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Anant Chaturdashi Vrat Katha: अनंत चतुर्दशी व्रत कथा सुनने व पढ़ने मात्र से ही मिलेगा अपार धन-संपदा का आशीर्वाद, माता लक्ष्मी भी होंगी प्रसन्न

Anant Chaturdashi Vrat Katha
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अनंत चतुर्दशी व्रत कथा 2024 (Anant Chaturdashi Vrat Katha 2024): अनंत चतुर्दशी का व्रत (Anant Chaturdashi Vrat Katha) हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। यह व्रत भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और उनसे अनंत सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। कहा जाता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति को जीवन में कभी भी दरिद्रता का सामना नहीं करना पड़ता। इस व्रत की एक बहुत ही रोचक कथा भी है जो इसके महत्व को और भी बढ़ा देती है। आज के इस भौतिकवादी युग में जहां हर कोई धन-दौलत की चाह में भटक रहा है, अनंत चतुर्दशी का व्रत हमें एक सही मार्ग दिखाता है। यह हमें सिखाता है कि हमें अपने जीवन में आध्यात्मिकता को भी स्थान देना चाहिए। भगवान में श्रद्धा और विश्वास रखकर हम अपनी सभी मनोकामनाएं पूरी कर सकते हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि अनंत चतुर्दशी का व्रत (Anant Chaturdashi Vrat) क्या है और इससे जुड़ी कथा क्या है। साथ ही हम एक PDF भी शेयर कर रहे हैं जिसमें इस व्रत की संपूर्ण कथा विस्तार से दी गई है। 

यह लेख आपके लिए जानकारीपूर्ण और प्रेरणादायक होगा। तो चलिए, अनंत चतुर्दशी व्रत कथा से संबंधित इस लेख को शुरू करते हैं…

अनंत चतुर्दशी व्रत क्या है? (Anant chaturdashi Vrat kya hai?)

अनंत चतुर्दशी व्रत (Anant Chaturdashi Vrat) हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो विशेष रूप से गणेश चतुर्थी के समाप्ति के बाद मनाया जाता है। यह व्रत हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को किया जाता है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के अनंत स्वरूप की पूजा करते हैं और उनकी विशेष आराधना करते हैं। व्रति इस दिन अनंत के 14 गांठों वाले डोरे को अपनी कलाई पर बांधते हैं और व्रत के नियमों का पालन करते हैं। यह व्रत कठिनाइयों से उबरने और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाता है। 

2024 में, अनंत चतुर्दशी व्रत 17 सितंबर को मनाया जाएगा। इस अवसर पर विशेष पूजा, व्रत और अनंत भगवान की भक्ति के माध्यम से भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति की जाती है।

अनंत चतुर्दशी व्रत कथा (Anant Chaturdashi Vrat Katha)

अनंत चतुर्दशी की कथा (Anant Chaturdashi Vrat Katha) भारतीय पौराणिक कथाओं की एक अद्वितीय और प्रेरणादायक गाथा है, जो हमें जीवन की कठिनाइयों का सामना करने के सच्चे मार्ग को दर्शाती है। यह कथा महाभारत के युग की है, जब महाराज युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ का भव्य आयोजन किया। इस यज्ञ का मंडप इतना अद्भुत और भव्य था कि वह जल और स्थल का अद्भुत सम्मिलन प्रतीत हो रहा था। यह दृश्य देखकर दुर्योधन जल कुण्ड में गिर पड़ा और उसकी इस स्थिति पर द्रौपदी ने ठहाके लगाए, जिससे दुर्योधन को अत्यंत अपमानित और चोटिल महसूस हुआ। इस अपमान से भरकर, दुर्योधन ने युधिष्ठिर को जुए के खेल में बुलाया और छल-प्रपंच से पांडवों को 12 वर्षों के वनवास पर भेज दिया।

वनवास के दौरान पांडवों को अनगिनत कष्टों का सामना करना पड़ा। एक दिन भगवान कृष्ण उनके पास आए और युधिष्ठिर की समस्याओं को सुना। युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि इस संकट से उबरने का कोई उपाय है क्या। भगवान कृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी, और बताया कि इस व्रत के पालन से खोया हुआ राज्य पुनः प्राप्त किया जा सकता है। 

कृष्ण ने युधिष्ठिर को एक प्राचीन कथा सुनाई जिसमें एक ब्राह्मण और उसकी कन्या सुशीला का उल्लेख था। सुशीला का विवाह कौण्डिनय ऋषि से हुआ था। यात्रा के दौरान, रात के समय उन्होंने नदी के किनारे विश्राम किया। सुशीला ने अनंत व्रत के महत्व को सुना और 14 गांठों वाला डोरा अपने हाथ में बांध लिया। लेकिन कौण्डिनय ऋषि ने सुशीला की इस क्रिया को नकारते हुए डोरे को आग में डाल दिया। इसके परिणामस्वरूप भगवान अनंत का अपमान हुआ और ऋषि की सारी संपत्ति नष्ट हो गई। पश्चाताप में डूबे ऋषि अनंत भगवान की खोज में वन में भटकते रहे और अंततः बेहोश हो गए। भगवान अनंत ने उन्हें दर्शन दिए और बताया कि उनके कष्टों का कारण अनंत भगवान का अपमान था। साथ ही, उन्हें निर्देशित किया कि 14 वर्षों तक विधिपूर्वक व्रत का पालन करें। ऋषि ने वैसा ही किया और उनकी सभी समस्याएँ दूर हो गईं, अंततः उन्हें मोक्ष की प्राप्ति भी हुई।

श्री कृष्ण की इस प्रेरणादायक कथा से प्रभावित होकर, युधिष्ठिर ने अनंत भगवान का व्रत किया। इसके परिणामस्वरूप, पांडवों को महाभारत के युद्ध में विजय प्राप्त हुई और उनका खोया हुआ राज्य पुनः प्राप्त हुआ। इस प्रकार, अनंत चतुर्दशी का व्रत न केवल जीवन की कठिनाइयों से उबरने का एक सशक्त उपाय प्रस्तुत करता है, बल्कि धार्मिक विश्वास और पूर्ण समर्पण के महत्व को भी प्रकट करता है।

अनंत चतुर्दशी व्रत कथा पीडीएफ (Anant Chaturdashi Vrat Katha PDF)

अनंत चतुर्दशी व्रत कथा PDF Download

इस विशेष लेख में हम आपसे अनंत चतुर्दशी व्रत कथा (Anant Chaturdashi Vrat Katha) का एक पीडीएफ के जरिए साझा कर रहे हैं, इस विशेष पीडीएफ को डाउनलोड करने के बाद आप अनंत चतुर्दशी व्रत कथा को सरलता एवं श्रद्धा पूर्वक पढ़ सकेंगे।

Conclusion:-Anant Chaturdashi Vrat Katha

हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (अनंत चतुर्दशी व्रत कथा) यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद

FAQ’s

Q. अनंत चतुर्दशी व्रत कब मनाया जाता है?

Ans. अनंत चतुर्दशी व्रत हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है।

Q. अनंत चतुर्दशी क्या है?

Ans.अनंत चतुर्दशी भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा के लिए समर्पित होता है। इस दिन, भक्त भगवान विष्णु की पूजा करके अनंत व्रत रखते हैं, जिससे उन्हें सुख-समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Q. अनंत चतुर्दशी का महत्व क्या है?

Ans.अनंत चतुर्दशी का धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्व है। इस दिन व्रत रखने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और भक्त को भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है। यह त्योहार गणेश चतुर्थी के उत्सव का समापन भी दर्शाता है, जब भगवान गणेश की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है।

Q. अनंत व्रत कैसे किया जाता है?

Ans.अनंत चतुर्दशी के दिन, भक्त स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। पूजा के दौरान 14 गांठों वाला एक पवित्र धागा जिसे अनंत सूत्र कहा जाता है, पुरुष अपनी कलाई पर और महिलाएं अपने गले में बांधती हैं। यह धागा 14 वर्षों के व्रत का प्रतीक होता है। इसके बाद, भक्त अनंत चतुर्दशी व्रत कथा का पाठ करते हैं और पूरे दिन उपवास रखते हैं।

Q. 2024 में अनंत चतुर्दशी व्रत कब होगा?

Ans. 2024 में अनंत चतुर्दशी व्रत 17 सितंबर को मनाया जाएगा।

Q. अनंत चतुर्दशी व्रत का मुख्य उद्देश्य क्या है?

Ans. इस व्रत का मुख्य उद्देश्य जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करना और कठिनाइयों से उबरना है।