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करवा चौथ व्रत कथा । karva Chauth Vrat katha PDF Download: कब और क्यों मनाया जाता है सुहागन स्त्रियों की आस्था का ये पर्व,इस लेख में जाने पूजा विधि,महत्व,इतिहास आदि

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करवा चौथ व्रत कथा।karva Chauth Vrat katha: करवा चौथ विवाहित महिलाओं के बीच बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम, विश्वास और समर्पण का प्रतीक है। इस दिन महिलाएं ‘निर्जला’ व्रत रखती हैं, जिसका अर्थ है ऐसा उपवास जिसमें सूर्योदय से चंद्रोदय तक अन्न और पानी ग्रहण नहीं किया जाता। इस व्रत को रखने का उद्देश्य अपने पति की लंबी उम्र, स्वस्थ जीवन और सुख-समृद्धि की कामना करना है। आधुनिक समय में, कई पति भी अपनी पत्नियों के प्रति प्रेम और सहयोग व्यक्त करने के लिए यह व्रत रखते हैं।
करवा चौथ का आयोजन पारंपरिक रीति-रिवाजों और धार्मिक विधियों के साथ किया जाता है। महिलाएं इस दिन सोलह श्रृंगार करती हैं और शाम के समय करवा चौथ की कथा सुनती हैं। यह कथा देवी पार्वती और भगवान शिव के पवित्र प्रेम की कहानी है, जिसमें सती स्त्रियों की आस्था और समर्पण को दर्शाया गया है। चंद्रोदय के बाद महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देकर और अपने पति के हाथों पानी ग्रहण करके व्रत तोड़ती हैं। करवा चौथ का महत्व पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने और परस्पर प्रेम व समर्पण को बढ़ाने में निहित है। यह दिन परिवार और समाज में महिला के त्याग और प्रेम का प्रतीक है। इसलिए यह त्योहार महिलाओं और उनके परिवारों के लिए विशेष खुशी और गर्व का अवसर होता है।आज के इस लेख के जरिए हम आपको बताएंगे की करवा चौथ का व्रत कैसे मनाया जाता है, करवा चौथ व्रत की कथा क्या है| साथ ही हम आपको बताएंगे कि 2024 में करवा चौथ किस दिन मनाया जाएगा? और हम आपको करवा चौथ का महत्व भी समझाएंगे, इसीलिए हमारे इस लेखक को अंत तक जरूर पढ़िए ।

टॉपिक करवा चौथ व्रत कथा । karva Chauth Vrat katha
लेख प्रकार आर्टिकल 
चतुर्थी तिथि प्रारंभ20 अक्टूबर को सुबह 6:46 बजे से
चतुर्थी तिथि समापन21 अक्टूबर की सुबह 4:16 पर
करवाचौथ 2024 पर चांद निकलने का समयरात 7:54 बजे
करवाचौथ 2024 व्रत की अवधि13 घंटे और 29 मिनट
करवा चौथ व्रत का पूजा मुहूर्तशाम 5:46 से 7:54 तक
करवा चौथ व्रत का पूजा अवधिएक घंटा और 16 मिनट

करवा चौथ क्यों माना जाता है? (Karva Chauth kyon Manaya Jata Hai?)

करवा चौथ (Karva Chauth) का पर्व महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन की कामना के रूप में मनाया जाता है। यह व्रत एक धार्मिक क्रिया से कहीं अधिक है—यह पति-पत्नी के बीच अडिग प्रेम, विश्वास और समर्पण का प्रतीक बनता है। करवा चौथ हमें यह सिखाता है कि सच्चे प्रेम का अर्थ केवल आकर्षण नहीं, बल्कि उसमें त्याग, समर्पण और तपस्या की महिमा भी छिपी होती है। यह दिन न सिर्फ एक अनुष्ठान है, बल्कि रिश्तों को और भी मजबूत बनाने का अवसर भी है।

करवा चौथ इतिहास ।Karva Chauth History

करवाचौथ (Karva Chauth) का इतिहास एक दिलचस्प और प्रेरणादायक कथा है, जो प्रेम और संकल्प की महत्ता को दर्शाती है। शाकप्रस्थपुर के एक वेदधर्मा ब्राह्मण की पुत्री वीरवती ने अपने पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना के लिए करकचतुर्थी का व्रत रखा। व्रत का नियम था कि चंद्रमा के उदय के बाद ही भोजन करना है। लेकिन वीरवती की भूख इतनी प्रबल हुई कि वह व्याकुल हो गई। उसका भाई, जो उसकी कठिनाई देख रहा था, एक चतुर उपाय सोचता है। उसने पीपल के पेड़ के नीचे महताब (आतिशबाजी) की रोशनी से चंद्रमा का प्रकाश दिखाया, और वीरवती ने चंद्रमा के दर्शन कर भोजन किया। इस छल से भोजन तो हो गया, लेकिन इसका एक गंभीर परिणाम सामने आया। वीरवती के पति की अचानक मृत्यु हो गई। बाद में वीरवती ने हर चतुर्थी को लगातार बारह महीने तक यह व्रत किया, ताकि उसे पुनः अपने पति की प्राप्ति हो सके। अंततः उसकी तपस्या और संकल्प ने फल दिया और उसका पति वापस जीवित हो गया। इस प्रकार, करवा चौथ का यह व्रत न केवल व्रति के दृढ़ निश्चय का प्रतीक है, बल्कि यह पति-पत्नी के रिश्ते में विश्वास और प्रेम को भी मजबूत करता है।

करवा चौथ कब से और क्यों मनाया जाता है । Karwa Chauth Kab se Aur Kyun Manaya jata hai

हिंदू कैलेंडर (Hindu Calendar) के अनुसार, करवा चौथ कार्तिक माह (Kartik Month) में पूर्णिमा (full moon) के बाद चौथे दिन मनाया जाता है। इस दिन, विवाहित महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं (अधिमानतः लाल जो एक खुशहाल विवाहित जीवन Married life का प्रतीक है) और उत्सव के हिस्से के रूप में अपने हाथों पर मेहंदी लगाती हैं। इस व्रत को रखने वाली महिलाएं इस दिन एकत्रित होती हैं और लोक कथा सुनाकर, करवा चौथ व्रत कथा पढ़कर और लोक गीत गाकर इसे मनाती हैं – ये सभी इसे एक जीवंत त्योहार बनाते हैं। करवा चौथ पूजा में महिलाएं देवी पार्वती के बाद भगवान शिव (Lord Shiva), भगवान गणेश (Lord Ganesh) और भगवान कार्तिकेय ( Lord Kartikeya) की भी पूजा करती हैं। बाद में चंद्रमा के दर्शन के बाद व्रत खोला जाता है ।

2024 में कब है करवा चौथ । karva chauth date 2024

अगर हिंदू पंचांग की माने तो इस साल यानी की 2024 में कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 20 अक्टूबर 2024 को सुबह 6:46 पर होगा और अगले दिन 21 अक्टूबर 2024 को सुबह 4:16 पर समाप्त होगा आपको बता दे की इसी अवधि (Time) के बीच महिलाएं करवा चौथ का पावन पर्व मनायेंगी । 

करवाचौथ 2024 व्रत की अवधि 13 घंटे और 29 मिनट की रहेगी। करवाचौथ 2024 पर चांद निकलने का समय रात 7:54 बजे का है।

करवा चौथ व्रत कथा। Karva Chauth Katha

इस त्यौहार को मनाने के पीछे कई कहानियाँ और किंवदंतियाँ हैं। उनमें से कुछ यहां हैं:

1- रानी वीरवती की कहानी

बहुत समय पहले इंद्रप्रस्थपुर नगर (Indraprastha Pur Nagar) में वेदशर्मा (Ved Sharma) नाम का एक ब्राह्मण (Brahmin) रहता था। वेदशर्मा ने लीलावती से खुशी-खुशी शादी कर ली थी और उनके सात महान बेटे और वीरावती (Veeravati) नाम की एक चतुर बेटी थी। सात भाइयों की इकलौती बहन होने के कारण वह न केवल अपने माता-पिता, बल्कि अपने भाइयों की भी लाडली थी।

जब वह परिपक्व हो गई, तो उसकी शादी एक उपयुक्त ब्राह्मण लड़के से कर दी गई। शादी के बाद जब वीरावती अपने माता-पिता के साथ थी तो उसने अपनी भाभियों के साथ मिलकर अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखा। करवा चौथ के व्रत के दौरान वीरावती को भूख सहन नहीं हुई. कमजोरी के कारण वह बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ी।

सभी भाई अपनी प्यारी बहन की दयनीय स्थिति को सहन नहीं कर सके। वे जानते थे कि पतिव्रता (Fidelity To Husband) वीरावती चंद्रमा देखे बिना भोजन नहीं करेगी, भले ही इसके लिए उसकी जान ही क्यों न चली जाए। सभी भाइयों ने मिलकर बहन को व्रत खुलवाने के लिए छल करने की योजना बनाई। एक भाई चलनी और दीपक लेकर दूर वट के पेड़ पर चढ़ गया. जब वीरावती को होश आया तो उसके भाइयों ने उसे बताया कि चंद्रमा निकल आया है और वे उसे चंद्रमा देखने के लिए छत पर लेकर आ गए ।

वीरावती ने दूर वट वृक्ष (Banyan Tree) पर छलनी के पीछे दीपक देखा और उसे विश्वास हो गया कि वृक्ष की ओट में चंद्रमा उग आया है। अपनी भूख मिटाने के लिए उसने तुरंत दीपक को प्रसाद दिया और व्रत तोड़ दिया।

जब वीरावती भोजन करने लगी तो उसे तरह-तरह के अपशकुन (Bad Omen)  मिलने लगे। पहले निवाले में उसे बाल मिले, दूसरे निवाले में उसे छींक आई और तीसरे निवाले में उसे अपने ससुराल वालों से निमंत्रण मिला। पति के घर पहुंचने पर पहली बार उसे अपने पति का शव मिला।

अपने पति के शव को देखकर वीरावती रोने लगी और करवा चौथ के व्रत के दौरान कुछ गलती करने के लिए खुद को दोषी ठहराया। वह दुःखी होकर विलाप करने लगी। उसका विलाप सुनकर देवराज इंद्र की पत्नी देवी इंद्राणी वीरावती को सांत्वना देने पहुंचीं।

वीरावती ने इंद्राणी से पूछा कि करवा चौथ के दिन उसके साथ ऐसा दुर्भाग्य क्यों हुआ , और उसने अपने पति को जीवित करने की भीख मांगी। वीरावती के पश्चाताप को देखकर, देवी इंद्राणी ने उससे कहा कि उसने चंद्रमा को अर्घ दिए बिना व्रत तोड़ दिया है और इसके कारण उसके पति की अकाल मृत्यु हो गई। इंद्राणी ने वीरावती को करवा चौथ के व्रत सहित पूरे वर्ष हर महीने चौथ का व्रत करने की सलाह दी और आश्वासन (Assurance) दिया कि उसका पति जीवित वापस आ जाएगा।

इसके बाद वीरावती ने पूरे विश्वास और पूरे विधि-विधान से मासिक व्रत रखा। अंततः इस व्रत के पुण्य से वीरावती को उसका पति वापस मिल गया।

2- महाभारत की कहानी

अपने पति की सलामती के लिए व्रत रखने के पीछे एक और किंवदंती महाभारत (Mahabharata) काल से चली आ रही है। ऐसा माना जाता है कि द्रौपदी (Draupadi) ने भी अपने पतियों की सुरक्षा और लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखा था। कहानी: जब अर्जुन (Arjun) नीलगिरी में तपस्या के लिए गए थे, तो उनकी अनुपस्थिति में बाकी पांडवों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। तभी द्रौपदी ने मदद के लिए भगवान कृष्ण (Lord Krishna) को याद किया, जिन्होंने उसे याद दिलाया कि पहले भी इसी तरह की स्थिति में देवी पार्वती (Goddess Parvati) ने भगवान शिव (Lord Shiva) के लिए व्रत रखा था। इसी से प्रेरित होकर द्रौपदी भी अपने पतियों के लिए पूरे विधि-विधान से करवा चौथ का व्रत रखती हैं। और परिणामस्वरूप, पांडव अपनी समस्याओं का सामना करने और उन पर काबू पाने में सक्षम हो पाते हैं ।

3- करवा चौथ की कहानी

पौराणिक कथाओं में एक और लोकप्रिय कहानी करवा (karva Chauth Vrat katha)  नाम की एक महिला की थी जो एक समर्पित पत्नी थी। कथा: एक बार नदी में स्नान करते समय करवा के पति को मगरमच्छ (crocodile) ने पकड़ लिया। उसे बचाने के लिए करवा ने मगरमच्छ को सूती धागे से बांध दिया और मृत्यु के देवता ( God of death) यम से जानवर को नरक भेजने के लिए कहा। जब यम ने इनकार कर दिया, तो उसने उसे अपने शाप से नष्ट करने की धमकी दी। तब भयभीत यम ने मगरमच्छ को नरक भेज दिया और करवा के पति को लंबी आयु का आशीर्वाद दिया। और इस तरह, करवा और उसका पति एक साथ खुशी से रहने लगे।

करवा चौथ की कहानी PDF Download

प्रदोष व्रत कथा PDF Download

करवा चौथ की कहानी वीडियो में (karwa Chauth ki kahani video mein)

इस विशेष लेख में हम आपसे करवा चौथ (Karva Chauth) की कहानी भी इस वीडियो के जरिए साझा कर रहे हैं, वीडियो देखकर आप करवा चौथ की कहानी सुनने का आनंद ले सकते हैं।

करवा चौथ की पूजा विधि (Karwa Chauth ki Puja Vidhi)

करवा चौथ (Karva Chauth) की पूजा विधि कुछ इस प्रकार निम्नलिखित है:

  1. प्रातःकाल का संकल्प और सरगी का सेवन: करवा चौथ (Karva Chauth) का व्रत ब्रह्म मुहूर्त में जागकर शुरू होता है। महिलाएं स्नान करके देवी-देवताओं को प्रणाम करती हैं और व्रत रखने का संकल्प लेती हैं। सूर्योदय से पहले सरगी का सेवन करना होता है, जिसे सास बहू को देती हैं। इसमें ताजे फल, मेवे और हल्का भोजन होता है, जो पूरे दिन के उपवासी व्रत के लिए शक्ति प्रदान करता है।
  1. पूजा स्थल की तैयारी: पूजा स्थल को संध्याकाल से पहले गेरू से पवित्र किया जाता है। फिर, चावल के आटे से करवा का चित्र फलक पर बनाते हैं। इस चित्र को प्रिंटेड कैलेंडर के रूप में भी तैयार किया जा सकता है। पूजा स्थल को इस प्रकार सजाया जाता है, ताकि वह पवित्र और आकर्षक दिखे।
  1. चौक की स्थापना: पूजा स्थल पर संध्या समय विशेष मुहूर्त में चौक स्थापित किया जाता है। चौक वह स्थान होता है, जहां पूजा की सारी सामग्री रखी जाती है और पूजा का आयोजन होता है। यह स्थान व्रत के समर्पण और श्रद्धा का प्रतीक होता है।
  1. देवताओं की पूजा और स्थापना: पूजा स्थल पर भगवान शिव, माता पार्वती और उनके साथ भगवान गणेश का चित्र या मूर्तियां रखी जाती हैं। यह त्रिदेव की पूजा होती है, जिसमें मां पार्वती को श्रृंगार सामग्री अर्पित की जाती है। साथ ही, पूजा में जल से भरे हुए मिट्टी के करवे की स्थापना भी की जाती है, जो व्रत और पूजा की पूर्णता का प्रतीक होता है।
  1. करवा चौथ की कथा: पूजा के दौरान, महिलाएं करवा चौथ की विशेष कथा सुनती हैं। इस कथा में भगवान शिव (Bhagwan Shiv), माता पार्वती (Mata Parvati), भगवान गणेश (Bhagwan Ganesh) और चंद्र देव की पूजा का महत्व बताया जाता है। कथा के माध्यम से व्रति अपने व्रत को पूर्ण करने के लिए आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।
  1. चंद्र देव की पूजा और अर्घ्य: पूजा में चंद्र देव की विशेष पूजा की जाती है। महिलाएं चंद्रमा का ध्यान करती हैं और उन्हें अर्घ्य अर्पित करती हैं। यह पूजा व्रति के व्रत की समाप्ति का हिस्सा होती है, जिसमें चंद्र देव से आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
  1. चंद्रमा और पति को देखना: पूजा के बाद, महिलाएं छलनी से चंद्रमा को देखती हैं और फिर अपने पति का चेहरा देखती हैं। यह एक विशेष धार्मिक क्रिया है, जो व्रत के संकल्प की पूर्णता का प्रतीक है। अंत में, पति द्वारा पत्नी को पानी पिलाकर व्रत का पारण किया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद, सभी बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त करना न भूलें, ताकि जीवन में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहे।

करवा चौथ का महत्व |Karva Chauth Mahatav

करवा चौथ हिंदू महिलाओं के जीवन में एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन विवाहित महिलाएं एक दिन का व्रत रखती हैं और अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं। त्यौहार की भावना को बढ़ाने के लिए सजे हुए बाज़ार हैं, जहाँ महिलाएँ खरीदारी का आनंद उठाती हैं। करवा चौथ को देवी पार्वती को अर्पित की जाने वाली विभिन्न वस्तुओं और व्रत समाप्त होने से पहले एक बुजुर्ग महिला द्वारा सुनाई जाने वाली एक उपदेशात्मक कहानी के कारण अधिक धार्मिक स्वरूप प्राप्त हुआ है ।

हिंदू पंचांग (Hindu Calendar) के अनुसार, साल 2024 में कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 20 अक्टूबर 2024 को सुबह 6 बजकर 46 मिनट पर होगी और अगले दिन यानी 21 अक्टूबर 2024 को सुबह 4 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगी।

यह भी पढ़े:– 1.करवा चौथ कहानी 2. करवा चौथ आरती 3.करवा चौथ व्रत में क्या खाएं क्या ना खाएं 4. करवा चौथ शुभकामनाएं 5. करवा चौथ सामग्री 6. करवा चौथ शुभ मुहूर्त 7. पहली बार करवा चौथ

Conclusion:-karva Chauth Vrat katha

हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया करवा चौथ पर लेख आपको पंसद आया होगा।यदि आपके मन में किसी तरह के सवाल है तो उन्हें कमेंट बॉक्स में दर्ज करें,हम जल्द से जल्द आपको उत्तर देने का प्रयास करेंगे।आगे भी ऐसे रोमांच से भरे लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर रोज़ाना विज़िट करे,धन्यवाद!

FAQ’S 

Q.करवा चौथ कब मनाया जाता है?

Ans. यह त्योहार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है।

Q. करवा चौथ का क्या महत्व है?

Ansयह त्योहार पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है।

Q. करवा चौथ व्रत का विधान क्या है?

Ans. इस दिन सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लिया जाता है। पूरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।

Q.करवा चौथ का पूजन कैसे किया जाता है?

Ans.इस दिन भगवान शिव, पार्वती, गणेश और कार्तिकेय की पूजा की जाती है। पूजा में फल, फूल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित किए जाते हैं।

Q.करवा चौथ व्रत के क्या लाभ हैं?

Ans.यह व्रत पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास को मजबूत करता है।

Q.करवा चौथ का व्रत क्यों रखा जाता है

Ans.करवा चौथ व्रत के माध्यम से महिलाएं अपने पति के प्रति अपनी निष्ठा, प्रेम और समर्पण को प्रदर्शित करती हैं।