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Vastu Tips For West Face Home: जाने कैसा होना चाहिए पश्चिम मुखी द्वार का घर?

Vastu Tips For West Facing Home
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Vastu Tips For West Facing Home: वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra), भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा, घरों और बिल्डिंग्स के डिजाइन और लेआउट के साथ संबंधित है। इसका उद्देश्य है एक संतुलित, सुखद और सकारात्मक वातावरण बनाना। यह विशेष रूप से घरों के मुख्य द्वार के दिशा को महत्व देता है, जैसे कि पश्चिम मुखी घर।

पश्चिम मुखी घर वह होता है जिसका मुख्य प्रवेश द्वार पश्चिम दिशा में होता है। इसे जांचने का एक सरल तरीका है – घर के अंदर खड़े होकर मुख्य प्रवेश द्वार की दिशा में चेहरा करें। यदि आपका चेहरा पश्चिम की ओर है, तो आपका घर पश्चिम मुखी है। वास्तु शास्त्र से संबंधित इस विशेष लेख में हम आपको बताएंगे कि पश्चिम मुखी घर क्या होते हैं?, पश्चिम मुखी घर के लाभ क्या होते हैं?, पश्चिम मुखी घर के मुख्य द्वार का वास्तु कैसा होना चाहिए?, पश्चिम की घर के लिए कुछ विशेष वास्तु टिप्स कौन से हैं?, पश्चिम मुखी घरों के पौधे कैसे और कौन से होने चाहिए?, इत्यादि! पश्चिम मुखी घर (West Facing House) से संबंधित सभी जानकारियां प्राप्त करने के लिए हमारे इसलिए को अंत तक अवश्य पढ़िए। 

पश्चिम मुखी घर क्या होते हैं? (What are West Facing Houses)

पश्चिम मुखी घर (west facing house) वे होते हैं जिनका मुख्य द्वार पश्चिम दिशा की ओर खुलता है। वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, पश्चिम दिशा सूर्यास्त की दिशा मानी जाती है और इससे जुड़ी ऊर्जा अलग प्रकार की होती है। पश्चिम मुखी घरों में पूजा कक्ष और लिविंग रूम को उत्तर-पूर्व कोने में रखना शुभ माना जाता है क्योंकि यह सबसे शुभ कोना होता है। 

मंदिर को पश्चिम दिशा में भी बनाया जा सकता है लेकिन ध्यान रहे कि देवताओं की तस्वीरें और मूर्तियां पूर्व की ओर होनी चाहिए। भारत के प्राचीन मंदिरों में भी मुख्य मूर्ति पश्चिमी क्षेत्र में रखी जाती है जबकि उसका मुख पूर्व की ओर होता है।

पश्चिम मुखी घरों में कमरों की स्थिति इस बात पर निर्भर करती है कि पश्चिम दिशा किस प्रकार से सही है। वास्तु के अनुसार, पूर्व दिशा का कोना सबसे शुभ माना जाता है इसलिए कोई भी महत्वपूर्ण कमरा पूर्व दिशा में होना चाहिए। पूर्व दिशा के कोने में रखे गए कमरे में शांति और स्वास्थ्य का वास होता है।

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पश्चिम मुखी घर के लाभ क्या होते हैं? (What are the benefits of a west Facing house?)

  • व्यापार और करियर में सफलता: पश्चिम दिशा में मुख्य प्रवेश द्वार होने से व्यापार और करियर में सफलता मिलती है। W-3 और W-4 क्षेत्र में मुख्य द्वार होने से धन, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
  • धन संचय: पश्चिम दिशा में ऊँची दीवारें होने से धन संचय में वृद्धि होती है। इससे व्यक्ति की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। 
  • प्रसिद्धि और ख्याति: पश्चिम मुखी घर (west facing house) में रहने से व्यक्ति को प्रसिद्धि और ख्याति मिलती है। यह उसके सामाजिक स्तर को भी ऊपर उठाता है।
  • बच्चों का विकास: पश्चिम दिशा में बच्चों का कमरा होने से उनके विकास और शैक्षणिक सफलता को बढ़ावा मिलता है। यह उनके भविष्य के लिए शुभ होता है।
  • सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह: पश्चिम मुखी घर में एक अलग तरह की सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है जो घर में रहने वालों के जीवन को प्रभावित करता है[। 
  • अतिथि कक्ष के लिए उपयुक्त: उत्तर-पश्चिम या पश्चिम दिशा अतिथि कक्ष के लिए उपयुक्त मानी जाती है। इससे मेहमानों का सकारात्मक स्वागत होता है।
  • पूजा कक्ष के लिए शुभ: यदि उत्तर-पूर्व दिशा में पूजा कक्ष संभव न हो तो पश्चिम दिशा भी इसके लिए उपयुक्त मानी जाती है। इससे आध्यात्मिक विकास और सकारात्मकता आती है। 
  • अध्ययन कक्ष के लिए अनुकूल: पश्चिम दिशा अध्ययन कक्ष या घर के ऑफिस के लिए भी अनुकूल मानी जाती है। यह एकाग्रता और उत्पादकता को बढ़ावा देती है।

हालाँकि पश्चिम मुखी घर कई लाभ देता है, फिर भी वास्तु के सिद्धांतों का पालन करना आवश्यक है। गलत वास्तु से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। सही मार्गदर्शन से पश्चिम मुखी घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। 

पश्चिम मुखी घर के मुख्य द्वार का वास्तु कैसा होना चाहिए? 

पश्चिम मुखी घर के मुख्य द्वार का वास्तु बहुत महत्वपूर्ण होता है, जो घर की सकारात्मक ऊर्जा और खुशहाली को प्रभावित करता है। वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, पश्चिम मुखी घर का प्रवेश द्वार केंद्र में या बाएं ओर होना चाहिए। यह द्वार चार पदों पर रखा जा सकता है: तीसरा, चौथा, पांचवां और छठा। द्वार के रंग के लिए, हल्के नीले, ऑफ-व्हाइट, और क्रीम शास्त्रीय रंग होते हैं।

घर के प्रवेश द्वार की क्षेत्रीय स्वच्छता भी महत्वपूर्ण है, जो स्वास्थ्य और सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) को बढ़ावा देती है। सम्पूर्णतया, पश्चिम मुखी घर के मुख्य द्वार की वास्तु योजना का पालन करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy), सफलता, और समृद्धि का आकर्षण होता है।

पश्चिममुखी घरों में कमरों की स्थिति कैसी होनी चाहिए? 

पश्चिम मुखी घरों (west facing house) में कमरों की स्थिति वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार होनी चाहिए ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy) का संचार हो सके। मुख्य द्वार को पश्चिम दिशा के तीसरे या चौथे पैड में बनाना शुभ माना जाता है। रसोई को दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए, जबकि शयनकक्ष दक्षिण-पश्चिम या पश्चिम दिशा में होना चाहिए। भोजन कक्ष पश्चिम दिशा में होना शुभ माना जाता है। 

पूजा कक्ष को पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में रखना चाहिए। ड्राइंग रूम (Drawing room vastu shastra) उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। बेडरूम को दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखने से अच्छी नींद आती है। पश्चिम दिशा में हल्के रंगों का प्रयोग करना चाहिए जैसे सफेद, क्रीम या हल्का पीला। मनी प्लांट, तुलसी और अरेका पाम जैसे पौधे पश्चिम दिशा में लगाने से सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य मिलता है। घर में दरवाजों और खिड़कियों की संख्या समान होनी चाहिए जैसे 2, 4, 6, 8 आदि। इन वास्तु टिप्स का पालन करके पश्चिम मुखी घर में सुखी और समृद्ध जीवन जिया जा सकता है।

पश्चिम मुखी घर के लिए कुछ विशेष वास्तु टिप्स 

पश्चिम मुखी घरों (Vastu Shastra) को वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) में अनूठा माना जाता है। इन घरों में समृद्धि और खुशियां लाने के लिए कुछ वास्तु सिद्धांतों का पालन करना चाहिए। मुख्य प्रवेश द्वार उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व या दक्षिण-पूर्व दिशा में होना चाहिए और अंदर की ओर खुलना चाहिए। मास्टर बेडरूम दक्षिण-पश्चिम दिशा में, बच्चों का कमरा पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा में, रसोई दक्षिण-पूर्व दिशा में और डाइनिंग रूम पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। पूजा कक्ष उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। 

उत्तर-पूर्व दिशा में शौचालय और सीढ़ियां नहीं होनी चाहिए। ऊपरी पानी की टंकी पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा में और भूमिगत पानी की टंकी उत्तर-पूर्व दिशा में होनी चाहिए। वास्तु सिद्धांतों का पालन करके, पश्चिम मुखी घर भी समृद्धि और खुशियां ला सकते हैं।

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पश्चिम मुखी घरों की दीवारों का रंग कैसा होना चाहिए? 

पश्चिम मुखी घर (west facing house) के लिए वास्तु के अनुसार दीवारों के रंग का चयन करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, पश्चिम दिशा जल तत्व से जुड़ी होती है, इसलिए इस दिशा के लिए सफेद और हल्का नीला रंग सबसे उपयुक्त माना जाता है। इन रंगों से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसके अलावा, पश्चिम दिशा की दीवारों के लिए आप न्यूट्रल रंगों जैसे सफेद, चांदी, पीला और बेज का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। ये रंग तटस्थ होते हैं और घर में प्रवेश करने वाली सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने में मदद करते हैं। हालांकि, बहुत चमकीले या गहरे रंगों से बचना चाहिए।  

सेटिंग के लिए, पश्चिम मुखी घर (west facing house) में मुख्य द्वार घर के तीसरे या चौथे हिस्से में होना चाहिए, और दक्षिण-पश्चिम कोने में नहीं होना चाहिए। प्लॉट दक्षिण से उत्तर की ओर ढलान होना चाहिए, और दक्षिण-पश्चिम या दक्षिण दिशा में निर्माण से बचना चाहिए। इन दिशानिर्देशों का पालन करके, आप अपने पश्चिम मुखी घर में सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy) और समृद्धि को बढ़ावा दे सकते हैं।

पश्चिम मुखी घरों के पौधे कैसे और कौन से होने चाहिए? 

पश्चिममुखी घर या गार्डन के लिए वास्तु (Vastu)  के अनुसार कुछ खास पौधे लगाना शुभ माना जाता है। तुलसी, गुलाब, गेंदा, जुही और मनी प्लांट जैसे छोटे पौधे उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में लगाने से सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy), अच्छा स्वास्थ्य और समृद्धि मिलती है। पश्चिम दिशा में कैक्टस और कंटीले पौधे लगाना उचित रहता है जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखते हैं। दक्षिण-पूर्व दिशा में किसी भी पौधे को लगाने से बचना चाहिए क्योंकि इससे आर्थिक नुकसान और स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। 

पौधों के रंग और फूलों के प्रकार का भी ध्यान रखना जरूरी है। लाल और पीले फूल शुभ माने जाते हैं जबकि सफेद और काले फूल अशुभ होते हैं। कुल मिलाकर, वास्तु के हिसाब से सही पौधे, सही दिशा में लगाने से घर में सकारात्मकता और खुशहाली आती है।

पश्चिम मुखी घर कैसे लोगों के लिए उचित होते हैं? 

वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, पश्चिम मुखी घर कुछ विशेष पेशों के लोगों के लिए विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं। डॉक्टर, नर्स, वकील, वित्तीय सलाहकार, कलाकार, शिक्षक, शेफ और जासूस जैसे पेशों में लगे लोगों के लिए पश्चिम दिशा में घर होना लाभदायक होता है। पश्चिम दिशा शनि और आकाश तत्व से जुड़ी होती है, जो इन व्यवसायों के लिए सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है।

हालांकि, पश्चिम मुखी घर के निर्माण में वास्तु के कुछ विशिष्ट नियमों का पालन करना आवश्यक है। उदाहरण के लिए, मुख्य द्वार को घर के तीसरे या चौथे भाग में स्थित होना चाहिए और दक्षिण-पश्चिम कोने में नहीं होना चाहिए। भूखंड को दक्षिण से उत्तर की ओर नीचे की ओर ढलान होना चाहिए और इसका दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम विस्तार नहीं होना चाहिए। 

इसके अलावा, पश्चिम दिशा में वास्तु दोष को दूर करने के लिए वरुण यंत्र रखना, मुख्य द्वार पर ‘यू’ अक्षर के आकार में काला घोड़े की नाल लगाना और पश्चिम दिशा से उत्तर-पूर्व या उत्तर दिशा की ओर अशोक का पेड़ लगाना सकारात्मक ऊर्जा ला सकता है। इन उपायों से पश्चिम मुखी घरों में रहने वाले लोगों को समृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।

पश्चिम मुखी घरों में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

  • सोने की दिशा: पश्चिम दिशा की ओर सिर करके सोने से बचें। ऐसा करने से मानसिक तनाव हो सकता है क्योंकि पश्चिम सूर्यास्त की दिशा है। इसके बजाय, खाते समय पश्चिम की ओर मुंह करके बैठें, क्योंकि यह पाचन में मदद करता है।
  • फर्नीचर की स्थिति: पश्चिम दिशा में भारी फर्नीचर न रखें। ऐसा करने से आर्थिक नुकसान हो सकता है। इसके बजाय, सोफे, शोकेस या पौधे जैसी हल्की वस्तुएं रखें।
  • मुख्य द्वार: मुख्य द्वार उत्तर या उत्तर-पूर्व में होना चाहिए। पश्चिम की ओर मुख्य द्वार होने से धन घर से बाहर नहीं जाता है।
  • वास्तु उपाय: वास्तु दोषों को ठीक करने के लिए पश्चिम दीवार पर वरुण यंत्र स्थापित करें। समृद्धि के लिए परिवार के मुखिया को 11 शनिवार का व्रत रखना चाहिए। पश्चिम में अशोक का पेड़ लगाने से भी नकारात्मक प्रभाव कम होता है।

Summary 

यदि आप वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) में विश्वास रखते हैं, तो आपको पश्चिम द्वार वाले घर में प्रवेश करने से पहले वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार बताए गए उपायों का पालन करना चाहिए। अगर आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो तो इसे अपने मित्रगणों एवं परिवारजनों के साथ अवश्य साझा करें, साथ ही हमारे अन्य आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें और अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो उसे कॉमेंट बॉक्स में जाकर जरुर पूछे, हम आपके सभी प्रश्नों का जवाब देने का प्रयास करेंगे। ऐसे ही अन्य लेख को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट janbhakti.in पर रोज़ाना विज़िट करें ।

FAQ’s:

Q. वास्तु शास्त्र के अनुसार, पश्चिम दिशा का स्वामी कौन है?

Ans. पश्चिम दिशा का स्वामी वरुण देवता माने जाते हैं, जो जल, वर्षा और पश्चिमी हवाओं के देवता हैं।

Q. पश्चिम मुखी घर में मुख्य द्वार किस दिशा में होना चाहिए?

Ans. वास्तु के अनुसार, पश्चिम मुखी घर में मुख्य द्वार उत्तर-पश्चिम या मध्य भाग में होना शुभ माना जाता है।

Q. पश्चिम मुखी घर में पूजा घर कहाँ बनाना चाहिए?

Ans. पूजा घर ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में बनाना सबसे शुभ माना जाता है।

Q. पश्चिम मुखी घर में रसोई कहाँ बनानी चाहिए?

Ans. रसोई दक्षिण-पूर्व या अग्नि कोण में बनाना शुभ होता है।

Q. पश्चिम मुखी घर में शयनकक्ष कहाँ बनाना चाहिए?

Ans. शयनकक्ष उत्तर-पश्चिम, दक्षिण-पश्चिम या पश्चिम दिशा में बनाना शुभ होता है।

Q. पश्चिम मुखी घर में स्नानघर कहाँ बनाना चाहिए?

Ans. स्नानघर पश्चिम-उत्तर या उत्तर-पश्चिम दिशा में बनाना शुभ माना जाता है।