तुलसी विवाह कब है? (Tulsi Vivah kab Hai): हिंदू धर्म में तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) एक महत्वपूर्ण और पवित्र परंपरा है, जो भगवान विष्णु और तुलसी माता के पवित्र बंधन को दर्शाती है। यह पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी यह द्वादशी तिथि को मनाया जाता है, जो भगवान विष्णु के निद्रा से जागरण का प्रतीक भी है।
तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) का महत्व न केवल धार्मिक है, बल्कि यह हमें प्रकृति के प्रति समर्पण और सेवा की भावना को भी दर्शाता है। इस पर्व के माध्यम से, हम तुलसी माता की महिमा और भगवान विष्णु की कृपा को प्राप्त कर सकते हैं। इस लेख में, हम आपको तुलसी विवाह के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। हम आपको बताएंगे कि तुलसी विवाह क्या है, 2024 में तुलसी विवाह कब है, तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त क्या है, और तुलसी विवाह की विधि क्या है। साथ ही, हम आपको तुलसी विवाह के महत्व और इसके पीछे की कथा के बारे में भी बताएंगे। तो लिए तुलसी विवाह 2024 से संबंधित सभी जानकारी विस्तार से जानने के लिए हमारे इस लेख को अंत तक जरूर पढ़िए…
तुलसी विवाह क्या है? (Tulsi Vivah kya Hai)
तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) हिन्दू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र धार्मिक अनुष्ठान है, जिसमें तुलसी के पौधे का विवाह शालीग्राम या भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) के अवतार श्री कृष्ण के साथ सम्पन्न किया जाता है। यह कार्यक्रम विशेष रूप से मानसून के समापन और विवाह के लिए उपयुक्त समय की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का आयोजन मुख्य रूप से कार्तिक माह की शुक्ल एकादशी को किया जाता है, जब तुलसी देवी की पूजा और सम्मान का अवसर होता है। तुलसी पौधा (Tulsi Plant), जिसे विष्णु की प्रियता प्राप्त है, भारतीय संस्कृति में पवित्रता और आयुर्वेदिक महत्व दोनों के लिए जाना जाता है। इस विवाह अनुष्ठान के माध्यम से न केवल धार्मिक आस्थाओं को बल मिलता है, बल्कि इसे घर में सुख-समृद्धि और शांति का आगमन भी माना जाता है।
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तुलसी विवाह कब है 2024 ? (When is Tulsi Vivah)
तुलसी विवाह के शुभ अवसर पर 2024 में एकादशी तिथि का प्रारंभ मंगलवार, 11 नवंबर की शाम 6:46 बजे होगा, जो बुधवार, 12 नवंबर की शाम 4:04 बजे समाप्त होगी। हिंदू धर्म में पर्व उदयातिथि पर मनाए जाते हैं, इसलिए तुलसी विवाह का पावन पर्व द्वादशी तिथि को, यानी 13 नवंबर 2024 को धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन का विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है; श्रद्धालु अपने घरों में विधिपूर्वक तुलसी माता का विवाह संपन्न करते हैं, जिससे परिवार में सुख, शांति और समृद्धि का संचार होता है।
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तुलसी विवाह कथा (Tulsi Vivah ki katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, जालंधर (Jalandhar) नाम का एक शक्तिशाली असुर था, जिसकी पत्नी वृंदा भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) की गहरी भक्त थीं। जब भी जालंधर युद्ध के लिए निकलता, वृंदा भगवान विष्णु की आराधना करती, जिससे उनकी कृपा से जालंधर अपराजेय बन जाता। इस राक्षस के अत्याचारों से त्रस्त होकर सभी देवता भगवान विष्णु के पास सहायता की आशा लेकर पहुंचे। विष्णुजी ने उन्हें समझाया कि जालंधर को पराजित करने का एकमात्र उपाय वृंदा के पतिव्रता धर्म को खंडित करना है।
विष्णुजी ने जालंधर का रूप धरकर वृंदा को भ्रमित किया, जिससे उनका पतिव्रता धर्म टूट गया, और इसी के साथ जालंधर की सारी शक्तियाँ भी क्षीण हो गईं। युद्ध में कमजोर पड़ने पर भगवान शिव ने जालंधर का वध कर दिया। वृंदा को जब इस छल का आभास हुआ तो उन्होंने विष्णुजी को क्रोध में श्राप दिया कि वे पत्थर बन जाएँ।
विष्णुजी ने यह श्राप स्वीकार करते हुए शालिग्राम का रूप धारण किया। लक्ष्मीजी के आग्रह पर वृंदा ने विष्णुजी का श्राप तो वापस ले लिया, लेकिन स्वयं को अग्नि को समर्पित कर दिया। उनकी भस्म से एक पौधा उत्पन्न हुआ, जिसे भगवान विष्णु ने ‘तुलसी’ का नाम दिया और यह घोषणा की कि उनके शालिग्राम रूप की पूजा तुलसी के संग ही संपन्न होगी। इसी कारण देवउठनी एकादशी के अगले दिन शालिग्राम और तुलसी के विवाह की परंपरा आरंभ हुई।
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तुलसी विवाह कथा PDF
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तुलसी विवाह विधि? (Tulsi Vivah Vidhi )
तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) की विधि के 9 मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
- व्रत और तैयारियाँ: देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह का विशेष महत्व है। जिनके घर में कन्यादान करने का संकल्प है, उन्हें इस दिन व्रत का पालन करना चाहिए और विवाह की तैयारी करनी चाहिए। आंगन में चौक सजाकर रंगोली बनाई जाती है और उस पर चौकी स्थापित की जाती है।
- समारोह का आयोजन: शाम के समय तुलसी माता की ओर से महिलाएं और शालिग्राम भगवान की ओर से पुरुष विवाह में सम्मिलित होते हैं, जिससे विवाह का अनोखा आयोजन आरंभ होता है।
- तुलसी माता का श्रृंगार: तुलसी के पौधे को आंगन के मध्य में रखा जाता है और तुलसी माता को सुंदर लाल चुनरी, साड़ी या लहंगा पहनाया जाता है। चूड़ियों और अन्य आभूषणों से तुलसी माता का श्रृंगार किया जाता है।
- मंडप की सजावट: तुलसी माता के आस-पास गन्ने से मंडप सजाया जाता है, जो विवाह के वातावरण को पवित्र और सुंदर बनाता है।
- शालिग्राम की स्थापना: एक अष्टदल कमल बनाकर चौकी पर शालिग्राम को स्थापित किया जाता है और उन्हें चंदन का तिलक लगाकर श्रृंगार किया जाता है।
- कलश की स्थापना: शालिग्राम के पास एक कलश में जल भरकर उसमें गंगाजल की बूंदें मिलाई जाती हैं। नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश पर रखा जाता है। आम के पांच पत्ते लगाकर घी का दीपक जलाया जाता है और ‘ओम श्री तुलस्यै नमः’ मंत्र का जाप किया जाता है।
- पूजन और अभिषेक: शालिग्राम और तुलसी माता पर गंगाजल का छिड़काव कर उन्हें पवित्र किया जाता है। फिर शालिग्राम को तुलसी माता के दाईं ओर रखकर दूध और चंदन से तिलक किया जाता है, जबकि तुलसी माता को रोली का तिलक लगाया जाता है।
- सात फेरे और मंगल गीत: पूजा सामग्री अर्पित करने के बाद, पुरुष शालिग्राम को और महिला तुलसी माता को गोद में लेकर दोनों की सात परिक्रमा कराई जाती है। सभी लोग मंगल गीत गाते हैं और विवाह के विशेष मंत्रों का उच्चारण करते हैं।
- भोग और आरती: विवाह के अंत में शालिग्राम और तुलसी माता को खीर और पूरियों का भोग लगाया जाता है। फिर माता तुलसी और भगवान शालिग्राम की आरती उतारी जाती है और सभी लोगों को प्रसाद वितरित किया जाता है।
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तुलसी विवाह में क्या क्या चढ़ाया जाता है
तुलसी विवाह, एक पावन हिंदू उत्सव है, जो कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन तुलसी माता और भगवान शालिग्राम का विवाह संपन्न कराया जाता है, जिसे बेहद शुभ माना जाता है। अगर आप भी इस शुभ अवसर पर तुलसी विवाह की तैयारी कर रहे हैं, तो आइए जानते हैं, इस दिन कौन-कौन सी चीज़ें तुलसी माता और भगवान शालिग्राम को चढ़ाई जाती हैं
तुलसी विवाह के दिन भगवान शालिग्राम और देवी तुलसी को प्रसन्न करने के लिए इन सामग्रियों का उपयोग करें:
- आटे का हलवा: घर पर बना हुआ ताज़ा हलवा विशेष रूप से भगवान को प्रिय माना जाता है।
- पंचामृत: दूध, दही, शहद, घी और शक्कर से बना यह पवित्र मिश्रण पूजा का अभिन्न हिस्सा है।
- कच्चा दूध: शुद्ध कच्चा दूध चढ़ाने से देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।
- ऋतु-फल पंजीरी: मौसमी फल और सूखे मेवों से बनी पंजीरी, तुलसी माता को अर्पित की जाती है।
- घर पर बनी मिठाई: तुलसी विवाह के लिए घर पर बनी मिठाइयाँ जैसे लड्डू, पेडे आदि अर्पित करें।
- केसर: केसर का तिलक भगवान शालिग्राम पर लगाने से विशेष फल मिलता है।
- मौसमी फल: जैसे केला, अनार, सेब, जो भी मौसमी फल उपलब्ध हो, उन्हें चढ़ाएं।
- गन्ना: शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है, इसे भी ज़रूर चढ़ाएं।
- मूली: यह पूजा में विशेष महत्व रखती है।
- आंवला: इसे भगवान विष्णु का प्रिय फल माना जाता है।
तुलसी माता के श्रृंगार के लिए आवश्यक सामग्री
तुलसी विवाह के अवसर पर तुलसी माता को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। इसके लिए निम्नलिखित चीज़ों का उपयोग करें:
- बिंदी: तुलसी माता के माथे पर बिंदी लगाएं।
- लाल चुनरी: देवी तुलसी को लाल रंग की चुनरी ओढ़ाने से विवाह का माहौल बनता है।
- सिंदूर: सिंदूर से तुलसी माता का श्रृंगार करें।
- मेहंदी: तुलसी के पत्तों को मेहंदी की तरह प्रयोग कर सकती हैं।
- बिछुआ: तुलसी माता के लिए बिछुआ भी चढ़ाया जाता है।
- साड़ी: तुलसी के पौधे को साड़ी में लपेटकर सजाया जाता है।
- कांची चूड़ी: लाल रंग की कांच की चूड़ियाँ अर्पित करें।
- मोगरे का गजरा: तुलसी माता को मोगरे के फूलों का गजरा पहनाएं।
- कमल का पुष्प: पूजा में कमल का फूल चढ़ाना बेहद शुभ होता है।
तुलसी विवाह सामग्री लिस्ट। Tulsi Vivah Puja Samagri
- तुलसी का पौधा: यह मुख्य है, जिसके बिना पूजा पूरी नहीं होती।
- शालिग्राम भगवान: भगवान विष्णु का रूप माने जाते हैं, इन्हें तुलसी माता के साथ विवाह में शामिल किया जाता है।
- विष्णुजी की प्रतिमा या तस्वीर: विष्णुजी की पूजा के लिए प्रतिमा या तस्वीर रखें।
- पूजा की चौकी: इस पर तुलसी माता और भगवान शालिग्राम को विराजित करें।
- लाल रंग का वस्त्र: पूजा स्थल को सजाने के लिए लाल कपड़े का उपयोग करें।
- कलश: इसे जल से भरकर पूजा स्थान पर रखें।
- केले का पत्ता: इसे पूजा स्थल पर बिछाने के लिए इस्तेमाल करें।
- हल्दी की गांठ: शुभता का प्रतीक मानी जाती है, इसे ज़रूर शामिल करें।
- चंदन: चंदन का तिलक भगवान को लगाएं।
- रोली: यह मंगल चिह्न के लिए प्रयोग होती है।
इन सभी सामग्रियों के साथ आप तुलसी विवाह की पूजा कर सकते हैं और भगवान शालिग्राम तथा देवी तुलसी का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। इस पावन पर्व पर श्रद्धा और भक्ति से पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त क्या है? (Tulsi Vivah ka Shubh Muhurat kya Hai)
तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार है-
तुलसी विवाह की शुभ तिथि द्वादशी तिथि (13 नवंबर) है और शुभ मुहूर्त शाम को 5:29 से 7:53 तक है।
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शुभ मुहूर्त | शाम को 5:29 से 7:53 तक। |
शुभ तिथि | द्वादशी तिथि (13 नवंबर) |
Conclusion:-Tulsi Vivah kab Hai
हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (तुलसी विवाह कब है?) Tulsi Vivah kab Hai यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद
FAQ’s
1. तुलसी विवाह क्या है?
तुलसी विवाह एक धार्मिक उत्सव है, जिसमें तुलसी के पौधे की शादी भगवान विष्णु के अवतार श्री शालिग्राम से की जाती है। यह विवाह प्रतीकात्मक होता है और यह माना जाता है कि तुलसी विवाह से सभी प्रकार की धार्मिक और सामाजिक समस्याओं का निवारण होता है।
2. तुलसी विवाह कब मनाया जाता है?
तुलसी विवाह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है, जिसे ‘देवउठनी एकादशी’ या ‘प्रबोधिनी एकादशी’ के नाम से भी जाना जाता है। यह तिथि आमतौर पर अक्टूबर-नवंबर के महीने में आती है।
3. इस साल तुलसी विवाह कब है?
इस वर्ष तुलसी विवाह की तिथि 23 नवंबर 2023 को है। कार्तिक माह की एकादशी तिथि को पूरे विधि-विधान के साथ यह विवाह संपन्न होता है।
4. तुलसी विवाह का महत्व क्या है?
तुलसी विवाह को हिंदू संस्कृति में बहुत पवित्र माना जाता है। माना जाता है कि तुलसी विवाह करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। साथ ही इसे अनुष्ठानिक विवाह का प्रारंभ भी माना जाता है, जिसके बाद विवाह का सीजन शुरू होता है।
5. तुलसी विवाह कैसे मनाया जाता है?
तुलसी विवाह की तैयारी में तुलसी के पौधे को सजाया जाता है। इसके लिए रंगीन कपड़े, फूल, दीपक, और हल्दी-कुमकुम का प्रयोग किया जाता है। श्री शालिग्राम की मूर्ति को भी विधिवत सजाया जाता है। फिर विशेष मंत्रों और विधियों के साथ तुलसी और शालिग्राम का विवाह संपन्न किया जाता है। यह विवाह आमतौर पर परिवार के सभी सदस्यों की उपस्थिति में धूमधाम से मनाया जाता है।
6. क्या तुलसी विवाह के दिन कोई विशेष पूजा का विधान है?
हाँ, तुलसी विवाह के दिन तुलसी माता और भगवान विष्णु की विशेष पूजा का विधान है। इस दिन व्रत रखने का भी महत्व है, जिसे बहुत से भक्तगण श्रद्धापूर्वक करते हैं। साथ ही, तुलसी विवाह की पूजा में फल, फूल, दीपक, और प्रसाद चढ़ाया जाता है।
7. तुलसी विवाह क्यों किया जाता है?
तुलसी विवाह से जुड़ी मान्यता के अनुसार, यह विवाह करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसे एक प्रकार का आध्यात्मिक विवाह माना गया है, जो वैवाहिक सुख और पारिवारिक समृद्धि को बढ़ाता है।