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भौम प्रदोष व्रत कथा सुनने मात्र से होते है ये चमत्कार

Bhaum Pradosh Vrat katha
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Bhaum Pradosh Vrat katha: भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) – एक ऐसा व्रत जो भक्तों को भगवान शिव और हनुमान जी के आशीर्वाद से नवाजता है। यह व्रत हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है, लेकिन जब यह तिथि मंगलवार के दिन पड़ती है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन को भौम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है।

क्या आप जानना चाहते हैं कि भौम प्रदोष व्रत क्यों किया जाता है? क्या इस व्रत से जुड़ी कोई प्राचीन कथा है? क्या इस व्रत को करने से हमारे जीवन में सुख-समृद्धि आती है? अगर हां, तो आपको यह लेख जरूर पढ़ना चाहिए। इस लेख में हम आपको भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) से जुड़ी एक रोचक कथा सुनाएंगे, जो एक वृद्ध महिला की अटूट श्रद्धा और भक्ति को दर्शाती है। साथ ही, हम आपको बताएंगे कि इस व्रत को करने से क्या-क्या लाभ मिलते हैं और इसे किस विधि से किया जाता है। तो चलिए, गोता लगाते हैं भौम प्रदोष व्रत की अनोखी दुनिया में और जानते हैं इस व्रत के पीछे छिपे रहस्यों के बारे में। 

पढ़िए यह लेख अंत तक और पाइए भौम प्रदोष व्रत से जुड़ी सारी जानकारी एक ही जगह पर….

Table Of Content 

S.NOप्रश्न 
1क्या है भौम प्रदोष व्रत
2कब है भौम प्रदोष व्रत
3भौम प्रदोष व्रत का महत्व
4भौम प्रदोष व्रत क्यों मनाया जाता है
5भौम प्रदोष व्रत का इतिहास
6भौम प्रदोष व्रत कथा
7भौम प्रदोष व्रत कथा पीडीएफ

क्या है, भौम प्रदोष व्रत? (Kya Hai Bhaum Pradosh Vrat)

भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat), जिसे मंगल प्रदोष व्रत भी कहा जाता है, वह चंद्रमा की बढ़ती या घटती अवस्था के तेरहवें दिन को मंगलवार को मनाया जाता है। यह व्रत भगवान शिव (Lord Shiva), पार्वती और हनुमान (Lord Hanuman) की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इसका पालन करने से विश्वास किया जाता है कि व्यक्ति को हजारों यज्ञों का पुण्य, समृद्धि और संतान प्राप्त होती है। व्रत करने के लिए, व्यक्ति को सुबह जल्दी नहाना, शाकाहारी आहार लेना, और भगवान हनुमान और शिव की उपासना करनी होती है।

कब है,भौम प्रदोष व्रत? (Kab hai Bhaum Pradosh Vrat)

भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat), जिसका अर्थ है मंगल की संध्या, 2024 में 4 जून को मनाया जाएगा। यह व्रत हिन्दू कैलेंडर के ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी पर पड़ता है। पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 7:16 से 9:18 तक होगा। इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करके व्रती धनी और सुखी बनते हैं।

भौम प्रदोष व्रत का महत्व (Bhaum Pradosh Vrat Significance)

भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) का महत्व दो मुख्य बिन्दुओं में इस प्रकार है:

भौतिक और आध्यात्मिक सुख-सौभाग्य की प्राप्ति: भौम प्रदोष व्रत मंगलवार को किया जाता है जो मंगल ग्रह का दिन माना जाता है। इस दिन भगवान शिव और हनुमान जी की पूजा करने से मान्यता है कि भौतिक सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। जो लोग इस व्रत को करते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं, उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन्हें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

बाधाओं और नकारात्मक ऊर्जा का निवारण: भौम प्रदोष व्रत को जीवन से सभी बाधाओं और नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करने और आस-पास के वातावरण को शुद्ध करने की शक्ति रखने वाला माना जाता है। जिन लोगों की कुंडली में मंगल दोष होता है, उनके लिए भगवान शिव की पूजा करना और यह व्रत करना मंगल के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए अनुशंसित है। इसके अलावा, इस व्रत को करने और भगवान शिव को प्रसन्न करने से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति के साथ-साथ अंततः मोक्ष भी मिलता है।

भौम प्रदोष व्रत क्यों मनाया जाता है? (Kyun Manai Jati Hai Bhaum Pradosh Vrat)

भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे भगवान शिव की उपासना के लिए मनाया जाता है। यह व्रत प्रतिमास के तेरहवें दिन अर्थात प्रदोष काल में किया जाता है, और यदि यह मंगलवार को पड़ता है तो इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। इसे मनाने से मान्यता है कि मंगल दोष, ऋण और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का निवारण होता है। यह व्रत भक्ति और निष्ठा की शिक्षा देता है, जैसा कि भौम प्रदोष व्रत कथा में बताया गया है। व्रत के पूरा होने पर, शिवलिंग का अभिषेक और आरती करने से सभी पापों का नाश होता है, और भक्त के जीवन में सफलता और समृद्धि आती है।

भौम प्रदोष व्रत का इतिहास (Bhaum Pradosh Vrat History)

हमारी पुरानी कथाओं में एक ऐसी कथा है कि एक बुढ़िया थी, हनुमानजी के प्रति अटूट श्रद्धा और आस्था थी। उसके पास एक ही पुत्र था, और वह प्रदोष व्रत का पालन करती और भगवान हनुमान (Lord Hanuman) की पूजा करती थी। एक दिन, भगवान हनुमान ने अपने भक्त के विश्वास की परीक्षा करने के लिए एक साधु के रूप में उसके घर की यात्रा की।

जब साधु ने खाने के लिए माँगा, तो वह बुढ़िया उसकी इच्छा को पूरा करने में सहमत हो गई, लेकिन उसने शर्त रखी कि वह उससे कुछ और नहीं माँगेगा। फिर उन साधु जी ने बढ़िया से कहा कि जो भी भोजन तुम मेरे लिए तैयार करोगी वह अपने पुत्र की पीठ पर रखकर तैयार करोगी, यह सब सुनकर बढ़िया अत्यधिक भयभीत हो गई परंतु उसने साधु की इच्छा पूरी करने के लिए अपने पुत्र का बलिदान कर दिया। भोजन के पश्चात साधु ने वृद्ध महिला से कहा कि अपने बेटे को आवाज लगाओ तो बढ़िया फूट-फूट कर रोने लगी और कहने लगी की है साधु महाराज ऐसा मजाक क्यों करते हैं जिससे मुझे पीड़ा हो! लेकिन साधु महाराज के बार-बार कहने पर बुढ़िया ने अपने पुत्र को आवाज़ लगाई और उसका पुत्र हाजिर हो गया। फिर साधु ने अपनी असली पहचान का खुलासा किया, वह कोई और नहीं बल्कि भगवान हनुमान थे, और उन्होंने अपनी भक्त की आस्था और श्रद्धा के लिए उसे आशीर्वाद दिया।

इस कथा से हमें यह सिखने को मिलता है कि अपने वचन का पालन करना और भगवान हनुमान (Lord Hanuman) में आस्था रखना कितना महत्वपूर्ण है। यह माना जाता है कि बुधवार को भौम प्रदोष व्रत का पालन करने और भगवान हनुमान की पूजा करने से जीवन में आशीर्वाद और सकारात्मक ऊर्जा आती है।

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भौम प्रदोष व्रत कथा (Bhaum Pradosh Vrat Vrat katha)

एक नगर में एक वृद्ध महिला रहती थी जो हनुमान जी (Lord Hanuman) की परम भक्त थी। वह प्रत्येक मंगलवार को नियमपूर्वक व्रत रखकर हनुमान जी की आराधना करती थी। एक दिन हनुमान जी ने उसकी भक्ति की परीक्षा लेने का विचार किया। वे साधु का वेश धारण कर उस वृद्धा के घर पहुंचे और भोजन की याचना की। वृद्धा ने उन्हें भोजन देने से पहले जमीन लीपने को कहा परन्तु हनुमान जी ने इनकार कर दिया।

फिर हनुमान जी (Lord Hanuman) ने वृद्धा से कहा कि वे उसके पुत्र की पीठ पर आग जलाकर भोजन पकाएंगे। वृद्धा दुविधा में पड़ गई परन्तु उसने अपने पुत्र को हनुमान जी के हवाले कर दिया। हनुमान जी (Lord Hanuman) ने पुत्र की पीठ पर आग जलाई और भोजन पकाया। भोजन के बाद जब हनुमान जी (Lord Hanuman) ने वृद्धा को पुत्र को बुलाने को कहा तो वह रोने लगी। परन्तु जब उसने पुत्र को पुकारा तो वह जीवित था। यह देख वृद्धा को बहुत आश्चर्य हुआ और वह हनुमान जी के चरणों में गिर पड़ी। तब हनुमान जी ने अपना असली रूप दिखाया और वृद्धा को आशीर्वाद दिया। इस कथा से पता चलता है, कि हनुमान जी अपने भक्तों की हर परीक्षा लेते हैं और अंत में उन्हें आशीर्वाद देते हैं। भौम प्रदोष व्रत हनुमान जी और शिव जी की आराधना का पर्व है जिससे मंगल दोष, ऋण और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।

भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) की कथा भक्ति, श्रद्धा और अनुशासन का प्रतीक है। यह व्रत भगवान शिव की कृपा पाने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का एक शक्तिशाली साधन माना जाता है। इस व्रत को सही विधि-विधान और भक्ति भाव से करने से मानसिक, शारीरिक और आर्थिक कल्याण मिलता है।

भौम प्रदोष व्रत कथा पीडीएफ (Bhaum Pradosh Vrat Vrat katha PDF)

भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) की कथा अत्यंत कल्याणकारी है, और इसे पढ़ने मात्र से ही हनुमान जी और भगवान शिव (Lord Shiva) की कृपा प्राप्त होती है। इस विशेष लेखक के जरिए हम आपसे यह कथा पीडीएफ (PDF) के जरिए साझा कर रहे हैं, अगर आप चाहे तो इस कथा को कभी भी पढ़ सकते हैं।

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Conclusion

भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat), आध्यात्मिक उन्नति और मनोकामना पूर्ति का एक उत्तम माध्यम है। इस व्रत को श्रद्धा और विश्वास के साथ रखने से भगवान शिव और देवी पार्वती की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। से संबंधित यह लेख अगर आपको पसंद आया हो तो और भी प्रमुख व्रत और हिंदू त्योहार से संबंधित लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर रोजाना विजिट करें।

FAQ’s

Q. भौम प्रदोष व्रत क्या है?

Ans. भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है जो प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मंगलवार के दिन मनाया जाता है। इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। भौम प्रदोष व्रत का पालन करने से भक्तों को भगवान शिव का आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होती है।

Q. भौम प्रदोष व्रत का महत्व क्या है?

Ans. भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) का बहुत महत्व माना जाता है। इस व्रत को करने से भक्तों को भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद मिलता है। इस व्रत के पालन से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, इस व्रत को करने से भक्तों को धन, यश, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

Q. भौम प्रदोष व्रत कब किया जाता है?

Ans. भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मंगलवार के दिन किया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, जब त्रयोदशी तिथि दिन या रात में मंगलवार को पड़ती है, तो उस दिन भौम प्रदोष व्रत का पालन किया जाता है। एक वर्ष में लगभग 24 भौम प्रदोष व्रत आते हैं।

Q. भौम प्रदोष व्रत में क्या पूजा की जाती है?

Ans. भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) में भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद और बेलपत्र चढ़ाया जाता है। भक्त शिव मंदिर जाकर रुद्राभिषेक और महामृत्युंजय जाप करते हैं। साथ ही, भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखा जाता है और रात्रि जागरण किया जाता है।

Q. भौम प्रदोष व्रत के दिन क्या दान करना चाहिए?

Ans. भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न प्रकार के दान किए जाते हैं। इस दिन गेहूं, चना, तिल, वस्त्र और भोजन का दान करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा, गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराना और दान देना भी इस व्रत का महत्वपूर्ण अंग है। दान देने से भक्तों को पुण्य की प्राप्ति होती है।

Q. भौम प्रदोष व्रत के दिन क्या खाना चाहिए?

Ans. भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) के दिन सात्विक और फलाहारी भोजन करना चाहिए। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और एक समय भोजन ग्रहण करते हैं। व्रत के दौरान नमक, मसाले और तले हुए पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। व्रत के पश्चात फल, सूखे मेवे, दूध और मीठे व्यंजनों का सेवन किया जा सकता है। कुछ लोग इस दिन उपवास भी रखते हैं।