष महत्व है। प्रत्येक त्योहार हमें जीवन का एक नया संदेश देता है और हमारे जीवन को खुशियों से भर देता है। ऐसा ही एक पावन पर्व है वरद चतुर्थी  (Varad Chaturthi), ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि में आता है। यह त्योहार विघ्नहर्ता भगवान गणेश को समर्पित है।

भगवान गणेश (Lord Ganesh) को बुद्धि, विवेक और सौभाग्य का देवता माना जाता है। उन्हें सभी शुभ कार्यों की शुरुआत में याद किया जाता है। वरद चतुर्थी (Varad Chaturthi) के दिन भक्त भगवान गणेश की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और उनसे मनोकामनाएं पूर्ण करने का आशीर्वाद मांगते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश (Lord Ganesh) अपने भक्तों की हर इच्छा पूरी करते हैं। वरद चतुर्थी का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। व्रत रखने वाले भक्त को दिन भर उपवास रखना होता है और शाम को भगवान गणेश की पूजा करनी होती है। पूजा में मोदक, लड्डू और गणेश जी को प्रिय अन्य पकवान अर्पित किए जाते हैं। इस पावन पर्व पर हर कोई भगवान गणेश की कृपा पाने की कामना करता है। लोग अपने घरों में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करते हैं और उनकी आराधना करते हैं। बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सभी इस त्योहार को बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाते हैं।

तो आइए, इस वरद चतुर्थी हम सब मिलकर भगवान गणेश (Lord Ganesh) की पूजा-अर्चना करें और उनसे अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने का आशीर्वाद प्राप्त करें। आगे इस लेख में हम वरद चतुर्थी व्रत से जुड़ी विस्तृत जानकारी, पूजा विधि और महत्व के बारे में जानेंगे…

Table of Contents 

S.NOप्रश्न 
1वरद चतुर्थी कब है
2वरद चतुर्थी क्या है
3वरद चतुर्थी का महत्व
4वरद चतुर्थी के फायदे
5वरद चतुर्थी व्रत नियम
6वरद चतुर्थी व्रत कथा
7वरद चतुर्थी व्रत कथा पीडीएफ
8वरद चतुर्थी पारण समय

वरद चतुर्थी कब है? (Varad Chaturthi kab Hai?)

वरद चतुर्थी (Varad Chaturthi), जो भगवान गणेश (Lord Ganesh) को समर्पित है, जून 2024 में 14 तारीख को पड़ रही है, इस दिन भक्तों के द्वारा भगवान गणेश की विधिवत पूजा होती है।

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वरद चतुर्थी क्या है? (What is Varad Chaturthi?)

वरद चतुर्थी (Varad Chaturthi), भारतीय परंपरा में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है, जिसे विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।  यह पर्व हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान गणेश की पूजा की जाती है, जो बुद्धि, समृद्धि और सफलता के देवता माने जाते हैं। विश्वास किया जाता है कि इस दिन भगवान गणेश की उपासना से सफलता, समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।

वरद चतुर्थी का महत्व (Varad Chaturthi significance)

वरद चतुर्थी (Varad Chaturthi) एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जिसका विशेष महत्व है। इसके प्रमुख दो बिंदु इस प्रकार हैं:

  • भगवान गणेश की पूजा: वरद चतुर्थी (Varad Chaturthi) के दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन गणेश जी की पूजा करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। भक्त पूरे विधि-विधान से गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित कर उनकी आराधना करते हैं। मोदक, लड्डू जैसे भोग अर्पित किए जाते हैं और गणेश चालीसा, आरती आदि का पाठ होता है।
  • व्रत का महत्व: वरद चतुर्थी (Varad Chaturthi) के दिन व्रत रखने का भी विशेष महत्व है। इस दिन व्रत रखकर भगवान गणेश (Lord Ganesh) की कृपा प्राप्त की जा सकती है। व्रत रखने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं, कष्टों से मुक्ति मिलती है और जीवन में खुशहाली आती है। सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है और दिनभर उपवास रखा जाता है। शाम को गणेश जी को भोग लगाया जाता है और प्रसाद ग्रहण किया जाता है
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वरद चतुर्थी के फायदे (Varad Chaturthi Benefits)

वरद चतुर्थी (Varad Chaturthi), जिसे विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है, भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित एक शुभ दिन है। इस व्रत को धारण करने से व्यक्ति को भगवान गणेश (Lord Ganesh) की कृपा मिलती है, जिससे सामान्य जीवन की कठिनाइयों और बाधाओं से छुटकारा मिलता है। इस व्रत को रखने से समृद्धि और खुशहाली की प्राप्ति होती है, और मन की हर इच्छा पूरी होती है। इस दिन पूजा, विशेष अनुष्ठान और व्रत का पालन करके भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।

वरद चतुर्थी व्रत नियम (Varad Chaturthi Fasting Rules)

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का व्रत एक पारंपरिक हिन्दू अनुष्ठान है, जिसे विघ्नहर्ता भगवान गणेश की उपासना के लिए आयोजित किया जाता है। 

व्रत के दिन भक्त सूर्योदय से पहले नहाकर ताजगी भरे कपड़े पहनते हैं। एक पूजा वेदी की स्थापना की जाती है जिसपर भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र रखा जाता है। फिर उन्हें फूल, दूर्वा घास, धूप, और दीपक चढ़ाया जाता है। गणेश पूजा का आयोजन किया जाता है, जिसमें मोदक या लड्डू जैसे प्रसाद का समर्पण किया जाता है। गणेश मंत्र, स्तोत्र, और व्रत कथा का पाठन किया जाता है, अंत में गणेश आरती का आयोजन किया जाता है और उनका आशीर्वाद मांगा जाता है। वरद चतुर्थी व्रत के पालन से विश्वास किया जाता है कि समृद्धि, खुशी और सफलता प्राप्त होती है।

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वरद चतुर्थी व्रत कथा (Varad Chaturthi vrat katha)

वरद चतुर्थी (Varad Chaturthi), भारतीय संस्कृति में एक प्रमुख धार्मिक अवसर है, जिसकी महत्ता और पौराणिक कथा अनंत काल से हमारी पीढ़ियों तक पहुंचती है। विनायक चतुर्थी या गणेश चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, इस व्रत को करने से मनुष्य के सारे कष्ट दूर होकर मनुष्य को समस्त सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं।

वरद चतुर्थी (Varad Chaturthi) की पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव और माता पार्वती नर्मदा नदी के किनारे बैठे थे। माता पार्वती (Goddess Parvati) ने भगवान शिव (Lord Shiva) से समय व्यतीत करने के लिए चौपड़ खेलने को कहा था. इस खेल के फैसले के लिए भगवान शिव ने कुछ तिनकों का पुतला बनाया और उसकी प्राण-प्रतिष्ठा कर दी। उस पुतले से उन्होंने कहा कि वह खेल की जीत और हार का फैसला करेगा। खेल शुरू हुआ और तीन बार माता पार्वती जीत गईं. लेकिन, जब बालक से जीत-हार का फैसला करने के लिए कहा गया, तो उसने महादेव को विजयी बताया। माता पार्वती क्रोधित हो गईं और उन्होंने बालक को श्राप दे दिया। बालक ने माता पार्वती से क्षमा मांगी और माता पार्वती ने उसे गणेश व्रत करने का उपदेश दिया। बालक ने 21 दिन तक गणेशजी का व्रत किया और उसकी श्रद्धा से गणेशजी प्रसन्न हुए। उसने गणेशजी से वरदान मांगा कि वह अपने पैरों से चलकर कैलाश पर्वत पर अपने माता-पिता के साथ पहुंच सके। बालक के वरदान के बाद, भगवान शिव ने भी 21 दिनों तक गणेश का व्रत किया, जिससे माता पार्वती की नाराजगी दूर हुई, इसके बाद, माता पार्वती ने भी 21 दिन तक गणेश का व्रत किया, और उनके पुत्र कार्तिकेय से मिलने की इच्छा पूरी हुई। 

इस व्रत को करने से मनुष्‍य के सारे कष्ट दूर होकर समस्त सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं।

वरद चतुर्थी व्रत कथा पीडीएफ (Varad Chaturthi vrat katha PDF)

वरद चतुर्थी (Varad Chaturthi) की व्रत कथा से संबंधित यह विशेष पीडीएफ (PDF) हम आपसे साझा कर रहे हैं, अगर आप चाहे तो इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड (Download) करके वरद चतुर्थी की व्रत कथा सरलता पूर्वक पढ़ सकते हैं।

वरद चतुर्थी पारण समय (Varad Chaturthi Parana Time)

पंचांग के अनुसार, वरद चतुर्थी (Varad Chaturthi) का पर्व ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाएगा। यह तिथि 09 जून को दोपहर 03 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर 10 जून को दोपहर 04 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। इस प्रकार, वरद चतुर्थी का व्रत 10 जून को रखा जाएगा। इस दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है और व्रतधारी लोग पूरे विधि-विधान से व्रत का पालन करते हैं। वरद चतुर्थी के दिन विशेष रूप से भगवान गणेश से सुख-समृद्धि और संकटों से मुक्ति की प्रार्थना की जाती है।

Conclusion:-

वरद चतुर्थी (Varad Chaturthi) भगवान गणेश (Lord Ganesh) की भक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर प्रदान करती है।  इस दिन भक्त भगवान गणेश से सुख, समृद्धि, और विघ्नमुक्ति की प्रार्थना करते हैं। उपवास, पूजा-अर्चना और दान-पुण्य के माध्यम से भक्त अपनी आस्था व्यक्त करते हैं। वरद चतुर्थी के पावन त्यौहार से संबंधित हमारा यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया ऐसे ही और भी शानदार लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in पर रोजाना विजिट करें।

FAQ’S 

Q. वरद चतुर्थी व्रत किस महीने में मनाया जाता है? 

Ans. वरद चतुर्थी व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

Q. वरद चतुर्थी को क्या अन्य नाम से भी जाना जाता है? 

Ans. वरद चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है।

Q. वरद चतुर्थी व्रत का महत्व क्या है?

Ans. वरद चतुर्थी व्रत का महत्व यह है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना करने से घर में सुख-शांति और धन-दौलत में वृद्धि होती है। इसलिए यह व्रत घर की सुख-शांति और संपन्नता के लिए लाभदायक माना जाता है।

Q. वरद चतुर्थी व्रत के दिन पूजा की क्या विधि है? 

Ans. वरद चतुर्थी के दिन भक्त प्रातः स्नान करके लाल वस्त्र धारण करते हैं और पूजा चौकी पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं। फिर उन्हें सिंदूर का तिलक लगाकर दूर्वा और मोदक का भोग लगाते हैं। विधि-विधान से पूजा करके आरती उतारते हैं।

Q. भगवान गणेश को क्या अत्यधिक प्रिय है? 

Ans. भगवान गणेश को दूर्वा अत्यधिक प्रिय है। इसलिए पूजा करते समय ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का उच्चारण करते हुए 21 दूर्वा दल उन्हें अर्पित किए जाते हैं।

Q. वरद चतुर्थी व्रत के दिन क्या दान करना चाहिए? 

Ans. वरद चतुर्थी व्रत के दिन गणेश पूजन के उपरांत ब्राह्मणों को भोजन कराना और यथाशक्ति दान देना चाहिए।[^8] इससे भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है।