मंगला गौरी व्रत में क्या खाना चाहिए (Mangala Gauri Vrat Me kya khana Chahiye): मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat)- एक ऐसा पावन व्रत जो हर विवाहित महिला के जीवन में विशेष महत्व रखता है। यह व्रत न केवल पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाता है, बल्कि घर में सुख-शांति और समृद्धि भी लाता है। श्रावण मास में पड़ने वाले इस व्रत को लेकर महिलाओं के मन में कई सवाल उठते हैं – व्रत के दौरान क्या खाएं और क्या न खाएं? व्रत का उद्यापन कैसे करें? मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat) का महत्व क्या है? इन सभी प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए आइए गहराई से समझते हैं कि आखिर क्यों हर महिला को मंगला गौरी व्रत अवश्य करना चाहिए और इस व्रत को पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ कैसे किया जाता है।
मंगला गौरी व्रत हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। यह व्रत श्रावण मास के हर मंगलवार को रखा जाता है और इसका संबंध सीधे देवी पार्वती और भगवान शिव से है।
आइए विस्तार से जानते हैं मंगला गौरी व्रत से जुड़ी हर एक बात…
Table Of Content :-Mangala Gauri Vrat Me kya khana Chahiye
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S.NO | प्रश्न |
1 | मंगला गौरी व्रत में क्या खाना चाहिए? |
2 | मंगला गौरी व्रत उद्यापन विधि |
3 | मंगला गौरी व्रत पूजन सामग्री |
मंगला गौरी व्रत में क्या खाना चाहिए? (What Should Be Eaten During Mangala Gauri Fast)
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मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat) के दौरान खाने-पीने के कुछ नियम होते हैं जिनका पालन करना चाहिए। व्रत के दौरान क्या खाना चाहिए, इसकी जानकारी तीन बिंदुओं में इस प्रकार है:
- फलाहार और हल्का भोजन: मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat) के दौरान दिन में सिर्फ एक बार भोजन करना चाहिए। इसमें फल, सब्जियां और दूध से बने पदार्थ शामिल होने चाहिए। फलों में केला, सेब, अंगूर, पपीता आदि खा सकते हैं। दूध से बने पदार्थों में दही, पनीर, खीर आदि शामिल कर सकते हैं।
- व्रत के खास पकवान: इस व्रत में कुछ खास पकवान भी बनाए जाते हैं जिन्हें खाना शुभ माना जाता है। इनमें साबूदाना की खिचड़ी, सिंघाड़े के आटे का हलवा और व्रत वाले चावल प्रमुख हैं। इन व्यंजनों को व्रत के दौरान बनाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण करना चाहिए।
- वर्जित खाद्य पदार्थ: मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat) में कुछ चीजें खाने से परहेज करना चाहिए। इनमें मांस-मछली, अंडा, प्याज-लहसुन, मसालेदार और तले-भुने खाद्य पदार्थ शामिल हैं। साथ ही व्रत के दौरान शराब और तंबाकू का सेवन भी वर्जित माना जाता है।
मंगला गौरी व्रत उद्यापन विधि (Method Of Udyapan Of Mangala Gauri Vrat)
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सावन महीने में मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat) रखने का एक विशेष महत्त्व है। यह व्रत सावन माह के शुक्ल पक्ष के मंगलवार को ही रखा जाता है, और इसका उद्यापन भी इसी माह में ही होना चाहिए। व्रत के समापन के लिए 16 मंगला गौरी व्रत करने के बाद 17वें व्रत के अवसर पर, या 20 मंगला गौरी व्रत के बाद 21वें व्रत के अवसर पर, सावन शुक्ल पक्ष के किसी भी मंगलवार को किया जा सकता है। चार साल तक सावन के 16 या 20 मंगलवार का व्रत करने के पश्चात, सावन शुक्ल पक्ष के मंगलवार को व्रत का विधिपूर्वक उद्यापन किया जाता है। उद्यापन के दिन, मंगला गौरी की प्रतिमा को नदी या पोखर में विसर्जित कर दिया जाता है। इससे पहले, प्रतिमा को जल, दूध, दही से स्नान कराया जाता है और वस्त्र आदि पहनाए जाते हैं। रोली, चंदन, सिंदूर, मेहंदी व काजल लगाकर श्रृंगार किया जाता है।
उद्यापन के समय, 16 महिलाएं माता मंगला गौरी को आटे के लड्डू, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची और सुहाग सामग्री अर्पित करती हैं। साथ ही, सोलह प्रकार के फूल-पत्ते, माला आदि भी चढ़ाए जाते हैं। अंत में, मंगला गौरी व्रत की कथा सुनी जाती है।
मंगला गौरी व्रत पूजन सामग्री (Mangala Gauri Vrat Puja Material)
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“मंगला गौरी व्रत के लिए पूजन सामग्री की संपूर्ण सूची कुछ इस प्रकार है-:
S.NO | पूजन सामग्री |
1 | माँ मंगला गौरी की मूर्ति या चित्र |
2 | पूजा की चौकी या आसन |
3 | लाल और सफेद वस्त्र |
4 | घी का दीपक (16 बत्तियों वाला) |
5 | कुमकुम, हल्दी, चंदन |
6 | 16 मालाएं |
7 | लौंग, सुपारी, इलायची |
8 | 16 प्रकार के फल |
9 | पान के पत्ते |
10 | 16 लड्डू |
11 | सुहाग की सामग्री |
12 | 16 चूड़ियाँ |
13 | मिठाई |
14 | 5 प्रकार के सूखे मेवे |
15 | 7 प्रकार के अनाज |
16 | अगरबत्ती, धूप |
17 | पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, चीनी) |
18 | जल से भरा कलश |
19 | पूजा की थाली |
20 | रोली, अक्षत, फूल |
21 | नारियल |
22 | शंख |
23 | पीली सरसों |
24 | कच्चा धागा और कंगना |
25 | सिंदूर |
Conclusion:- Mangala Gauri Vrat Me kya khana Chahiye
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मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat), श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है। नारी जीवन में पति और संतान के महत्व को रेखांकित करता यह व्रत, आज भी प्रासंगिक है। मां गौरी के आशीर्वाद से जीवन में सुख-शांति और खुशहाली आती है। मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat) से संबंधित यह पावन लेख अगर आपको पसंद आया हो कृपया प्रमुख व्रत एवं त्योहार से संबंधित हमारे अन्य ज्ञानवर्धक लेख भी जरूर पढ़िए और हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर रोजाना विजिट करिए।
FAQ’s
Q. मंगला गौरी व्रत कब किया जाता है?
Ans. मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat) श्रावण मास के प्रत्येक मंगलवार को किया जाता है। इस व्रत को पांच साल तक करने का विधान है।
Q. मंगला गौरी व्रत का महत्व क्या है?
Ans. मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat) करने से पति की आयु लंबी होती है और दांपत्य जीवन सुखमय बीतता है। इससे पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है। अविवाहित लड़कियां भी अच्छा वर पाने के लिए यह व्रत करती हैं। संतानहीन दंपत्ति को भी इस व्रत से संतान सुख मिलता है।
Q. मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि क्या है?
Ans. मंगलवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। शिवलिंग पर जल चढ़ाकर व्रत का संकल्प लें। पति-पत्नी मिलकर शिव-पार्वती की पूजा करें। माता को अक्षत, कुमकुम, फूल, फल, श्रृंगार सामग्री अर्पित करें। धूप, दीप, नैवेद्य चढ़ाएं। मंगला गौरी की कथा सुनकर पूजा समाप्त करें।
Q. मंगला गौरी व्रत में क्या खाना चाहिए?
Ans.मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat) में एक समय अन्न खाने का विधान है। इस दिन व्रती को सात्विक भोजन करना चाहिए। फलाहार, दूध और मिठाई खा सकते हैं। नमक, मसाले, तेल वाले भोजन से परहेज करना चाहिए।
Q. मंगला गौरी व्रत का पारण कैसे करते हैं?
Ans. मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat) का पारण बुधवार को किया जाता है। व्रत के दूसरे दिन बुधवार को मां मंगला गौरी की प्रतिमा को नदी या तालाब में विसर्जित कर देते हैं। इसके बाद व्रत का उद्यापन किया जाता है।
Q. मंगला गौरी व्रत में क्या दान करना चाहिए?
Ans. मंगला गौरी व्रत में 16 लड्डू सास और ननद को दान देना चाहिए। इसके बाद ब्राह्मण को भी यही प्रसाद दिया जाता है। इसके अलावा गरीबों को भोजन, वस्त्र, अनाज आदि का दान करना शुभ होता है।