मकर संक्रांति (Makar Sankranti) हिन्दू धर्म (Hindu religion) का एक प्रमुख त्यौहार है। इस दिन सूर्य (sun) उत्तरायण हो जाता है, जिसका अर्थ है कि दिन के समय की अवधि बढ़ने लगती है और रात के समय की अवधि घटने लगती है। मकर संक्रांति को भारत (India) के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे तमिलनाडु में पोंगल, असम में बिहू, गुजरात में उत्तरायण, पंजाब में लोहड़ी, और उत्तर प्रदेश में खिचड़ी, और आज के इस लेख के जरिए हम आपको मकर संक्रांति की व्रत कथा के बारे में बताएंगे साथ ही हम आपको मकर संक्रांति के महत्व को भी समझाएंगे इसलिए हमारे इस लेख को अंत तक जरूर पढ़िए ।
टॉपिक | जानिए मकर संक्रांति की व्रत कथा,Know the fasting story of Makar Sankranti |
लेख प्रकार | आर्टिकल |
व्रत | मकर संक्रांति व्रत कथा |
तिथि | जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन |
महत्व | सूर्य का उत्तरायण होना |
नाम | पोंगल,बिहू,खिचड़ी,लोहड़ी आदि |
रीति-रिवाज | स्नान, दान, तिल-गुड़ का वितरण, सूर्य देव की पूजा, आदि |
अन्य महत्व | एकता और भाईचारे का प्रतीक |
मकर संक्रांति व्रत कथा, Makar Sankranti Fasting Story
मकर संक्रांति की व्रत कथा कुछ इस प्रकार है-
एक गांव (Village) में एक बूढी औरत (Old woman) हुआ करती थी । वह बूढी महिला व्रत-नियम बहुत रखती थी। एक दिन भगवान के घर से यमदूत (messenger of Death) लेने आये। बुढ़िया माई यमदूत के साथ चली गई। आगे गहरी नदी बह रही थी। बुढ़िया माई डूबने लगी, तब यमदूत ने पूछा-‘माई गाय दान की हुई है क्या?’ बुढ़िया माई ने मन में गाय माता का ध्यान किया तो गाय माता उपस्थित हो गई। गाय की पूँछ पकड़कर बुढ़िया माई ने नदी पार कर लिया।
जब बूढी मां आगे पहुंची तो उन्हें काले कुत्ते खाने को दौड़ पड़े तभी यमदूत ने बूढी मां से पूछा कि “क्या आपने कुत्ते को रोटी दी थी?” तभी बूढी मां ने काले कुत्ते का ध्यान किया तभी सभी काले कुत्ते वहां से चले गए । जब बूढी मां फिर आगे चली तब उन्हें वहां पर कौवे मिल गए वे सभी कौवे बूढी मां को चोंच करने लगे तभी यमदूत ने पूछा कि “क्या अपने ब्राह्मण की बेटी को सिर में तेल लगाने को दिया?” तभी बूढी मां ने ब्राह्मण की बेटी को याद किया और कौवे ने चोंच मारना बंद कर दिया ।
आगे गई तो पैरो में काँटे (spine) चुभने लगे। यमदूत ने कहा-‘चप्पल दान किया है?’ बुढ़िया माई ने याद किया तो चप्पल (sleeper) पैरो में आ गई। आगे चली तो चित्रगुप्त (Chitragupta) जी ने यमदूतों से पूछा-‘आप किसको ले आये हो? ’ यमदूतों ने कहा बुढ़िया माई ने बहुत दान-पुण्य किये हैं, लेकिन धर्मराज (God of death) जी का कुछ नहीं किया। इसलिये आगे के द्वार बंद है। तब बुढ़िया माई ने विनती की कि मुझे सात दिनों के लिये धरती पर जाने दो मैं इन सात दिनों में धर्मराज जी की कहानी सुनकर उद्यापन कर वापस आ जाऊँगी।
धर्मराज जी ने उसके प्राण लौटा दिये। धरती पर बुढ़िया माई के शरीर में जान वापस आ गई। सभी लोग बुढ़िया माई को जीवित देखकर ‘भूतनी-भूतनी’ चिल्लाकर भाग खोड़े हुये। बुढ़िया माई अपने घर आ गई ।
बुढ़िया माई ने बेटे-बहू से कहा- मैं भूतनी नहीं हूँ। मैं तो धर्मराज के कहने पर वापस आई हूँ। मैं प्रत्येक दिन धर्मराज की कहानी सुनकर, उसका उद्यापन करके वापस परलोक चली जाऊँगी। यह सुनकर बेटे-बहू ने पूजा की सभी सामग्री ला दी। लेकिन कहानी के समय हुँकारा नहीं भरा। तब बुढ़िया माई पड़ोसन (Neighbor) के पास गई। पड़ोसन ने कहानी सुनी और हुँकारा भी भरा। बुढ़िया माई ने सात दिनों के पश्चात् उद्यापन कर दान किया। सातवें दिन धर्मराज जी ने बुढ़िया माई के लिये स्वर्ग से विमान भेजा। विमान (aircraft) देखकर सभी गाँव वालों ने स्वर्ग जाने के लिये कहा। तब बुढ़िया माई ने कहा- मेरी कहानी तो केवल पड़ोसन ने सुनी है। यह सुनकर सभी गाँववालों ने बुढ़िया माई के पाँव पकड़ लिये और धर्मराज की कहानी सुनाने को कहा। बुढ़िया माई से कहानी सुनने के बाद सभी गाँववासी विमान में बैठकर स्वर्ग पहुँच गये। सभी गाँववासी को देखकर धर्मराज ने कहा-‘मैंने तो केवल बुढ़िया माई के लिये विमान भेजा था।।’ बुढ़िया माई ने कहा- मेरी कहानी इन सब ने सुनी है, इसलिये मेरा आधा पुण्य इनको दे दो और स्वर्ग में वास भी दो। तब धर्मराज जी ने सभी गाँववासियों को स्वर्ग में वास दे दिया।
मकर संक्रांति का महत्व, Importance of Makar Sankranti
मकर संक्रांति का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन को नए वर्ष की शुरुआत माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य (sun) उत्तरायण हो जाता है, जिसका अर्थ है कि दिन के समय की अवधि बढ़ने लगती है और रात के समय की अवधि घटने लगती है। इस कारण से, मकर संक्रांति को समृद्धि का प्रतीक (symbol of prosperity) माना जाता है।
मकर संक्रांति के दिन कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और दान करते हैं। मकर संक्रांति के दिन तिल, गुड़, और खिचड़ी का विशेष महत्व होता है। लोग इन चीजों का प्रसाद ग्रहण करते हैं और दूसरों को भी बांटते हैं।
मकर संक्रांति के कुछ विशेष रीति-रिवाज,Some special customs of Makar Sankranti
- पवित्र नदियों में स्नान: मकर संक्रांति के दिन लोग पवित्र नदियों (sacred rivers), जैसे गंगा (Ganga), यमुना (Yamuna), और सरस्वती (Saraswati) में स्नान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि (happiness and prosperity) आती है।
- दान: मकर संक्रांति के दिन लोग दान (Donation) करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए दान से पुण्य की प्राप्ति (attainment of virtue) होती है और भगवान प्रसन्न होते हैं।
- तिल, गुड़, और खिचड़ी का प्रसाद: मकर संक्रांति के दिन तिल, गुड़, और खिचड़ी का विशेष महत्व होता है। लोग इन चीजों का प्रसाद ग्रहण करते हैं और दूसरों को भी बांटते हैं। ऐसा माना जाता है कि इन चीजों का सेवन करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और धन-धान्य (wealth and grain) में वृद्धि होती है।
- पतंगबाजी: मकर संक्रांति के दिन पतंगबाजी (kite flying) का विशेष महत्व होता है। लोग सुबह से शाम तक पतंग उड़ाते हैं। ऐसा माना जाता है कि पतंगबाजी करने से बुराई दूर होती है और (सुख-समृद्धि happiness and prosperity) आती है।
Summary
मकर संक्रांति एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भारत के विभिन्न हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार नई शुरुआत, उजास, और समृद्धि का प्रतीक है। मकर संक्रांति के दिन लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं और नए साल की शुभकामनाएं देते हैं। मकर संक्रांति के पर्व से संबंधित यह लेख अगर आपको पसंद आया हो तो इसे अपने मित्रों के साथ साझा जरूर करें साथ ही हमारे अन्य आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें।