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5 Vastu Shastra Tips: क्या आपके घर में ये पांच वास्तु दोष हैं? जानिए इनसे बचने के सरल उपाय

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5 Vastu Shastra tips: घर का वास्तु दोष – एक अदृश्य शत्रु जो आपके सुख-चैन को छीन सकता है। जब हम अपने सपनों का घर बनाते हैं, तो उम्मीद करते हैं कि वह हमारे लिए खुशियों और समृद्धि का स्रोत बनेगा। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आपके घर में छिपा हुआ एक ऐसा शत्रु हो सकता है, जो आपके परिवार की सेहत, सौभाग्य और सफलता को प्रभावित कर रहा हो? 

वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, घर में मौजूद कुछ दोष हमारी जिंदगी में नकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित कर सकते हैं। जब घर के सदस्य बार-बार बीमार पड़ते हैं, कांच अचानक टूटने लगता है या तुलसी का पौधा सूख जाता है, तो ये सभी संकेत हो सकते हैं कि आपके घर में वास्तु दोष मौजूद है। लेकिन चिंता की कोई बात नहीं। प्राचीन भारतीय वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) हमें ऐसे कई उपाय बताता है, जिनकी मदद से हम इन दोषों को दूर कर सकते हैं और अपने घर को फिर से सुख-शांति से भर सकते हैं। 

इस लेख में, हम पांच प्रमुख वास्तु दोषों और उनके निवारण के बारे में जानेंगे, ताकि आप अपने परिवार के लिए एक खुशहाल और समृद्ध जीवन सुनिश्चित कर सकें।

1.तुलसी का अचानक मुरझाना: एक वास्तु दोष

हिंदू धर्म (Hindu religion) में तुलसी का पौधा (Tulsi plant) बेहद पवित्र और शुभ माना जाता है। मान्यता है कि घर में तुलसी का पौधा लगाने से सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। लेकिन अगर अचानक से तुलसी का पौधा मुरझाने लगे या सूखने लगे, तो इसे एक प्रकार का वास्तु दोष माना जाता है। ऐसा होने पर घर में नकारात्मक ऊर्जा (negative energy) का संचार होता है जिससे तनाव, बीमारी और आर्थिक परेशानियां आ सकती हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, तुलसी का पौधा उत्तर या पूर्व दिशा में लगाना शुभ होता है। अगर सही दिशा में न लगाया जाए तो भी यह मुरझा सकता है।

उपाय:

  • तुलसी के पौधे की नियमित देखभाल करें। सही मात्रा में पानी दें और धूप में रखें।
  • पौधे के आसपास साफ-सफाई रखें। कोई गंदगी या कचरा न होने दें।
  • तुलसी को नियमित रूप से भगवान विष्णु को अर्पित करें और उनकी पूजा करें।
  • तुलसी मंत्र ‘महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, अधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वां नमस्तुते’ का प्रतिदिन जाप करें।
  • यदि फिर भी पौधा न संभले तो उसे हटाकर नया पौधा उत्तर या पूर्व दिशा में गुरुवार या शुक्रवार के दिन लगाएं।

2. बार-बार कांच का टूटना: एक वास्तु दोष

वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, घर में बार-बार कांच का टूटना एक अशुभ संकेत माना जाता है। यह घर में वास्तु दोष का सूचक हो सकता है। कांच के टूटने से घर की सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy) खत्म होती है और नकारात्मकता (negativity) फैलने लगती है, जिससे कई परेशानियां आ सकती हैं। हालांकि, कुछ मान्यताओं के अनुसार कांच का टूटना यह भी दर्शा सकता है कि घर पर आने वाला कोई संकट टल गया है। लेकिन टूटे कांच को घर में रखना वास्तु के खिलाफ माना गया है और इससे नकारात्मक ऊर्जा (negative energy) आकर्षित होती है। 

उपाय:

  • टूटे कांच के टुकड़ों को तुरंत साफ करके घर से बाहर निकाल दें।
  • घर में कभी भी टूटा, नुकीला या धुंधला कांच न रखें।
  • कांच खरीदते समय ध्यान रखें कि वह गोल या अंडाकार न हो। चौकोर आकार का ही कांच लें।
  • कांच के फ्रेम का रंग हल्का ही रखें, भड़कीला न हो।
  • कांच को साफ रखें, उस पर धूल-मिट्टी जमने न दें।

3. बार-बार सोने का खो जाना: एक वास्तु दोष

हिंदू धर्म और ज्योतिष शास्त्र में सोने को एक पवित्र और शुभ धातु माना जाता है। लेकिन अगर सोना बार-बार खो जाता है, तो इसे एक बुरा संकेत माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, सोने का संबंध बृहस्पति ग्रह से है जो ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक है। सोने का खोना बृहस्पति ग्रह के कमजोर होने का संकेत हो सकता है जिससे जीवन में कई तरह की समस्याएं आ सकती हैं जैसे आर्थिक नुकसान, वैवाहिक जीवन में परेशानी, सेहत संबंधी दिक्कतें आदि। इसके अलावा, सोने के विभिन्न गहनों का खोना अलग-अलग तरह के अशुभ फल दे सकता है, जैसे सोने की अंगूठी का खोना सेहत खराब होने का, नाक का सोना खोना अपमान का, और कान के झुमके का खोना बुरी खबर मिलने का संकेत हो सकता है। कुल मिलाकर, बार-बार सोने का खोना एक प्रकार का वास्तु दोष माना जा सकता है जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

उपाय:

  • सोने के गहनों की अच्छी देखभाल करें और उन्हें सुरक्षित जगह पर रखें।
  • बृहस्पति ग्रह को मजबूत करने के लिए पीले रंग के वस्त्र पहनें, पीले फूल चढ़ाएं और गुरुवार का व्रत रखें।
  • सोने के गहने खोने पर तुरंत शनि देव की पूजा-अर्चना करें।
  • घर में वास्तु दोष की जांच कराएं और उसके अनुसार सुधार करें।
  • सकारात्मक सोच (positive thinking) रखें और धैर्य बनाए रखें।

4. घर के सदस्यों का बार-बार बीमार रहना: एक वास्तु दोष

बार-बार घर के सदस्यों का बीमार रहना पितृ दोष का लक्षण हो सकता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष होता है तो उसके परिवार में हमेशा किसी न किसी सदस्य का अस्वस्थ रहना आम बात होती है। इसके अलावा, वास्तु के हिसाब से भी घर में कुछ ऐसी गलतियां हो सकती हैं जिससे घर के लोग बार-बार बीमार पड़ते हैं। जैसे घर के मुख्य द्वार के सामने गड्ढा होना, गंदगी इकट्ठा होना, घर के मध्य भाग में भारीपन होना आदि।

उपाय:

  • पूर्वजों की मृत्यु की तिथि पर ब्राह्मण भोज कराएं और श्रद्धापूर्वक दान दें।
  • संध्या के समय दक्षिण दिशा की ओर दीपक जलाएं, खासकर पितृपक्ष के दौरान।
  • किसी कुंवारी कन्या का विवाह कराएं या गरीब कन्या के विवाह में मदद करें।
  • दक्षिण दिशा में पितरों की तस्वीर लगाएं और प्रतिदिन उनका स्मरण या ध्यान करें, साथ ही उनकी तस्वीर के सामने धूप बत्ती भी जरूर लगायें।
  • हर पूर्णिमा को शिव परिवार की पूजा करें और परिवार की निरोगी कामना करें।

5. घर का मुख्य द्वार गलत दिशा में होना: एक वास्तु दोष

वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, घर का मुख्य द्वार गलत दिशा में होने से कई प्रकार के नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। मुख्य द्वार सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy) को घर में प्रवेश करने का मार्ग है। यदि यह गलत दिशा में हो, तो यह नकारात्मक ऊर्जा (negative energy) को भी आकर्षित कर सकता है। इससे घर में रहने वालों के बीच कलह, वित्तीय समस्याएं, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां और करियर में रुकावटें आ सकती हैं। दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व दिशा में मुख्य द्वार होने से अशुभ प्रभाव पड़ सकते हैं। इससे घर में नकारात्मकता (negativity) का संचार होता है जो परिवार के सदस्यों के लिए हानिकारक हो सकता है।

उपाय:

  • मुख्य द्वार को उत्तर, पूर्व, उत्तर-पूर्व या पश्चिम दिशा में रखें। ये दिशाएं वास्तु के अनुसार शुभ मानी जाती हैं।
  • मुख्य द्वार के पास गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें। गणेश जी विघ्नहर्ता और सफलता के प्रतीक हैं। उनकी उपस्थिति सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है।
  • मुख्य द्वार के रंग का चयन दिशा के अनुसार करें। पूर्व दिशा के लिए सुनहरा या नारंगी, पश्चिम के लिए सफेद या पीला, उत्तर के लिए नीला या आसमानी रंग उपयुक्त होता है।
  • मुख्य द्वार के आस-पास पर्याप्त रोशनी सुनिश्चित करें। अच्छी रोशनी सकारात्मक माहौल बनाती है और अच्छी ऊर्जा को आमंत्रित करती है।

Summary 

वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण हो सकता है। घर से संबंधित वास्तु दोषों को समझकर और उनका निवारण करके, हम अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy) का प्रवाह बढ़ा सकते हैं और अपने जीवन में शांति, समृद्धि और खुशी प्राप्त कर सकते हैं। अगर आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो तो इसे अपने परिवारजनों एवं मित्र गणों के साथ अवश्य साझा करें,  साथ ही हमारे आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें और अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो उसे कॉमेंट बॉक्स में जाकर जरुर पूछे, हम आपके सभी प्रश्नों का जवाब देने का प्रयास करेंगे। ऐसे ही अन्य लेख को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट janbhakti.in पर रोज़ाना विज़िट करें ।

Disclaimer: इस लेख के द्वारा दी गई सभी जानकारियां मान्यताओं पर आधारित है। हम आपको बता दें कि janbhakti.in ऐसी मान्यताओं की पुष्टि नहीं करता है, इसलिए इन सभी वास्तु टिप्स को अमल में लाने से पहले विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें ।

FAQ’S 

Q. वास्तु शास्त्र क्या है?

Ans. वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो भवन निर्माण और वास्तुकला के सिद्धांतों का अध्ययन करता है। इसका उद्देश्य ऊर्जा के सकारात्मक प्रवाह को बढ़ावा देकर इमारतों में सद्भाव और समृद्धि लाना है।

Q. वास्तु शास्त्र के पालन से क्या लाभ होते हैं?

Ans. वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के सिद्धांतों का पालन करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है, जिससे घर में शांति, समृद्धि, और खुशी आती है। 

Q. क्या घर का आकार वास्तु शास्त्र के अनुसार महत्वपूर्ण है?

Ans. हाँ, घर का आकार वास्तु शास्त्र में महत्वपूर्ण माना जाता है। वर्ग या आयताकार आकार वाले घर शुभ माने जाते हैं। अनियमित आकार वाले घरों में वास्तु दोष हो सकते हैं।

Q. वास्तु दोषों को कैसे दूर किया जा सकता है?

Ans. कुछ वास्तु दोषों को वास्तु विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए उपायों, जैसे कि रंगों का उपयोग, फर्नीचर का पुनर्विन्यास, या यंत्रों की स्थापना द्वारा दूर किया जा सकता है।

Q. नए घर का निर्माण करते समय किन दिशाओं का ध्यान रखना चाहिए?

Ans. मुख्य प्रवेश द्वार पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए। पूजा कक्ष ईशान कोण में होना चाहिए। शयनकक्ष दक्षिण-पश्चिम दिशा में और रसोईघर दक्षिण-पूर्व दिशा में होना चाहिए।

Q. गृह प्रवेश करते समय किन रीति-रिवाजों का पालन करना चाहिए?

Ans. गृह प्रवेश करते समय, सबसे पहले घर की लक्ष्मी जी की पूजा करनी चाहिए। फिर, घर के मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से स्वस्तिक बनाना चाहिए और घर में प्रवेश करते समय दीप प्रज्वलित करना चाहिए।