महाशिवरात्रि व्रत कथा । Mahashivratri Vrat katha PDF Download: महाशिवरात्रि व्रत एक प्राचीन हिंदू त्योहार है, जिसे भगवान शिव की श्रद्धा में हर साल बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व हिंदू पंचांग के माघ महीने की 13वीं रात और 14वें दिन आता है। महाशिवरात्रि हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है और इसे दुनिया भर के हिंदू श्रद्धालु हर्षोल्लास से मनाते हैं।
इस पवित्र दिन का महत्व हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकता है। कुछ लोग इसे व्रत, उपवास और प्रार्थना के रूप में मनाते हैं, तो कुछ इसे उत्सव और आनंद के रूप में। लेकिन सभी के लिए यह भगवान शिव, जो विनाश और पुनर्जनन के देवता हैं, के प्रति श्रद्धा और आदर का दिन है।
महाशिवरात्रि के दिन भारत भर के शिव मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है। भक्त भगवान शिव की उपासना करने के लिए दूर-दूर से मंदिरों में आते हैं। इस पर्व को नेपाल में भी बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है, जहां शिव को सर्वोच्च देवता के रूप में पूजा जाता है।
इस लेख में हमने महाशिवरात्रि की कथा और इसके महत्व को साझा किया है। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। महाशिवरात्रि भगवान शिव के प्रति अपनी आस्था और भक्ति को व्यक्त करने का सबसे शुभ अवसर है।
Mahashivratri Vrat Katha Overview
टॉपिक | जानिए महाशिवरात्रि व्रत की कथा, Know The Story of Mahashivratri Fast |
लेख प्रकार | आर्टिकल |
त्योहार | महाशिवरात्रि |
प्रमुख देवता | भगवान शिव |
तिथि | “फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी” |
महत्व | भगवान शिव की पूजा का पर्व |
उत्सव | उपवास, पूजा-अर्चना, अनुष्ठान, भजन-कीर्तन, शिव तांडव नृत्य |
पारण तिथि | 09 मार्च 2024 |
महाशिवरात्रि की कथा । Mahashivratri Vrat Katha
पूर्व काल की बात है चित्रभानु नामक एक शिकारी था। वह शिकार करके अपने परिवार का पालन पोषण करता था। उस शिकारी पर साहूकार का काफी कर्ज था। लेकिन वह उसका कर्ज समय पर नहीं चुका पाया। फिर साहूकार ने शिकारी को शिव मठ में बंदी बना लिया। जिस दिन उसे बंदी बनाया गया उस दिन शिवरात्रि थी। चतुर्दशी के दिन उसने शिवरात्रि व्रत की कथा सुनी और शाम होते ही साहूकार ने उसे अपने पास बुलाया और ऋण चुकाने के बारे में कहा। उसके बाद वह फिर शिकार की खोज में निकला। बंदीगृह में रहने के कारण वह बहुत भूखा था। शिकार की तलाश में वह बहुत दूर निकल आया। अंधेरा होने पर उसने जंगल में ही रात बिताने का फैसला किया और एक पेड़ पर चढ़ गया।
उस पेड़ के नीचे शिवलिंग था जो बेलपत्र के पत्तो से ढका हुआ था। शिकारी को उसके बारे में जानकारी नहीं थी। पेड़ पर चढ़ते समय उसने जो टहनियां तोड़ी वह शिवलिंग पर गिरती रहीं। इस तरह से भूखे प्यासे रहकर शिकारी का शिवरात्रि का व्रत हो गया और शिवलिंग पर बेलपत्र भी चढ़ गए। रात के समय एक हिरणी पानी पीने तालाब पर आई। शिकारी जैसे ही उसका शिकार करने जा रहा था भी हिरणी बोली मैं गर्भवती हूं शीघ्र ही प्रसव करुंगी। तुम एक साथ दो जीवों की हत्या करोगे। मैं बच्चे को जन्म देकर तुरंत तुम्हारे सामना आ जाउंगी। तब मुझे मार लेना।
शिकारी ने हिरणी को जाने दिया। इस दौरान अनजाने में कुछ बेलपत्र शिवलिंग पर गिर गए। इस तरह उसने अंजाने में प्रथम प्रहर की पूजा भी संपन्न कर ली। कुछ देर बार एक हिरणी उधर से निकली। जैसे ही शिकारी उसे मारने के लिए धनुष बाण चढ़ाया तो हिरणी ने विनम्रतापूर्वक निवेदन किया ह शिकारी में थोड़ी देर पहले ही ऋतु से निवृत्त हुई हूं। कामातूर विरहिणी हूं। अपने प्रिय की तलाश में हूं। अपनी पति से मिलकर मैं तुम्हारे पास आ जाउंगी। शिकारी ने उसे भी जाने दिया। रात का आखिरी पहर बीत रहा था। तब भी कुछ बेल पत्र शिवलिंग पर जा गिरे।
ऐसे में शिकारी ने अनजाने में ही अंतिम पर की पूजा भी कर ली। इस दौरान वहां एक हिरणी अपने बच्चों के साथ आई। उसने भी शिकारी से निवेदन किया और शिकारी ने उसे जाने दिया। इसके बाद शिकारी के सामने एक हिरण आया। शिकारी ने सोचा अब तो मैं इसे यहां ने नहीं जाने दूंगी इसका शिकार करुंगी। तब हिरण ने उससे निवेदन किया कि मुझे कुछ समय के लिए जीवनदान दे दो। शिकारी ने पूरा रात की घटना उस हिरण को सुना दी। तब हिरण ने कहा कि जिस तरह से तीनों पत्नियां प्रतिज्ञाबद्ध होकर गई हैं, मेरी मृत्यु से अपने धर्म का पालन नहीं कर पाएंगी। जैसे तुमने उन्हें विश्वापात्र मानकर छोड़ा है मुझे भी जाने दो। मैं उन सबके साथ तुम्हारे सामने शीघ्र ही उपस्थित होता हूं।
शिकारी ने उसे भी जाने दिया। इस तरह सुबह हो गई। उपवास, रात्रि जागरण, और शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से अनजान में ही शिवरात्रि की पूजा पूर्ण हो गई। लेकिन, अनजाने में हुई पूजा का परिणाम उसे तत्काल मिला। थोड़ी देर बार हिरण और उसका परिवार शिकारी के सामने आ गया। उन सभी को देखकर शिकारी को बहुत गिलानी हुई और उसने पूरे परिवार को जीवनदान दे दिया। अनजाने में शिवरात्रि व्रत का पालन करने पर भी शिकारी को मोक्ष की प्राप्ति हुई। जब मृत्यु काल में यमदूत जीव को ले जाने आए तो शिवगणों ने उन्हें वापस भेज दिया और उसे शिवलोक ले गए। शिवजी की कृपा से चित्रभानु अपने पिछले जन्म को याद रख पाए। शिवरात्रि के महत्व को जानकर उसका अगले जन्म में भी पालन कर पाए।
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महाशिवरात्रि व्रत कथा PDF Download | | View Kathaमहाशिवरात्रि आरती (Mahashivratri Aarti)
महाशिवरात्रि की आरती- ॐ जय गंगाधर जय हर जय गिरिजाधीशा
ॐ जय गंगाधर जय हर जय गिरिजाधीशा। त्वं मां पालय नित्यं कृपया जगदीशा॥ हर…॥
कैलासे गिरिशिखरे कल्पद्रमविपिने। गुंजति मधुकरपुंजे कुंजवने गहने॥
कोकिलकूजित खेलत हंसावन ललिता। रचयति कलाकलापं नृत्यति मुदसहिता ॥ हर…॥
तस्मिंल्ललितसुदेशे शाला मणिरचिता। तन्मध्ये हरनिकटे गौरी मुदसहिता ॥
क्रीडा रचयति भूषारंचित निजमीशम्। इंद्रादिक सुर सेवत नामयते शीशम् ॥ हर…॥
बिबुधबधू बहु नृत्यत नामयते मुदसहिता। किन्नर गायन कुरुते सप्त स्वर सहिता ॥
चिनकत थे थे चिनकत मृदंग वादयते। क्वण क्वण ललिता वेणुं मधुरं नाटयते ॥हर…॥
रुण रुण चरणे रचयति नूपुरमुज्ज्वलिता। चक्रावर्ते भ्रमयति कुरुते तां धिक तां ॥
तां तां लुप चुप तां तां डमरू वादयते। अंगुष्ठांगुलिनादं लासकतां कुरुते ॥ हर…॥
कपूर्रद्युतिगौरं पंचाननसहितम्। त्रिनयनशशिधरमौलिं विषधरकण्ठयुतम्॥
सुन्दरजटायकलापं पावकयुतभालम्। डमरुत्रिशूलपिनाक करधृतनृकपालम् ॥ हर…॥
मुण्डै रचयति माला पन्नगमुपवीतम्। वामविभागे गिरिजारूपं अतिललितम् ॥
सुन्दरसकलशरीरे कृतभस्माभरणम्। इति वृषभध्वजरूपं तापत्रयहरणं ॥ हर…।।
शंखनिनादं कृत्या झल्लरि नादयते। नीराजयते ब्रह्मा वेदऋचां पठते ॥
महाशिवरात्रि का महत्व । Mahashivratri ka Mahatva
महा शिवरात्रि हर साल मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों (Hindu Festivals) में से एक है। यह त्योहार भगवान शिव को समर्पित है और हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ महीने की 13वीं रात/14वें दिन पड़ता है। इस वर्ष महा शिवरात्रि 8 मार्च 2024 को मनाई जाएगी । यह त्यौहार शैव हिंदुओं के लिए बहुत महत्व रखता है, जो इसे बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। इस दिन, भक्त उपवास (fast) रखते हैं और भगवान शिव के सम्मान में विशेष प्रार्थना और अनुष्ठान करते हैं। महा शिवरात्रि को महान आध्यात्मिक महत्व का दिन भी माना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव लिंगम (भगवान शिव का एक प्रतिष्ठित प्रतीक) के रूप में प्रकट हुए थे। लोग पूजा-अर्चना करने और अनुष्ठान करने के लिए भगवान शिव को समर्पित मंदिरों में जाते हैं।
वे विशेष नृत्य (Special Dance) भी करते हैं और भगवान शिव की स्तुति में भजन गाते हैं। महा शिवरात्रि को भगवान शिव से आशीर्वाद लेने और मोक्ष (जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति) प्राप्त करने के लिए एक बहुत ही शुभ दिन माना जाता है। इस दिन शिव की पूजा की जाती है। वे धार्मिक गीत गाते हैं, मंत्रों का जाप करते हैं, मोमबत्तियाँ जलाते हैं और शिव मंदिरों में जाते हैं।
महाशिवरात्रि कैसे मनाई जाती है । Maha Shivratri Kaise Manai Jati Hai
महाशिवरात्रि का त्योहार एक ऐसा समय है जब लोग भगवान शिव के साथ-साथ जीवन और अस्तित्व (Existence) का भी सम्मान करते हैं और जश्न मनाते हैं। अधिकांश लोग महाशिवरात्रि का दिन प्रार्थना, ध्यान और आनंद में बिताते हैं। भगवान शिव के अनुयायी आज भी शिवरात्रि की पारंपरिक पूजा सावधानीपूर्वक और समर्पित रूप से करते हैं। वे दिन-रात उपवास (fast) रखते हैं और शिव लिंग को दूध, शहद, पानी और अन्य पवित्र पदार्थों से स्नान कराते हैं। शिवरात्रि पर, हिंदुओं का मानना है कि भक्ति और ईमानदारी से भगवान शिव की पूजा करने से पिछले पापों का प्रायश्चित किया जा सकता है, जिससे ऐसा करना सबसे शुभ होता है। अनुयायी भगवान शंकर की हवेली में आता है और बस जाता है।
यह पूरे भारत में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। कई शिव और पार्वती मंदिर इस भव्य त्योहार को कई तरीकों से मनाते हैं। हजारों तीर्थयात्री देश के विभिन्न मंदिरों में जाते हैं ।
महाशिवरात्रि कब मनाई जाती है । Mahashivratri Kab Manai Jati Hai
महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित है। यह पर्व हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, महाशिवरात्रि आमतौर पर फरवरी या मार्च महीने में पड़ती है।
इस दिन शिव भक्त पूरे दिन व्रत रखते हैं, रात्रि जागरण करते हैं और भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। महाशिवरात्रि को भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का पवित्र दिन भी माना जाता है।
महाशिवरात्रि व्रत विधि क्या है । Mahashivratri ki vrat vidhi kya hai
महाशिवरात्रि (Mahashivratri) का व्रत भगवान शिव (Bhagwan Shiv) की पूजा और उपासना का अत्यंत महत्वपूरण दिन है। इसे शास्त्रों में विशेष स्थान प्राप्त है और इसे धूमधाम से मनाया जाता है। महाशिवरात्रि की व्रत विधि निम्नलिखित 7 बिंदुओं में दी गई है:
- निर्जल उपवासी रहना– महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के दिन उपवासी रहना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह दिन उपवास और तप का होता है। श्रद्धालु दिनभर पानी भी नहीं पीते हैं और रातभर जागकर भगवान शिव की पूजा करते हैं।
- शिवलिंग की स्थापना- इस दिन शिवलिंग का पूजन विशेष रूप से किया जाता है। श्रद्धालु स्वच्छ व साफ स्थान पर शिवलिंग का गंगाजल से अभिषेक करते हैं। इससे पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
- ध्यान और जाप- महाशिवरात्रि (Mahashivratri) की रात भर शिव मंत्रों का जाप करना चाहिए, खासकर “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का। इससे मानसिक शांति मिलती है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
- शिव की पूजा- शिवलिंग पर दूध, जल, शहद, फूल, बेलपत्र, चंदन और फल चढ़ाने से शिवजी प्रसन्न होते हैं। इन पदार्थों का एक-एक करके चढ़ाना चाहिए।
- रातभर जागरण– महाशिवरात्रि (Mahashivratri) की रात जागरण करना अति महत्वपूर्ण है। भक्त रात्रि में भजन, कीर्तन और शिव स्तुति करते हैं। जागरण से आत्मिक शांति मिलती है और शिवजी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- ध्यान और संकल्प- इस दिन ध्यान और संकल्प का विशेष महत्व है। व्रति को संकल्प लेकर व्रत करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। मन, वचन और क्रिया से शिवजी की आराधना की जानी चाहिए।
- ब्राह्मणों को भोजन और दान- व्रत के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना और उन्हें दान देना पुण्यकारी माना जाता है। यह शास्त्रों में भी बताया गया है कि व्रत के अंत में दान करना विशेष लाभकारी होता है।
इन विधियों के अनुसार महाशिवरात्रि का व्रत करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।
महाशिवरात्रि व्रत नियम । Maha Shivratri Fast Rules in hindi
महाशिवरात्रि का व्रत (Mahashivratri vrat) भगवान शिव (Bhagwan Shiv) की आराधना का एक अद्वितीय अवसर है, जो विशेष रूप से चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन शिव भक्तों के लिए कुछ खास नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है:
- प्रातःकाल स्नान: महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के दिन सुबह उठकर स्नान करना आवश्यक है। यदि संभव हो, तो गंगा स्नान करना श्रेष्ठ माना जाता है, अन्यथा गंगा जल से स्नान करना भी पुण्यकारी होता है।
- उपवास: इस दिन भक्तों को उपवास रखने की परंपरा है। वे अन्न (अनाज) और शुद्ध नमक से बचते हुए तामसिक भोजन जैसे प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा और तम्बाकू से दूर रहते हैं।
- शुद्धता का पालन: व्रत के दौरान शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। यह न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और आत्मिक शुद्धता को भी महत्व देता है। ब्रह्मचर्य का पालन करना, विवाद से बचना और सत्य बोलना इन नियमों का हिस्सा है।
- मंत्रों का जप: इस दिन, विशेष रूप से महा मृत्युंजय मंत्र या “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप करना चाहिए। यह न केवल भगवान शिव को प्रसन्न करता है, बल्कि मानसिक शांति भी प्रदान करता है।
- जागरण: महाशिवरात्रि (Mahashivratri) की रात को जागते हुए बिताना अत्यंत महत्वपूर्ण है। भक्त रात भर शिव की भक्ति में लीन रहते हैं, भजन गाते हैं, शिव पुराण का पाठ करते हैं, या ध्यान करते हैं, ताकि वे शिव के आशीर्वाद से आभायुक्त हो सकें।
महाशिवरात्रि की पूजा विधि । MahaShivratri Puja Vidhi
महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव की उपासना के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस दिन भक्त पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से पूजा करते हैं। महाशिवरात्रि की पूजा विधि इस प्रकार है:
- स्नान और शुद्धिकरण:
महाशिवरात्रि के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। यदि संभव हो तो पवित्र नदी में स्नान करें या घर पर ही जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद भगवान शिव की पूजा के लिए अपने पूजा स्थल को साफ करें। - व्रत का संकल्प:
भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और दिनभर फलाहार या निर्जल व्रत का पालन करते हैं। - पूजा सामग्री का प्रबंध:
पूजा के लिए बेलपत्र, धतूरा, भांग, गंगाजल, दूध, दही, शहद, चावल, सफेद फूल, दीपक, कपूर, अगरबत्ती, और प्रसाद की व्यवस्था करें। - भगवान शिव का अभिषेक:
पूजा में भगवान शिवलिंग का अभिषेक विशेष महत्व रखता है। शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, और चीनी अर्पित करें। इसके बाद बेलपत्र, सफेद फूल और अक्षत चढ़ाएं। - मंत्रोच्चार और आरती:
अभिषेक के दौरान “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें। पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें और प्रसाद बांटें। - रात्रि जागरण:
महाशिवरात्रि की रात को जागरण करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दौरान शिव चालीसा, शिव पुराण, या अन्य धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें और भजन-कीर्तन में भाग लें। - व्रत का समापन:
अगले दिन सुबह पूजा के बाद व्रत खोलें। ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को दान देना शुभ माना जाता है।
महाशिवरात्रि की पूजा विधि के साथ सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करें। उनकी कृपा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
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Conclusion
महाशिवरात्रि -Mahashivratri Vrat Katha का पर्व आध्यात्मिक और धार्मिक दोनों ही रूप से महत्वपूर्ण है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही, इस दिन भगवान शिव की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। महाशिवरात्रि के पर्व से संबंधित हमारा यह लेख अगर आपको पसंद आया हो तो इसे अपने मित्रों के साथ सजा जरूर करें साथ ही हमारे अन्य आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें।
FAQ’S
Q. महाशिवरात्रि किस महीने में आती है?
Ans. महाशिवरात्रि (Mahashivratri) हर साल हिंदू कैलेंडर के फाल्गुन माह की चतुर्दशी तिथि को आती है, जो फरवरी और मार्च के बीच होती है। यह पर्व शिव जी की उपासना के लिए विशेष है।
Q. शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या अंतर है?
Ans. हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि होती है, जबकि फाल्गुन माह की शिवरात्रि (Shivratri) को विशेष महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।
Q. महाशिवरात्रि का महत्व क्या है?
Ans. महाशिवरात्रि को भगवान शिव के विवाह और अंधकासुर पर विजय प्राप्त करने का प्रतीक माना जाता है।
Q. महाशिवरात्रि के दिन क्या किया जाता है?
Ans. लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं, जागरण करते हैं और शिव मंदिरों में दर्शन करते हैं।
Q. महाशिवरात्रि का व्रत कैसे रखा जाता है?
Ans. व्रत रखने वाले लोग दिन भर उपवास करते हैं और रात में शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।
Q. भारत के अलावा, महाशिवरात्रि किन देशों में मनाई जाती है?
Ans. महाशिवरात्रि नेपाल, श्रीलंका, मॉरीशस, फिजी, मलेशिया, सिंगापुर और इंडोनेशिया में भी मनाई जाती है।
Q. महाशिवरात्रि के दिन किस भोग का भोग लगाया जाता है?
Ans. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को फल, फूल, दूध, दही, घी, शहद और मिठाई का भोग लगाया जाता है।
Disclaimer: इस लेख के द्वारा दी गई सभी जानकारियां इंटरनेट पर आधारित है। हम आपको बता दें कि जन भक्ति ऐसी मान्यताओं की पुष्टि नहीं करता है, इसलिए इन सभी टिप्स को अमल में लाने से पहले विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।