Mangala Gauri Vrat: श्रावण मास शिव-शक्ति को समर्पित है। कहा जाता है कि माता पार्वती (Goddess Parvati) ने भगवान शिव (Lord Shiva) को प्राप्त करने के लिए असंख्य व्रत किये थे, जिनमें से यह भी एक है। इसे मंगला गौरी व्रत इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह मंगलवार को किया जाता है। मंगला गौरी व्रत भगवान शिव और पार्वती को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है। विवाहित महिलाएं (Married womens) अपने पति (Husband) की सुरक्षा के लिए और अविवाहित लड़कियां अच्छा पति पाने के लिए मंगला गौरी व्रत रखती हैं । आज के इस विशेष लेख में हम आपको बताएंगे कि What is Mangla Gauri Vrat|क्या होता है मंगला गौरी व्रत , Who is maa mangala gauri|कौन हैं मां मंगला गौरी, Mangla Gauri fast Significance |मंगला गौरी व्रत का महत्व, mangla gauri pujan|मंगला गौरी पूजन, mangla gauri ki katha|मंगला गौरी की कथा, mangla gauri vrat for unmarried in hindi, मंगला गौरी व्रत में क्या खाना चाहिए|What should be eaten during Mangala Gauri Vrat?, मंगला गौरी व्रत पूजन सामग्री|Mangala Gauri fast Pujan Samgri, मंगला गौरी व्रत कथा विधि|Mangala Gauri Vrat Katha Vidhi, मंगला गौरी व्रत उद्यापन विधि|Mangala Gauri Vrat Udyapan Vidhi, मंगला गौरी पूजन विधि|mangala gauri puja vidhi , मंगला गौरी पाठ|mangla gauri path इत्यादि! इसीलिए मंगला गौरी व्रत से संबंधित विस्तृत जानकारी प्रदान करने के लिए हमारे इस लेख को अंत तक जरूर पढ़िए ।
Mangla Gauri Vrat Overview
टॉपिक | Mangla Gauri Vrat: क्या होता है मंगला गौरी व्रत, क्या है इसका महत्व, जानें सब कुछ |
लेख प्रकार | आर्टिकल |
व्रत | मंगला गौरी व्रत |
व्रत की तिथि | 23 जुलाई , 30 जुलाई , 6 अगस्त , 13 अगस्त। |
महत्व | अखंड सौभाग्य, पति की लंबी आयु, मनोकामना पूर्ति |
व्रत विधि | ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान, व्रत का संकल्प, मंगला गौरी की पूजा, शाम को फलाहार |
पूजन सामग्री | मंगला गौरी की प्रतिमा या चित्र, 16 श्रृंगार, फल, फूल, मिठाई, जल, दीपक, धूप आदि |
मंत्र | ह्रीं मंगले गौरि विवाहबाधां नाशय स्वाहा। |
What is Mangla Gauri Vrat | क्या होता है मंगला गौरी व्रत
सावन/श्रावण भगवान शिव (Lord Shiva) का पसंदीदा महीना है। इस पूरे महीने भगवान शिव, जिन्हें रुद्र (Rudra) के नाम से भी जाना जाता है, की पूजा की जाती है और भक्त व्रत भी रखते हैं। मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri fast) प्रत्येक वर्ष सावन के महीने में महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि माता गौरी अर्थात माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए सभी प्रकार के व्रत किये। इनमें श्रावण मास में मनाया जाने वाला मंगला गौरी व्रत बहुत महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है। यह व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की सुरक्षा, लंबी उम्र और खुशी के लिए रखती हैं, जबकि अविवाहित लड़कियां अच्छा पति पाने के लिए यह व्रत रखती हैं।
Who is Maa Mangala Gauri | कौन हैं मां मंगला गौरी
मां मंगला गौरी देवी पार्वती का एक मंगल रूप है। उन्हें मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी (Mahagauri) के नाम से भी जाना जाता है। नवरात्रि (Navratri) के आठवें दिन देवी के इसी रूप का पूजन होता है।
Mangla Gauri Vrat Significance | मंगला गौरी व्रत का महत्व
हिंदू शास्त्रों (Hindu Scriptures) के अनुसार, श्रावण माह में मनाया जाने वाला मंगला गौरी व्रत बहुत विशेष और शुभ माना जाता है। यह व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए रखती हैं, जबकि अविवाहित लड़कियां (Unmarried Girls) भगवान शिव की तरह आदर्श पति (ideal husband) पाने के लिए यह व्रत रखती हैं। ऐसा माना जाता है कि जिन भक्तों को विवाह (Marriage) में देरी का सामना करना पड़ रहा है, उन्हें वांछित इच्छा पूर्ति का आशीर्वाद पाने के लिए श्रावण माह के दौरान इस व्रत का पालन करना चाहिए।
mangla gauri pujan | मंगला गौरी पूजन
व्रत वाले दिन भक्तों को सुबह जल्दी उठना चाहिए, स्नान करना चाहिए और साफ कपड़े पहनने चाहिए। व्रत रखने वाली महिलाओं को लाल रंग के कपड़े पहनने चाहिए क्योंकि यह विवाहित महिलाओं का प्रतीक है। अपने घर के पूजा स्थल पर भगवान शिव और देवी गौरी की मूर्ति रखें। भगवान के सामने व्रत को पूरी निष्ठा और निष्ठा से करने का संकल्प लें।
Mangla Gauri ki katha | मंगला गौरी की कथा
बेहद ही प्राचीन समय की बात है एक गांव में धर्मपाल (Dharmapala) नाम का एक अमीर व्यापारी रहता था । उसकी एक पत्नी भी थी । धर्मपाल के पास बहुत सारा धन था, उसके पास किसी भी चीज की कमी नहीं थी । उसकी पत्नी भी बेहद ही बुद्धिमान थी , लेकिन उनकी कोई संतान (child) नहीं थी। वे दोनों ही संतान की प्राप्ति हेतु अनेक अनुष्ठान एवं व्रत किया करते थे।
दोनों पति-पत्नी के अच्छे कर्मों को देखकर भगवान (God) अत्यधिक प्रसन्न हुए और कुछ समय बीतने के बाद उनके घर एक संतान हुई परंतु उस व्यापारी की सभी खुशियां तब फीकी पड़ गई जब उसे पता चला कि उसका पुत्र अल्पायु है और जीवन के 16वें वर्ष में वह मर जाएगा , यह दुखद खबर जानने के बाद धर्मपाल बेहद ही परेशान हो गया लेकिन उसने अपनी सभी चिंताएं भगवान के भरोसे छोड़ दी उसने अपने पुत्र की शादी एक खूबसूरत कन्या से भी कर दी। संयोग ऐसा था कि कन्या की मां (माता मंगला गौरी) का व्रत करती थी जिसके फल स्वरुप उनकी कन्या को अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान मिल गया इस वरदान स्वरुप धर्मपाल के पुत्र की आयु भी लंबी हो गई , साथ ही धर्मपाल का पुत्र एक सुखी जीवन भी व्यतीत करने लगा, और फिर तब से लेकर अब तक माता मंगला गौरी के इस व्रत की कथा हर घर में सुनी और सुनाई जा रही है ।
Mangla Gauri Katha | मंगला गौरी कथा
एक समय की बात है, धर्मपाल (Dharmapala) नाम का एक व्यापारी रहता था। वह और उसकी पत्नी अत्यंत धार्मिक थे। अनेक अनुष्ठान और व्रत करने से उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई। बहुत छोटी उम्र से ही, ज्योतिषियों (Astrologers) ने उनके बेटे की मृत्यु की भविष्यवाणी (Prediction) कर दी थी, जो कि उसके 16वें वर्ष में साँप के काटने से होनी थी। कुछ वर्षों के बाद, धर्मपाल और उसकी पत्नी भविष्यवाणी के बारे में सब कुछ भूल गए और अपने बेटे की शादी कर दी। जिस लड़की से उनके बेटे का विवाह हुआ था, वह मंगला गौरी व्रत करती थी और व्रत के प्रभाव से उसके पति की मृत्यु का भय समाप्त हो जाता था और उसे दीर्घायु प्राप्त होती थी और वे एक सुखी वैवाहिक जीवन व्यतीत करते थे।
Mangla Gauri Images | मंगला गौरी इमेज
हम आपसे माता मंगला गौरी की कुछ विशेष तस्वीरें साझा कर रहे हैं। इन तस्वीरों को देखकर आप मंत्र मुक्त हो जाएंगे, और अगर आप चाहे तो इन तस्वीरों को डाउनलोड भी कर सकते हैं।
Mangala Gauri Vrat for Unmarried in H indi
मंगला गौरी व्रत एक हिंदू धार्मिक अनुष्ठान है जो अविवाहित महिलाओं द्वारा श्रावण माह में प्रत्येक मंगलवार को मनाया जाता है। यह व्रत देवी मंगला गौरी को समर्पित है, जो देवी पार्वती का एक रूप हैं। ऐसा माना जाता है कि यह व्रत अविवाहित महिलाओं को उपयुक्त पति ढूंढने में मदद करता है और उनके जीवन में सुख और समृद्धि लाता है। यदि आप एक अविवाहित महिला हैं और एक उपयुक्त पति की तलाश में हैं, तो आप मंगला गौरी व्रत रखने पर विचार कर सकती हैं। यह एक सरल और आसान व्रत है जिसे घर पर भी किया जा सकता है। माना जाता है कि यह व्रत अविवाहित महिलाओं के जीवन में सौभाग्य और खुशियाँ लाने में बहुत प्रभावी है।
मंगला गौरी व्रत | Mangala Gauri vrat
मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Fast) और कथा (story) देवी मंगला (मां पार्वती) को समर्पित है। यह कथा या पाठ महीने के हर मंगलवार (Tuesday) को किया जाता है। देवी मंगला गौरी देवी शक्ति के रूपों में से एक है। यह पूजा अनुष्ठान शीघ्र विवाह और उपयुक्त जीवन साथी पाने के लिए किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि मां पार्वती ने भगवान शिव से विवाह करने के लिए कई वर्षों तक तपस्या की थी। इसलिए उनकी पूजा करने से आदर्श या मनचाहे जीवनसाथी का आशीर्वाद मिलता है। आमतौर पर मंगला गौरी व्रत और कथा 16 या 20 मंगलवार तक की जाती है। यदि यह व्रत नवविवाहित महिला करे तो यह अत्यंत समृद्धिदायक माना जाता है। मंगला गौरी व्रत करने वाले उपासकों को देवी पार्वती की असीम कृपा प्राप्त होती है। यह परिवार, पति और बच्चों के लिए सौभाग्य भी लाता है और आपको लंबा और धन्य वैवाहिक जीवन प्राप्त करने में मदद करता है।
मंगला गौरी व्रत में क्या खाना चाहिए | What should be Eaten During Mangala Gauri Vrat?
- फल: आप सेब, केला, अंगूर, अनार, मौसमी, संतरा, और अन्य फल खा सकते हैं।
- दूध और डेयरी उत्पाद: आप दूध, दही, पनीर, और छाछ का सेवन कर सकते हैं।
- साबुदाना: साबुदाना व्रत में सबसे लोकप्रिय भोजन है। आप साबुदाने की खिचड़ी, वड़ा, और खीर बना सकते हैं।
- सिंघाड़े: सिंघाड़े का आटा व्रत में इस्तेमाल किया जा सकता है। आप सिंघाड़े की रोटी, पराठा, और पुरी बना सकते हैं।
- कुट्टू: कुट्टू का आटा भी व्रत में इस्तेमाल किया जा सकता है। आप कुट्टू की रोटी, पराठा, और पकौड़ी बना सकते हैं।
- मखाना: मखाने व्रत में एक स्वस्थ और पौष्टिक भोजन है। आप मखाने को दूध में उबालकर खा सकते हैं या मिठाई बना सकते हैं।
- व्रत का नमक: आप व्रत के नमक का उपयोग कर सकते हैं, जो कि सेंधा नमक होता है।
मंगला गौरी व्रत पूजन सामग्री | Mangala Gauri Fast Pujan Samgri
मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Fast) शुरू करने से पहले सावन के मंगलवार (Tuesday) के दिन सच्चे मन से भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा करके पूरे महीने मंगला गौरी व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए। व्रत से पहले फल, फूल, सुपारी, पान, मेहंदी, सोलह श्रृंगार का सामान, अनाज आदि रखना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि पूजा सामग्री में हर चीज 16 नंबर की होनी चाहिए।
मंगला गौरी व्रत कथा विधि | Mangala Gauri Vrat Katha Vidhi
इस दिन सुबह स्नानादि करके एक चौकी पर एक सफेद और एक लाल कपड़ा बिछाएं । सफेद कपड़े पर नवग्रहों (nine planets) के नाम की चावल की नौ ढेरियां तथा लाल कपड़े पर षोडश मातृका की गेहूं का सोलह ढेरियां बनाए । उसी चौकी के एक तरफ चावल (rice) और फूल (flowers) रखकर गणेश जी (Lord Ganesh) की मूर्ति की स्थापना करें। चौकी के एक कोने पर गेहूं (wheat) की एक छोटी सी ढेरी रखकर उसपर जल से भरा कलश रखें। कलश में आम के इस छोटी सी शाखा डाल दें। फिर आटे का एक चार मुंह वाला दीपक और सोलह धूप बत्ती जलाएं। फिर सबसे पहले गणेश जी का पूजन करें । उम पर चंदन, रोली, पान, सुपारी, सिंदूर, पंचामृत, जनेऊ, चावल, फूल, सुपारी, बेल पत्ते, इलायची, मेवा, प्रसाद तथा दक्षिणा चढ़ाकर गणेश जी की आरती करें । इसके बाद कलश का पूजन करें । एक मिट्टी के सकोरे में आटा रखकर उस के ऊपर सुपारी रखें और दक्षिणा को आटे में दबा दें । फिर बेल पत्ते माता को चढाएं। अब गणेश जी की तरह ही सब सामग्री के साथ कलश पूजन करें । लेकिन कलश पर सिंदूर तथा बेल पत्ते को ना चढ़ाएं। इसके उपरान्त नवग्रहों अर्थात चावल की नौ ढेरियों की पूजा करें। उसके बाद माता की बनी हुई सोलह गेहूं की ढेरियों की पूजा करें। इन पर रोली व जनेऊ ना चढ़ाएं। मेंहदी, हल्दी तथा सिंदूर चढाएं। इनका पूजन भी कलश तथा गणेश जी के पूजन की तरह ही करिए । अंत में मंगला गौरी का पूजन करें। मंगला गौरी के पूजन के लिए एक थाली में चकला रख लें और उस पर मंगला गौरी की मिट्टी की मूर्ति बनाएं या मिट्टी की पाँच डलियां रखकर उन्हें मंगला गौरी मान लें। आटे की लोई बनाकर रख लें । सबसे पहले मंगला गौरी को पंचामृत (जल, दूध, घी, दही और चीनी) बनाकर स्नान कराएं । उसके उपरान्त उन्हे वस्त्र पहनाएं फिर नथ, काजल, सिंदूर, चंदन, हल्दी, मेंहदी आदि से श्रृंगार करें ।
उसके बाद १६ प्रकार के फूल, १६ माला, १६ प्रकार के पत्ते, १६ फल, १६ लौंग, १६ इलायची, १६ आटे के लड्डू, १६ जीरा, १६ धनिया, १६ बार सात तरह का अनाज, ५ प्रकार का मेवा, रोली, मेंहदी, काजल, सिंदूर, तेल, कंधा, शीशा, १६० चूड़ियाँ, एक रूपया और वेदी दो, उन पर दक्षिणा चढ़ाकर मंगला गौरी की कथा सुनें । चौमुख दीपक बनाकर उसमें १६ तार की चार बत्ती बनाएं और कपूर से आरती उतारें । इसके बाद १६ लड्डुओं का भायना अपनी सास को देकर आशीर्वाद लें। इसके बाद बिना नामक की एक ही अनाज की रोटी कइ भोजन कर लें । इसके दूसरे दिन मंगला गोरी को समीप के कुंए, तालाब, नदी आदि में विसर्जित करके भोजन करें
मंगला गौरी व्रत उद्यापन विधि | Mangala Gauri Vrat Udyapan Vidhi
मान्यता है कि सावन/श्रावण मास में मंगलवार (Tuesday) को यह व्रत करने के बाद उद्यापन करना चाहिए। उद्यापन के दिन भक्तों को कुछ भी खाने की मनाही होती है। उद्यापन पूजा किसी विशेष पंडितजी द्वारा ही करायी जानी चाहिए। उद्यापन के दिन पूजा स्थल पर माता पार्वती/मंगला गौरी की स्थापना करनी चाहिए। पूजा स्थल के पास पूजा के लिए सुहाग सामग्री भी रखनी चाहिए। मंगला गौरी व्रत कथा को पढ़ना या सुनना चाहिए और फिर भक्तों को व्रत खोलने के बाद बड़ों का आशीर्वाद लेना चाहिए। मंगला गौरी व्रत का पालन करें और भगवान का आशीर्वाद पाने और सभी इच्छाओं की पूर्ति के लिए ऊपर वर्णित पूजा विधि का पालन करें।
मंगला गौरी पूजन विधि | Mangala Gauri Puja vidhi
व्रत के दिन भक्तों को सुबह जल्दी उठना चाहिए, स्नान करना चाहिए और साफ कपड़े, यदि संभव हो तो लाल कपड़े पहनने चाहिए। फिर पूजा स्थल को साफ करके भगवान शिव, भगवान गणेश और माता गौरी की मूर्ति या चित्र स्थापित करना चाहिए। इसके बाद महिलाओं को भगवान के सामने अपने पति की सुरक्षा और लंबी उम्र के लिए पूरी श्रद्धा के साथ व्रत रखने का संकल्प लेना चाहिए। पूजा अनुष्ठान के तहत महिलाओं को एक साफ थाली में लाल कपड़ा बिछाकर उस पर चावल की 9 ढेरियां बनानी चाहिए। यह नवग्रह का प्रतीक है। इसके बाद गेहूं की 16 ढेरियां बना लें. यह मातृका का प्रतीक है. फिर कलश को दूसरी ओर रखा जाता है.
सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. फिर उन्हें फल और नैवेद्य के रूप में भोग लगाया जाता है। इसके बाद नवग्रहों की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद गेहूं की ढेरी के रूप में बनी 16 मातृकाओं की पूजा करनी चाहिए। फिर माता गौरी और भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर को गंगाजल, दूध और दही के मिश्रण में डुबोया जाता है। मां को कुमकुम, हल्दी, सिन्दूर और मेहंदी अर्पित की जाती है और भगवान शिव को भोग लगाया जाता है। पूजा के बाद महिलाओं को मंगला गौरी व्रत की कथा सुननी चाहिएआखिरी व्रत के बाद महिलाओं को माता गौरी की तस्वीर या मूर्ति को किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर देना चाहिए। कहा जाता है कि इस व्रत को लगातार 5 साल तक करना चाहिए।
मंगला गौरी पाठ | Mangla Gauri Path
मंगला गौरी व्रत कथा का हिंदू संस्कृति (Hindu culture) में बहुत महत्व है। इस वर्ष, भारत भर में भक्त भक्ति और श्रद्धा के साथ सावन के प्रत्येक मंगलवार को यह शुभ व्रत रखेंगे, जिसे मंगला गौरी व्रत भी कहा जाता है। मंगला गौरी व्रत का पाठ देवी पार्वती के अवतार देवी गौरी की कहानी बताती है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को पूरी श्रद्धा और ईमानदारी से करने से आशीर्वाद, सौभाग्य और वैवाहिक आनंद मिलता है। यह व्रत सावन/श्रावण माह के दौरान मंगलवार को मनाया जाता है और देवी गौरी की दिव्य कृपा पाने के लिए समर्पित है ।
Summary
मंगला गौरी व्रत कथा सबसे अधिक पालन की जाने वाली परंपराओं में से एक है जो भक्तों को अपनी भक्ति व्यक्त करने और देवी गौरी का आशीर्वाद लेने की अनुमति देती है। आइए हम इस शुभ अवसर से जुड़ी पवित्रता, प्रेम और विश्वास का सार ग्रहण करें। देवी गौरी की दिव्य कृपा हमारे जीवन में समृद्धि, खुशी और वैवाहिक आनंद लाए। अगर आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो तो इसे अपने मित्रों के साथ अवश्य साझा करें साथ ही हमारे अन्य आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें ।
FAQ’s
Q. मंगला गौरी व्रत का महत्व क्या है?
Ans. मंगला गौरी व्रत सुहागिन स्त्रियों को अखंड सौभाग्य, पति की लंबी आयु, संतान प्राप्ति, सुखी वैवाहिक जीवन और समृद्धि प्रदान करता है।
Q. मंगला गौरी व्रत से जुड़ी कौन सी मान्यता है?
Ans.मान्यता है कि मंगला गौरी व्रत रखने से स्त्रियों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
Q. मंगला गौरी व्रत में कौन से फल चढ़ाए जाते हैं?
Ans. मंगला गौरी व्रत में केला, नारियल, अनार, सेब, अमरूद आदि फल चढ़ाए जाते हैं।
Q. मंगला गौरी व्रत की विधि क्या है?
Ans. व्रत रखने वाली स्त्रियां सुबह स्नान करने के बाद माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं।
Q. मंगला गौरी व्रत में कौन सी मिठाई चढ़ाई जाती है?
Ans. मंगला गौरी व्रत में खीर, लड्डू, बर्फी आदि मिठाई चढ़ाई जाती है।