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Apara Ekadashi Vrat Katha PDF Download । अपरा एकादशी व्रत कथा: क्या है अपरा एकादशी कथा? यहां जाने व्रत महत्व, निमय,महत्व,फायदे आदि

Apara Ekadashi Katha
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Apara Ekadashi Vrat Katha PDF Download । अपरा एकादशी व्रत कथा: हिंदू धर्म में व्रत और त्योहारों का विशेष महत्व है। इन्हीं पवित्र अवसरों में से एक है अपरा एकादशी, जो ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।अपरा एकादशी व्रत का पालन करने से भक्तों को भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। मान्यता है कि इस व्रत को श्रद्धा और विधि-विधान से करने से व्यक्ति को जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है और वह मोक्ष प्राप्त कर सकता है। यह व्रत उन लोगों के लिए विशेष लाभकारी है जो अपने पापों से मुक्ति और आत्म-साक्षात्कार की इच्छा रखते हैं।शास्त्रों में अपरा एकादशी की महिमा का वर्णन मिलता है। कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके प्रभाव से उसे लोक-परलोक में सुख-समृद्धि और यश प्राप्त होता है। हमारे इस लेख में हम आपको डिटेल में अपरा एकादशी के बारे में बताएंगे जैसे कि क्या है अपरा एकादशी,इसका महत्व क्या है, अपरा एकादशी व्रत कथा क्या है,व्रत के नियम और फायदों के बारे में भी आपसे चर्चा करें।

तो चलिए, अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) की इस अद्भुत यात्रा पर निकलते हैं और जानते हैं कि कैसे यह पवित्र दिन हमारे जीवन को प्रकाशमान कर सकता है। आपको यह लेख पढ़ने के बाद अपरा एकादशी व्रत रखने की प्रेरणा जरूर मिलेगी और आप भी इस दिव्य अनुभव का हिस्सा बनना चाहेंगे….

Apara Ekadashi KathaTable Of Content 

S.NOप्रश्न
1क्या है अपरा एकादशी?
2कब है अपरा एकादशी?
3अपरा एकादशी का महत्व
4अपरा एकादशी क्यों मनाई जाती है?
5अपरा एकादशी का इतिहास
6अपरा एकादशी व्रत कथा
7अपरा एकादशी व्रत कथा पीडीएफ

क्या होती है अपरा एकादशी Kya Hai Apara Ekadashi

अपरा एकादशी (Apara Ekadashi), जिसे ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी भी कहा जाता है, हिन्दुओं के लिए एक महत्वपूर्ण दिन होता है, जिस पर वे उपवास रखते हैं। यह दिन समृद्धि प्राप्त करने का और भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा करने का एक शुभ दिन माना जाता है। इस व्रत का पालन करने वालों को धन और समृद्धि मिलती है। इसे हिन्दी मास ज्येष्ठ के कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि पर मनाया जाता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के मई या जून महीने में होता है। व्रत का आरंभ पूर्व दिन की संध्या से होता है और एकादशी तिथि समाप्त होने तक चलता है।

अपरा एकादशी कब है । Apara Ekadashi Kab Hai

अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) जिसे जलक्रीड़ा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू पंचांग के अनुसार 2024 में 2 और 3 जून को मनाया जाएगा। इस व्रत की शुरुआत 2 जून को सुबह 05:04 बजे होगी, और 3 जून को सुबह 08:05 बजे समाप्त होगी। इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा की जाती है, और मान्यता है कि इस व्रत का पालन करने से अनंत धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। व्रत का पारण वैष्णव सम्प्रदाय के लिए 4 जून को सुबह 05:05 से 08:10 तक होगा।

अपरा एकादशी का महत्व । Apara Ekadashi Significance

  • पापों से मुक्ति और भक्ति की प्राप्ति: अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) व्रत को श्रद्धा और निष्ठा के साथ करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत को करने से जीवन के सभी कष्टों और पापों से मुक्ति मिलती है। भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना, कथा श्रवण और जप-ध्यान करने से भक्ति की भावना प्रबल होती है और ईश्वर के प्रति समर्पण बढ़ता है।
  • समृद्धि और खुशहाली की प्राप्ति: ‘अपरा’ शब्द का अर्थ है ‘अनंत’ या ‘असीमित’, जो इस व्रत को करने से मिलने वाले अपार लाभों और आशीर्वादों का संकेत देता है। अपरा एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को धन-संपत्ति, यश-कीर्ति और जीवन में सफलता प्राप्त होती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और खुशहाली आती है। साथ ही ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान-दक्षिणा देने से पुण्य का लाभ मिलता है।

अतः अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) व्रत को भक्ति और श्रद्धा के साथ करने से मोक्ष और भौतिक सुख-समृद्धि, दोनों की प्राप्ति होती है। यह व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है।

अपरा एकादशी क्यों मनाई जाती है Kyun Manai Jati Hai Apara Ekadashi)

अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष एकादशी को मनाई जाती है। यह व्रत भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को समर्पित है और इसका पालन करने से अनंत पुण्य और आशीर्वाद मिलने का विश्वास है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस व्रत को करने से पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। भक्त प्रातः काल उठकर स्नान-ध्यान के बाद भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा करते हैं, पीले वस्त्र अर्पित करते हैं। दिन भर विष्णु सहस्रनाम और अन्य पवित्र ग्रंथों का पाठ करते हैं। अनाज, दाल और कुछ सब्जियों का त्याग करते हैं। अपरा एकादशी का व्रत आध्यात्मिक और भौतिक लाभ देने वाला माना जाता है।

अपरा एकादशी व्रत कथा Apara Ekadashi Vrat Katha

अपरा एकादशी (Apara Ekadashi), जिसे अचला एकादशी भी कहा जाता है, हिंदू कैलेंडर के ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है और इसका नाम “अपरा” का अर्थ है “अनंत देने वाली”, जो इस व्रत को मानने से प्राप्त होने वाले अपार आशीर्वाद और लाभों को दर्शाता है।

अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) की कथा दो भाइयों, महिध्वज और वज्र ध्वज के इर्द-गिर्द घूमती है, जो क्रमशः धर्म और अधर्म के प्रतीक थे। महिध्वज एक सदाचारी राजा थे, जबकि वज्रध्वज एक क्रूर, अनैतिक और ईर्ष्यालु व्यक्ति थे जो अपने भाई से द्वेष रखते थे। एक दिन, वज्रध्वज ने अपने भाई की हत्या कर दी और उनके शव को एक पीपल के पेड़ के पास जंगल में छोड़ दिया। राजा महिध्वज की आत्मा भूत का रूप ले लिया और उस क्षेत्र में लोगों में भय और अशांति पैदा करने लगी। एक रात, ऋषि धौम्य उस भूतिया क्षेत्र से गुजरे और भूतिया राजा की उपस्थिति को महसूस किया। अपनी आध्यात्मिक दृष्टि और शक्तियों का उपयोग करके, उन्होंने पूरी स्थिति को समझा और मृत राजा की मदद करने का निर्णय लिया। उन्होंने भूत को आमंत्रित करने के लिए एक अनुष्ठान किया और फिर उन्हें मोक्ष प्राप्त करने में मदद करने के लिए दिव्य ज्ञान प्रदान किया।

ऋषि धौम्य ने फिर राजा महिध्वज के उद्धार में और मदद करने के लिए अपरा एकादशी व्रत करने का निर्णय लिया। व्रत पूरा करने के बाद, उन्होंने अर्जित पुण्य (पुण्य) को भूतिया राजा को स्थानांतरित कर दिया, जिन्हें फिर अपने प्रेत (भूत) रूप से मुक्त कर दिया गया और एक दिव्य शरीर प्राप्त हुआ। उन्होंने ऋषि का धन्यवाद किया और एक दिव्य रथ में स्वर्ग के लिए प्रस्थान किया।

अपरा एकादशी व्रत कथा पीडीएफ Apara Ekadashi Vrat Katha PDF

अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) के व्रत से संबंधित यह विशेष पीडीएफ हम आपसे साझा कर रहे हैं, इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड (Download) करके आप अपरा एकादशी की कथा को कभी भी पढ़ सकते हैं।

अपरा एकादशी व्रत कथा PDF Download | View Katha

अपरा एकादशी व्रत नियम । Apara Ekadashi Vrat Niyam

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े धारण करें।
  • भगवान विष्णु और लड्डू गोपाल जी की विधिवत पूजा करें।
  • भगवान विष्णु को पीले वस्त्र, केले, आम, पीले फूल और पीला चंदन अर्पित करें।
  • तुलसी पत्र, पंजीरी, पंचामृत, फल, और सूखे मेवे का भोग लगाएं।
  • भगवान विष्णु के किसी मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • पूजा के पश्चात भगवान विष्णु की आरती करें।
  • व्रत का पारण केवल सात्विक भोजन से करें।
  • व्रत के दौरान तामसिक चीज़ों का सेवन न करें।
  • तले-भुने और तामसिक खाद्य पदार्थों से व्रत का पारण न करें।
  • व्रत के दिन छल-कपट, बुराई और झूठ से बचें।
  • इस दिन चावल का सेवन करना वर्जित होता है।
  • व्रत का समापन (पारण) अगले दिन द्वादशी को करें।
  • व्रत के दौरान उपवास में खाए जाने वाले खाद्य पदार्थ जैसे साबूदाना, शकरकंद, सिंघाड़ा आदि ग्रहण कर सकते हैं।
  • रात में व्रत खोलते समय सात्विक और हल्का भोजन करें।
  • ध्यान रखें, व्रत के दिन घर में चावल का उपयोग न करें।

अपरा एकादशी व्रत फायदे । Apara Ekadashi Vrat Benefits

हिंदू धर्म में अपरा एकादशी व्रत को अत्यधिक फलदायी और शुभ माना गया है। इसे करने से भक्त को अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं, जो इस प्रकार हैं:

  1. भय से मुक्ति:
    यह व्रत सभी प्रकार के भय से रक्षा करता है। मान्यता है कि इसे करने से व्यक्ति को जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
  2. सफलता और विजय:
    अपरा एकादशी व्रत सभी कार्यों में सफलता दिलाने वाला माना जाता है। इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ करने पर जीवन के सभी क्षेत्रों में विजय प्राप्त होती है।
  3. पुण्य की प्राप्ति:
    इस व्रत को करने से उतना ही पुण्य प्राप्त होता है जितना कि 100 यज्ञों के आयोजन से मिलता है। यह पुण्य व्यक्ति के जीवन को शुद्ध और समृद्ध बनाता है।
  4. पूर्वजों के लिए पुण्य:
    इस व्रत का पुण्य पितरों को भी प्राप्त होता है। इसे करने से उतना पुण्य मिलता है जितना कि गंगा तट पर पिंड दान करने से होता है। यह पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करता है।
  5. पापों से मुक्ति:
    अपरा एकादशी व्रत सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाने वाला माना गया है। इसमें ब्रह्म हत्या, प्रेत योनि, और झूठ बोलने जैसे बड़े पापों का नाश करने की शक्ति है।
  6. रोग और ऋण से छुटकारा:
    यह व्रत व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की बीमारियों और ऋणों से मुक्त करता है। इसके प्रभाव से जीवन में आने वाली समस्याओं का निवारण होता है।
  7. मोक्ष प्राप्ति:
    अपरा एकादशी व्रत मोक्ष का द्वार खोलता है। इसे करने से आत्मा शुद्ध होती है और भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति मोक्ष प्राप्त करता है।
  8. धन और समृद्धि:
    यह व्रत धन और समृद्धि प्रदान करता है। इसे करने से घर में सुख-शांति और वैभव का संचार होता है।
  9. मानसिक शांति:
    व्रत के दौरान भगवान विष्णु का स्मरण करने से मानसिक शांति और आत्मिक संतोष प्राप्त होता है।
  10. यश और प्रसिद्धि:
    अपरा एकादशी व्रत व्यक्ति को समाज में सम्मान और प्रसिद्धि दिलाने वाला माना जाता है। इसे करने वाले को लोक-परलोक में यश प्राप्त होता है।

अपरा एकादशी का व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भक्त के जीवन को सकारात्मक और समृद्ध बनाने का अद्भुत माध्यम है।

Conclusion

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अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) का व्रत आध्यात्मिक शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति का द्वार खोलता है। इस व्रत को विधि-विधानपूर्वक रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। अपरा एकादशी से संबंधित यह लेखक अगर आपको पसंद आया हो तो हमारे अन्य सभी व्रत से संबंधित लेख भी जरूर पढ़िए, और हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर भी रोजाना विजिट करें।

FAQ’s

Q. भगवान विष्णु कौन हैं?

Ans. भगवान विष्णु हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं और उन्हें ब्रह्मांड के संरक्षक के रूप में जाना जाता है।

Q. अपरा एकादशी का महत्व क्या है?

Ans. अपरा एकादशी का पालन करने से मान्यता है कि सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और भक्त को मोक्ष प्राप्त होता है।

Q. महीद्वाज कौन थे?

Ans. महीद्वाज एक धार्मिक और दयालु राजा थे, जिन्होंने भगवान विष्णु की भक्ति की थी।

Q.वज्रध्वज कौन थे?

Ans. वज्रध्वज महीद्वाज के छोटे भाई थे, जो बुरे थे और अपने भाई को मारकर राज्य प्राप्त करना चाहते थे।

Q. महीद्वाज की मृत्यु के बाद उनकी आत्मा का क्या हुआ?

Ans. महीद्वाज की असामयिक मृत्यु के कारण, उनकी आत्मा मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकी और एक पीपल के पेड़ के नीचे फंस गई।

Q. संत ने महीद्वाज की आत्मा की मदद कैसे की?

Ans. संत ने अपरा एकादशी व्रत का पालन किया और महीद्वाज की आत्मा पर सभी गुणों को न्योछावर किया, जिससे उसे मोक्ष मिला।