8 Vastu Tips For Home: वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो घर और कार्यालय के डिजाइन और निर्माण में प्रकृति के पांच तत्वों – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश – के संतुलन पर केंद्रित है। यह मानव जीवन और प्रकृति के बीच सद्भाव बनाने का प्रयास करता है।
वास्तु (Vastu) के सिद्धांतों का पालन करके, हम अपने घरों में सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy) का प्रवाह बढ़ा सकते हैं, जो हमारे जीवन में खुशी, समृद्धि और सद्भाव ला सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके घर की रचना और वास्तुकला आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है? वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, एक सही ढंग से डिज़ाइन किया गया घर न केवल सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है, बल्कि नकारात्मकता को भी दूर करता है, जिससे एक सुखद और सौहार्दपूर्ण वातावरण बनता है।
इस लेख में, हम आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को अधिकतम करने और किसी भी नकारात्मक ऊर्जा को कम करने के लिए कुछ सरल और प्रभावी वास्तु युक्तियाँ साझा करेंगे। इन सुझावों को लागू करके, आप अपने घर को एक शांतिपूर्ण, सुखद और समृद्ध स्थान में बदल सकते हैं।
वास्तु शास्त्र क्या होता है? (What is Vaastu Shastra)
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) भारत (India) का एक प्राचीन विज्ञान है जो स्थापत्य कला और डिजाइन के सिद्धांतों का उपयोग करके सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy) और समृद्धि को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। इसका अर्थ है “रहने का विज्ञान” और यह हजारों वर्षों से लोगों को उनके घरों, कार्यालयों और अन्य भवनों को डिजाइन करने में मार्गदर्शन कर रहा है।
यह विज्ञान पांच तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) और दिशाओं (पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण) के बीच संबंधों पर आधारित है। वास्तु शास्त्र का मानना है कि इन तत्वों और दिशाओं को संतुलित करके, हम अपने जीवन में स्वास्थ्य, धन, खुशी और सफलता को आकर्षित कर सकते हैं।वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) में घर के विभिन्न हिस्सों, जैसे कि रसोई, शयनकक्ष, और पूजा कक्ष के लिए विशिष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इसमें रंगों, फर्नीचर और सजावट के उपयोग के बारे में भी सलाह शामिल है।
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1. घर का बाहरी आकार (Exterior Shape of House)
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, मकान का बाहरी आकार सही बना है या नहीं, इसकी जांच करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देना चाहिए। सबसे पहले, घर का आकार चौकोर या आयताकार होना चाहिए। आयताकार मकान में चौड़ाई की दुगुनी से अधिक लंबाई नहीं होनी चाहिए। कछुए, कुंभ, तीन, पांच, छः या आठ कोन वाले घर वास्तु के अनुसार शुभ नहीं माने जाते हैं और विभिन्न समस्याएं पैदा कर सकते हैं।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि घर को किसी एक दिशा में आगे नहीं बढ़ाना चाहिए। अगर आपको अपना घर बढ़ाना ही है तो सभी दिशाओं में समान रूप से बढ़ाना चाहिए। वायव्य दिशा में आगे बढ़ाने पर वात-व्याधि, दक्षिण दिशा में बढ़ाने पर मृत्यु-भय और उत्तर दिशा में बढ़ाने पर रोगों की संभावना बढ़ जाती है।
इन बिंदुओं को ध्यान में रखकर और एक अनुभवी वास्तु विशेषज्ञ से परामर्श लेकर, आप अपने मकान के बाहरी आकार को वास्तु के अनुरूप बना सकते हैं और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर एक आदर्श घर का निर्माण कर सकते हैं।
2. घर का रसोई घर (Home Kitchen)
रसोई घर (Kitchen) में वास्तु दोष के कई संकेत हो सकते हैं। यदि रसोई घर (Kitchen) में बहुत अधिक गर्मी या धुआं महसूस होता है, भोजन जल्दी खराब हो जाता है, या परिवार के सदस्यों के बीच तनाव रहता है तो ये रसोई घर (Kitchen) में वास्तु दोष (Vastu Dosh) के संकेत हो सकते हैं। इसके अलावा यदि रसोई में काम करने वाली महिला का स्वास्थ्य खराब रहता है या उसे थकान महसूस होती है तो भी ये वास्तु दोष का संकेत हो सकता है।
रसोई घर (Kitchen) के वास्तु दोष के निवारण के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं। यदि रसोई घर अग्नि कोण में नहीं है तो दक्षिण दिशा की दीवार पर यज्ञ करते हुए ऋषियों का चित्र लगाया जा सकता है। आग्नेय कोण में लाल रंग का बल्ब लगाना भी लाभदायक हो सकता है। पंचरत्न को तांबे के कलश में रखकर रसोई के ईशान कोण में स्थापित करने से भी वास्तु दोष दूर हो सकते हैं। यदि सिंक उत्तर या ईशान कोण में नहीं है तो वहां लकड़ी या बांस का विण्ड चाइम लगाया जा सकता है। रसोई की दक्षिण और आग्नेय दिशा की दीवारों को लाल रंग से रंगने से भी वास्तु दोष दूर हो सकते हैं
3. घर में मौजूद पौधे (House Plants)
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, घर में पौधों की गलत स्थिति से वास्तु दोष हो सकता है, जो घर में अनावश्यक तनाव और नकारात्मक ऊर्जा का कारण बन सकता है। वास्तु दोष के लक्षणों में घर में निरंतर वित्तीय हानि, अकस्मात बीमारियां, उच्च चिकित्सा व्यय, और परिवार के सदस्यों के बीच होने वाले स्थिर विवाद शामिल हैं।वास्तु दोष (Vastu Shastra) के निवारण के लिए तुलसी, नीम, शामी, और मणि जैसे पौधों को घर में रखना सुझावित किया गया है, जिन्हें मान्यता है कि वे नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करते हैं इसके अलावा, स्वच्छता का पालन और दैनिक घरेलू काम करने से नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखा जा सकता है।
4. घर की सजावट (Home Decoration)
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, घर की सजावट में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव करके वास्तु दोषों को शांत किया जा सकता है। सबसे पहले, घर में टूटे-फूटे या अनुपयोगी सामान को हटा देना चाहिए क्योंकि ये नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं। इसके बजाय, घर को साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखना चाहिए।
पूजा स्थान में हमेशा ताज़े और सुगंधित फूल रखने चाहिए। सूखे और मुरझाए हुए फूल नकारात्मकता लाते हैं। घर में जीवंत पौधे लगाना भी शुभ माना जाता है, खासकर मनी प्लांट जो धन और समृद्धि का प्रतीक है। वास्तु (Vastu) के अनुसार, घर के अंदर पानी का फव्वारा रखना बहुत शुभ होता है, खासकर उत्तर-पूर्व दिशा में। इसके अलावा, घर के दक्षिण-पूर्व कोने में गणपति की मूर्ति और मुख्य द्वार पर काले रंग की नाल लगाने से सकारात्मक ऊर्जा आती है।अंत में, घर को अच्छी तरह रोशन और हवादार रखना चाहिए ताकि सकारात्मकता और ऊर्जा का प्रवाह बना रहे। इन सरल वास्तु उपायों को अपनाकर, आप अपने घर को शांतिपूर्ण, सुखद और समृद्ध बना सकते हैं।
5.घर का पूजा कक्ष (Puja Room)
वास्तु दोष को पहचानने के लिए, पूजा कक्ष की स्थिति, दिशा, और इसकी साफ-सफाई पर विचार करना महत्वपूर्ण है कक्ष को उत्तर-पूर्व दिशा में रखने की सलाह दी जाती है, जो घर में सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत मानी जाती है। यदि कक्ष मुख्य द्वार के निकट है, या यदि यह रसोई या बाथरूम के समीप स्थित है, तो इसे वास्तु दोष माना जाता है।
वास्तु दोष का निवारण करने के लिए, आपको कक्ष को साफ, व्यवस्थित, और अच्छी हवा और प्राकृतिक प्रकाश के साथ रखना चाहिए। भगवान की मूर्तियाँ या चित्र सदा सौम्य, शान्त, और धन्य मुद्रा में होनी चाहिए। विशेष रूप से, टूटी या चिपकी हुई मूर्तियां या चित्र पूजा कक्ष में नहीं रखने चाहिए।
वास्तु शांति पूजा एक अन्य तरीका है जिसे वास्तु दोष को दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यह पूजा घर में सौभाग्य और समृद्धि लाती है, और नकारात्मक ऊर्जा (Negative energy) को समाप्त करती है। इन सब बातों का ध्यान रखकर, आप अपने घर में वास्तु दोष को पहचान और निवारण कर सकते हैं.
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6. घर का फर्नीचर (Home Furnishing)
जब फर्नीचर का निर्माण होता है, तो उसका आकार, दिशा, धातु, और रंग, ये सभी महत्वपूर्ण होते हैं। उदाहरण के लिए, फर्नीचर का डिजाइन साधारण होना चाहिए, और गोल या नुकीले किनारे नकारात्मकता को बुलावा दे सकते हैं। इसके साथ ही, घर के पूर्वी भाग में लकड़ी का फर्नीचर और सजावटी चीजें रखने से सकारात्मकता बनी रहती है।
इसका निवारण करने के लिए, वास्तु शास्त्र के अनुसार हल्के फर्नीचर को पूर्व या उत्तर दिशा में, और भारी फर्नीचर को पश्चिम और दक्षिण दिशा में रखना शुभ माना जाता है। परिवार की खुशी बरकरार रखने के लिए, परिवार की तस्वीर को लकड़ी के फ्रेम में लगाकर पूर्व दिशा में लगाना चाहिए।
यदि इन निर्देशों का पालन किया जाए, तो धातु के फर्नीचर वास्तु दोष का कारण बनने से बच सकते हैं, और घर में संतुलन और सुख-शांति बनी रहेगी.
7.घर का प्रवेश द्वार (Entrance of house)
घर के मुख्य द्वार का वास्तु शास्त्र में बहुत महत्व है। द्वार घर में प्रवेश करने का मार्ग होता है और यह घर की ऊर्जा को दर्शाता है।
द्वार के सामने कोई अवरोध जैसे पेड़, खंभे या दीवार नहीं होनी चाहिए। द्वार तक जाने वाला रास्ता सीधा और साफ होना चाहिए। द्वार के सामने झाड़ू या गैस सिलेंडर जैसी चीज़ें नहीं रखनी चाहिए, जहां दरवाजा खोलते ही नज़र पड़े। इससे नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश कर सकती है।
घर के प्रवेश द्वार पर टूटी हुई मूर्ति या शिवलिंग नहीं रखना चाहिए। इससे घर में परेशानी आ सकती है। द्वार पर नामपट्ट होना चाहिए और उसे बड़े अक्षरों में लिखा जाना चाहिए। द्वार का उपयोग न होने पर उसे बंद रखना चाहिए।
इन वास्तु टिप्स का पालन करके घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखी जा सकती है और नकारात्मक ऊर्जा (Negative energy) को दूर किया जा सकता है। घर के प्रवेश द्वार का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है ताकि घर में सुख-शांति बनी रहे।
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8. घर की सीढ़ियां (House Stairs)
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर की सीढ़ियों का निर्माण और स्थान महत्वपूर्ण होता है। यदि सीढ़ियों का निर्माण वास्तु सिद्धांतों के विपरीत किया जाता है, तो यह वास्तु दोष पैदा कर सकता है जिससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
कुछ प्रमुख वास्तु दोष इस प्रकार हैं – सीढ़ियों का निर्माण ईशान कोण या ब्रह्मस्थान पर करना। सीढ़ियों के नीचे रसोई, शौचालय या मंदिर होना, सीढ़ियों की संख्या सम होना, सीढ़ियों के नीचे पुराने जूते-चप्पल रखना आदि। इससे घर में आर्थिक कष्ट, परिवार में कलह, स्वास्थ्य समस्याएं जैसी परेशानियां हो सकती हैं[
वास्तु दोष (Vastu Dosh) के निवारण के लिए सीढ़ियों को दक्षिण-पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए, सीढ़ियों की संख्या विषम रखनी चाहिए, सीढ़ियों के पास तुलसी का पौधा लगाना चाहिए। साथ ही सीढ़ियों की दीवार पर स्वास्तिक चिन्ह बनाने से भी वास्तु दोष दूर होते हैं। इन उपायों से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
Conclusion:
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) केवल अंधविश्वास या रीति-रिवाजों का संग्रह नहीं है, बल्कि वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित एक व्यापक जीवन दर्शन है। यह हमें सिखाता है कि हम अपने घरों को शांतिपूर्ण और सकारात्मक अभयारण्यों में कैसे बदल सकते हैं जो हमारे समग्र स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देते हैं। अगर आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो तो इसे अपने परिवार जनों और मित्र गणों के साथ अवश्य साझा करें, साथ ही हमारे अन्य आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें, और अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो उसे कॉमेंट बॉक्स में जाकर जरुर पूछे, हम आपके सभी प्रश्नों का जवाब देने का प्रयास करेंगे। ऐसे ही अन्य लेख को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट janbhakti.in पर रोज़ाना विज़िट करें ।
FAQ’s:
Q. वास्तु शास्त्र क्या है?
Ans. वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो भवन निर्माण और वास्तुकला के सिद्धांतों का अध्ययन करता है। इसका उद्देश्य ऊर्जा के सकारात्मक प्रवाह को बढ़ावा देकर इमारतों में सद्भाव और समृद्धि लाना है।
Q. गृह प्रवेश करते समय किन रीति-रिवाजों का पालन करना चाहिए?
Ans. गृह प्रवेश करते समय, सबसे पहले घर की लक्ष्मी जी की पूजा करनी चाहिए। फिर, घर के मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से स्वस्तिक बनाना चाहिए और घर में प्रवेश करते समय दीप प्रज्वलित करना चाहिए।
Q. क्या घर का आकार वास्तु शास्त्र के अनुसार महत्वपूर्ण है?
Ans. हाँ, घर का आकार वास्तु शास्त्र में महत्वपूर्ण माना जाता है। वर्ग या आयताकार आकार वाले घर शुभ माने जाते हैं। अनियमित आकार वाले घरों में वास्तु दोष हो सकते हैं।
Q. वास्तु दोषों को कैसे दूर किया जा सकता है?
Ans. कुछ वास्तु दोषों को वास्तु विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए उपायों, जैसे कि रंगों का उपयोग, फर्नीचर का पुनर्विन्यास, या यंत्रों की स्थापना द्वारा दूर किया जा सकता है।
Q. वास्तु शास्त्र के पालन से क्या लाभ होते हैं?
Ans. वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों का पालन करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है, जिससे घर में शांति, समृद्धि, और खुशी आती है।
Q. नए घर का निर्माण करते समय किन दिशाओं का ध्यान रखना चाहिए?
Ans. मुख्य प्रवेश द्वार पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए। पूजा कक्ष ईशान कोण में होना चाहिए। शयनकक्ष दक्षिण-पश्चिम दिशा में और रसोईघर दक्षिण-पूर्व दिशा में होना चाहिए।